Saturday, September 21

Yogi Adityanath

Yogi Adityanath ने अयोध्या के बाद काशी हिंदुत्व की राजनीति में शुरू से ही एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी पर बयान से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन विश्व हिंदू परिषद ने उनका पूरा समर्थन किया है. यूपी उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ ने यह बयान क्यों दिया? योगी आदित्यनाथ का ज्ञानवापी पर बयान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। योगी आदित्यनाथ की पॉलिटिकल लाइन कट्टर हिंदुत्व पर आधारित है, इसलिए उनका ज्ञानवापी पर कुछ भी बोलना अयोध्या आंदोलन से संबंधित है। क्या योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से ज्ञानवापी का उल्लेख करके अयोध्या की तरह संघ, बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद की किसी नई योजना का संकेत दिया है, या लव-जिहाद और घर वापसी जैसी उनकी नई योजनाओं की ओर संकेत किया है? या फिर ये सिर्फ चुनावी बहाना है?

योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि ज्ञानववापी एक मस्जिद नहीं है। विश्व हिंदू परिषद ने योगी आदित्यनाथ के बयान का खुला सपोर्ट किया है, लेकिन बीजेपी बचती हुई दिखती है।ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने यूपी के मुख्यमंत्री के बयान पर कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद सदियों पुरानी एक ऐतिहासिक मस्जिद है। मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी का कहना है कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, जो किसी विशेष धर्म के

योगी की ज्ञानवापी पर बीजेपी का क्या मत है?

गोरखपुर में नाथ पंथ पर एक सेमिनार में यूपी के प्रधानमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुर्भाग्य से आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं, वह साक्षात विश्वनाथ जी हैं।

योगी आदित्यन ने कहा कि ज्ञानवापी सच्चे विश्वनाथ की प्रतिकृति है। भारतीय संतों और ऋषियों की परंपरा हमेशा से सहयोगी रही है। योगी आदित्यनाथ ने आदि शंकराचार्य की बनारस यात्रा भी बताई।

विश्व हिंदू परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सच सब जानते हैं और ऐसे में वहां पर मस्जिद की भारी जिद करना उचित नहीं है।

यूपी के मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा है, उसे गंभीरता से लेना चाहिए। ज्ञानवापी मामले को जल्द से जल्द हल करना चाहिए। काशी धर्म और ज्ञान की नगरी है। गुरु शंकराचार्य को भी वहीं ज्ञान प्राप्त हुआ था।

क्या अयोध्या की तरह काशी भी चर्चा में है?

हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मामले में व्यास तहखाने की छत पर नमाजियों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की मांग की थी, जो हाल ही में वाराणसी की एक अदालत ने खारिज कर दी। हिन्दू पक्ष की याचिका, जिसमें व्यास तहखाने की छत पर नमाजियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मरम्मत कराने की मांग भी नहीं मानी, लेकिन वहां पूजा जारी रहेगी। योगी आदित्यनाथ ने भी ऐसे ही समय में बयान दिया है। बात सिर्फ इतनी ही नहीं है; सभी राजनीतिक दल जोर शोर से विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी कर रहे हैं।
यह प्रश्न उठता है कि क्या ये सीजनल राजनीति है या बीजेपी काशी को लेकर एक नए अभियान की योजना बना रही है – क्या अयोध्या में हार के बाद बीजेपी काशी का मुद्दा उठाने जा रही है?

VHP की प्रतिक्रिया से इस प्रश्न का जवाब हां में मिलता है, लेकिन BJP की प्रतिक्रिया से जवाब को ना में भी समझा जा सकता है।

यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि बीजेपी कानून के अनुसार ज्ञानवापी पर काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले राम मंदिर को लेकर कानून बनाने की मांग करते हुए यही बात कही थी। योगी आदित्यनाथ के बयान को लेकर पूछे जाने पर भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, ‘मुझे मालूम नहीं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किस परिप्रेक्ष्य में ये बयान दिया है, लेकिन पूरा देश और सब लोग जानते हैं कि हमारे देव स्थानों को लेकर उनका दृष्टिकोण रहा है।
बीजेपी का रुख इस मामले को मौसमी लगता है। ऐसा इसलिए भी है कि योगी आदित्यनाथ को मिल्कीपुर और करहल की दो सीटों पर विशेष ध्यान है। मिल्कीपुर सीट से अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद विधायक थे, जबकि करहल सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने से खाली हो गई है।
योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट की जिम्मेदारी वैसे ही संभाली है जैसे अमित शाह मुश्किल काम करते हैं। योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव में हर सीट के लिए तीन मंत्रियों की टीम बनाई है, लेकिन मिल्कीपुर में चार मंत्री लगाए गए हैं, शायद योगी आदित्यनाथ को अयोध्या में हुई हार का असर दिख रहा हो।

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