Sunday, September 22

pitru paksha

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से हर साल pitru paksha शुरू होता है। पितृ पक्ष के15 से 16 दिनों में पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि क्रियाएं की जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के समय पितरों का निवास धरती पर होता है  तृप्त या अतृप्त पितरों के लिए तर्पण, श्राद्ध और अन्य उपाय किए जाते हैं। जिन लोगों पर पितृ दोष है, वे पितृ पक्ष में इससे छुटकारा पाने के उपाय भी कर सकते हैं। आप अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं। पितृ पक्ष में तर्पण, श्राद्ध आदि करने के लिए 16 दिन लगते हैं। हर पितर की एक विशिष्ट तिथि होती है, जिस पर लोग उनके लिए तर्पण, श्राद्ध आदि करते हैं। जिन लोगों को तिथि नहीं मालूम है, उनके लिए भी व्यवस्था है। यही कारण है कि आप पितृ पक्ष में हर दिन अपने पितर को तर्पण दे सकते हैं। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से पूछिए कि पितृ पक्ष कब से शुरू होता है? पितृपक्ष की 16 तिथियां कब होती हैं?

2024 में पितृ पक्ष कब है?

17 सितंबर, भाद्रपद पूर्णिमा, पितृ पक्ष की शुरूआत है। श्राद्ध की पूर्णिमा तिथि उस दिन होगी। 2 अक्टूबर, सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष का समापन होगा।

पितृपक्ष में किसका श्राद्ध कब होता है?

भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक पितृ पक्ष में 16 तिथियां होती हैं। मृत व्यक्ति का तर्पण, श्राद्ध और अन्य पितृपक्ष के कार्यों की तिथि भी होती है। यदि किसी व्यक्ति का निधन सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ है, तो उसके पितृ पक्ष में तर्पण, श्राद्ध आदि चतुर्थी तिथि को किए जाएंगे।

मृत्यु की तिथि नहीं जानने पर श्राद्ध कैसे करें?

यदि किसी भी व्यक्ति के निधन की तिथि पता न हो तो उस व्यक्ति के लिए भी पितृ पक्ष  में भी व्यवस्था की है। यदि वह पुरुष है तो सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करना चाहिए। यदि वह महिला है तो उसका श्राद्ध, तर्पण और अन्य क्रियाएं मातृ नवमी, यानी पितृ पक्ष में श्राद्ध की नवमी तिथि पर होनी चाहिए।

2024 के पितृपक्ष की 16 ति​थियां

पूर्णिमा पूजा: 17 सितम्बर, मंगलवार को

श्रीकृष्ण पूर्णिमा की तिथि: 17 सितंबर 11:44 AM से 18 सितंबर 08:04 AM तक

उपाधि श्राद्ध: 18. बुधवार

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा तिथि: 18 सितंबर को 08:04 AM से 19 सितंबर को 04:19 AM तक

आश्विन द्वितीया श्राद्ध : 19 सितंबर को 4 बजे AM से 20 सितंबर को 12 बजे AM तक

तृतीया श्राद्ध: 20 सितंबर शुक्रवार

अक्टूबर तृतीया प्रतिपदा तिथि: 20 सितंबर को 12:39 AM से 09:15 PM

चतुर्थी श्राद्ध, महाभरणी: 21 सितम्बर, शनिवार को

कृष्ण चतुर्थी तिथि: 21 सितंबर को 6:13 PM से 20 सितंबर को 9:15 PM तक

पंचमी पूजा: 22 सितम्बर (रविवार)

आश्विन कृष्ण पंचमी की तारीख: 22 सितंबर को 03:43 PM से 21 सितंबर को 6:13 PM तक

षष्ठी और सप्तमी श्राद्ध: सोमवार, 23 सितंबर

आश्विन कृष्ण षष्ठी तिथि: 23 सितंबर को 01:50 PM से 22 सितंबर को 03:43 PM तक

आश्विन सप्तमी: 23 सितंबर को 01:50 से 24 सितंबर को 12:38

अष्टमी पूजा: 24 सितम्बर, मंगलवार

कृष्ण अष्टमी तिथि: 24 सितम्बर को 12:38 PM से 25 सितम्बर को 12:10 PM तक

नवमी श्राद्ध  और मातृ नवमी: 25 सितम्बर, बुधवार को

आश्विन कृष्ण नवमी की तारीख: 25 सितंबर को 12 बजे PM से 26 सितंबर को 12 बजे PM तक

दशहरे का श्राद्ध: 26 सितम्बर (गुरुवार)

आश्विन कृष्ण दशमी की तारीख: 26 सितंबर को 12 बजे PM से 27 सितंबर को 1 बजे PM तक

एकादशी  श्राद्ध: 27 सितंबर को शुक्रवार है

कृष्ण एकादशी तिथि: 28 सितंबर को 02:49 PM से 27 सितंबर को 01:20 PM तक

द्वादशी या मघा श्राद्ध: 29 सितंबर को रविवार है

आज आश्विन कृष्ण द्वादशी है: 28 सितंबर को 02:49 PM से 29 सितंबर को 04:47 PM तक

त्रयोदशी पूजा: 30, सोमवार

आश्विन कृष्ण त्रयोदशी तिथि: 30 सितंबर को 07:06 PM से 29 सितंबर को 04:47 PM तक

चतुर्दशी पूजा: :1 अक्टूबर, मंगलवार

आश्विन चतुर्दशी तिथि: 30 सितम्बर को 07:06 PM से 1 अक्टूबर को 09:39 PM

1 अक्टूबर को 09:39 PM से 3 अक्टूबर को 12:18 AM तक आश्विन कृष्ण अमावस्या होगी।

अमावस्या, सभी पितृ अमावस्या, अमावस्या श्राद्ध: 2 अक्टूबर बुधवार

 

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