Wednesday, September 25

Haryana Election

2019 में Haryana Election में आजाद प्रत्याशियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया था। यहां तक कि नायब सैनी ने हाल ही में सीएम बनने पर भी स्वतंत्र प्रत्याशियों के सहारे अपनी सरकार बनाई। अब हर कोई हरियाणा विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशियों पर ध्यान दे रहा है।

वास्तव में, प्रदेश में टिकट वितरण के बाद से कई नेता कांग्रेस और बीजेपी से अलग हो गए और निर्दलीय चुनाव में भाग लिया। भाजपा और कांग्रेस दोनों को आजाद प्रत्याशी मुश्किल बना रहे हैं। यही कारण है कि हम आपको ऐसी जगहों के बारे में बता रहे हैं जहां आजाद प्रत्याशी भी चुनाव लड़ रहे हैं।

गन्नौर सीट: देवेंद्र कादयान सोनीपत की गन्नौर सीट पर भारतीय जनता पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। देवेंद्र कादयान भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनके भाई देवेंद्र कौशिक ने पूर्व सांसद रमेश कौशिक को टिकट दिया। बाद में देवेंद्र कादयान ने घोषणा की कि वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कांग्रेस ने गन्नौर सीट से पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा को फिर से उम्मीदवार बनाया है और उन पर अपना भरोसा जताया है। देवेंद्र कादयान, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं, कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए एक चुनौती बन रहे हैं। देवेंद्र कादयान, मन्नत होटल ग्रुप के चेयरमैन, पिछले दस साल से समाज सेवा में सक्रिय है। 2019 में भी देवेंद्र कादयान को टिकट नहीं मिला था, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा था। देवेंद्र कादयान, हालांकि, दोनों दलों के लिए मुसीबत का सबक बन गए हैं क्योंकि वह अब निर्दलीय पद पर है।

हिसार सीट: कांग्रेस ने फिर से रामनिवास राडा का दाव खेला है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर से कैबिनेट मंत्री कमल गुप्ता को हिसार सीट का उम्मीदवार बनाया है। उधर, कुरुक्षेत्र से सांसद और उद्योगपति नवीन जिंदल की माता सावित्री जिंदल भी हिसार सीट पर भारतीय जनता पार्टी की टिकट की बड़ी दावेदार थी। भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद सावित्री जिंदल ने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ा है। सावित्री जिंदल पूर्व मंत्री ओमप्रकाश जिंदल की पत्नी हैं, जो देश की तीसरी अमीर महिला हैं। सावित्री जिंदल के मैदान में आने के बाद भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इसे एक बड़ी चुनौती मान रही हैं। हिसार में सावित्री जिंदल का एक अलग प्रभाव है। ऐसे में सावित्री जिंदल न सिर्फ कांग्रेस और भाजपा को मुसीबत में डाल सकती है बल्कि उन्हें परास्त भी कर सकती है।

तिगांव सीट: कांग्रेस के पूर्व विधायक ललित नगर ने निर्दलीय चुनाव जीतकर कांग्रेस और भाजपा को मुश्किल में डाल दिया है। कांग्रेस से टिकट कटने के बाद ललित नागर ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया। ललित नागर ने कांग्रेस हाईकमान पर भी आरोप लगाया कि उनका टिकट एक बड़े नेता के इशारे पर काटा गया है। जबकि ललित नगर और प्रियंका गांधी परिवार के बीच अच्छे संबंध हैं। उसके बावजूद भी टिकट नहीं मिल सका। अब देखते हैं कि ललित नागर निर्दलीय पद पर रहते हुए भाजपा और कांग्रेस को कितना संघर्ष करना होगा।

गुरुग्राम सीट: भारतीय जनता पार्टी ने मुकेश शर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जबकि कांग्रेस ने मोहित ग्रोवर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। नवीन गोयल अब भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर गुरुग्राम में निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के नेता नवीन गोयल के मैदान में आने से खुश हैं। नवीन गोयल बनिया बिरादरी से हैं और पूर्व में गुरुग्राम सीट से बनिया समुदाय का विधायक बनते रहे हैं। नवीन गोयल लोगों की सेवा करके अब चुनाव में आशीर्वाद चाहते हैं और पिछले काफी समय से गुरुग्राम में समाज सेवा के क्षेत्र में निरंतर काम में लगे हुए हैं।

अंबाला कैंट: कांग्रेस पार्टी ने अंबाला कैंट से परविंदर परी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व गृहमंत्री और छह बार विधायक रहे अनिल विज को फिर से उम्मीदवार बनाया है। चित्रा सरवारा आजाद, दोनों पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में आने के बाद कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ रही हैं। वह पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी है। जब उनकी टिकट नहीं मिली, उन्होंने निर्दलीय रूप से अंबाला कैंट से चुनाव लड़ने का फैसला किया। चित्रा सरवारा के मैदान में आने से भाजपा और कांग्रेस दोनों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। भाजपा के उम्मीदवार अनिल विज का दावा है कि अंबाला की जनता उन्हें सातवीं बार विधायक बनाएगी। लेकिन निर्दलीय उम्मीदवार के मैदान में आने के बाद अंबाला कैंट में मुकाबला कड़ा हो गया है।

पुंडरी कुर्सी: पुंडरी सीट पर 28 वर्षों से लगातार निर्दलीय विधायक चुनकर आया है। पिछले 28 वर्षों से इस सीट पर कांग्रेस पार्टी या भारतीय जनता पार्टी का विधायक नहीं रहा है। ऐसे में निर्दलीय विधायक का महत्व भी कम हो जाता है। यहां पिछले चुनाव में रणधीर सिंह गोलन आजाद ने जीत हासिल की थी। अब बुधवार को उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को समर्थन दिया है और कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

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