Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण है। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण मानते हैं। यहां चैत्र नवरात्रि का मुहूर्त, माता की सवारी और तिथियां देखें।
Chaitra Navratri 2025: चैत्र नवरात्रि इस बार आठ दिनों की होगी। अलग-अलग पंचांगों में तिथि को लेकर की गई गणना अलग-अलग है। कुछ पंचांगों में तृतीया, कुछ में द्वितीया, और कुछ में तृतीया और चतुर्थी एक साथ दी जाती है। चैत्र नवरात्रि इस वर्ष 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल को समाप्त होगी।
मां दुर्गा इस साल हाथी पर आएगी। नया हिंदू वर्ष चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल को समाप्त होगी। इस बार चैत्र नवरात्रि आठ दिनों की होगी क्योंकि तिथि बदल गई है।
शास्त्रों में मां का यह रूप भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करता है। चैत्र नवरात्र के पहले दिन बहुत से शुभ योग बन रहे हैं। इस समय घटस्थापना आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है।
8 दिन की नवरात्रि तिथि का क्षय
इस वर्ष नवरात्र आठ दिनों का होगा। अलग-अलग पंचांगों में तिथि को लेकर की गई गणना अलग-अलग है। कुछ पंचांगों में तृतीया, कुछ में द्वितीया, और कुछ में तृतीया और चतुर्थी एक साथ दी जाती है। इस दृष्टिकोण से गणना प्रभावित होती है।
मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी।
ज्योतिषियों ने कहा कि चैत्र नवरात्रि पर मां भगवती हाथी पर आएंगी और बैठकर ही चलेंगी। माना जाता है कि मां दुर्गा की सवारी हाथी एक बहुत अच्छा संकेत है।
हाथी को शांति, सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। किसानों के लिए माता हाथी पर सवार होने का बहुत अच्छा संकेत है। इसका अर्थ है कि इस साल बारिश कम नहीं होगी और फसल अच्छी होगी।
धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से लोगों का धन बढ़ता है और देश की अर्थव्यवस्था सुधरती है।
देवी दुर्गा हाथी पर आएंगी और सोमवार 7 अप्रैल को समापन होने पर हाथी से ही प्रस्थान करेंगी।
दिनांक
हिंदू पंचांग के अनुसार 29 मार्च को शाम 4:27 पर चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। वहीं, तिथि 30 मार्च को दोपहर 12:49 पर समाप्त होगी। इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से शुरू होकर 6 अप्रैल को समाप्त होगी। नया हिंदू वर्ष चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है।
घटस्थापना का शुभ समय
- कलश स्थापना का शुभ समय: 6:13 बजे सुबह से 10:22 बजे तक
- अभिजीत समय: दोपहर 12:01 से 12:50 बजे
- शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करने से व्रत और पूजा का विशेष लाभ मिलता है।
नक्षत्रों और शुभ संयोग
30 मार्च को सर्वार्थ सिद्धि योग में चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ होगा। उस दिन इंद्र-रेवती योग है। चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शाम को 4:35 मिनट से अगले दिन सुबह 06:12 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग चलेगा। इस समय आप जो भी करेंगे। वह निश्चित रूप से सफल होगा। यह एक अनुकूल संयोजन है। विशेष बात यह है कि महापर्व के दौरान रवियोग का चार दिन और सर्वार्थसिद्धि योग का तीन दिन होगा।
चैत्र नवरात्रि के दिन
- 30 मार्च – नवरात्रि के प्रतिपदा पर मां शैलपुत्री की पूजा और घटस्थापना की जाएगी।
- 31 मार्च – नवरात्रि द्वितीया और तृतीया दिन मां ब्रह्मचारिणी पूजा होगी।
- 01 अप्रैल: नवरात्रि चतुर्थी पर मां कुष्मांडा की पूजा होगी।
- 02 अप्रैल: नवरात्रि पंचमी पर मां स्कंदमाता की पूजा होती है
- 03 अप्रैल: नवरात्रि षष्ठी के दिन मां कात्यायनी की पूजा
- 04 अप्रैल – नवरात्रि की सप्तमी है, जब मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी।
- 05 अप्रैल – मां महागौरी की नवरात्रि अष्टमी
- 06 अप्रैल – नवरात्रि नवमी है। श्रीमती सिद्धिदात्री, श्रीरामनवमी
कलश स्थापना की सामग्री
लाल रंग मां दुर्गा को बहुत अच्छा लगता है, इसलिए लाल रंग का ही आसन खरीदें। कलश स्थापना करने के लिए जौ, मिट्टी, जल, मौली, इलायची, लौंग, कपूर, रोली, अशोक या आम के पांच पत्ते, नारियल, चुनरी, सिंदूर, फल, फूल, माला और श्रृंगार पिटारी भी चाहिए।