President Mrs. Droupadi Murmu मानवाधिकार आयोग की शुरूआत से मानवाधिकार उल्लंघन के 23.14 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए और मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को राहत के रूप में आयोग की तरफ से 256.57 करोड़ रुपये की सिफारिश की गई
President Mrs. Droupadi Murmu: मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को मानवाधिकारों की सर्वव्यापी घोषणा (यूडीएचआर) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1948 में मानवाधिकार को अपनाया था और इसकी सर्वव्यापी घोषणा की थी। यूडीएचआर मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक वैश्विक निर्देश चिन्ह (बेंचमार्क) के रूप में कार्य करता है। भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) मानवाधिकार दिवस को दुनिया भर के विभिन्न हितधारकों के लिए अपने कार्यों और जिम्मेदारियों पर विचार करने के अवसर के रूप में देखता है और यह सुनिश्चित करता है कि वे हितधारक मानवाधिकारों के उल्लंघन में योगदान न दें।
यूडीएचआर इस सिद्धांत को दर्शाता है कि सभी मनुष्य स्वतंत्र और समान पैदा होते हैं, उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और सुरक्षा, कानून के समक्ष समानता और विचार, विवेक, धर्म, राय तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है। यह सिद्धांत भारत के संविधान और मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (पीएचआरए), 1993 में भी परिलक्षित होता है, जिसने 12 अक्टूबर, 1993 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत की स्थापना के लिए कानूनी ढांचा प्रदान किया।
10 दिसंबर, 2024 को मानवाधिकार दिवस के अवसर पर, एनएचआरसी नई दिल्ली में विज्ञान भवन के प्लेनरी हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इस अवसर पर राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। इस अवसर पर एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष श्रीमती विजया भारती सयानी, एनएचआरसी के महासचिव श्री भरत लाल, वरिष्ठ अधिकारी, वैधानिक आयोगों के सदस्य, राज्यों के मानवाधिकार आयोग (एसएचआरसी), राजनयिक, नागरिक समाज और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहेंगे।
इस कार्यक्रम के बाद ‘ मानसिक स्वास्थ्य: कक्षा से कार्यस्थल तक तनाव से निपटना ‘ विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया जाएगा। सम्मेलन के तीन सत्रों में ‘बच्चों और किशोरों में तनाव’, ‘उच्च शिक्षण संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियां’ और ‘कार्यस्थलों पर तनाव और थकान’ शामिल हैं। सम्मेलन का उद्देश्य शिक्षा से लेकर रोजगार तक जीवन के विभिन्न चरणों में तनाव के मनोवैज्ञानिक प्रभावों का पता लगाना और विभिन्न क्षेत्रों में मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें प्रस्तावित करना है।
इस वर्ष के मानवाधिकार दिवस की थीम “हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी” इस बात पर जोर देती है कि मानवाधिकार सिर्फ़ आकांक्षापूर्ण नहीं हैं, बल्कि बेहतर भविष्य के लिए व्यक्तियों और समुदायों को सशक्त बनाने का एक व्यावहारिक साधन भी हैं। मानवाधिकारों की परिवर्तनकारी क्षमता को अपनाने से एक ज़्यादा शांतिपूर्ण, न्यायसंगत और टिकाऊ दुनिया बनाने में मदद मिल सकती है। अब समय आ गया है कि मानवीय गरिमा पर आधारित भविष्य के लिए विश्व स्तर पर कार्रवाई को फिर से शुरू किया जाए।
आयोग ने नागरिक और राजनीतिक अधिकारों के साथ-साथ आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार काम किया है। इसने सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों में मानवाधिकार-केंद्रित दृष्टिकोण को मुख्यधारा में लाने और विभिन्न पहलों के माध्यम से सार्वजनिक प्राधिकरणों और नागरिक समाज के बीच जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मानवाधिकार चर्चाओं को बढ़ावा देता है और नागरिक समाज, गैर सरकारी संगठनों, मानवाधिकार रक्षकों, विशेषज्ञों, वैधानिक आयोग के सदस्यों, राज्य मानवाधिकार आयोगों और सरकारी अधिकारियों के साथ संवाद बनाए रखता है।
एनएचआरसी ने 12 अक्टूबर, 1993 को अपनी स्थापना के बाद से 30 नवंबर, 2024 तक कई मौके पर जांच, खुली सुनवाई और शिविर बैठकें आयोजित की हैं। तीन दशकों से अधिक की अवधि के दौरान आयोग ने कुल 23,14,794 मामले दर्ज किए और 23,07,587 मामलों का निपटारा किया, जिनमें 2,880 मामले स्वतः संज्ञान पर आधारित थे। आयोग ने अब तक मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को मौद्रिक राहत के रूप में लगभग 256.57 लाख रुपये की सिफारिश की है।
पिछले एक साल के दौरान, 1 दिसंबर, 2023 से 30 नवंबर, 2024 तक, एनएचआरसी ने 65,973 मामले दर्ज किए और 66,378 मामलों का निपटारा किया, जिनमें पिछले वर्षों से आगे बढ़ाए गए मामले भी शामिल हैं। आयोग ने 109 मामलों में स्वतः संज्ञान लिया और पिछले वर्ष की इस अवधि के दौरान मानवाधिकार उल्लंघन के पीड़ितों को 17,24,40,000/- रुपये की आर्थिक राहत की सिफारिश की। आयोग ने आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में एक शिविर भी लगाया।
एनएचआरसी का प्रभाव कई विधेयकों, कानूनों, सम्मेलनों, शोध परियोजनाओं, 31 परामर्शों और 100 से अधिक प्रकाशनों (इनमें मासिक समाचार पत्र और मीडिया रिपोर्ट शामिल हैं) की समीक्षा से और भी स्पष्ट होता है। ये सभी मानवाधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने में आयोग के प्रयासों की गवाही देते हैं। एनएचआरसी ने कई मुद्दों पर परामर्श जारी किए हैं जिनमें बाल यौन शोषण सामग्री (सीएसएएम), विधवाओं के अधिकार, भोजन का अधिकार, स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, अनौपचारिक श्रमिकों के अधिकार और पर्यावरण प्रदूषण सहित कई मुद्दे शामिल हैं।
एनएचआरसी ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में मानवाधिकारों की स्थिति का आकलन करने के लिए 14 विशेष प्रतिवेदक नियुक्त किए हैं। ये प्रतिवेदक आश्रयगृहों, जेलों और इसी तरह के संस्थानों का दौरा करते हैं और भविष्य की कार्रवाई के लिए सिफारिशों के साथ रिपोर्ट तैयार करते हैं। इसके अतिरिक्त, 21 विशेष निगरानीकर्ता विशिष्ट मानवाधिकार मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और एनएचआरसी को अपने निष्कर्ष सौंपते हैं।
एनएचआरसी ने मानवाधिकारों के विभिन्न विषयों पर 12 कोर समूह स्थापित किए हैं और सिफारिशों को अंतिम रूप देने के लिए नियमित रूप से विशेषज्ञों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ चर्चा करता है। यह मानवाधिकारों के विभिन्न मुद्दों पर हितधारकों के साथ खुली चर्चाओं का भी आयोजन करता है। पिछले एक साल में इसने मानवाधिकारों के विभिन्न पहलुओं पर कई कोर ग्रुप मीटिंग, खुली चर्चाएं और राष्ट्रीय परामर्श आयोजित किए हैं।
मानवाधिकारों की रक्षा और उन्हें बढ़ावा देने के लिए एनएचआरसी केंद्र तथा राज्य सरकारों, अर्ध-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार रक्षकों के साथ हमेशा सहयोग करता है। इस वर्ष, आयोग ने आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों सहित अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों को संवेदनशील बनाने के लिए एक नया कार्यक्रम शुरू किया। इसका उद्देश्य अधिकारियों में मानवाधिकारों की गहरी समझ विकसित करना है ताकि वे अपने संबंधित संगठनों के भीतर इस समझ या ज्ञान को साझा कर सकें।
आयोग ने लगभग 55 सहयोगात्मक कार्यशालाएं, 06 मूट कोर्ट प्रतियोगिताएं और कई इंटर्नशिप भी आयोजित कीं, जिससे देश भर के छात्र लाभान्वित हुए। 44 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के छात्र और संकाय सदस्य मानवाधिकारों और उनके संरक्षण तंत्रों के बारे में जानकारी के लिए आयोग में आए। इसके अतिरिक्त, आयोग ने मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस संगठनों के लिए वाद-विवाद की मेजबानी की।
एनएचआरसी ने कई मामलों में हस्तक्षेप किया है, जिनमें कार्यस्थल पर महिलाओं के उत्पीड़न की समस्या का समाधान करने के लिए खेल निकायों को नोटिस जारी करना, बेघर लोगों के लिए मुफ्त आवास की सिफारिश करना, सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को मुआवजा देना और प्राकृतिक आपदाओं से विस्थापित लोगों के पुनर्वास में सहायता करना शामिल है। आयोग ने कर्ज में डूबे किसानों द्वारा आत्महत्या के मामलों में भी हस्तक्षेप किया है और हैनसेन रोग से पीड़ित लोगों के साथ भेदभाव करने वाले 97 कानूनों में संशोधन की सिफारिश भी की है।
आयोग ने एचआरसीनेट पोर्टल के माध्यम से अपनी पहुंच का विस्तार किया है, जिससे राज्यों के प्राधिकरण जुड़े हुए हैं और लोगों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने तथा वास्तविक समय में शिकायत पर समाधान की स्थिति को ट्रैक करने की सुविधा मिलती है। यह पोर्टल पांच लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर और राष्ट्रीय सरकारी सेवा पोर्टल से जुड़ा हुआ है।
source: http://pib.gov.in