25 जनवरी को षठतिला एकादशी का व्रत होगा। इस दिन श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। माघ मास की सबसे खास एकादशी षठतिला एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तिल का भोग लगाना चाहिए.
माघ महीना भगवान विष्णु का महीना है, और एकादशी विश्वेदेवा की तिथि है। षठलिता एकादशी को ही श्रीहरि की कृपा और सभी देवताओं की कृपा मिलती है। इस दिन दोनों की उपासना करने से मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। इस दिन आप भी कुंडली के दुर्योगों को दूर कर सकते हैं। 25 जनवरी, शनिवार को इस बार षठतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा।
षठतिला एकादशी पर ग्रहों की स्थिति
षठतिला एकादशी पर चंद्रमा जल तत्व की राशि वृश्चिक में होगा, जिससे मंगल और चंद्रमा के बीच एक संबंध बना रहेगा। इस दिन सूर्य त्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेगा, इसलिए स्नान और दान बहुत फायदेमंद होंगे। इस बार के स्नान से शनि की समस्याएं दूर होंगी और कुंडली में दुर्योग दूर होंगे।
षठतिला एकादशी 2025 का शुभ मुहूर्त
षठतिला एकादशी माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। षठतिला एकादशी 24 जनवरी को शाम 7 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 25 जनवरी को रात 8 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।
26 जनवरी को षठतिला एकादशी का पारण सुबह 7 बजे 12 मिनट से 9 बजे 21 मिनट तक चलेगा।
षटतिला एकादशी कैसे करें
प्रातःकाल उठकर भगवान विष्णु की पूजा करें। दिन भर व्रत रहने के बाद रात में भगवान विष्णु की पूजा करके हवन करें। द्वादशी तिथि पर अगले दिन सुबह उठकर स्नान करें। फिर साफ कपड़े पहनकर भगवान विष्णु को भोग लगाएं। अंत में पंडितों को भोजन कराएं, फिर उसके बाद अन्न और जल प्राप्त करें।
षटतिला एकादशी का प्रसंग
एक ब्राह्मण स्त्री ने अपने पति की मृत्यु के बाद अपना सारा समय भगवान विष्णु की पूजा में बिताया था। उसने एक बार पूरे महीने भगवान विष्णु की उपासना की, लेकिन दान नहीं देने से उसका सारा पुण्य अधूरा रह गया। यह देखकर भगवान विष्णु स्वयं उसकी कुटिया में एक भिक्षुक की तरह आए. उन्होंने महिला से भिक्षा मांगी और तब उसने भिक्षुक के हाथ में मिट्टी का ढेला थमा दिया।
यह देखकर भगवान विष्णु अपने बैकुंठ में वापस गए। उस स्त्री की कुछ समय बाद मृत्यु हो गई, और जब वह लोक में पहुंची, तो अपनी कुटिया खाली देखकर घबरा गई और भगवान विष्णु से कहने लगी, हे प्रभु..मैंने आपको पूरा जीवन पूजा, लेकिन मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब भगवान विष्णु ने उसे अन्न दान ना करने और उनके हाथ पर मिट्टी का ढेला देने की बात बताइए, और कहा कि जब देव कन्या तुमसे मिलने आएं, तो तुम तभी अपना द्वार खोलना जब वह तुम्हें षटतिला एकादशी व्रत की विधि बताएं।
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