भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने CM Nayab Singh Saini की प्रशंसा करते हुए कहा कि श्री नायब सिंह सैनी जमीन से जुड़े हुए व्यक्ति हैं, जिनका चरित्र बेदाग है, वे लगनशील हैं और ऊंची सोच के धनी व्यक्ति हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि श्री नायब सिंह सैनी निश्चित रूप से नायाब काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा प्रांत असीम संभावनाओं का प्रदेश है, जो हमारे देश का सिरमौर है। यहाँ की प्रतिभा हर क्षेत्र में अभूतपूर्व है। मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में प्रत्येक हरियाणवी का हुनर और भी उभरेगा। जीवन में साथी या सारथी बहुत निर्णायक भूमिका निभाते हैं। हरियाणा प्रदेश को जनता का साथी और सारथी श्री नायब सिंह सैनी के रूप में मिला है।
उपराष्ट्रपति ने आज कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में शिरकत की और गीता ज्ञान संस्थानम् में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। इस अवसर पर हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय भी उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि उनका और उनकी पत्नी का हरियाणा से बेहद गहरा नाता है। आज इस पवित्र भूमि, जहां भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को वह उपदेश दिया जो हम सबके लिए रास्ता दिखाने वाला उपदेश है, यहां आना उनके लिए एक ऐसा क्षण है जिसे वे सदैव स्मरण रखेंगे।
श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता की जन्मस्थली धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की भूमि से संदेश दिया कि हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरि है। राष्ट्र प्रेम में कोई आकलन की बात नहीं है, यह शुद्ध और शत-प्रतिशत होना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि गत दस वर्षों से अधिक समय से इतिहास को रचते हुए 6 दशक के पश्चात प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को देश का सारथी बनने का सौभाग्य मिला है। साथी और सारथी की भूमिका कितनी निर्णायक होती है वह भारत ने दस वर्ष में देखा है। अकल्पनीय आर्थिक प्रगति, अविश्वसनीय संस्थागत ढाँचा जो नहीं सोचा था वो दर्जा भारत को मिल रहा है। भारत की आवाज आज बुलंदी पर है। दुनिया की हम महाशक्ति तो हैं ही और अब हमने विकसित भारत बनने का अपना रास्ता चुन लिया है।
उन्होंने कहा कि विकसित भारत अब सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए हमें गीता से अर्जुन की एकाग्रता और दृढ़ता को अपनाना होगा। जिस प्रकार अर्जुन की नजर मछली पर नहीं थी, मछली की आंख पर भी नहीं थी, उसकी नजर सिर्फ अपने लक्ष्य पर थी, उसी प्रकार, हमें भी अपनी नजर सिर्फ लक्ष्य पर रखनी होगी, तभी हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि गीता में जो पांच महत्वपूर्ण आदर्श दिखाए गए हैं, उन्हें वे अभिशासन पंचामृत के रूप में प्रस्तुत करते हैं। यह सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था के लिए, शांति के लिए, विकास के लिए, भाईचारा के लिए, उन्नति के लिए, खुश रहने के लिए बहुत जरूरी हैं। पहला सिद्धांत है सार्थक संवाद। ऐसी उम्मीद है कि हमारे संसद सदस्य, विधानसभा के सदस्य, पंचायत और नगर पालिका में जनप्रतिनिधि और आपस में हर व्यक्ति, हर संस्था में यह ध्यान रखेगा कि संवाद सार्थक हो, संवाद का नतीजा व्यक्तिगत हित में नहीं, समाज हित, देश हित में होना चाहिए। दूसरा सिद्धांत व्यक्तिगत शुचिता का है, जिसकी आज बहुत आवश्यकता है। हमें ऐसा करना चाहिए कि जो लोग किसी पद पर हैं जैसे प्रशासनिक पद, राजनीतिक पद हो या आर्थिक जगत में हो उनका आचरण आदर्श होना चाहिए, अनुकरणीय होना चाहिए, जनता को प्रभावित करने वाला होना चाहिए, इसका समाज पर बहुत व्यापक फ़र्क पड़ेगा। तीसरा सिद्धांत है नि:स्वार्थ यज्ञ भाव। इसी को ध्यान में रखते हुए उन्होंने आह्वान किया कि 2047 में विकसित भारत हो यह बहुत बड़ा यज्ञ है। इस यज्ञ में सभी की आहुति जानी चाहिए, इसमें हर नागरिक का कर्तव्य बनता है। चौथा सिद्धांत करूणा का है। करुणा हमारी विरासत है। कोविड के समय करुणा को दृष्टिगत रखते हुए भारत ने कैसे इस संकट को झेला है और सौ से ज़्यादा देशों को भारत ने कोविड की वैक्सीन प्रदान की। आज भी दुनिया में जहां भूकंप आता है, कोई कमी आ जाती है, भुखमरी आ जाती है, भारत पहला उत्तरदाता है, इसलिए आम आदमी को भी करुणा का ध्यान देना चाहिए। पांचवा सिद्धांत है परस्पर भाव। उन्होंने कहा कि स्पर्धा होनी चाहिए पर स्पर्धा का मतलब युद्ध नहीं है।
श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि आज के दिन देश के सामने कुछ ऐसे संकट आ रहे हैं, जो हम भांप रहे हैं। कुछ ताकतें भारत को, हमारी अर्थव्यवस्था को चोटिल करना चाहती हैं, हमारी संस्थाओं को निष्क्रिय करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना होगा, हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है और हम भारत जैसे एक महान देश के नागरिक हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ के आगमन पर प्रदेशवासियों की ओर से उनका स्वागत करते हुए कहा कि आपके आने से अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव की गरिमा कई गुणा बढ़ गई है और हमारा उत्साह भी दोगुना हुआ है। आज के समारोह में उपराष्ट्रपति का आना अध्यात्म में उनकी रुचि, धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र और श्रीमद्भगवद्गीता के प्रति आस्था और हरियाणा के प्रति उनके लगाव का प्रतीक है।
श्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन वर्ष 2016 से किया जा रहा है। दिव्य श्रीमद्भगवद्गीता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की प्रेरणा हमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मिली। उन्होंने अमेरिका की अपनी पहली यात्रा के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को “दी गीता अर्कोडिंग टू गांधी” भेंट की। उसी समय हमने गीता के पावन संदेश को मानवमात्र तक पहुंचाने के लिए गीता जयंती समारोह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने की पहल की।
गीता को भारतीय दर्शन की आधारशिला और समस्त मानवता के लिए मार्गदर्शक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें गर्व है कि पवित्र ग्रंथ गीता भारत का विचार है। इसे पवित्र धर्म ग्रंथ ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की आस्था और जीवन ग्रंथ भी माना जाता है, इसलिए मानवता को जिंदा रखने के लिए आज गीता का मनन करना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि गीता के संदेश के प्रसार के लिए राज्य सरकार के प्रयासों में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज और गीता ज्ञान संस्थान ने बड़ा सहयोग किया है। इनके सहयोग से पहली बार वर्ष 2019 में यह महोत्सव देश से बाहर मॉरीशस तथा लंदन में मनाया गया। इसके बाद सितम्बर, 2022 में यह कनाडा में आयोजित किया गया। अप्रैल, 2023 में यह आस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया। इस वर्ष तो दो देशों में अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। गत फरवरी-मार्च माह में श्रीलंका में और अगस्त में यू.के. के मैनचेस्टर में भव्य आयोजन किये गये।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक जीवन के तनावों और चुनौतियों का समाधान करने में श्रीमद्भगवद गीता की शिक्षाएं महत्वपूर्ण हैं। आज के तनावपूर्ण और निरंतर संघर्षों से जूझते हुए मानव समाज को गीता के सन्देश का अनुसरण करना होगा। इसी में राष्ट्र का हित निहित है और इसी से विश्व शान्ति का सपना साकार होगा।
इस मौके पर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कुरुक्षेत्र की पावन धरा पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को निमित्त बनाकर समूची मानवता के लिए गीता का उपदेश दिया। गीता की उपदेश स्थली कुरुक्षेत्र की धरा पर गीता जयंती पर्व यद्यपि अनेक वर्षों से मनाया जा रहा है। लेकिन पिछले नौ वर्षों से गीता महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता केवल आस्था का प्रतीक ही नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक अद्भुत कला है। आज विश्व भर में जो भी समस्याएं व्याप्त हैं, उनका समाधान निश्चित रूप से श्रीमद्भगवद्गीता में है।
source: http://prharyana.gov.in
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