Utpanna Ekadashi Vrat: उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है।
Utpanna Ekadashi Vrat: साल भर में चौबीस एकादशी व्रत रखी जाती है। सनातन स्वावलंबियों को माना जाता है कि एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं। वहीं उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। माना जाता है कि भगवान विष्णु के शरीर से इसी दिन एकादशी का जन्म हुआ था, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है। देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि उत्पन्ना एकादशी कब है और इस दिन कैसे पूजा करें?
देवघर के पागल बाबा आश्रम में स्थित मुदगल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि एकादशी मार्गशीर्ष महीने में पैदा हुई थी। उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी है। 26 नवंबर को उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाएगा। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. सत्यनारायण की कहानी सुनने से पापों से छुटकारा मिलता है और घर में सुख समृद्धि आती है।
कब उत्पन्ना एकादशी है?
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि उत्पन्ना एकादशी तिथि 25 नवंबर की रात 02 बजकर 38 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 26 नवंबर की रात 03 बजकर 12 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत 26 नवंबर को ही रखा जाएगा।
उतपन्ना एकादशी पर बन रहे अच्छे योग
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि उत्पन्ना एकादशी के दिन बहुत शुभ योग बनेंगे। इस दिन हस्ता नक्षत्र भी बन रहा है, जो प्रीति और आयुष्मान योग बनाता है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से आपको अनन्त पुण्य मिलेगा।
उत्पन्ना एकादशी पर क्या करें?
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए क्योंकि इस दिन उनके शरीर का जन्म हुआ था। भगवान विष्णु की पूजा करने से मोक्ष मिलता है। पूजा करते समय कहना चाहिए, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मन्त्र का जाप करें।” इस दिन श्रीकृष्ण को भोग में तुलसी का एक पत्ता अवश्य दें। तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग नहीं खाते। इस दिन आपको सत्यनारायण की कहानी सुननी चाहिए। महिलाएं भी इस दिन सौभाग्य के लिए तुलसी का पूजन करें। तुलसी का पूजन करने से सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.