महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या के दिन होगा। ऐसे में ये एक बहुत ही लाभदायक संयोजन माना जाता है। इस दिन जातक को पितरों को प्रसन्न करने के लिए स्नान-दान के साथ कुछ उपाय करना चाहिए।
माघ महीने में आने वाले कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं, इस दिन लोग गंगा या अन्य नदियों में स्नान करते हैं। माना जाता है कि इस दिन मौन धारण करके नदियों में स्नान करने से पितृ देव प्रसन्न होंगे और पापों से छुटकारा मिलेगा। साथ ही स्नान के बाद दान देना भी बहुत महत्वपूर्ण है। जातक को स्नान करते समय तिल के साथ पितरों को जल देना चाहिए।
तिल का दान करें
मौनी अमावस्या के दिन श्रीहरि की विधिपूर्वक पूजा करें और श्रद्धापूर्वक आवश्यक वस्तुओं को तिल का दान करें। तिल देने से जातक को मृत्यु के बाद बैकुंठ में स्थान मिलता है और जीवन भर सुख-समृद्धि मिलती है।
पिता के लिए इन उपायों का पालन करें
इस दिन पितरों की शांति के लिए पवित्र नदी में स्नान करना अनिवार्य है। स्नान करने के बाद, एक ताम्र पात्र में जल भरकर काला तिल डालकर भगवान शिव को जलाभिषेक करें। साथ ही अपने पितरों को जल अर्पित कर मोक्ष की प्रार्थना करें। इस उपाय को करने से जातक भगवान शिव की कृपा पाता है और पितृ दोष से छुटकारा पाता है।
इसके अलावा, मौनी अमावस्या के दिन काले तिल का दान करने से पितृ दोष और शनि दोष दूर होते हैं।
कब से मौनी अमावस्या है?
28 जनवरी की शाम 07.35 बजे से 29 जनवरी की शाम 06.05 बजे तक मौनी अमावस्या होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि को मानते हुए 29 जनवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाती है।
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