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  • Shri Vasudev Devnani: शिक्षक दिवस पर विधान सभा अध्यक्ष श्री देवनानी की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं

    Shri Vasudev Devnani: शिक्षक दिवस पर विधान सभा अध्यक्ष श्री देवनानी की प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं

    Shri Vasudev Devnani: राष्ट्र के भविष्य के पथ प्रदर्शक बने शिक्षक —युवा पीढी को तनाव मुक्त, नशा मुक्त, नारी सम्मान के संस्कारों के साथ आदर्श जीवन जीने की राह दिखाना आवश्यक

      राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष Shri Vasudev Devnani ने शिक्षक दिवस (5 सितम्बर) के अवसर  पर  प्रदेश के शिक्षकों का आह्वान किया है कि वे तनाव मुक्त, नशा मुक्त और नारी के प्रति सम्मान के संस्कारों को सिखाने के साथ युवा पीढी को आदर्श जीवन जीने की राह दिखाने वाले पथ प्रदर्शक बनें। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिवेश में युवाओं में श्रेष्ठ नागरिक के गुणों के भाव बचपन से ही पैदा करने होंगे, ताकि युवा पीढी अच्छे-बुरे और सही-गलत का अर्थ समझ सके और राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय भागीदारी के लिए तैयार हो सके।

    स्पीकर श्री देवनानी ने शिक्षक दिवस पर प्रदेश के शिक्षकों को बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि शिक्षा मानव जीवन के लिए आवश्यक है और विकास का मूल आधार भी शिक्षा है। ऐसी स्थिति में शिक्षकों का दायित्व राष्ट्र के प्रति और अधिक बढ जाता है। उन्होंने कहा कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस पर मनाये जाने वाला शिक्षक दिवस शिक्षक, वि‌द्यार्थियों और सम्पूर्ण समाज के लिए महत्वपूर्ण है। यह दिवस प्रत्येक व्यक्ति द्वारा शिक्षकों के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करने का भी दिवस है।

    श्री देवनानी ने शिक्षकों से अनुरोध किया कि वे देश के भविष्य युवा पीढी के व्यक्तित्व और चरित्र का निर्माण कर उनके पथ प्रदर्शक बने। विद्यार्थियों के उचित मार्ग दर्शन से ही उनका भविष्य उज्ज्वल बनाया जा सकता है। भारतीय संस्कृति में शिक्षक और शिक्षक दिवस का विशेष महत्व है। हमारी संस्कृति में गुरुजन को हमेशा से भगवान और माता-पिता के तुल्य स्थान दिया जाता है। भारत की प्रगति में सक्रिय भागीदारी निभाने के लिये युवाओं में राष्ट्र प्रथम की भावना का विकास करना होगा। उनमें नैतिकता और संस्कारों का भी समावेश करना होगा।

    श्री देवनानी ने कहा कि समाज के बदलते परिवेश में शिक्षक और विद्यार्थी का संवाद बढाना होगा। इससे दोनों के मध्य आपसी विश्वास बढ़ सकेगा। वि‌द्यार्थियों में अनुशासन और सामजिक जिम्मेदारियों का भी विकास होना आवश्यक है। शिक्षकों को मन की बात बोलने का मौका युवा पीढी को देना होगा और शिक्षकों को युवा की बात धैर्य से सुनकर उन्हें सही-गलत का आंकलन भी सिखाना होगा।

    sourse:http://dipr.rajasthan.gov.in

     


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