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  • 14 नवंबर को बिहार उपचुनाव के बाद CM Nitish Kumar क्या महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले हैं? बुलाई कैबिनेट की बैठक

    14 नवंबर को बिहार उपचुनाव के बाद CM Nitish Kumar क्या महत्वपूर्ण निर्णय लेने वाले हैं? बुलाई कैबिनेट की बैठक

    CM Nitish Kumar बैठक की अध्यक्षता करेंगे

    CM Nitish Kumar: लगभग 20 दिनों के बाद नीतीश कैबिनेट की फिर बैठक होगी जिसमें कोई बड़ा फैसला लेने की बात कही जा रही है। नीतीश कैबिनेट की बैठक 14 नवंबर को सुबह 11:30 पर बुलाई गई है। मुख्य सचिवालय के सभागार में बैठक होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बैठक की अध्यक्षता करेंगे। बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्री, सभी मंत्री और अधिकारी उपस्थित होंगे। इसके अलावा, सभी मंत्रियों को मौजूद रहने को कहा गया है।

    प्राप्त जानकारी के अनुसार, बैठक में कैबिनेट की मंजूरी के लिए नीतीश कुमार के घोषित पदस्थापन के कई मुद्दे प्रस्तुत किए जाएंगे। विभिन्न विकास प्रस्तावों को बैठक में स्वीकृत किया जाएगा और धन की व्यवस्था की जाएगी। राज्य सरकार बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय ले सकती है।

    बिहार, 22 अक्टूबर को दीपावली से पहले कैबिनेट की बैठक हुई थी। उस समय कहा गया था कि राज्य सरकार कर्मचारियों की महंगाई भत्ता में वृद्धि करने के प्रस्ताव को नकार सकती है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सरकार इस प्रस्ताव पर 14 नवंबर को एक कैबिनेट मीटिंग करेगी।

  • Bihar Politics : बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक दूसरे को बोल रहे हैं झूठा

    Bihar Politics : बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक दूसरे को बोल रहे हैं झूठा

    Bihar Politics

    Bihar Politics: अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। सभी राजनीतिक दल समयपूर्व चुनाव की संभावना को देखते हुए विभिन्न प्रकार के तिकड़म कर रहे हैं। CM नीतीश कुमार ने बार-बार कहा कि आरजेडी के साथ जाना उनकी गलती थी। भाजपा के साथ ही रहेंगे। तेजस्वी का दावा है कि उन्होंने नीतीश को दो बार राजनीतिक जीवन दिया है। भाजपा से निराश होकर गिड़गिड़ा रहे थे। जेडीयू और आरजेडी ने फिर से वीडियो फुटेज दिखाकर एक दूसरे को झूठा साबित करने की कोशिश की।

    पिछले चार वर्षों में नीतीश कुमार के स्वभाव में स्पष्ट परिवर्तन देखा गया है। 2005 से बिहार का सीएम नीतीश रहा है। उनमें परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रही है। 2015 से अब तक, आरजेडी और भाजपा में उनकी आवाजाही होती रही है। वे जिसे छोड़ते हैं, उसके प्रति कटुता स्वाभाविक है.। लेकिन उन्होंने वाणी में कभी शालीनता नहीं छोड़ी। यहां तक कि 2015 में पहली बार भाजपा से अलग होने पर भी, उन्होंने नरेंद्र मोदी या भाजपा के बारे में कोई गलत शब्द नहीं सुना। लालू प्रसाद यादव ने मोदी और भाजपा दोनों पर हमला किया है। नीतीश की यही विशेषता ने उन्हें अन्य राजनीतिज्ञों से अलग रखा है। 2020 के बाद से नीतीश में बदलाव आया है। अब वे गुस्सा होने लगे हैं। वे अपने विरोधियों को कठोर शब्दों से संबोधित करने लगे हैं। उनके स्वभाव में घबराहट और क्रोध शामिल है। राजनीतिक विश्लेषकों ने इस बदलाव के दो कारण बताए हैं। पहला, 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू की कमजोरी और दूसरा, बढ़ती उम्र। आरजेडी के साथ जेडीयू भी बिहार की सियासत में भाग ले रहे हैं। नीतीश कुमार ने ऐसी राजनीति कभी नहीं की है।

    बिहार की राजनीति  में वीडियो गेम

    बच्चों को वीडियो गेम अभी भी आकर्षित करते हैं। अब यह राजनीति में भी है। बिहार में पिछले कई दिनों से फुटेज और वीडियो की आवाज आ रही है। आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पहले वीडियो की बतकही शुरू की। उन्होंने कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार को दो बार राजनीतिक जीवन दिया है। लालू यादव और उनके सामने नीतीश कुमार जब ‘गिड़गिड़ा’ रहे थे तो आरजेडी ने उनका साथ दिया। इस पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। तेजस्वी ने कहा कि अगर कोई साक्ष्य है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। शुक्रवार को आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एक वीडियो फुटेज जारी किया। उसकी आवाज स्पष्ट नहीं है, लेकिन बोलते समय नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री राबड़ी देवी को अभिवादन करते हुए दिख रहे हैं।

    अब चौधरी ने तीन फुटेज  दिखाए

    आरजेडी ने अशोक चौधरी की चुनौती पर नीतीश कुमार के कथित रूप से “गिड़गिड़ाने” का फुटेज जारी किया, जिसे जेडीयू ने खारिज कर दिया। शनिवार को अशोक चौधरी ने तीन वीडियो फुटेज जारी करते हुए कहा कि तेजस्वी को गिड़गिड़ाने और आग्रह का शाब्दिक अर्थ नहीं मालूम है। लालू यादव ने पहले वीडियो में बताया कि नीतीश ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में क्या भूमिका निभाई है। दूसरे में तेजस्वी नौकरी पर बोलते दिख रहे हैं। तीसरे वीडियो में लालू यादव बताते हैं कि हमने पहले नीतीश को फोन किया था। दोनों पक्षों के तीनों फुटेज से बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा है। नीतीश कुमार पर भी आरोप लगाए जाते हैं। अशोक चौधरी को इसकी अनुमति देना उनके स्वभाव में आए परिवर्तन का संकेत है।

    CM इस तरह की राजनीति से दूर रहे हैं।

    CM नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में ऐसी राजनीति कभी नहीं हुई है। अब वे बात-बात पर रोते हैं। विधानसभा हो या सार्वजनिक मंच, उनके तेवर से स्पष्ट है कि वे क्रोधित हैं। जब भी उनकी कड़ी आलोचना हुई है, वे चुपचाप अपना काम करते रहे हैं। नीतीश ने विपक्ष की आलोचनाओं को अनदेखा किया, जब कई बच्चों ने सारण जिले में मिड डे मील खाकर मर गए। नीतीश ने शराबबंदी के तुरंत बाद गोपालगंज में जहरीली शराब से मौतों की आलोचना झेली, लेकिन खामोश रहे। बाद में सारण में ऐसी ही मौतें हुईं तो नीतीश विपक्ष की आलोचना से घबरा गए। तब उन्होंने सब कुछ भूलकर स्पष्ट रूप से कहा कि जो पिएगा, वह मरेगा। ऐसी मौतों पर सरकार कोई मुआवजा भी नहीं देगी। अब वे लालू यादव के पारिवारिक जीवन पर भी टिप्पणी करते हैं। लालू के कई  बच्चे होने पर भी उन्होंने तंज कसते हैं। 2020 में यह परिस्थिति शुरू हुई है।

    43 सीटें मिलने पर तेवर बदले गए

    केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने नीतीश की निराशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा नेता चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे जाने के बाद से उनका असंतोष दिखने लगा। चिराग ने जेडीयू को तीन दर्जन सीटें खो दीं। जेडीयू को सिर्फ चार दर्जन सीटें मिलीं। इसके बाद से ही उनका क्रोध बढ़ा। वे सदन में ही विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से उलझ गए। उन्होंने सदन में तेजस्वी यादव पर भी हमला बोला। विधानसभा में उन्होंने जीतन राम मांझी को कुछ नहीं बताया। उन्होंने गुस्से से एनडीए छोड़कर 2022 में आरजेडी में शामिल हो गया।

    नीतीश को एक बार फिर चिराग ने बिदका दिया।

    चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को एक बार फिर बदनाम करने की कोशिश की है। वे अपनी पार्टी लोजपा (आर) के लिए चालिस सीटें चाहते हैं। चिराग ने मटिहानी और शेखपुरा में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। चिराग की पार्टी, जो बाद में जेडीयू में शामिल हो गई, पिछली बार मटिहानी सीट से जीता था। शेखपुरा में जेडीयू उम्मीदवार जीत नहीं पाया। चिराग के उम्मीदवार को 14 हजार वोट मिले, जबकि जेडीयू के उम्मीदवार को 6100 वोट मिले। नीतीश को इस बार भी चिराग के पैंतरे से कठिनाई होती दिखती है। पिछली बार की तरह इस बार भी चिराग ने एनडीए में विद्रोह करने का फैसला किया तो इससे अधिक नुकसान नीतीश को होगा। जन सुराज के शांत किशोर चिराग पासवान भी मुसीबत में हैं। तेजस्वी और नीतीश कुमार भी उनके निशाने पर हैं। इसी से नीतीश कुमार का क्रोध बढ़ा है। उन्हें अतीत की गलती भी वर्षों से भुगतनी पड़ी है। यदि वे पाल नहीं बदलते तो भाजपा नेताओं को बार-बार बताने की जरूरत नहीं होती।

  • CM Nitish झूठ नहीं बोल रहे हैं, NDA नहीं छोड़ेंगे; समझिए असलियत

    CM Nitish झूठ नहीं बोल रहे हैं, NDA नहीं छोड़ेंगे; समझिए असलियत

    CM Nitish

    एनडीए में CM Nitish शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान, नीतीश ने खुद कई बार कहा कि वे दो बार अलग-अलग जगह गए थे। यह गलत था। अब कहीं नहीं जाना चाहेंगे। भाजपा के साथ एनडीए में रहना ही उनका लक्ष्य है। हाल ही में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने भी यह बात कही। हालाँकि, उनके अतीत को देखते हुए बार-बार चर्चा होती है कि वे मौके के इंतजार में हैं। भाजपा  से उनका जी भर गया है। फिर पाला बदलने की तैयारी में हैं।

    नीतीश को संदिग्ध दिखाने के लिए कभी पुराने वीडियो वायरल किए जाते हैं, तो कभी संवैधानिक प्रक्रिया में नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव की नीतीश से मुलाकात होते ही अटकलों का बाजार गर्म हो जाता है। RJD ऐसी अटकलों से खुश होगा। यही कारण है कि RJD ऐसे आरोपों पर चुप है। लेकिन, क्या नीतीश कुमार वास्तव में पुरानी गलती दोहराएंगे, इस पर विचार करते हैं।

    लोग अटकलों के लिए कड़ियां जोड़ते हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक भी अटकलों को पुख्ता बनाने का प्रयास करते हैं। वे प्रत्येक कड़ी गिनाते हैं। साथ ही, वे कहते हैं कि नीतीश कुमार को केंद्र सरकार के कई निर्णयों से असहजता है। वे वक्फ संशोधन बिल से असहमत हैं। हालाँकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने इस विश्लेषण पर सिर्फ एक बयान दिया है। रहमानी ने दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों को यकीन दिलाया है कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे। नीतीश कुमार ने हालांकि कभी ऐसा बयान नहीं दिया है। वास्तव में, जेडीयू से केंद्रीय मंत्री बनने वाले राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने सदन में वक्फ संशोधन बिल की प्रशंसा की।

    कास्ट सेंसस भी बताई जा रही है वजह

    विश्लेषक जाति जनगणना और आरक्षण के उदाहरण को नीतीश की नरेंद्र मोदी सरकार से असंतोष की दूसरी वजह बताते हैं। केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में जाति जनगणना नहीं करने की बात कही थी। इसमें केंद्र ने तकनीकी कारणों का उल्लेख किया था। केंद्रीय सरकार ने हालांकि राज्यों को यह अधिकार दे दिया था कि वे चाहें तो अपने स्थान पर ऐसा कर सकते हैं। राज्य सरकारों को ही इसका खर्च उठाना होगा।

    नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण शुरू किया। आज लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जाति जनगणना के लिए केंद्र पर दबाव डाल रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि वे इसी सदन (लोकसभा) में सरकार से जाति जनगणना की मांग करेंगे। लालू यादव का दावा है कि कान पकड़कर जाति जनगणना कराने को मजबूर करेंगे। विपक्षी नेता अपने शासन वाले राज्यों में यह नहीं कर पाए। नीतीश की केंद्र सरकार से असंतोष का कारण माना जाता है।

    रिजर्वेशन  पर भी बता रहे हैं नाराजगी

    नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण के अनुसार आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत कर दी थी। उस समय, वे आरजेडी की साथी सरकार चलाते थे। नीतीश सरकार ने संविधान की नौंवीं अनुसूची में इसे शामिल करने के लिए केंद्र को पत्र भेजा, ताकि कानूनी प्रक्रिया से बच सकें। विश्लेषकों का कहना है कि यह न्यायिक समीक्षा के दायरे में आया क्योंकि यह नौवीं अनुसूची में नहीं था। इसके लागू होने पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। राज्य सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट भेजा है। RJD ने भी इसे लेकर अलग से सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है। विश्लेषक इसे मोदी सरकार से नीतीश कुमार की नाराजगी के रूप में देख रहे हैं और मानते हैं कि नीतीश नाराज हैं। नीतीश ने अनेक अतिरिक्त मुद्दों पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उनके पूर्व प्रवक्ता केसी त्यागी ने उनके खिलाफ आवाज उठाई थी।

    नीतीश एनडीए नहीं छोड़ेंगे , जानिए क्यों

    अब प्रश्न उठता है कि क्या जो लोग नीतीश कुमार को नाराज बता रहे हैं और उनके पाला बदल की आशंका जता रहे हैं, वे सही हैं? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने पिछले तीन दिनों में नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे पहले की गलती नहीं दोहराएंगे, इसलिए यह आशंका लगभग सच नहीं लगती। वे आज भी वहीं रहेंगे। इतना ही नहीं, दूसरे पक्षों पर विचार करने से पता चलेगा कि नीतीश कुमार की बातें सही हैं। इसका तार्किक आधार है, भले ही वे पहले इस तरह की बात कहने के बावजूद पलटते रहे हैं।

    जेडीयू की हार से सरकार पर कोई प्रभाव नहीं

    पहला आधार यह है कि जेडीयू, नीतीश कुमार की पार्टी, लोकसभा में 12 सदस्यों का हिस्सा है। भाजपा के 240 सांसद हैं। 272 का आंकड़ा बहुमत के लिए आवश्यक है। नरेंद्र मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर नीतीश कुमार अपना रुख बदलते हैं। इसलिए मोदी सरकार को तब भी 278 सांसदों का समर्थन मिलेगा। नीतीश के पाला बदल से विपक्ष की सरकार भी नहीं बनेगी। विपक्षी गठबंधन भारत में 232 सांसद हैं। नीतीश की पार्टी जेडीयू के 12 सांसदों का समर्थन यानी सरकार बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। नीतीश कुमार ऐसी स्थिति में भाजपा से दूरी बनाकर इंडिया ब्लाक में शामिल क्यों होंगे? नीतीश, बिहार के विकास पर हमेशा चिंतित रहने वाले, अभी एनडीए में रहते हुए बिहार के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा बजट प्रावधान किया है, जिसे वे गंवाना नहीं चाहेंगे।

    नीतीश भाजपा से लाभ कैसे भूल जाएंगे?

    दूसरा आधार यह है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को 12 सीटें दीं, जो भाजपा के बराबर थीं। नीतीश भी इसे जानते हैं। उन्हें भी पता है कि अगर वे इंडिया ब्लाक में रहते तो क्या होता। बिहार में अपनी मजबूत स्थिति का दावा करने वाले RJD को 23 सीटों पर सिर्फ 5 सीटें मिलीं, जबकि JDU को भाजपा के साथ 16 पर ही लड़ कर 12 सीटें मिल गईं। इतना ही नहीं, बिहार में 243 विधानसभा सीटों में एनडीए ने 160 से अधिक सीटें जीतीं। विधानसभा चुनाव अगले वर्ष बिहार में होना है। नीतीश ने निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर क्यों रुख किया?

    India Block को भूलना मुश्किल है

    तीसरा आधार यह है कि नीतीश ने 2022 में एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई। इसके बाद, उन्होंने विरोधी पक्ष को एकजुट किया। एक दूसरे को नापसंद करने वालों को एक मंच पर एकत्रित किया गया। तब आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के बीच टकराव स्पष्ट था। ममता ने कांग्रेस से इतना घबरा गया था कि उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी तीसरी जीत के बाद गैर-कांग्रेस विपक्ष की कल्पना पर काम करना शुरू कर दिया था। नीतीश कुमार को एक मंच पर एकत्र करने के बावजूद उनके साथ जो व्यवहार हुआ, सबको पता है। नीतीश ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से इनकार कर दिया, फिर भी उन्हें संयोजक पद के लिए तरस जाना पड़ा। उन्हें लालू यादव से समर्थन की उम्मीद थी, लेकिन वे कांग्रेस के साथ खड़े हो गए। नीतीश शायद फिर से ऐसी गलती करे।

    जेडीयू टूटने का खतरा

    नीतीश कुमार को शायद यह भी पता होगा कि जिन सांसदों की बदौलत उनकी पूछ बढ़ी है, अगर उन्होंने एनडीए छोड़ दिया तो उनके टूटने की आशंका अस्वीकार्य होगी। नीतीश कुमार इसके पहले भी भुक्तभोगी रह चुके हैं। नीतीश ने अपने निकटतम और स्वजातीय आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया। आरसीपी ने भाजपा से जेडीयू के विलय के बाद पार्टी छोड़ दी। वे भाजपा का सदस्य बन गए। आरजेडी के साथ जेडीयू जाना भी उपेंद्र कुशवाहा को पसंद नहीं आया। उन्हें JDU भी छोड़ दिया गया। जेडीयू के दो मंत्री फिलहाल केंद्र में हैं। नीतीश को लगता है कि ललन सिंह सरकार के फैसलों के साथ खड़े दिखते हैं, इसलिए अगर रिश्ते खराब होते हैं तो उनसे भी हाथ धोने का खतरा होगा। नीतीश यह स्थिति कभी नहीं होने देंगे। नीतीश की सरकार में परिवर्तन की उम्मीद करने वालों की बहस बेकार है।

  • CM Nitish Kumar को सुप्रीम कोर्ट ने  दिया बड़ा झटका, 9 साल पुराना निर्णय बदला

    CM Nitish Kumar को सुप्रीम कोर्ट ने  दिया बड़ा झटका, 9 साल पुराना निर्णय बदला

    CM Nitish Kumar को सुप्रीम कोर्ट से लगा बड़ा झटका,पलटा 9 साल पुराना फैसला:

    CM Nitish Kumar और उनकी सरकार को विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने CM Nitish Kumar सरकार के 9 साल पुराने फैसले को रद्द कर दिया. यह घटना 2015 में हुई थी जब CM Nitish Kumar सरकार ने तांती-तंतवा जाति को अनुसूचित जाति (SC) में शामिल किया था। अब मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने साफ कर दिया कि किसी भी राज्य सरकार को नाम सूची में किसी भी जाति का नाम जोड़ने या हटाने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार सिर्फ संसद को है.

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CM Nitish Kumar का फैसला संविधान का उल्लंघन है. कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी जाति को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करना अनुसूचित जाति के लोगों के अधिकारों का उल्लंघन है. संविधान के अनुच्छेद 341 के अनुसार राज्य सरकार को अनुसूचित जाति की सूची में किसी भी प्रकार से छेड़छाड़ करने का अधिकार नहीं है। इसलिए बिहार सरकार द्वारा 2015 में जारी यह संकल्प अवैध है और इसे रद्द कर दिया गया है.

    इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी पटना हाई कोर्ट की निंदा की क्योंकि हाई कोर्ट ने भी राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि अनुसूचित जाति की सूची में कोई भी बदलाव करने का अधिकार सिर्फ संसद को है और राज्य सरकार इस सूची से किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं कर सकती.

  • Bihar CM Nitish Kumar की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 18 एजेंडों पर मुहर लगाई गई

    Bihar CM Nitish Kumar की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में 18 एजेंडों पर मुहर लगाई गई

    मंगलवार को कैबिनेट की बैठक Bihar CM Nitish Kumar की अध्यक्षता में समाप्त हुई। मुख्य सचिवालय में मंत्रिमंडल कक्ष में बुलाई गई कैबिनेट की बैठक में कुल 18 एजेंडे पर मुहर लगाई गई। मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए, इनमें से अठारह एजेंड इस प्रकार हैं..।

    1. माध्यमिक स्कूलों से वंचित पंचायतों में 3,530 हाई स्कूलों के भवन निर्माण को पूरा करने के लिए पूर्व में स्वीकृत 2,768 हाई स्कूलों के भवन निर्माण को पूरा करने के लिए 75.30 अरब रुपये की राशि मंजूर की गई।
    2. कृषि रोड मैप को 31 मार्च 2021 तक लागू किया गया। कृषि विश्वविद्यालयों में जैव प्रौद्योगिकी वानिकी और कम्युनिटी साइंस में स्नातक स्तर पर नामांकित छात्रों को कृषि स्नातक छात्रों की तुलना में समान स्टाइपेंड प्रदान करने का फैसला
    3. पटना विश्वविद्यालय में एक नया अकादमिक भवन बनाया जा रहा है। इस पर लगभग 89.45 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। साथ ही योजना को लागू करने के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी
    4. कृषि सेवा अधिकारी मनोज कुमार को 25 हजार रुपये की रिश्वत लेने के मामले में बर्खास्त किया गया
    5. मुंगेर में तारापुर में शहीदों की याद में हर वर्ष 15 फरवरी को राजकीय समारोह तारापुर शहीद स्मारक परिसर में आयोजित किया जाएगा।
    6. 2022 के बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग अध्यक्ष और सदस्यों की सेवा शर्त संशोधन नियमावली का प्रारूप पर स्वीकृति दी गई
    7. अधिहरित एवं राज्य सड़क परिवहन या गैर-परिवहन वाहनों की सार्वजनिक नीलामी की उच्च बोली की राशि को क्रय मूल्य मानते हुए क्रेता से वाहन पर पथ करने की अनुमति दी गई, साथ ही अन्य शुल्क भी वसूलने की अनुमति दी गई।
    8. बिहार पुलिस मुख्यालय में नियमित चालक के लिए स्वीकृत 5,996 पदों में से 1,255 पदों को भरने के लिए सेना से सेवानिवृत्त (रिटायर्ड) चालकों की सेवा लेने के लिए आर्मी वेलफेयर प्लेसमेंट ऑर्गेनाइजेशन एजेंसी को बाह्य स्रोत से चयन करने की अनुमति दी गई. इसके लिए 38 करोड़ 15 लाख 20 हजार रुपये की लागत होगी।
    9. दिघवारा-शेरपुर सिक्स लेन पुल के निर्माण के लिए प्रशासन ने 316 करोड़ 71 लाख 61 हजार रुपए की लागत से 86 हेक्टेयर जमीन को अधिग्रहण करने की अनुमति भी दी है।
    10. समग्र शिक्षा अभियान स्कीम में कार्यरत शिक्षकों का वेतन भुगतान करने के लिए राज्य बजट से 22 अरब 56 करोड़ 21 लाख 15 हजार रुपये की छुट्टी दी गई।
    11. पाटलिपुत्र बस टर्मिनल के विस्तार के लिए पटना जिले में पटना सदर क्षेत्र में पांच एकड़ जमीन अधिग्रहण की घोषणा की गई। 59.75 करोड़ रुपये इसके लिए दिए गए
    12. बिहार विश्वविद्यालय सेवा आयोग की 2022 की सेवा शर्त संशोधन नियमावली का प्रारूप मंजूर
    13. 2014 में शहरी योजना और विकास से संबंधित नियमावली में संशोधन का प्रस्ताव स्वीकृत। यह विधेयक आगामी बजट सत्र में प्रस्तुत किया जाएगा।
    14. मंत्रिमंडल ने बिहार भवन उपविधि 2014 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी।
    15. 1981 में गन्ना आपूर्ति और खरीद का विनियमन अधिनियम में अंकित ईख खरीद पर ईख बिक्री कर को समाप्त करने का प्रस्ताव मंजूर किया गया

     

  • Bihar CM: चुनाव का दूसरा चरण नीतीश के लिए असल अग्निपरीक्षा है और वह पूरी ताकत के साथ अपना दौरा जारी रखे हुए हैं.

    Bihar CM: चुनाव का दूसरा चरण नीतीश के लिए असल अग्निपरीक्षा है और वह पूरी ताकत के साथ अपना दौरा जारी रखे हुए हैं.

    लोकसभा चुनाव 2024: बिहार में लोकसभा चुनाव का दूसरा चरण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं देखा जा रहा है.

    पटना: बिहार में 2024 लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है. वहीं, दूसरे चरण के चुनाव के लिए सभी राजनेता व्यापक प्रचार-प्रसार में जुटे हुए हैं. माना जा रहा है कि दूसरे चरण का चुनाव मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के लिए अग्निपरीक्षा के अलावा कुछ नहीं है।

    पूर्वी बिहार और सीमांचल के किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर और बांका में जदयू उम्मीदवार एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. जदयू अध्यक्ष और अन्य नेता भी अपनी जीत सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. और इधर जब इन जगहों की बात आती है तो महागठबंधन कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है.

    जदयू किशनगंज का चेहरा बदल रहा है

    जदयू ने भागलपुर से निवर्तमान सांसद अजय कुमार मंडल, कटिहार से दुलाल गोस्वामी, पूर्णिया से संतोष कुशवाहा और बांक से गिरिधारी यादव को फिर से मैदान में उतारा है. हालांकि, जदयू ने मुस्लिम बहुल इलाके किशनगंज की ओर अपना रुख बदल लिया है.

    पिछले चुनाव में किशनगंज ही एकमात्र ऐसी जगह थी जहां एनडीए को हार का सामना करना पड़ा था. वहां कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद जावेद ने जदयू के महमूद अशरफ को हराया. इस चुनाव में जदयू ने किशनगंज से मुजाहिद आलम पर अपना दावा ठोका है. इन सीटों पर नीतीश की नजर है. नीतीश इन जगहों पर नियमित तौर पर जाते रहते हैं. कहा जा रहा है कि इन जगहों पर नीतीश के खास लोगों ने डेरा डाल दिया है.

    तारिक अनवर ने कटिहार को हराया

    जहां तक ​​​​महागठबंधन की बात है, तो कांग्रेस ने किशनगंज से मोहम्मद जावेद को फिर से मैदान में उतारा है, जबकि तारिक अनवर कटिहार से लौट आए हैं। भागलपुर, बांका से राजद के अजीत शर्मा और पूर्णिया से राजद के भीमा भारती भी मैदान में हैं।

    कांग्रेस के लिए इन सीटों का महत्व इतना है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भागलपुर में चुनावी रैलियां कर रहे हैं और पार्टी अध्यक्ष मल्लिलार्जुन खड़गे कटिहार अपने उम्मीदवारों के लिए वोट करने के लिए चुनावी रैलियां कर रहे हैं। चुनाव का दूसरा चरण दोनों गठबंधनों के लिए बेहद अहम है और देखने वाली बात होगी कि जनता किस गठबंधन का समर्थन करेगी.

     

  • Bihar CM Nitish Kumar ने एनडीए के लिए ‘4,000 से अधिक सीटों’ की भविष्यवाणी की और लोकसभा रैली के दौरान पीएम मोदी के पैर छुए

    Bihar CM Nitish Kumar ने एनडीए के लिए ‘4,000 से अधिक सीटों’ की भविष्यवाणी की और लोकसभा रैली के दौरान पीएम मोदी के पैर छुए

    Bihar CM Nitish Kumar

    Bihar CM Nitish Kumar  ने रविवार को उस समय हलचल मचा दी जब उन्होंने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन आगामी सबा चुनाव में “4,000 से अधिक सीटें” जीतेगा। वरिष्ठ राजनेता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूते हुए भी देखा गया। दोनों नवादा में एक रैली में मंच साझा किया। प्रधानमंत्री के अनियमित व्यवहार को दर्शाने वाला एक वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद विपक्षी नेता प्रधानमंत्री की मानसिक स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं।

    एक वायरल वीडियो में जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख को लोकसभा में “चार हजार से अधिक” सीटों के साथ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की बड़ी जीत की भविष्यवाणी करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने शुरुआत में 4 लाख सीटों की भविष्यवाणी से प्रस्ताव की शुरुआत की थी. अपने आप को सही करने से पहले एकजुट हो जाओ।

    “मुख्यमंत्री चार लाख से अधिक सांसदों को पीएम को शुभकामनाएं देना चाहते थे। तब उन्होंने शायद सोचा कि यह बहुत अधिक होगा और 4,000 पर्याप्त होंगे,” आरजेडी प्रवक्ता सारिका पासवान ने वीडियो साझा करते हुए मजाक किया।

    क अन्य वायरल क्लिप में कुमार को हाथ फैलाकर पीएम के पैरों की ओर झुकते हुए, हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हुए दिखाया गया है।

    उन्होंने कहा, ”आज मैंने नीतीश कुमार की एक तस्वीर देखी जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छुए…हमें बहुत बुरा लगा। क्या हुआ है? नीतीश कुमार हमारे अभिभावक हैं…नीतीश कुमार जितना अनुभवी कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं है और वह प्रधानमंत्री मोदी के पैर छू रहे हैं…” उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा।

    उन्होंने अपनी बात को रेखांकित करने के लिए कुमार की बढ़ती उम्र और मुख्यमंत्री के रूप में लंबे कार्यकाल का भी जिक्र किया।

    “क्या नरेंद्र मोदी वही व्यक्ति नहीं हैं जिन पर नीतीश जी अक्सर अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के सुलह के रास्ते से भटकने का आरोप लगाते थे? क्या उन्होंने उस रात्रिभोज को रद्द नहीं किया था जिसमें तत्कालीन गुजरात के सीएम को आमंत्रित किया गया था और उनके द्वारा दी गई वित्तीय सहायता वापस नहीं की थी

  • Bihar CM नीतीश कुमार,जम्मू में प्रधानमंत्री मोदी की रैली में शामिल हुए

    Bihar CM नीतीश कुमार,जम्मू में प्रधानमंत्री मोदी की रैली में शामिल हुए

    Bihar CM

    Bihar CM नीतीश कुमार, जिन्होंने हाल ही में पूर्व सहयोगी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होने के लिए ‘यू-टर्न’ लिया था, ने गुरुवार को कहा कि वह हमेशा गठबंधन में रहेंगे(अब कभी इधर उधर नहीं होने वाले हैं)।

    कुमार ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की प्रशंसा की और कहा कि उनके सत्ता में आने के बाद से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा बंद हो गई है।

    “प्रधानमंत्री मोदी 10 साल से केंद्र सरकार में हैं और उन्होंने बिहार और देश के लिए बहुत कुछ किया है। जब से वह सत्ता में आए हैं, हिंदू और मुस्लिम अशांति कम हो गई है, लेकिन अगर वह गलती करते हैं, तो मैं ऐसा करना चाहूंगा।

    ” Bihar CM ने कहा, “मैं मुस्लिम समुदाय से अपील करता हूं कि अगर वे वोट देने जाएंगे तो हिंसा फिर से शुरू हो जाएगी।” बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा।

    Bihar CM: बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर पर मुख्यमंत्री ने कहा, “आपने (पीएम मोदी) बहुत काम किया है. आपने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया जो हमारी मांग रही है, लोग इसे नहीं भूलेंगे. हम (एनडीए) काम कर रहे हैं.” 2005 से एक साथ हैं और जिस गति से काम किया गया है, वह बहुत बड़ी है।

    ‘आज, वे (राजद) केवल बातें कर सकते हैं, लेकिन जब उन्हें 15 साल मिले, तो उन्होंने कुछ नहीं किया, लोग शाम के बाद अपने घरों से बाहर भी नहीं निकल पाते थे उनके कार्यकाल में, “मुख्यमंत्री कुमार ने कहा

    Bihar CM: जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख ने इस साल जनवरी में भाजपा के समर्थन से बिहार में नई सरकार बनाने के लिए महागठबंधन और भारतीय ब्लॉक छोड़ दिया। बिहार में लोकसभा के लिए सभी सात चरणों में मतदान होगा, जिसका पहला चरण 19 अप्रैल को होगा.

    दूसरा चरण 26 अप्रैल, तीसरा 7 मई, चौथा 13 मई और पांचवां 20 मई को होगा। 25 मई को छठा और 1 जून को सातवें और अंतिम चरण का मतदान होगा।


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