Diwali 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी
पूरे देश में इस बार Diwali की तारीख को लेकर बहुत मतभेद है। ज्योतिषार्चों ने इस मामले में देश भर के धार्मिक शहरों से अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं। झारखंड के एक देवघर के ज्योतिषाचार्य ने भी अपनी राय दी और इसका पूरा गणित बताया। उनका दावा था कि इस बार दिवाली 31 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।
पागल बाबा आश्रम में स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दीपावली मनाई जाती है। इस साल अमावस्या दो दिन पड़ने के कारण स्थिति अनिश्चित है। लेकिन ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, दीपावली इस साल 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन कुबेर, गणेश और लक्ष्मी की पूजा होगी।
आखिर 31 अक्टूबर को ही क्यों चुना गया?
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि एक मास में दो भाग हैं। एक कृष्ण पक्ष है, जबकि दूसरा शुक्ल पक्ष है। सूर्योदय तिथि शुक्ल पक्ष में अधिक महत्वपूर्ण है, जबकि सूर्योदय तिथि कृष्ण पक्ष में कम महत्वपूर्ण है। दीपावली का त्योहार चतुर्दशी अमावस्या के दिन मनाया जाता है। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, इस वर्ष की अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 12 मिनट से शुरू होगी और 1 अक्टूबर को संध्या 5 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगी। 31 अक्टूबर को सूर्य 05 बजकर 32 मिनट पर सूर्यास्त होगा। सूर्योदय के बाद प्रदोष कहलाता है। प्रदोष व्यापिनी अमावस्या 31 अक्टूबर को है, और दीपावली इसी दिन मनाई जानी चाहिए।
अमावस्या का महत्व:
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि दीपावली के दिन अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस दिन माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। रात में मां काली की भी पूजा की जाती है। इस दिन चंद्रमास का अंत होता है और दीपावली अमावस्या के दिन माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है।
पूजा का शुभ समय
31 अक्टूबर प्रदोष व्यापिनी अमावस्या है, इसलिए दीपावली इसी दिन मनाई जाएगी। प्रदोष काल में ही माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। 31 अक्टूबर को दीपावली पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 32 मिनट से शुरू होगा और 7 बजकर 45 मिनट तक चलेगा।