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  • Haryana Chunav 2024:  महिलाओं को 2100 रुपये और 2 लाख सरकारी नौकरियां,  BJP ने जारी किया संकल्प पत्र

    Haryana Chunav 2024:  महिलाओं को 2100 रुपये और 2 लाख सरकारी नौकरियां,  BJP ने जारी किया संकल्प पत्र

    Haryana Chunav 2024

    भाजपा ने अब Haryana Chunav 2024 के लिए कांग्रेस के बाद अपना संकल्प पत्र जारी किया है। रोहतक में जेपी नड्डा, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ने संकल्प पत्र जारी किया है। रोहतक में आयोजित समारोह में कार्यवाहक सीएम नायब सिंह सैनी भी उपस्थित थे।

    संकल्प पत्र के अनुसार, भाजपा प्रदेश की सभी महिलाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत 2100 रुपये प्रति महीना देगी। इसके अलावा, 2 लाख लोगों को काम मिलेगा और हरियाणा के अग्निवीरों को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। भाजपा ने राज्य की जनता से 20 वादे किए हैं, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ 7 किए हैं।

    भाजपा के संकल्प पत्र में किए गए वादे

    • लाडो लक्ष्मी योजना के तहत सभी महिलाओं को मासिक ₹2,100
    • IMT खरखौदा का अनुसरण करते हुए दस औद्योगिक शहरों का निर्माण। उद्यमियों को प्रति शहर 50,000 स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के लिए विशेष प्रोत्साहन।
    • चिरायु-आयुष्मान योजना के तहत प्रत्येक परिवार को ₹10 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलता है, और 70 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक बुजुर्ग को ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलता है।
    • 24 फसलों की घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद
    • 2 लाख युवा लोगों को पक्की सरकारी नौकरी मिली।
    • 5 लाख युवा लोगों को रोजगार के अतिरिक्त अवसर और राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप प्रमोशन योजना से मासिक स्टाइपेंड।
    • 5 लाख घर दोनों शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में।
    • डायलिसिस और डायग्नोसिस दोनों सरकारी अस्पतालों में मुफ्त ।
    • हर जिले में ओलंपिक खेलों का मैदान
    • ₹500 में सिलेंडर, हर घर गृहणी योजना में शामिल ।
    • अव्वल बालिका योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में कॉलेज जाने वाली हर छात्रा को स्कूटर।
    • हर हरियाणवी अग्निवीर को सरकारी नौकरी की सुनिश्चितता।
    • भारत सरकार के सहयोग से केएमपी का ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर बनाया गया है और नई वंदे भारत ट्रेनों की शुरुआत
    • भारत सरकार के सहयोग से फरीदाबाद से गुरुग्राम के बीच एक इंटरसिटी एक्सप्रेस मेट्रो सेवा शुरू
    • छोटे पिछड़े समाज की 36 बिरादरियों के लिए अलग-अलग कल्याण बोर्ड।
    • DA और पेंशनों को जोड़ने वाले साइंटिफिक फॉर्मूले के आधार पर सभी सामाजिक मासिक पेंशनों में वृद्धि
    • हरियाणा के ओबीसी और एससी जातियों के विद्यार्थियों को भारत के किसी भी सरकारी कॉलेज से मेडिकल और इंजीनियरिंग पढ़ने का पूरा छात्रवृत्ति।
    • हरियाणा राज्य सरकार मुद्रा योजना के अलावा सभी ओबीसी वर्ग के उद्यमियों को 25 लाख रुपये तक का ऋण देगी।
    • हरियाणा को वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनाकर आधुनिक स्किल का प्रशिक्षण देंगे।
    • दक्षिण हरियाणा में अरावली जंगल सफारी पार्क, जो विश्व प्रसिद्ध है

    सभा में जेपी नड्डा ने क्या कहा?

    केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने इस दौरान अपने संबोधन में कहा कि हरियाणा की छवि 10 साल पहले पर्ची और पर्ची पर नौकरी वाली थी। 10 साल पहले हरियाणा में जमीन हड़पना, जमीन का उपयोग बदलना और किसानों से जमीन को लेना। जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने 1158 रुपये का फसल अनुदान दिया था। लेकिन भाजपा सरकार ने किसानों को 12 हजार करोड़ से अधिक का अनुदान दिया है। अब किसानों को फसलों के नुकसान पर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलता है, जबकि पहले 6 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा मिलता था। हिसार में एयरपोर्ट बनाया गया है।

    2 लाख 26 हजार 237 लोगों ने घोषणापत्र पर सुझाव दिया

    भाजपा हरियाणा के संकल्प पत्र समति के अध्यक्ष ओपी धनखड़ ने समारोह में कहा कि 2 लाख 26 हजार 237 लोगों ने घोषणा पत्र के लिए अपना मत दिया है। इसमें समाज के हर वर्ग से बातचीत की गई है। धनखड़ ने कहा कि संकल्प पत्र में हर वर्ग के लिए कुछ है और समाज का कोई हिस्सा अछूता नहीं है। उनका कहना था कि हमने हर जिले में जाकर लोगों के सुझावों को शामिल किया है। बजट को छोड़कर घोषणा नहीं करते। जबकि दूसरे दल झूठे वादे करके सत्ता हथियाते हैं। हम जो घोषणा करते हैं, वह करते हैं। वहीं, कार्यवाहक मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि ये चुनावी घोषणा नहीं है और हम प्रदेश के लोगों की आकांक्षा पूरी कर रहे हैं। 2014 में हमने अपने घोषणा पत्र को पूरी तरह से लागू किया है, जिसमें 187 संकल्प लिए गए थे। इसी तरह, 2019 में 165 वायदे किए गए, जो सभी पूरे हुए।

  • CM Pushkhar Singh Dhami: इसमें कोई शक नहीं कि यहां कमल खिलेगा: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक सभा में भाग लिया

    CM Pushkhar Singh Dhami: इसमें कोई शक नहीं कि यहां कमल खिलेगा: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक सभा में भाग लिया

    CM Pushkhar Singh Dhami

    उत्तराखंड के CM Pushkhar Singh Dhami ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर के खटुआ में जनसभाओं को संबोधित करते हुए क्षेत्र में भाजपा उम्मीदवार के समर्थन में प्रचार किया।
    माशेदी के छिंज मैदान में भाजपा उम्मीदवार जीवन लाल के लिए प्रचार करते हुए सीएम ने कहा, “यह क्षेत्र भी उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों की तरह है। हाल ही में उत्तराखंड के 5 जवान इस क्षेत्र में भारत माता की सेवा में शहीद हो गए थे। क्षेत्र के लोग आगामी चुनाव में नया इतिहास रचकर कमल खिलेंगे। यहां के लोग जम्मू-कश्मीर का विकास चाहते हैं।

    विभिन्न विकास परियोजनाओं के निरंतर विस्तार के बारे में बात करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा बनाए जा रहे राष्ट्रीय राजमार्गों, पुलों, अस्पतालों का उल्लेख किया।

    उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष कार्ययोजना बनाकर विकास कार्यों को आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले कश्मीर में आतंकवादियों, जिहादियों और अलगाववादियों की बात होती थी। लेकिन आज चुनाव में विकास की बात की जा रही है। क्योंकि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सिर्फ विकास को आगे बढ़ाया है। रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर, नेशनल हाईवे, एक्सप्रेस-वे, चिनाब ब्रिज, एम्स, आईआईएम समेत कई परियोजनाओं का केंद्र सरकार द्वारा लगातार विस्तार किया जा रहा है।

    बानी में एक सार्वजनिक सभा के दौरान, सीएम ने विपक्षी दलों की आलोचना करते हुए जम्मू-कश्मीर में बढ़ते पर्यटन का उल्लेख किया।

    उन्होंने कहा, ‘एक तरफ मोदी जी की सुरक्षित और समृद्ध जम्मू कश्मीर के निर्माण की गारंटी है. दूसरी ओर कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियां अलगाववाद और अनुच्छेद 370 को वापस लाने के वादे कर रही हैं। विपक्षी दल 30 साल तक आतंकवाद और अलगाववाद के आगे जम्मू-कश्मीर की बलि चढ़ाए हुए हैं। कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने जम्मू कश्मीर को भ्रष्टाचार के दलदल में धकेल दिया।

    इसके अलावा, उन्होंने उल्लेख किया कि वह इस क्षेत्र में लोगों के उत्साह को देख सकते हैं, जो भाजपा के विधानसभा चुनाव जीतने में आश्वस्त हैं।

    जम्मू-कश्मीर में इस बार हो रहे चुनाव को लेकर मैं आपके अंदर जिस तरह का उत्साह और जोश देख रहा हूं, मुझे अपने मन में कोई संदेह नहीं है, मुझे पूरा विश्वास है कि इस बार जम्मू-कश्मीर के लोग एक नया इतिहास रचने वाले हैं। यहां कमल खिलने वाला है। (एएनआई)

  • Yogi Adityanath ने क्यों छेड़ा ‘राग ज्ञानवापी’, समझिये यूपी उपचुनाव के नजरिये से | 

    Yogi Adityanath ने क्यों छेड़ा ‘राग ज्ञानवापी’, समझिये यूपी उपचुनाव के नजरिये से | 

    Yogi Adityanath

    Yogi Adityanath ने अयोध्या के बाद काशी हिंदुत्व की राजनीति में शुरू से ही एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ के ज्ञानवापी पर बयान से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन विश्व हिंदू परिषद ने उनका पूरा समर्थन किया है. यूपी उपचुनाव में योगी आदित्यनाथ ने यह बयान क्यों दिया? योगी आदित्यनाथ का ज्ञानवापी पर बयान राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। योगी आदित्यनाथ की पॉलिटिकल लाइन कट्टर हिंदुत्व पर आधारित है, इसलिए उनका ज्ञानवापी पर कुछ भी बोलना अयोध्या आंदोलन से संबंधित है। क्या योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से ज्ञानवापी का उल्लेख करके अयोध्या की तरह संघ, बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद की किसी नई योजना का संकेत दिया है, या लव-जिहाद और घर वापसी जैसी उनकी नई योजनाओं की ओर संकेत किया है? या फिर ये सिर्फ चुनावी बहाना है?

    योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि ज्ञानववापी एक मस्जिद नहीं है। विश्व हिंदू परिषद ने योगी आदित्यनाथ के बयान का खुला सपोर्ट किया है, लेकिन बीजेपी बचती हुई दिखती है।ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने यूपी के मुख्यमंत्री के बयान पर कहा कि ज्ञानवापी मस्जिद सदियों पुरानी एक ऐतिहासिक मस्जिद है। मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी का कहना है कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, जो किसी विशेष धर्म के

    योगी की ज्ञानवापी पर बीजेपी का क्या मत है?

    गोरखपुर में नाथ पंथ पर एक सेमिनार में यूपी के प्रधानमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुर्भाग्य से आज जिस ज्ञानवापी को कुछ लोग मस्जिद कहते हैं, वह साक्षात विश्वनाथ जी हैं।

    योगी आदित्यन ने कहा कि ज्ञानवापी सच्चे विश्वनाथ की प्रतिकृति है। भारतीय संतों और ऋषियों की परंपरा हमेशा से सहयोगी रही है। योगी आदित्यनाथ ने आदि शंकराचार्य की बनारस यात्रा भी बताई।

    विश्व हिंदू परिषद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि सच सब जानते हैं और ऐसे में वहां पर मस्जिद की भारी जिद करना उचित नहीं है।

    यूपी के मुख्यमंत्री ने जो कुछ कहा है, उसे गंभीरता से लेना चाहिए। ज्ञानवापी मामले को जल्द से जल्द हल करना चाहिए। काशी धर्म और ज्ञान की नगरी है। गुरु शंकराचार्य को भी वहीं ज्ञान प्राप्त हुआ था।

    क्या अयोध्या की तरह काशी भी चर्चा में है?

    हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मामले में व्यास तहखाने की छत पर नमाजियों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने की मांग की थी, जो हाल ही में वाराणसी की एक अदालत ने खारिज कर दी। हिन्दू पक्ष की याचिका, जिसमें व्यास तहखाने की छत पर नमाजियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, कोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने हिंदू पक्ष की मरम्मत कराने की मांग भी नहीं मानी, लेकिन वहां पूजा जारी रहेगी। योगी आदित्यनाथ ने भी ऐसे ही समय में बयान दिया है। बात सिर्फ इतनी ही नहीं है; सभी राजनीतिक दल जोर शोर से विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तैयारी कर रहे हैं।
    यह प्रश्न उठता है कि क्या ये सीजनल राजनीति है या बीजेपी काशी को लेकर एक नए अभियान की योजना बना रही है – क्या अयोध्या में हार के बाद बीजेपी काशी का मुद्दा उठाने जा रही है?

    VHP की प्रतिक्रिया से इस प्रश्न का जवाब हां में मिलता है, लेकिन BJP की प्रतिक्रिया से जवाब को ना में भी समझा जा सकता है।

    यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि बीजेपी कानून के अनुसार ज्ञानवापी पर काम करेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अयोध्या में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले राम मंदिर को लेकर कानून बनाने की मांग करते हुए यही बात कही थी। योगी आदित्यनाथ के बयान को लेकर पूछे जाने पर भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा, ‘मुझे मालूम नहीं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किस परिप्रेक्ष्य में ये बयान दिया है, लेकिन पूरा देश और सब लोग जानते हैं कि हमारे देव स्थानों को लेकर उनका दृष्टिकोण रहा है।
    बीजेपी का रुख इस मामले को मौसमी लगता है। ऐसा इसलिए भी है कि योगी आदित्यनाथ को मिल्कीपुर और करहल की दो सीटों पर विशेष ध्यान है। मिल्कीपुर सीट से अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद विधायक थे, जबकि करहल सीट अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद बनने से खाली हो गई है।
    योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट की जिम्मेदारी वैसे ही संभाली है जैसे अमित शाह मुश्किल काम करते हैं। योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव में हर सीट के लिए तीन मंत्रियों की टीम बनाई है, लेकिन मिल्कीपुर में चार मंत्री लगाए गए हैं, शायद योगी आदित्यनाथ को अयोध्या में हुई हार का असर दिख रहा हो।

  • Bihar Politics : बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक दूसरे को बोल रहे हैं झूठा

    Bihar Politics : बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक दूसरे को बोल रहे हैं झूठा

    Bihar Politics

    Bihar Politics: अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। सभी राजनीतिक दल समयपूर्व चुनाव की संभावना को देखते हुए विभिन्न प्रकार के तिकड़म कर रहे हैं। CM नीतीश कुमार ने बार-बार कहा कि आरजेडी के साथ जाना उनकी गलती थी। भाजपा के साथ ही रहेंगे। तेजस्वी का दावा है कि उन्होंने नीतीश को दो बार राजनीतिक जीवन दिया है। भाजपा से निराश होकर गिड़गिड़ा रहे थे। जेडीयू और आरजेडी ने फिर से वीडियो फुटेज दिखाकर एक दूसरे को झूठा साबित करने की कोशिश की।

    पिछले चार वर्षों में नीतीश कुमार के स्वभाव में स्पष्ट परिवर्तन देखा गया है। 2005 से बिहार का सीएम नीतीश रहा है। उनमें परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रही है। 2015 से अब तक, आरजेडी और भाजपा में उनकी आवाजाही होती रही है। वे जिसे छोड़ते हैं, उसके प्रति कटुता स्वाभाविक है.। लेकिन उन्होंने वाणी में कभी शालीनता नहीं छोड़ी। यहां तक कि 2015 में पहली बार भाजपा से अलग होने पर भी, उन्होंने नरेंद्र मोदी या भाजपा के बारे में कोई गलत शब्द नहीं सुना। लालू प्रसाद यादव ने मोदी और भाजपा दोनों पर हमला किया है। नीतीश की यही विशेषता ने उन्हें अन्य राजनीतिज्ञों से अलग रखा है। 2020 के बाद से नीतीश में बदलाव आया है। अब वे गुस्सा होने लगे हैं। वे अपने विरोधियों को कठोर शब्दों से संबोधित करने लगे हैं। उनके स्वभाव में घबराहट और क्रोध शामिल है। राजनीतिक विश्लेषकों ने इस बदलाव के दो कारण बताए हैं। पहला, 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू की कमजोरी और दूसरा, बढ़ती उम्र। आरजेडी के साथ जेडीयू भी बिहार की सियासत में भाग ले रहे हैं। नीतीश कुमार ने ऐसी राजनीति कभी नहीं की है।

    बिहार की राजनीति  में वीडियो गेम

    बच्चों को वीडियो गेम अभी भी आकर्षित करते हैं। अब यह राजनीति में भी है। बिहार में पिछले कई दिनों से फुटेज और वीडियो की आवाज आ रही है। आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पहले वीडियो की बतकही शुरू की। उन्होंने कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार को दो बार राजनीतिक जीवन दिया है। लालू यादव और उनके सामने नीतीश कुमार जब ‘गिड़गिड़ा’ रहे थे तो आरजेडी ने उनका साथ दिया। इस पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। तेजस्वी ने कहा कि अगर कोई साक्ष्य है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। शुक्रवार को आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एक वीडियो फुटेज जारी किया। उसकी आवाज स्पष्ट नहीं है, लेकिन बोलते समय नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री राबड़ी देवी को अभिवादन करते हुए दिख रहे हैं।

    अब चौधरी ने तीन फुटेज  दिखाए

    आरजेडी ने अशोक चौधरी की चुनौती पर नीतीश कुमार के कथित रूप से “गिड़गिड़ाने” का फुटेज जारी किया, जिसे जेडीयू ने खारिज कर दिया। शनिवार को अशोक चौधरी ने तीन वीडियो फुटेज जारी करते हुए कहा कि तेजस्वी को गिड़गिड़ाने और आग्रह का शाब्दिक अर्थ नहीं मालूम है। लालू यादव ने पहले वीडियो में बताया कि नीतीश ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में क्या भूमिका निभाई है। दूसरे में तेजस्वी नौकरी पर बोलते दिख रहे हैं। तीसरे वीडियो में लालू यादव बताते हैं कि हमने पहले नीतीश को फोन किया था। दोनों पक्षों के तीनों फुटेज से बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा है। नीतीश कुमार पर भी आरोप लगाए जाते हैं। अशोक चौधरी को इसकी अनुमति देना उनके स्वभाव में आए परिवर्तन का संकेत है।

    CM इस तरह की राजनीति से दूर रहे हैं।

    CM नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में ऐसी राजनीति कभी नहीं हुई है। अब वे बात-बात पर रोते हैं। विधानसभा हो या सार्वजनिक मंच, उनके तेवर से स्पष्ट है कि वे क्रोधित हैं। जब भी उनकी कड़ी आलोचना हुई है, वे चुपचाप अपना काम करते रहे हैं। नीतीश ने विपक्ष की आलोचनाओं को अनदेखा किया, जब कई बच्चों ने सारण जिले में मिड डे मील खाकर मर गए। नीतीश ने शराबबंदी के तुरंत बाद गोपालगंज में जहरीली शराब से मौतों की आलोचना झेली, लेकिन खामोश रहे। बाद में सारण में ऐसी ही मौतें हुईं तो नीतीश विपक्ष की आलोचना से घबरा गए। तब उन्होंने सब कुछ भूलकर स्पष्ट रूप से कहा कि जो पिएगा, वह मरेगा। ऐसी मौतों पर सरकार कोई मुआवजा भी नहीं देगी। अब वे लालू यादव के पारिवारिक जीवन पर भी टिप्पणी करते हैं। लालू के कई  बच्चे होने पर भी उन्होंने तंज कसते हैं। 2020 में यह परिस्थिति शुरू हुई है।

    43 सीटें मिलने पर तेवर बदले गए

    केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने नीतीश की निराशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा नेता चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे जाने के बाद से उनका असंतोष दिखने लगा। चिराग ने जेडीयू को तीन दर्जन सीटें खो दीं। जेडीयू को सिर्फ चार दर्जन सीटें मिलीं। इसके बाद से ही उनका क्रोध बढ़ा। वे सदन में ही विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से उलझ गए। उन्होंने सदन में तेजस्वी यादव पर भी हमला बोला। विधानसभा में उन्होंने जीतन राम मांझी को कुछ नहीं बताया। उन्होंने गुस्से से एनडीए छोड़कर 2022 में आरजेडी में शामिल हो गया।

    नीतीश को एक बार फिर चिराग ने बिदका दिया।

    चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को एक बार फिर बदनाम करने की कोशिश की है। वे अपनी पार्टी लोजपा (आर) के लिए चालिस सीटें चाहते हैं। चिराग ने मटिहानी और शेखपुरा में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। चिराग की पार्टी, जो बाद में जेडीयू में शामिल हो गई, पिछली बार मटिहानी सीट से जीता था। शेखपुरा में जेडीयू उम्मीदवार जीत नहीं पाया। चिराग के उम्मीदवार को 14 हजार वोट मिले, जबकि जेडीयू के उम्मीदवार को 6100 वोट मिले। नीतीश को इस बार भी चिराग के पैंतरे से कठिनाई होती दिखती है। पिछली बार की तरह इस बार भी चिराग ने एनडीए में विद्रोह करने का फैसला किया तो इससे अधिक नुकसान नीतीश को होगा। जन सुराज के शांत किशोर चिराग पासवान भी मुसीबत में हैं। तेजस्वी और नीतीश कुमार भी उनके निशाने पर हैं। इसी से नीतीश कुमार का क्रोध बढ़ा है। उन्हें अतीत की गलती भी वर्षों से भुगतनी पड़ी है। यदि वे पाल नहीं बदलते तो भाजपा नेताओं को बार-बार बताने की जरूरत नहीं होती।

  • CM Arvind Kejriwal अंततः जेल से बाहर..। द‍िल्‍ली सरकार पर अब भी मंडरा रहा ये ‘खतरा’, नेता तो न‍िकल गए क्‍या करेगी AAP?

    CM Arvind Kejriwal अंततः जेल से बाहर..। द‍िल्‍ली सरकार पर अब भी मंडरा रहा ये ‘खतरा’, नेता तो न‍िकल गए क्‍या करेगी AAP?

    CM Arvind Kejriwal

    दिल्ली के CM Arvind Kejriwal को कोर्ट ने जमानत दे दी है, लेकिन उन पर पहले की तरह ही बंदिशें लागू हैं। वे सीएम के पद पर रहते हुए न तो कोई फैसला कर सकते हैं, न तो सचिवालय जा सकते हैं। दिल्ली बीजेपी उन्हें “जमानत वाला सीएम” बता रही है। यही कारण है कि दिल्ली में अभी भी राष्ट्रपति शासन की तलवार लटकी हुई है। यहां बहुत से बीजेपी नेता राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे हैं।

    जयललिता, हमेंत सोरेन की मिसाल

    कानून के कुछ जानकार भी पहले की घटनाओं का हवाला दे कर कह रहे हैं कि केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए। वे लालकृष्ण आडवाणी, हेमंत सोरेन और जे. जयललिता की भी मिसाल दे रहे हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आर के सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री के न होने से दिल्ली के बहुत सारे काम प्रभावित होते हैं। किसी और व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद पर चुना जाना चाहिए। दिल्लीवासी इससे अपना काम करने वाला मुख्यमंत्री पा सकेंगे।”

    दिल्लीवासियों को सीएम चाहिए

    आर के सिंह ने कहा कि जब जयललिता या हेमंत सोरेन पर कानूनी कार्रवाई हुई, तो उन्होंने दूसरे को मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया, जिससे राज्य का काम सुचारु रूप से चलता रहा। . फिर जमानत मिलने पर हेमंत सोरेन दुबारा मुख्यमंत्री बन गए। लालकृष्ण आडवाणी ने भी इसी तरह पद छोड़ दिया था।

    सीबीआई ने उनकी जमानत को खारिज कर दिया क्योंकि वे मुख्यमंत्री के पद पर कार्यालय में जाकर दस्तावेजों को बदल सकते हैं। सबूतों को भ्रष्ट कर सकते हैं। यही कारण है कि कोर्ट को उनकी जमानत में ऐसा आदेश देना पड़ा। यद्यपि वे वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, लेकिन अपने विश्वासपात्र मनीष सिसोदिया को मंत्री बनाने की सिफारिश भी करें तो एलजी को कानूनी बाधा लग सकती है। यह संभव नहीं है कि वे अपने नजदीकी सहयोगी को मंत्री बनाकर अपना और पार्टी का काम आसान कर सकें। कोर्ट ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर किसी सरकारी दस्तावेज पर भी दस्तखत नहीं कर सकेंगे। सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता आर के सिंह ने कहा कि केजरीवाल विदेश यात्रा भी नहीं कर सकते।

    हरियाणा में प्रचार करने में सक्षम हैं

    हालाँकि, केजरीवाल हरियाणा में चुनाव प्रचार करने के लिए सक्षम हैं। इसमें कोई सीमा नहीं है। जिस तरह से उनकी पार्टी सभी हरियाणा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसलिए यह उनकी पहली प्राथमिकता होगी। वे वहां पूरी ताकत से प्रचार करेंगे, लेकिन बीजेपी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन पर हमला करेगी।

  • BJP जम्मू-कश्मीर में कठिन समय से गुजर रही है?

    BJP जम्मू-कश्मीर में कठिन समय से गुजर रही है?

    BJP

    केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले विधानसभा चुनाव में BJP और नेशनल कॉन्फ्रेंस+कांग्रेस गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है, जो दस साल बाद हो रहे हैं। महबूबा मुफ्ती की पीडीपी लड़ाई में पिछड़ती दिखती हैं, लेकिन निर्दलीय और छोटे दलों की भूमिका सरकार बनाने में अहम रहने वाली है। सांसद रशीद इंजीनियर को आतंकवादी फंडिंग मामले में जमानत मिलने की खबर ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को और भी गर्म कर दिया है। Rashida को दिल्ली की NIA कोर्ट ने चुनाव प्रसार करने के लिए जमानत दी है। इस खबर को हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि ये वही इंजीनियर राशिद हैं जो 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को बारामूला से हराया था।

    ऐसे में इंजीनियर राशिद जेल से बाहर होने के बाद सबसे ज्यादा किसका नुकसान हो सकता है, ये समझना इतना मुश्किल भी नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी छोटे दलों के साथ ही ऐसे निर्दलीयों को पीछे से समर्थन दे रही है जो पहले अलगावादी विचारधारा से जुड़े थे। बीजेपी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर अलगाववादी मुख्यधारा में आने का निर्णय लेते हैं तो उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलना चाहिए।

    अगर किसी अलगाववादी ने चुनाव लड़कर सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया है, तो उसे इस लोकतांत्रिक अवसर से वंचित किया जाना चाहिए।’ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

    वास्तव में, इस बार भी जम्मू कश्मीर में किसी एक पार्टी को बहुमत मिलने की संभावना कम है। बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेस-कांग्रेस गठबंधन मुख्य मुकाबला हैं। लेकिन असली संघर्ष यह है कि किसे अधिक सीटें मिलेंगी? छोटे छोटे दलों के अलावा, सबसे बड़ा दल निर्दलीय के साथ मिलकर सरकार बना सकता है। पीडीपी मुख्य संघर्ष से बाहर दिख रही है, लेकिन अगर उसे आठ से दस सीट भी मिल जाएं तो सरकार बनाने में भी उसका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।

    विपक्षी दल भी जम्मू कश्मीर को अपनी पार्टी और गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रैटिक प्रोगेसिव आजाद पार्टी (बीजेपी) की बी टीम का हिस्सा बताते हैं। हालांकि ये दोनों दल इन आरोपों को अस्वीकार कर रहे हैं।

    बीजेपी का मुख्य लक्ष्य जम्मू क्षेत्र है, जहां परिसीमन के बाद 6 सीटें बढ़कर 43 हो गई हैं। बीजेपी ने इस रीजन में अधिकांश सीटें जीतकर छोटे छोटे कश्मीर दलों के साथ सरकार बनाने की योजना बनाई है। नेशनल कॉन्फ्रेस और पीडीपी दोनों बीजेपी की इस चाल से परेशान हैं।

    नेशनल कॉन्फ्रेंस इस चुनाव को करो या मरो का निर्णय ले रही है। लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला के हारने के बाद विधानसभा चुनाव में भी पिछड़ने का मतलब कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेस की दखल काफी कम हो जाएगी। जिससे इसका भविष्य भी खतरे में है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का भी यही हाल है। पीडीपी को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली, और यह विधानसभा चुनाव भी बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस से पीछे है। इस बार महबूबा ने अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को भी चुनाव में उतारा है। यह विधानसभा चुनाव स्पष्ट रूप से जम्मू कश्मीर के दो प्रमुख परिवारों पर निर्भर है। इन दो परिवारों ने अब तक जम्मू-कश्मीर के पांच मुख्यमंत्री बनाए हैं, और इस परिवार ने कई दशकों से जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर प्रभाव डाला है। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से ही उनका प्रभाव कम होना शुरू हो गया था।

    थोड़ा पीछे चलकर जम्मू-कश्मीर की बदलती राजनीति को स्पष्ट करना चाहिए। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करके आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया। कश्मीर घाटी में अलगाववादी ताकतों का एक समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस है। सुरक्षा बलों ने आतंकवाद की जड़ों को काफी हद तक समाप्त कर दिया है। इससे जम्मू-कश्मीर की हवा और राजनीति दोनों बदल गई हैं। वरना ऐसा कब हुआ है कि अब्दुल्ला या मुफ्ती परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव जीतकर भी लोकसभा में पहुंच पाया है? महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला दोनों को 2024 के लोकसभा चुनाव में हार मिली। नेशनल कॉन्फ्रेस के मियां अल्ताफ ने अनंतनाग-रजौरी सीट से महबूबा को हराया था। 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण था। आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में हुआ पहला बड़ा चुनाव था, जिसमें अधिक लोगों ने भाग लिया। बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेस को 2-2 सीटें मिली, वहीं निर्दलीय इंजीनियर राशिद को एक सीट मिली।

    नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी को कमजोर होने से छोटे छोटे दलों को फायदा होगा क्योंकि इनकी राजनिति मुख्यतः कश्मीर घाटी में है। यही कारण है कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है। क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने छोटे दलों या निर्दलीयों को अलगाववादी बताया है। तो दूसरे ओर, यही दल आर्टिकल 370 को हटाने और पाकिस्तान से बातचीत करने के बारे में ऐसे बयान देते रहे हैं जो आतंकियों को उत्साहित करते हैं। आने वाले समय में बीजेपी का दांव कितना सफल होगा पता चलेगा।

  • HARNAIYA CHUNAV: BJP हरियाणा में आंकड़ों में आगे है? कांग्रेस के समय से सरकारी नौकरियों की संख्या दोगुनी हो गई है

    HARNAIYA CHUNAV: BJP हरियाणा में आंकड़ों में आगे है? कांग्रेस के समय से सरकारी नौकरियों की संख्या दोगुनी हो गई है

    HARNAIYA CHUNAV

    HARNAIYA CHUNAV: हरियाणा में महासभा का मंच तैयार है। भाजपा 10 साल की डबल इंजन सरकार का असर दिखा रही है, वहीं कांग्रेस हरियाणा सरकार पर सवाल उठा रही है क्योंकि राज्य में बढ़ती बेरोजगारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले दस सालों में केंद्र सरकार की कई योजनाओं और हरियाणा सरकार की कोशिशों से हालात सुधरे हैं। लेकिन कांग्रेस शासन के 2004 से 2014 और भाजपा शासन के 2014 से 2024 के दो दशकों में सरकार ने रोजगार सृजन के आंकड़े जुटाए हैं, जो सत्ता विरोधी लहर की तपिश को दिखाते हैं। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि हरियाणा में आय, समग्र जीवन स्तर और रोजगार की स्थिति में अखिल भारतीय औसत से अधिक सुधार हुआ है।

    कांग्रेस शासन के दौरान 2005 से 2014 तक केवल 86,067 सरकारी क्षेत्र की नौकरियां निकाली गईं। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस के दौर में व्यवस्था पारदर्शी नहीं थी। एक सूत्र ने कहा, “जबकि नौकरी की रिक्तियों का विज्ञापन किया गया था, उन्हें अक्सर पार्टी के आंतरिक सर्कल और करीबी सहयोगियों द्वारा भरा गया था, जिससे योग्य उम्मीदवारों को दरकिनार कर दिया गया था।” कांग्रेस ने हरियाणा को भाई-भतीजावाद, निरंतर घोटाले, भ्रष्टाचार और सरकारी धन का व्यापक दुरुपयोग करते हुए बहुत पीड़ा दी। जनता का भरोसा कांग्रेस की बेवकूफी से धोखा खा गया।एक सूत्र ने कहा कि हरियाणा में 2014 से 2024 तक भाजपा की “डबल इंजन सरकार” ने 1,43,000 सरकारी नौकरियां बनाईं, जो इसके असली प्रभाव को दिखाता है। PM मोदी की घोषणा, “न खाऊंगा, न खाने दूंगा”, ने योग्यता पर आधारित भ्रष्टाचार को दूर किया। नया भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और सभी के लिए उज्ज्वल भविष्य के वादों को पूरा करने का प्रतीक है। एचआरईएक्स, एचपीएससी और एचएसएससी जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म ने नौकरी चाहने वालों को आसानी से अपलोड और ट्रैक करने में मदद की है।

    साथ ही, सूत्रों ने बताया कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार नौकरी बाजार में औपचारिकता को बढ़ावा देने और अपने नागरिकों को नौकरी की सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में, हाल ही में हरियाणा संविदा कर्मचारी (कार्यकाल की सुरक्षा) अध्यादेश, 2024 जारी किया गया. यह अध्यादेश संविदा कर्मचारियों को नौकरी की सुरक्षा देता है। हरियाणा कौशल रोजगार निगम के 1.20 लाख कर्मचारियों को इससे लाभ मिलेगा। नियमित रूप से जॉब फेयर भी आयोजित किए गए हैं।

    सूत्रों ने कहा कि हरियाणा गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। सूत्रों ने बताया कि “2022-23 में, हरियाणा में सृजित 70% नौकरियां गैर-कृषि क्षेत्र में थीं, जबकि अखिल भारतीय क्षेत्रीय संरचना में केवल 54% नौकरियां गैर-कृषि क्षेत्र में थीं।” हालांकि  गैर-कृषि क्षेत्र में सीमित नौकरियों के मुद्दे पर व्यापक बहस हुई है, लेकिन यह प्रशंसनीय है कि भाजपा की नेतृत्व वाली हरियाणा राज्य सरकार ने इस चुनौती को सख्ती से उठाया है। रोजगार को बढ़ावा देने और सभी के लिए विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता ने लगातार प्रयासों और सक्रिय नीतियों के माध्यम से गैर-कृषि क्षेत्र में औपचारिक क्षेत्र के रोजगार को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया है।”

    हरियाणा एक आकर्षक इन्वेस्टमेंट डेस्टिनेशन है, क्योंकि राज्य में स्थिर सरकार, व्यापार करने में आसानी, मजबूत बुनियादी ढांचा और रसद सुविधाओं के कारण रोजगार सृजन हो रहा है। जैसा कि नीचे दिखाया गया है, राज्य प्रमुख सूचकांकों और मेट्रिक्स में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों में से रहा है:

    ● हरियाणा को व्यापार सुधार कार्य योजना (BRAP) 2020 में शीर्ष उपलब्धि हासिल करने वालों में स्थान मिलता है।

    ● भूमिबद्ध राज्यों में रसद सुगमता (LEADS 2023) में हरियाणा को “अचीवर” घोषित किया गया है और 2022 में निर्यात तैयारी सूचकांक में 5वां स्थान मिला है।

    ● हरियाणा में विदेश सेवा (BPO) कार्यबल का सर्वाधिक संख्या है; गुरुग्राम में विश्वव्यापी BPO कार्यबल का सिर्फ 5% कार्यरत है।

    ● देश का सबसे बड़ा ऑटोमोटिव हब हरियाणा है। 150 मूल उपकरण निर्माता (OEM) में से 50 हरियाणा में हैं।

    हरियाणा ने नौकरी के क्षेत्र में औपचारिकता को काफी बढ़ा दिया।

    EPFO सदस्यता डेटा स्पष्ट रूप से हरियाणा में औपचारिक क्षेत्र में नौकरी की वृद्धि का संकेत देता है। एक सूत्र ने कहा, “कांग्रेस सरकार के 2004-05 से 2013-14 के कार्यकाल के दौरान, केवल 46.20 लाख औपचारिक क्षेत्र की नौकरियां सृजित की गईं।” इसके विपरीत, 2013-14 से 2022-23 तक भाजपा की सरकार ने राज्य में लगभग 1.60 करोड़ औपचारिक क्षेत्र की नौकरियां बनाईं, जो रोजगार के अवसरों में बड़ी वृद्धि को दर्शाता है।”

    केंद्रीय सरकार की नीतियों का बड़ा उपयोग

    राज्य में रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की प्रमुख योजनाओं का अधिक उपयोग किया गया है। विभिन्न सूत्रों के अनुसार, 2015 में शुरू हुई पीएम मुद्रा योजना ने लगभग 16.85 लाख नौकरियां बनाईं, पीएम रोजगार प्रोत्साहन योजना ने 9.88 लाख नौकरियां बनाईं, आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना ने 4 लाख से अधिक नौकरियां बनाईं. 2008 में शुरू हुआ पीएम रोजगार सृजन कार्यक्रम ने 2008-2014 तक 39,667 नौकरियां बनाईं, डीडीयू ग्रामीण कल्याण योजना ने आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार की योजनाओं से देश में 3.96 करोड़ नई नौकरियां पैदा होंगी। इनमें से 2014 से 2024 के बीच हरियाणा में 33.81 लाख नए रोजगार पैदा होने का अनुमान है। स्टार्ट-अप इंडिया को सफलतापूर्वक अपनाने से राज्य में अच्छे परिणाम मिले हैं, जो रोजगार सृजन में मदद करते हैं: हरियाणा में 7,385 नवोदय उद्यमियों में से 14 यूनिकॉर्न हैं।

    आंकड़े बताते हैं कि मोदी सरकार की योजनाओं से देश में 3.96 करोड़ अधिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। 2014 से 2024 के बीच हरियाणा में इससे 33.81 लाख अधिक नौकरियां पैदा होने का अनुमान है। स्टार्ट-अप इंडिया को सफलतापूर्वक अपनाने से राज्य में अच्छे परिणाम मिले हैं, जो रोजगार सृजन में मदद करते हैं: हरियाणा में 7,385 नवोदय उद्यमियों में से 14 यूनिकॉर्न हैं।

    हरियाणा राज्य का प्रयास

    2015 से 2023 के बीच राज्य सरकार की विभिन्न पहलों (योजनाओं/कार्यक्रमों) ने 17.18 लाख नौकरियां बनाईं, सूत्रों ने बताया। 2023 में हरियाणा विधानसभा में उठाए गए प्रश्नों और उत्तरों से संकलित आंकड़ों के अनुसार, राज्य में मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (एमपीसीई) और प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय में वृद्धि हुई है. यह राष्ट्रीय औसत और कई अन्य राज्यों से अधिक है। अंत्योदय उत्थान योजना मेले ने 34,000 नौकरियां, जॉब फेयर में 27,516, सक्षम युवा योजना ने 1.71 लाख, हरियाणा कौशल रोजगार निगम ने 1.20 लाख, औद्योगिक रोजगार में 12.64 लाख और HSSC और HPS ने एक लाख से अधिक सरकारी नौकरियां बनाईं। ये दो संकेतक अप्रत्यक्ष रूप से दिखाते हैं कि समय के साथ राज्य में नौकरी की स्थिति, आय का स्तर और समग्र जीवन स्तर सुधर रहे हैं। इन आंकड़ों ने मतदान की तारीख नजदीक आने के साथ ही भाजपा के अभियान को और तेज कर दिया है।

  • CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर जाएंगे; PM Modi और Amit Shah से मुलाकात करेंगे; देंगे प्रदेश का रिपोर्ट कार्ड

    CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर जाएंगे; PM Modi और Amit Shah से मुलाकात करेंगे; देंगे प्रदेश का रिपोर्ट कार्ड

    CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली रवाना होंगे:

    CM Yogi Adityanath News: उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली रवाना होंगे। अपने दिल्ली दौरे के दौरान CM Yogi Adityanath, Pm Modi, गृह मंत्री Amit Shah और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे. CM Yogi आज दिल्ली के लिए रवाना होंगे और शाम को जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं, वह कल शनिवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में भी शामिल होंगे। बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी शामिल होंगे.

    CM Yogi आज होंगे रवाना

    CM Yogi Adityanath आज शुक्रवार को दिल्ली के लिए रवाना होंगे. नीति आयोग की बैठक कल यहां होगी. इस बैठक में CM Yogi  शामिल होंगे. सूत्रों के मुताबिक, CM Yogi, PM Modi और Amit Shah समेत पार्टी के प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. इस मुलाकात के दौरान CM Yogi, PM Modi को राज्य में चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी देंगे. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद सियासी पारा गरमा गया है. केशव प्रसाद द्वारा अपना बयान जारी करने के दो दिन बाद, उन्होंने भाजपा प्रमुख नड्डा से मिलने के लिए दिल्ली की यात्रा की। केशव के बाद बीजेपी अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी भी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचे. अब CM Yogi भी तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर हैं.

    आगामी चुनाव के लिए रणनीति बनाएंगे

    आपको बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है. इसकी समीक्षा के लिए CM Yogi पिछले कुछ दिनों में विभिन्न विभागों के साथ बैठकें कर चुके हैं और अपने विधायकों से जवाब मांग रहे हैं. CM Yogi ने यह बैठक बुधवार को क्रमश: मुरादाबाद और बरेली मंडल के विधायकों-एमएलसी के साथ की. इन बैठकों के दौरान CM Yogi ने 2024 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारणों की जानकारी ली. इसके अलावा CM Yogi ने आपसी मतभेद भुलाकर आगामी चुनाव की तैयारी करने का भी निर्देश दिया। अपने दिल्ली दौरे के दौरान CM Yogi, PM Modi के साथ आगामी चुनावों की रणनीतियों पर भी चर्चा करेंगे.

  • CM Yogi Adityanath की बैठक में केशव प्रसाद मौर्य फिर नहीं पहुंचे, कई मंत्रियों से मुलाकात की; सियासी गलियारों में चर्चा तेज

    CM Yogi Adityanath की बैठक में केशव प्रसाद मौर्य फिर नहीं पहुंचे, कई मंत्रियों से मुलाकात की; सियासी गलियारों में चर्चा तेज

    CM Yogi Adityanath की बैठक में फिर नहीं पहुंचे केशव प्रसाद मौर्य:

    CM Yogi Adityanath Cabinet Meeting: उत्तर प्रदेश के Deputy CM केशव प्रसाद मौर्य CM Yogi Adityanath द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए, जिससे राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। लोकसभा चुनाव के बाद से Deputy CM भाजपा की सभी बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कल गुरुवार को CM Yogi Adityanath ने फिर से मेरठ और प्रयागराज जिलों में बैठक बुलाई और केशव मौर्य इस बैठक में शामिल नहीं हुए. CM आवास के बगल में सरकारी आवास पर रहने के दौरान उन्होंने कई पूर्व और वर्तमान मंत्रियों से मुलाकात की.

    CM ने बुलाई मेरठ और प्रयागराज मंडल की बैठक

    आपको बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है. इसकी समीक्षा के लिए CM Yogi Adityanath पिछले कुछ दिनों में विभिन्न विभागों के साथ बैठकें कर चुके हैं और अपने विधायकों से जवाब मांग रहे हैं. इस संबंध में CM ने गुरुवार को मेरठ और प्रयागराज मंडल की बैठक बुलाई. प्रयागराज मंडल की बैठक में भाजपा के साथ अपना दल (एस) विधायक भी शामिल हुए। बैठक में पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, नंद गोपाल गुप्ता उर्फ ​​नंदी समेत सभी विधायक मौजूद रहे. CM ने सभी विधायकों से लोकसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा की और हार के कारणों की जानकारी ली. लेकिन Deputy CM केशव प्रसाद मौर्य लखनऊ में होते हुए भी बैठक में शामिल नहीं हुए.

    उपमुख्यमंत्री ने मुलाकात की इन मंत्रियों से 

    सूत्रों के मुताबिक, Deputy CM के कुछ करीबी लोगों ने बताया कि जब CM Yogi बैठक कर रहे थे, उसी समय Deputy CM का भी कार्यक्रम था. इसलिए वह बैठक में भाग लेने में असमर्थ थे। वहीं, Deputy CM ने अपने आवास पर नेताओं व जनप्रतिनिधियों से मिलते रहे. गुरुवार को पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ ​​मोती सिंह, पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी और प्रदेश मंत्री दिनेश कार्तिक समेत कई लोगों ने केशव से मुलाकात की.

  • Karan Mahra: कांग्रेस अध्यक्ष ने उत्तराखंड सरकार पर केदारनाथ धाम के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया

    Karan Mahra: कांग्रेस अध्यक्ष ने उत्तराखंड सरकार पर केदारनाथ धाम के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया

    Karan Mahra (करन माहरा) News:

    Karan Mahra News: कांग्रेस अध्यक्ष Karan Mahra ने उत्तराखंड सरकार पर केदारनाथ धाम के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। आज 25 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष ने केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा शुरू करने से पहले मीडियाकर्मियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक यात्रा नहीं बल्कि बीजेपी का धर्म पर राजनीतिक नाटक है.

    Karan Mahra का कहना है कि केदारनाथ धाम पर राजनीति हो रही है। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने भी एक बयान में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेताओं से कहा कि वे नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास के लिए बाबा को सूचित करें और माफी मांगें। इस संबंध में उन्होंने आगे कहा कि नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के भूमि पूजन से स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.

    आपको बता दें कि दसौनी ने हरकी पैड़ी से शुरू होने वाली कांग्रेस की पदयात्रा के दिन मुख्यमंत्री के केदारनाथ धाम पहुंचने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने भाजपा पर प्रसिद्ध धर्मों के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं केदारनाथ धाम से सोना चोरी मामले में BKTC को भी विवादों में घिरी बताया है।


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