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  • केन्द्रीय मंत्री Manohar Lal ने पावरथॉन-II का शुभारंभ किया

    केन्द्रीय मंत्री Manohar Lal ने पावरथॉन-II का शुभारंभ किया

    केन्द्रीय मंत्री Manohar Lal ने आज नई दिल्ली में विभिन्न राज्यों एवं केन्द्र-शासित प्रदेशों के विद्युत मंत्रियों के सम्मेलन की अध्यक्षता की

    • राज्य विद्युत सेवाओं की सूची सभी राज्य तैयार करेंगे
    • मंत्रालय डिस्कॉम की व्यापक रैंकिंग प्रकाशित करेगा

    विभिन्न राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के विद्युत मंत्रियों का सम्मेलन 12 नवंबर 2024 को नई दिल्ली में आयोजित किया गया। केन्द्रीय विद्युत तथा आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने इस सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस सम्मेलन में विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री श्री श्रीपाद येसो नाइक भी उपस्थित थे। जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री, 3 उपमुख्यमंत्रियों और 12 राज्यों के विद्युत मंत्रियों ने विभिन्न राज्यों व केन्द्र-शासित प्रदेशों के प्रधान सचिवों, सचिव (विद्युत), सचिव (एमएनआरई) के साथ इस कार्यक्रम में भाग लिया।

    इस सम्मेलन के दौरान, विभिन्न डिस्कॉम के संचालनात्मक प्रदर्शन एवं वित्तीय व्यवहार्यता, आरडीएसएस की समीक्षा, स्मार्ट मीटरिंग, बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, पीएम-सूर्य घर योजना, संसाधन पर्याप्तता योजना, ऊर्जा भंडारण, नवीकरणीय ऊर्जा, राष्ट्रीय ट्रांसमिशन योजना, ईवी चार्जिंग अवसंरचना, राज्य जेनको / ट्रांसको / डिस्कॉम की सूची, कार्बन बाजार, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन आदि को लागू करने में सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों पर ध्यान केन्द्रित करते हुए विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। विभिन्न राज्यों ने इनमें से प्रत्येक प्रासंगिक मुद्दे पर अपने इनपुट और सुझाव दिए।

    सम्मेलन के दौरान, मध्य प्रदेश और असम ने स्मार्ट मीटर से संबंधित सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों के बारे में एक प्रस्तुति भी दी।

    अपने संबोधन मेंमाननीय केन्द्रीय विद्युत तथा आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री मनोहर लाल ने सभी गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि आज 250 गीगावॉट तक की चरम मांग है, जिसे सामूहिक प्रयासों से प्रभावी ढंग से पूरा किया गया है। हालांकि, बढ़ती मांग को देखते हुए, इस क्षमता को बढ़ाने का प्रयास करने की आवश्यकता है।

    उन्होंने बताया कि वितरण क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता एक और चिंता का विषय है, जो देश में विद्युत क्षेत्र के समग्र विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस तथ्य का उल्लेख किया कि अनंतिम विवरणों के अनुसार एसीएस-एआरआर अंतर वित्तीय वर्ष 2022-23 में 0.45 रुपये प्रति किलोवाट घंटा से बेहतर होकर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 0.21 रुपये प्रति किलोवाट घंटा हो गया है।

    उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों को सरकारी बकाया और सब्सिडी का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। सरकारी बकाया के संदर्भ में, राज्य सरकारें भुगतान के लिए केन्द्रीकृत तंत्र स्थापित कर सकते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों को मार्च 2025 तक प्रीपेड स्मार्ट मीटर के तहत लाया जाना चाहिए। राज्यों को डिस्कॉम ऋण को कम करने के तरीकों पर काम करने के लिए कहा गया।

    उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर को बढ़ावा देने हेतु, राज्यों द्वारा प्रीपेड उपभोक्ताओं को पांच प्रतिशत की छूट प्रदान की जा सकती है। राज्यों को उपभोक्ताओं के साथ प्रभावी जुड़ाव सुनिश्चित करना चाहिए।

    उन्होंने आगे कहा कि डिस्कॉम को आरडीएसएस के तहत स्वीकृत कार्यों के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए प्रयास करने की आवश्यकता है।

    पावरथॉन के दूसरे चरण का शुभारंभ करते हुए, माननीय मंत्री ने कहा कि इससे वर्तमान में डिस्कॉम के सामने आने वाली समस्याओं के लिए एआई पर आधारित रचनात्मक समाधान लाने में मदद मिलेगी। एक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से, पावरथॉन-II के तहत 40 संभावित प्रौद्योगिकीय समाधानों को 37 करोड़ रुपये तक की कुल वित्तीय सहायता के माध्यम से विकसित किया जाएगा और चरण-1 में पहले से पहचाने गए समाधानों को आगे बढ़ाने हेतु डिस्कॉम को 6 करोड़ रुपये तक की सहायता भी प्रदान की जाएगी।

    यह बताया गया कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा पैदा करने हेतु डिस्कॉम की रैंकिंग के लिए एक संयुक्त रैंकिंग पद्धति विकसित की गई है। पहली रैंकिंग जनवरी 2025 तक प्रकाशित की जाएगी।

    माननीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि डिस्कॉम को विद्युत नियमों के तहत उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावी ढंग से लागू करना चाहिए और सेवाओं में कमियों के लिए उपभोक्ताओं को मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि डिस्कॉम को पीएम सूर्य घर योजना के तहत छत पर स्थापना को बढ़ावा देना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि बिजली की बढ़ती मांग के साथ, इस क्षेत्र में निवेश की आवश्यकता बढ़ रही है और इस क्षेत्र में सेवाओं की संचालनात्मक क्षमता में सुधार करने की भी आवश्यकता है, जिसके लिए राज्य सेवाओं की पहचान कर उन्हें सूचीबद्ध कर सकते हैं।

    यह बताया गया कि बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने के लिए संसाधनों की पर्याप्तता महत्वपूर्ण है और राज्यों को संसाधन पर्याप्तता योजना के अनुसार क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। राज्य मांग की पूरकता के आधार पर अपनी बिजली खरीद को भी बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, उच्च मांग की अवधि के दौरान अधिकतम भार को पूरा करने हेतु आकस्मिक योजना भी बनाई जानी चाहिए।

    इस बात का उल्लेख किया गया कि विद्युत मंत्रालय तापीय संयंत्रों के लिए कोयला स्रोतों के लिंकेज को युक्तिसंगत बनाने हेतु कोयला मंत्रालय के साथ मिलकर काम करेगा। फ्लाई ऐश के कुशल निपटान के लिए, परित्यक्त कोयला खदानों को जल्द से जल्द भरने की आवश्यकता है। यह भी सुझाव दिया गया कि राष्ट्रीय योग्यता आदेश प्रेषण का पालन किया जा सकता है ताकि डिस्कॉम को आपूर्ति की कुल लागत कम की जा सके।

    माननीय मंत्री ने कहा कि राज्यों को परमाणु आधारित बिजली संयंत्र पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। वर्ष 2032 तक यह क्षमता 8 गीगावॉट से बढ़कर 20 गीगावॉट होने की संभावना है। जो राज्य कोयला स्रोतों से दूर हैं, उन्हें उन स्थानों पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर विचार करना चाहिए जहां कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों ने अपना जीवन पूरा कर लिया है।

    माननीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यों को नवीकरणीय ऊर्जा से समृद्ध क्षेत्रों में पंप स्टोरेज परियोजनाएं (पीएसपी) और बैटरी ऊर्जा भंडारण प्रणाली (बीईएसएस) भी शुरू करनी चाहिए, जो गैर-सौर घंटों में चरम मांग को पूरा करने और ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित संसाधनों के बेहतर एकीकरण में मदद करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि राज्यों को पीएसपी पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि 2032 तक क्षमता लगभग 5 गीगावॉट से बढ़कर 27 गीगावॉट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि मंत्रालय व्यवहार्यता गैप फंडिंग योजना के तहत 12 गीगावॉट घंटा की बीईएसएस क्षमता की स्थापना का समर्थन कर रहा है और राज्यों को विद्युत उत्पादन पर किसी भी जल-उपकर शुल्क तथा ऐसे अन्य शुल्क लगाने से बचना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि आज भारत के पास सबसे बड़ा सिंक्रोनाइज्ड ग्रिड है, लेकिन नियोजित क्षमता के अनुसार नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए मजबूत पारेषण (ट्रांसमिशन) प्रणाली की आवश्यकता है। आईएसटीएस ट्रांसमिशन लाइनों के अनुरूप कम से कम 10 वर्षों के लिए अंतरा-राज्यीय ट्रांसमिशन के लिए व्यापक योजना की भी आवश्यकता है। राज्यों को ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर चरण-III के लिए ट्रांसमिशन परियोजनाओं की पहचान करनी होगी और ट्रांसमिशन लाइनों के लिए आरओडब्ल्यू के संबंध में मुआवजे के भुगतान के लिए संशोधित दिशानिर्देशों को अपनाना होगा और आरओडब्ल्यू से जुड़े लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करना होगा।

    उन्होंने आगे कहा कि राज्यों को एसएलडीसी कार्यबल पर्याप्तता दिशानिर्देशों को अपनाना चाहिए और अपने लोड डिस्पैच केन्द्रों का आवश्यक पुनर्गठन करना चाहिए।

    इसके अलावा, उन्होंने कहा कि विद्युत क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के उपयोग का लाभ उठाया जाना चाहिए और राज्यों द्वारा आवश्यक साइबर सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण गतिशील मांग में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए राज्यों द्वारा मांग संबंधी पूर्वानुमान को प्राथमिकता के आधार पर लिया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को अपने कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों का 40 प्रतिशत तक लचीला संचालन सुनिश्चित करना चाहिए।

    अपने समापन भाषण में, माननीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन पर आधारित बिजली प्राप्त करने, ऊर्जा भंडारण से संबंधित उपाय बढ़ाने और ग्रिड में अधिक नवीकरणीय ऊर्जा को एकीकृत करने के लिए प्रतिबद्ध है। नवीकरणीय ऊर्जा की निकासी के लिए ट्रांसमिशन संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु एक व्यापक योजना को पहले ही अंतिम रूप दिया जा चुका है। हालांकि, उपभोक्ताओं के लिए नवीकरणीय ऊर्जा को सुलभ बनाने हेतु, अंतरा-राज्यीय ट्रांसमिशन के लिए एक व्यापक योजना की भी आवश्यकता है। उन्होंने राज्यों से अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम (आईएसटीएस) नेटवर्क के साथ समन्वय सुनिश्चित करने हेतु समय-समय पर अपने डाउनस्ट्रीम नेटवर्क की विकास प्रगति का मूल्यांकन करने का आग्रह किया।

    सचिव (विद्युत) श्री पंकज अग्रवाल ने अपने संबोधन में विद्युत क्षेत्र की प्रमुख चिंताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने राज्यों से सुधार संबंधी उपायों को लागू करने में निरंतर समर्थन देने का आग्रह किया ताकि विद्युत क्षेत्र को व्यवहार्य बनाया जा सके। उन्होंने राज्यों से आरडीएसएस के तहत कार्यों को समय पर लागू करने का अनुरोध किया, जिससे वितरण क्षेत्र को संचालन की दृष्टि से कुशल बनाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, उन्होंने राज्यों से संसाधन पर्याप्तता योजना के कार्यान्वयन और उत्पादन एवं ट्रांसमिशन के क्षेत्र में चल रही परियोजनाओं से जुड़े लंबित मुद्दों को हल करने का भी आग्रह किया।

    source: http://pib.gov.in


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