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  • CM Yogi Adityanath सरकार ने 14 लाख गर्भवती महिलाओं को निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त अल्ट्रासाउंड दिया

    CM Yogi Adityanath सरकार ने 14 लाख गर्भवती महिलाओं को निजी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त अल्ट्रासाउंड दिया

    CM Yogi Adityanath लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं।

    प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्ण, सुगम और सस्ता इलाज देने के लिए CM Yogi Adityanath लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। यही कारण है कि राज्य के स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर में पिछले साढ़े सात साल में महत्वपूर्ण बदलाव हुआ है, जिसने कभी बीमार प्रदेश माना जाता था, आज उत्तम प्रदेश बन गया है। योगी सरकार के तहत गर्भवती महिलाओं को निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर मुफ्त अल्ट्रासाउंड मिलता है। सुविधा से अब तक छह लाख से अधिक गर्भवती महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं। इतना ही नहीं, योगी सरकार ने प्रदेश के किसी भी जिले के इम्पैनल्ड निजी अल्ट्रासाउंड केंद्र पर गर्भवती महिलाओं को फ्री अल्ट्रासाउंड की सुविधा दी है, ताकि वे इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए बाहर नहीं जाना पड़े।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य पर काफी गंभीर हैं, जैसा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) की निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया, *प्रदेश में 1,861 निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर फ्री अल्ट्रासाउंड सुविधा ऐसे में, उन्हें गुणवत्तापूर्ण इलाज के साथ-साथ पुष्टाहार भी मिल रहा है। उनका कहना था कि प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप, फरवरी 2023 से प्रदेश की गर्भवती महिलाओं को पीपीपी मोड पर फ्री अल्ट्रासाउंड के लिए ई रुपी वाउचर मिलेगा। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों पर इस सुविधा की पेशकश की जा रही है। मिशन निदेशक ने कहा कि सुविधा का लाभ उठाने के लिए राज्य के 75 जिलों में 1,861 निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों को अधिग्रहण किया गया है।

    अब तक, सरकार ने गर्भवती महिलाओं को 14,50,238 ई-वाउचर भेजे हैं। साथ ही, गर्भवती महिलाओं ने 6,81,341 ई-रुपी वाउचर का लाभ उठाया है। गर्भवती महिलाओं को एक महीने तक चलने वाली ई-रुपी वाउचर का लाभ मिल सकता है। इसके बाद यह स्वचालित रूप से कैंसिल होता है। वहीं, गर्भवती महिला को समय सीमा में लाभ न मिलने पर ई-रुपी वाउचर दोबारा मिल सकता है।

    हर महीने 1,9,16 और 24 तारीख को जारी किये जा रहे अल्ट्रासाउंड के ई-रुपी वाउचर* मिशन निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने बताया कि सीएम योगी के निर्देश पर गर्भवती महिलाओं को जिला महिला चिकित्सालय, संयुक्त चिकित्सालय, सीएचसी के साथ पीएचसी पर हर महीने 4 पीएमएसएमए दिवसों (1, 9, 16 और 24 तारीख) को ई-रुपी वाउचर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि उच्च स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुविधा का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रचार और अभियान चलाने का आदेश दिया है। ऐसे में, सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर सुविधाओं की जानकारी दे रहे हैं।

  • UNFPA ने मातृ स्वास्थ्य और परिवार नियोजन में अग्रणी भूमिका के लिए भारत का सम्मान किया

    UNFPA ने मातृ स्वास्थ्य और परिवार नियोजन में अग्रणी भूमिका के लिए भारत का सम्मान किया

    UNFPA: 2000 और 2020 की अवधि में मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को 70 प्रतिशत तक कम करने के भारत के उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना

    संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) ने मातृ स्वास्थ्य और परिवार नियोजन को आगे बढ़ाने में भारत की उल्‍लेखनीय प्रगति को मान्यता दी है। यूएनएफपीए की कार्यकारी निदेशक डॉ. नतालिया कनम ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीमती पुण्य सलिला श्रीवास्तव को पट्टिका और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। उन्‍होंने महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण की दिशा में भारत के साथ साझेदारी के लिए यूएनएफपीए की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

    स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, मातृ मृत्यु दर को शून्‍य पर लाने के उद्देश्‍य की प्राप्ति के लिए मातृ स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए कई कार्यक्रम चला रहा है। इनमें सुरक्षित मातृत्व आश्वासन योजना (सुमन), प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) और दाई सेवा पहल के तहत सुनिश्चित गुणवत्ता और सम्मानजनक मातृत्व देखभाल शामिल है।

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अतिरिक्त सचिव और मिशन निदेशक श्रीमती आराधना पटनायक, प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य (आरसीएच) की संयुक्त सचिव श्रीमती मीरा श्रीवास्तव, यूएनएफपीए के एशिया प्रशांत क्षेत्रीय निदेशक श्री पियो स्मिथ और यूएनएफपीए में भारत की प्रतिनिधि सुश्री एंड्रिया एम. वोजनार की उपस्थिति में, डॉ. कनम ने 2000 और 2020 के बीच मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) को 70 प्रतिशत तक कम करने में भारत के उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की, जिससे भारत 2030 से पहले एमएमआर को 70 प्रतिशत से नीचे लाने के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त करने की स्थिति में आ गया है। इस उल्लेखनीय प्रगति ने देश भर में हजारों महिलाओं, विशेष रूप से वंचित समुदायों की महिलाओं के जीवन को बचाया है।

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    भारत का परिवार नियोजन कार्यक्रम नई ऊंचाइयों पर पहुंच गया है, कुल प्रजनन दर प्रतिस्थापन स्तर (टीएफआर-2) से नीचे आ गई है। पिछले कुछ वर्षों में और हाल ही में सबडर्मल इम्प्लांट्स और इंजेक्टेबल डिपो मेड्रोक्सीप्रोजेस्टेरोन एसीटेट (डीएमपीए) को शामिल करने के साथ-साथ यूएनएफपीए ने गर्भनिरोधक विकल्पों का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    जैसे कि भारत ने मातृ, नवजात और बाल स्वास्थ्य (पीएमएनसीएच) और परिवार नियोजन 2030 (एफपी 2030) वैश्विक साझेदारी में प्रमुख स्थान प्राप्त किया, वैश्विक प्रजनन स्वास्थ्य मंचों पर मंत्रालय की अग्रणी भूमिका को स्वीकार किया गया है।

    बैठक के दौरान, डॉ. कनम ने महिलाओं, लड़कियों और युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने में भारत के प्रयासों में सहयोग के लिए यूएनएफपीए की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

    यूएनएफपीए, भारत सरकार के साथ साझेदारी के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है। हमारा देश ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण की ओर आगे बढ़ रहा है और यह आयोजन भारत में प्रत्येक महिला और युवा व्यक्ति के स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करने के साझा मिशन की महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

    इस कार्यक्रम में परिवार नियोजन/गर्भाधान-पूर्व एवं प्रसव-पूर्व निदान तकनीक/एबीपी अतिरिक्त आयुक्त डॉ. इंदु ग्रेवाल, मातृ स्वास्थ्य एवं टीकाकरण अतिरिक्त आयुक्त डॉ. पवन कुमार, पोषण एवं किशोर स्वास्थ्य उपायुक्त डॉ. जोया अली रिजवी, यूएनएफपीए के प्रतिनिधि और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

    source: http://pib.gov.in

  • Union Budget 2024-25: किफायती कैंसर उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, तीन अतिरिक्त कैंसर दवाओं को सीमा शुल्क से छूट दी गई

    Union Budget 2024-25: किफायती कैंसर उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, तीन अतिरिक्त कैंसर दवाओं को सीमा शुल्क से छूट दी गई

    Union Budget (केंद्रीय बजट) 2024-25:

    • किफायती कैंसर उपचार पर ध्यान केंद्रित करते हुए, तीन अतिरिक्त कैंसर दवाओं को सीमा शुल्क से छूट दी गई
    • मेडिकल एक्स-रे मशीनों में उपयोग के लिए एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों पर सीमा शुल्क संशोधित किया गया
    • राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के अंतर्गत वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट व्यय में लगभग 4000 करोड़ रुपये की वृद्धि; बजट व्‍यय 31,550 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 36000 करोड़ रुपये किया गया
    • उत्पादकता और नवाचार के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) अनुप्रयोगों का प्रस्ताव
    • स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं और स्ट्रीट फूड को बढ़ावा देने के लिए चुनिंदा शहरों में 100 साप्ताहिक “हाट” या स्ट्रीट फूड हब शुरू होंगे

    Union Budget 2024-25: केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने संसद में 2024-25 का Union Budget पेश करते हुए कैंसर की तीन अतिरिक्त दवाओं- ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और डर्वालुमैब- को सीमा शुल्क से छूट देने की घोषणा की। देश में 27 लाख कैंसर रोगियों को देखते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को यह अनुरोध भेजा था। इन दवाओं को सस्‍ती दरों पर लोगों को उपलब्‍ध कराने के लिए वित्त मंत्रालय ने सीमा शुल्क से छूट दी है।

    तीन कैंसर दवाएं अर्थात् ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन, ओसिमर्टिनिब और डुरवालुमैब का उपयोग विभिन्न ट्यूमर प्रकारों के लिए किया जाता है।

    1. ट्रैस्टुजुमैब डेरक्सटेकन – स्तन कैंसर
    2. ओसिमेरटिनिब – फेफड़ों का कैंसर; तथा
    3. डुरवालुमाब – फेफड़ों का कैंसर और पित्त नली का कैंसर

    केंद्रीय वित्त मंत्री ने एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों पर सीमा शुल्क दरों में भी संशोधन किया। इन संशोधित दरों से एक्स-रे मशीन उद्योग की कीमतों पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा,  क्‍योंकि इससे कम लागत पर घटक उपलब्धता बढ़ेगी। इस परिवर्तन से घरेलू चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को बढ़ावा मिलने, कम लागत पर घटक उपलब्धता में योगदान देने और स्वास्थ्य सेवा लागत में कमी आने की उम्मीद है। इससे उन्नत चिकित्सा इमेजिंग अधिक सुलभ और सस्ती हो जाएगी।

    राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बजट व्यय में लगभग 4000 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है, जो 31,550 करोड़ रुपये से बढ़कर 36000 करोड़ रुपये किया गया है। राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन केंद्र प्रायोजित योजना है जो मुख्य रूप से राष्ट्र में प्राथमिक और माध्यमिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्‍ध कराती है। सरकार का ध्यान स्वास्थ्य के निवारक और उपचारात्मक पहलुओं को लागू करने के लिए प्राथमिक और माध्यमिक सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में निवेश करना है ताकि बड़े पैमाने पर जनता के खर्च को कम किया जा सके।

    निजी क्षेत्र द्वारा उत्पादकता लाभ, व्यावसायिक अवसरों और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए, बजट में जनसंख्या के पैमाने पर डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना अनुप्रयोगों के विकास का प्रस्ताव है। इन पहलों का उद्देश्य क्रेडिट ई-कॉमर्स, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून और न्याय, लॉजिस्टिक्स, एमएसएमई सेवाएं, वितरण और शहरी शासन सहित विभिन्न क्षेत्रों को बढ़ावा देना है।

    Union Budget 2024-25 में कुछ चयनित शहरों में 100 साप्ताहिक “हाट” या स्ट्रीट फ़ूड हब विकसित करने का प्रस्ताव भी रखा गया है। इस पहल का उद्देश्य स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुद्ढ करना और स्ट्रीट फ़ूड के अनुभव को बढ़ाना है, जिससे शहरी विकास और सामुदायिक जुड़ाव में और अधिक योगदान मिलेगा।

    पृष्ठभूमि:

    कैंसर की दवाएँ:

    ट्रैस्टुजुमाब इंजेक्शन 440 मिलीग्राम/50 मिलीलीटर आवश्यक दवाओं की नई राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) 2022 के तहत एक शेड्यूल दवा है और राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने इसकी अधिकतम कीमत तय कर दी है। वर्तमान में लागू अधिकतम कीमत 54725.21 रुपये प्रति शीशी है, जो कि एसओ1547 (ई) दिनांक 26.03.2024 के अनुसार है। हालांकि, इसका अन्य वेरिएंट शेड्यूल सूची में नहीं हैं। ट्रैस्टुजुमाब अलग-अलग क्षमता और खुराक में आता है और इसका संयुक्त वार्षिक कारोबार 276 करोड़ रुपये से अधिक है।

    अन्य दो दवाएँ यानी ओसिमर्टिनिब और डर्वालुमैब डीपीसीओ, 2013 के तहत गैर-अनुसूचित दवाएँ हैं। इसलिए, एनपीपीए गैर- शेड्यूल फॉर्मूलेशन के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की निगरानी करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पिछले बारह महीनों के दौरान इसमें एमआरपी से 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि न हो। वर्ष 2023-24 के लिए डर्वालुमैब का वार्षिक कारोबार 28.8 करोड़ रुपये था।

    ओसिमर्टिनिब 42 कैंसर रोधी दवाओं की सूची में शामिल है, जिसके लिए व्यापार मार्जिन को एसओ 1041 (ई) दिनांक 27.02.2019 के तहत व्यापार मार्जिन अवलोकन के तहत विनियमित किया गया था। एनपीपीए के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2023-24 के लिए ओसिमर्टिनिब का वार्षिक कारोबार 52.26 करोड़ रुपये था।

    मेडिकल एक्स-रे दवाओं का विनिर्माण:

    मेडिकल एक्स-रे मशीनों और निर्दिष्ट उप-असेंबली/भागों/उप-भागों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, 22 जनवरी 2021 को डीओपी द्वारा एक चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) अधिसूचित किया गया था।  इसके तहत मेडिकल एक्स-रे मशीनों और एक्स-रे मशीनों के विनिर्माण में उपयोग किए जाने वाले निर्दिष्ट उप-असेंबली/भागों/उप-भागों पर चरणबद्ध तरीके से बढ़ती दर पर टैरिफ परिवर्तन प्रस्तावित किए गए थे।

    चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) का उद्देश्य मेडिकल एक्स-रे मशीन और संबंधित सब-असेंबली/पार्ट्स/सब-पार्ट्स उद्योग को इस क्षेत्र में अपने निवेश की योजना बनाने और एक्स-रे मशीन और संबंधित सब-असेंबली/पार्ट्स/सब-पार्ट्स पर बढ़ते शुल्क ढांचे को ध्यान में रखते हुए घरेलू उत्पादन बढ़ाने में सक्षम बनाना था। इससे घरेलू मूल्य संवर्धन में वृद्धि होने और भारत में एक मजबूत मेडिकल एक्स-रे मशीन विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित होने की उम्मीद थी।

    हालांकि, उद्योग ने फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने कहा था कि देश में एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों के लिए विनिर्माण क्षमता अभी तक विकसित नहीं हुई है और इन वस्तुओं से संबंधित चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) अनुसूची में संशोधन के लिए अनुरोध किया है। इस संबंध में, सावधानीपूर्वक जांच के बाद, यह पाया गया कि घरेलू जरूरत को पूरा करने के लिए एक्स-रे ट्यूब और फ्लैट पैनल डिटेक्टरों के लिए पर्याप्त घरेलू क्षमता स्थापित करने में कम से कम दो साल लग सकते हैं। इसके बाद, विभाग ने 24.5.2024 के कार्यालय ज्ञापन के माध्‍यम से संशोधित दरों के लिए राजस्व विभाग से अनुरोध किया है। वित्त मंत्रालय ने अधिसूचना संख्या 30/2024-सीमा शुल्क दिनांक 23 जुलाई, 2024 (क्रम सं. 71) के जरिए विभाग द्वारा यथा प्रस्तावित वस्तुओं के लिए शुल्क दरों को संशोधित किया है।

    source: https://pib.gov.in/


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