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  • Ratan Naval Tata के अंतिम सफर पर… पहले प्रेयर, फिर अहनावेति, जानें कैसे होगा संस्कार

    Ratan Naval Tata के अंतिम सफर पर… पहले प्रेयर, फिर अहनावेति, जानें कैसे होगा संस्कार

    Ratan Naval Tata की अंतिम श्रद्धांजलि में किन प्रथाओं का पालन किया जाएगा।

    भारत मां के लाल उद्योगपति रतन टाटा की मौत से देश शोक में है। महाराष्ट्र और झारखंड में राजकीय शोक घोषित किया गया है। हर कोई जानना चाहता है कि रतन टाटा की मौत के बाद उनकी अंतिम श्रद्धांजलि में किन प्रथाओं का पालन किया जाएगा। हम इसके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। Ratan Tata पारसी है। इसलिए पारसी मान्यताओं से उनका अंतिम संस्‍कार किया जाएगा। उनके पार्थिव शरीर को वरली के पारसी शमशान भूमि में ले जाया जाएगा।

    प्रेयर हॉल में पार्थिव शरीर को पहले रखा जाएगा। प्रेयर हॉल में लगभग 200 लोग रह सकते हैं। रतन टाटा की आत्मा की शांति के लिए प्रेयर करना लगभग चालीस पांच मिनट तक चलेगा। प्रार्थना हॉल में पारसी प्रथा के अनुसार “गेह-सारनू” पढ़ा जाएगा। रतन टाटा के पार्थिव शरीर पर एक कपड़े का टुकड़ा रखकर पहला अध्याय पूरा पढ़ा जाएगा। ये शांति की प्रार्थना करने का एक तरीका है। मृत शरीर को प्रेयर प्रक्रिया के बाद इलेक्ट्रिक अग्निदाह में डालकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

    पारसी समाज ने बदला संस्‍कार का तरीका!

    प्राप्त जानकारी के अनुसार, एक पारसी परंपरा के अनुसार शव को एक प्रकाश घर में रखा जाता है। ताकि चील-कोवे और गिद्ध शव को खा लें। ऐसा करने का मानना है कि शव अपवित्र है। उसे पानी, आसमान या जमीन में बहाया नहीं जा सकता। इसलिए पारसी समाज शव को प्रकाशगृह में रखता है। ताकि गिद्धों और चील-कोवों खा सके। यह पारसी समाज में बहुत चर्चा का विषय था। पर्यावरण के लिए यह उचित नहीं था। बातचीत में सभी ने निष्कर्ष निकाला कि शव को राख में बदलना ही उचित होगा।


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