भारत-जर्मनी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग ने साझेदारी के 50 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया: Dr. Jitendra Singh ने प्रमुख उपलब्धि और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला
- भारत, जर्मनी के साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग के एक नए युग के लिए तैयार: डॉ. जितेंद्र सिंह
- जर्मनी ने भारत के चंद्र मिशन की प्रशंसा की और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग में “मूनशॉट महत्वाकांक्षा” का आह्वान किया
- भारत और जर्मनी ने नवाचार, प्रौद्योगिकी और अनुसंधान साझेदारी को प्रोत्साहन देने के लिए तीन ऐतिहासिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए
- भारत के अंतरिक्ष और जैव प्रौद्योगिकी विकास को भारत-जर्मनी साझेदारी में प्रमुख उपलब्धि के रूप में रेखांकित किया गया
Dr. Jitendra Singh: पिछले 10 वर्षों में भारत-जर्मनी सहयोग में कई गुना वृद्धि हुई है”। यह बात केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने उस समय कही, जब जर्मनी की संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्री सुश्री बेट्टीना स्टार्क-वाटजिंगर ने उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत जर्मनी सहयोग के स्वर्ण जयंती समारोह पर बधाई दी।
आज सुबह राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंची जर्मनी की मंत्री का पहला कार्यक्रम भारत के विज्ञान मंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिध मंडल बैठक थी।
भारत और जर्मनी ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सफल सहयोग के 50 वर्ष पूरे होने पर एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और जर्मनी की संघीय शिक्षा और अनुसंधान मंत्री सुश्री बेट्टीना स्टार्क-वाटजिंगर भी शामिल हुईं। नई दिल्ली में आयोजित स्वर्ण जयंती समारोह में इस दीर्घकालिक साझेदारी के माध्यम से प्राप्त उल्लेखनीय प्रगति को दर्शाया गया र आने वाले दशकों में और अधिक गहन सहयोग के लिए मंच तैयार किया गया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभा को संबोधित करते हुए इस बात पर बल दिया कि पिछले एक दशक में विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत-जर्मनी साझेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसने विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में दोनों देशों की प्रगति में योगदान दिया है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने कहा, “यह स्वर्णिम सहयोग की स्वर्ण जयंती है।” “50 वर्ष पहले जो सहयोग शुरू हुआ था, वह एक मजबूत, बहुआयामी संबंध में बदल गया है जिसने अंतरिक्ष अनुसंधान से लेकर जैव प्रौद्योगिकी और जलवायु कार्रवाई से लेकर आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस तक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लगभग हर पहलू को शामिल क या है।”
उन्होंने दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदायों की सक्रिय भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने में उनका समर्पण महत्वपूर्ण रहा है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “पिछले 50 वर्षों ने एक ठोस नींव रखी है और मुझे विश्वास है कि अगले 50 वर्ष दोनों देशों के लिए और भी अधिक प्रभावशाली नवाचार और सफलताएं लेकर आएंगे। भारत और जर्मनी मिलकर अत्याधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रौद्योगिकी नवाचार के माध्यम से वैश्विक चुनौतियों का समाधान क ना जारी रखेंगे।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में वैश्विक नेतृत्व के रूप में भारत के उदय की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा, “भारत की अंतरिक्ष यात्रा ने एक बड़ी छलांग लगाई है, जिसका समापन हमारे चंद्रयान-3 मिशन के माध्यम से हुआ, जिसने भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना दिया।” “यह प्रमुख उपलब्धि निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष क्षेत्र के खुलने के साथ, अंतरिक्ष अनुसंधान के भविष्य को अपनाने के लिए भारत की प्ति बद्धता को दर्शाता है।”
केंद्रीय मंत्री ने भारत के वैज्ञानिक परिदृश्य को बदलने में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका को भी रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत में 10 वर्षों की अवधि में केवल 50 बायोटेक स्टार्टअप से बढ़कर 8,000 से अधिक हो गए हैं। उन्होंने भारत की बायो-ई3 पहल की हाल ही में शुरूआत पर प्रकाश डाला, जो पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी पर केंद्रित है। उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि अगली औद्योगिक क्रांति को आगे बढ़ाने में जैव प्रौद्योगिकी एक प्रमुख भूमिका निभाएगी और भारत पहले से ही इस क्षेत्र में अग्रणी नेतृत्व के रूप में खुद को स्थापित कर रहा है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन में आम आदमी के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के व्यापक निहितार्थों के बारे में बात की। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि मोदी सरकार के अंतर्गत भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि वैज्ञानिक प्रगति जनता के लिए, विशेष रूप से स्वास्थ्य सेवा, कृषि और जलवायु कार्रवाई जैसे क्षेत्रों में ठोस लाभ में बदल सके। मंत्री महोदय ने बल देकर कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अंततः लोगों की सेवा करनी चाहिए। चाहे वह हर घर में प्रवेश करने वाली अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी हो या स्वास्थ्य सेवा को अनुकूलित करने में सहायता करने वाली एआई, हम रा लक्ष्य आम आदमी के लिए जीवन को आसान बनाना है।”
डॉ. जितेंद्र सिंह ने भविष्य के बारे में, आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस, क्वांटम प्रौद्योगिकी और हरित हाइड्रोजन ईंधन जैसे उभरते क्षेत्रों में जर्मनी के साथ सहयोग करने की भारत की प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने भारत के गहराई वाले समुद्री अभियान का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य महासागर के विशाल संसाधनों का पता लगाना है, एक ऐसा क्षेत्र जहां भारत-जर्मन सहयोग फल-फूल सकता है। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “जैसा कि हम नए क्षेत्रों की खोज जारी रखते हैं, यह महत्वपूर्ण है कि हम न केवल सरकार-से सरकार, बल्कि निजी क्षेत्र में सहयोग के माध्यम से भी मिलकर काम करें।”
जर्मनी की संघीय मंत्री सुश्री बेट्टीना स्टार्क-वाटजिंगर ने दोनों देशों के बीच सहयोगात्मक भावना के लिए जर्मनी की गहरी प्रशंसा की। उन्होंने अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी में भारत की हालिया प्रगति, विशेष रूप से इसके चंद्रमा पर सफलतापूर्वक पहुंचने की प्रशंसा की और वैश्विक चुनौतियों से निपटने में निरंतर साझेदारी की आवश्यकता पर बल दिया। सुश्री स्टार्क-वाटजिंगर ने कहा, “हमें चंद्रमा पर उतरने की महत्वाकांक्षा की आवश्यकता है। भारत ने पहले ही चंद्रमा पर उतरकर और सूर्य पर जांच करके अपनी क्षमता दिखाई है। हमारे पास न केवल अतीत का उत्सव मनाने के लिए बल्कि हमारे सहयोग में भविष्य की प्रमुख उपलब्धि की प्रतीक्षा करने के लिए भी कारण उपस्थित हैं।”
सुश्री स्टार्क-वाटजिंगर ने ऊर्जा, खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों का समाधान करने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “एक ऐसी दुनिया जहां ऊर्जा के बारे में कोई चिंता न हो, जहां खाद्य आपूर्ति सुरक्षित हो और जहां अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा को बेहतर बनाया जाए, वह हमारी पहुंच में है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से, हम मिलकर दुनिया को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं।” उन्होंने मानवता के लाभ के लिए भा त और जर्मनी के बीच संबंधों को प्रगाढ करने के महत्व पर बल दिया।
इस कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान प्रशिक्षण समूह की सफल स्थापना भी की गई, जो भारत और जर्मनी के बीच एक संयुक्त पहल है। यह पहल सुपर-मॉलिक्यूलर मैट्रिक्स में फोटोल्यूमिनेसेंस पर केंद्रित है डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस सहयोग को दोनों देशों की वैज्ञानिक क्षमता का प्रमाण बताया और द्विपक्षीय अनुसंधान और विकास के भविष्य के बारे में आशा व्यक्त की।
इस कार्यक्रम के दौरान विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत जर्मन सहयोग को और मजबूत करने के लिए तीन महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। पहला समझौता ज्ञापन, संयुक्त आशय घोषणा (जेडीआई), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर और जर्मन अकादमिक विनिमय सेवा (डीएएडी) के अध्यक्ष प्रोफेसर जॉयब्रत मुखर्जी के बीच हस्ताक्षरित किया गया। इस समझौते का उद्देश्य विनिमय कार्यक्रम के माध्यम से नवाचार और इंक्यूबेशन इकोसिस्टम को बढ़ाना, नीति निर्माताओं, स्टार्टअप इंक्यूबेशन पेशेवरों और दोनों देशों के डीप-टेक स्टार्टअप के बीच ज्ञान साझा करना है। डॉ. जितेंद्र सिंह और सुश्री बेट्टीना स्टार्क-वाटजिंगर ने हस्ताक्षर के समय वैज्ञानिक प्रगति के लिए सामूहिक विशेषज्ञता का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
इंडो-जर्मन विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी केंद्र (आईजीएसटीसी) और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) के बीच एक और समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका प्रतिनिधित्व क्रमशः श्री आर. मधान और श्री एन. चंद्रशेखर ने किया। यह साझेदारी अक्षय ऊर्जा, कार्बन कैप्चर, ग्रीन हाइड्रोजन और नवीन तकनीकों पर केंद्रित होगी। बीपीसीएल जर्मन भागीदारों के साथ संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं का समर्थन करने और द्विपक्षीय कार्यशालाओं की मेजबानी करने के लिए सालाना 10 करोड़ रुपये प्रदान करेगा। इसके अतिरिक्त, जेएनसीएएसआर के प्रो. ईश्वरमूर्ति एम. और डीईएसवाई के प्रो. फ्रांज एक्स. कैरटनर ने पेत्रा-III चरण 2 कार्यक्रम को दो और वर्षों के लिए विस्तारित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे फोटॉन विज्ञान अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा इन समझौतों से दोनों देशों के बीच वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और जर्मन संघीय मंत्री सुश्री बेट्टीना स्टार्क-वाटजिंगर द्वारा एक प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया, जिसमें प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों द्वारा विकसित अभिनव उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी में अक्षय ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति पर प्रकाश डाला गया। दोनों मंत्रियों ने प्रदर्शित नवाचारों की प्रशंसा की, वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की उनकी क्षमता पर बल दिया। डॉ. जितेंद्र सिंह और सुश्री स्टार्क वाटजिंगर ने भारतीय शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स के योगदान की प्रशंसा की, दोनों देशों में सतत विकास और तकनीकी प्रगति को आगे बढ़ाने में ऐसे नवाचारों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने अपने संबोधन का समापन करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि भारत और जर्मनी की विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी बढ़ती रहेगी और विकसित होगी, जिससे नवाचार को प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे न केवल दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को लाभ होगा। उन्होंने कहा, “हम विज्ञान-संचालित वैश्विक प्रगति के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं और भारत जर्मनी सहयोग इस परिवर्तन में सबसे आगे रहने के लिए अच्छी स्थिति में है।”
इस कार्यक्रम में भारत और जर्मनी दोनों देशों की कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया, जिससे द्विपक्षीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी साझेदारी के महत्व पर और अधिक ध्यान दिया गया। प्रमुख उपस्थित लोगों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रो. अभय करंदीकर, प्री कॉम्पिटिटिव रिसर्च के निदेशक और अनुभाग प्रमुख डॉ. जोहान फेकल और जर्मन रिसर्च फाउंडेशन के उपाध्यक्ष प्रो. करिन जैकब्स शामिल थे।
जर्मन अकादमिक एक्सचेंज सर्विस (डीएएडी) के अध्यक्ष प्रो. जॉयब्रत मुखर्जी, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आईएनएसए) के अध्यक्ष प्रो. आशुतोष शर्मा और डीएसटी में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के प्रमुख डॉ. प्रवीणकुमार सोमसुंदरम भी इस अवसर पर मौजूद थे।source: http://pib.gov.in