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  • Nayab Cabinet ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर ध्यान दिया, जिसमें 14 सदस्यों सहित 36 बिरादरी शामिल थीं

    Nayab Cabinet ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों पर ध्यान दिया, जिसमें 14 सदस्यों सहित 36 बिरादरी शामिल थीं

    Nayab Cabinet ने हरियाणा में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर तीसरी बार सरकार बनाई है। इसके साथ ही बीजेपी नेता नायब सिंह सैनी ने अपनी दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। 13 अन्य नेताओं ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली, उनके साथ।

    Nayab Cabinet: बीजेपी ने हरियाणा में ऐतिहासिक जीत दर्ज कर तीसरी बार सरकार बनाई है। इसके साथ ही बीजेपी नेता नायब सिंह सैनी ने अपनी दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। 13 अन्य नेताओं ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली, उनके साथ। नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में भी कई जातियां शामिल हैं। सैनी ने अपनी दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद हरियाणा का 19वां मुख्यमंत्री बने  है। हालांकि, वह राज्यपाल बनने वाले 11वें नेता है। अब मंत्रिमंडल में किस जाति का नेता मंत्री बनाया गया है?

    नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में जान, गुर्जर, ओबीसी, एसी, ब्राह्मण, यादव और वैश्य समाज के लोग हैं। बीजेपी ने इन नेताओं को कैबिनेट में शामिल करने का प्रयास किया है ताकि अधिक से अधिक लोगों को हरियाणा में शामिल किया जा सके। मंत्रिमंडल में बीसी-ओबीसी, पंजाबी, एससी, जाट, यादव, ब्राह्मण, राजपूत, गुर्जर और वैश्य से एक नेता शामिल हैं।

    कैबिनेट में सबसे अधिक प्राथमिकता ओबीसी समुदाय के नेताओं को दी गई है क्योंकि बीजेपी का पूरा ध्यान हरियाणा में ओबीसी वोटों पर रहा है। ओबीसी के पांच मंत्री हैं: दो यादव, एक सैनी, एक प्रजापति और एक गुर्जर। नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री और रणबीर गंगवा को मंत्री बनाया गया है, दोनों प्रजापति समुदाय से हैं। कैबिनेट में आरती राव और राव नरवीर सिंह, दोनों यादव हैं। गुर्जर समाज का राजेश नागर मंत्री बन गया है।

    बीजेपी ने राव इंद्रजीत की बेटी को कैबिनेट में स्थान देने के साथ-साथ राव नरवीर सिंह को भी कैबिनेट में शामिल करके राजनीतिक एकता बनाने की कोशिश की है। BJP ने अहिरवाल बेल्ट में कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों को यादव वोटों से हराया है। यही कारण है कि यादव समुदाय को राजनीतिक संदेश देने में खास तवज्जे दी गई है। हरियाणा में ओबीसी मतदाताओं का बड़ा हिस्सा बीजेपी के साथ था, जो 35 से 40 प्रतिशत के बीच है। इसलिए पांच मंत्री ओबीसी से हैं।

    मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, जो जाट-दलित-ब्राह्मण की एक कैमिस्ट्री है, को बीजेपी ने सत्ता सौंप दी है, लेकिन उन्होंने दलितों और ब्राह्मणों को अपना मूल वोटबैंक बनाने के लिए खास ध्यान दिया है। मंत्री अरविंद शर्मा और गौरव गौतम ब्राह्मण हैं। नायब सैनी सरकार में दो दलित नेताओं की नियुक्ति हुई है, क्योंकि दलित वोटों को लेकर विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें अपने साथ जोड़ लिया है। कृष्ण लाल पंवार और कृष्ण बेदी दलित चेहरे हैं। पंवार जाटव जाति से हैं, जबकि कृष्णा बेदी वाल्मिकी जाति से हैं।
    हरियाणा की राजनीतिक व्यवस्था को देखते हुए बीजेपी ने जाटों को भी मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। सैनी सरकार में जाट समुदाय से श्रुति चौधरी और महिपाल ढांडा शामिल हैं। सूबे में 25% से अधिक जाट मतदाता हैं, और बीजेपी ने जाटलैंड में अपनी जीत से जाटों को मंत्रिमंडल में स्थान देकर राजनीतिक संदेश देने का दांव चला है।

    बीजेपी ने पंजाबी-वैश्य-ठाकुरों को कैबिनेट में शामिल करते हुए पंजाबी समुदाय को अपना मूल वोटबैंक बनाया है। सात बार अंबाला छावनी से चुनाव जीतकर आए पूर्व गृह मंत्री अनिल विज को इस बार मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। इसके अतिरिक्त, वैश्य समुदाय से विपुल गोयल को मंत्री पद पर नियुक्त किया गया है। बीजेपी ने वैश्यों को भी साधे रखने का दांव चला है, जैसे पंजाबी समाज। इसी तरह, ठाकुर समुदाय से श्याम सिंह राणा को पार्टी ने मंत्री बनाया है।

    हरियाणा में क्षेत्रीय समानता का प्रयास: नायब सिंह सैनी ने कैबिनेट के जरिए हरियाणा में क्षेत्रीय और जातीय समानता का प्रयास किया है। बीजेपी ने दक्षिण हरियाणा में बड़ी जीत दर्ज की थी। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ने इसके बाद खुलकर दक्षिण हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने की मांग की थी। दक्षिण हरियाणा में बीजेपी ने सीएम नहीं बनाया, लेकिन बहुत सारे लोगों को प्रतिनिधित्व दिया है। छह मंत्री दक्षिण हरियाणा से हैं: गौरव गौतम, विपुल गोयल, राजेश नागर, श्रुति चौधरी, राव नरबीर और आरती राव।

    मुख्यमंत्री का ताज जीटी रोड बेल्ट से आने वाले नायब सिंह सैनी के सिर पर लगाया गया है। इसके अलावा, जीटी रोड बेल्ट से चार वरिष्ठ नेता (अनिल विज, महिपाल ढांडा, कृष्ण लाल पंवार, कृष्ण बेदी) को मंत्री बनाया गया है। बीजेपी ने इस तरह कुरुक्षेत्र, अंबाला और पानीपत जिलों के माध्यम से जीटी रोड बेल्ट को मजबूत बनाए रखने की रणनीति अपनाई है। साथ ही, बीजेपी ने हिसार जिले से चुनाव जीतकर पश्चिम हरियाणा से रणबीर गंगवा को मंत्रिमंडल में स्थान दिया है। इस तरह सिर्फ अरविंद शर्मा को जाटलैंड का मंत्री बनाया गया है। जाटलैंड और पश्चिमी हरियाणा के नेताओं को सैनी कैबिनेट में कोई विशिष्ट स्थान नहीं मिला है।

    नायब सिंह सैनी के मंत्रिमंडल में अनिल विज पंजाबी हैं और 15 मार्च 1953 को 71 वर्ष की उम्र में जन्मे हैं. विज ने कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ी चित्रा सरवारा को 7277 वोटों से हराया। 1990 में विज ने पहली बार चुनाव जीता था, फिर 1996, 2000, 2009, 2014, 2019 और अब 2024 में। विज मनोहर लाल सरकार में भी मंत्री रहे हैं। भाजपा के इकलौते विधायक हैं जो सबसे अधिक जीत हासिल की हैं।

    कृष्ण लाल पवार (SC), जिसका जन्म 1 जनवरी 1958 को हुआ था, 2024 के विधानसभा चुनाव में 13895 वोटों से कांग्रेस के बलबीर बाल्मीकि को हराकर छठी बार विधायक चुने गए। वह 1991, 1996, 2000, 2009, 2014 में विधायक रहा है। वह हरियाणा सरकार में परिवहन एवं आवास मंत्री रहे हैं जब वह मनोहर सरकार के पार्ट वन में थे। Paver ने राजनीतिक करियर की शुरुआत इनेलो से की, फिर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गया।

    राव नरबीर सिंह को सैनी सरकार में दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। बादशाहपुर सीट से विधायक हैं राव नरबीर सिंह, यादव समाज के प्रसिद्ध नेता। बादशाहपुर सीट गुरुग्राम से सटी है। वह चौथी बार सांसद बन गए हैं।

    कैबिनेट मंत्री पद की शपथ लेने वाले महिपाल ढांडा जाट समाज के हैं। वह तीसरी बार पानीपत ग्रामीण से विधायक चुने गए हैं। विकास एवं पंचायत एवं सहकारिता राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में हिमाल ढांडा पहले भी राज्य सरकार में काम कर चुके हैं।

    विपुल गोयल, वैश्य समाज का प्रतिनिधि, फिर से मंत्री बन गया। फरीदाबाद की सीट पर वह विधायक चुने गए हैं। 2016 में वह खट्टर सरकार में पहली बार मंत्री बने। 2019 में उनके पास टिकट नहीं था। उन्होंने एक बार फिर टिकट मिलने के बाद बड़ी जीत हासिल की है।

    सोनीपत जिले की गोहाना सीट से विधायक चुने गए डॉ. अरविंद कुमार शर्मा ने डेंटल सर्जन से राजनीति के महारथी बनने की शपथ ली है। 2014 में शर्मा ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी। वह चार बार सांसद चुनाव जीता है। बीजेपी ने उनको एक प्रमुख ब्राह्मण चेहरा के रूप में प्रस्तुत किया। शर्मा एक दंत सर्जन हैं।

    2019 में टिकट कट गया था, लेकिन अब बीजेपी ने हरियाणा सरकार में राजपूत चेहरा श्याम सिंह राणा को कैबिनेट मंत्री बनाया है। वह यमुनानगर में इंडियन नेशनल लोकदल से विधायक भी रहे हैं। 2014 में राणा बीजेपी से विधायक बने। 2019 में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। लेकिन बीजेपी ने 2020 में कृषि कानूनों का विरोध किया था।

    तीसरी बार विधायक बने रणबीर गंगवा अब बरवाला विधानसभा सीट से मंत्री बन गए हैं. उन्होंने 2014 में पहली बार चुनाव जीता था। वह पहली बार नलवा से विधायक बन गया। मंत्री बनने वाले गंगवा ओबीसी समाज से हैं और पहले हरियाणा विधानसभा में डिप्टी स्पीकर रहे हैं।

    बीजेपी ने भी कृष्ण कुमार बेदी को दलित नेता बताया है। 2014 में, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के राजनीतिक सचिव कृष्ण कुमार बेदी को राज्यमंत्री बनाया गया। 2014 में, जींद जिले की नरवाना सीट से विधायक चुने गए कृष्ण कुमार ने शहबाद सीट पर भी चुनाव जीता था।

    मंत्री भी बनीं बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी, पूर्व प्रधानमंत्री बंसीलाल की पौत्री, कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रही हैं। श्रुति चौधरी और उनकी मां किरण चौधरी ने विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे। 2009 से 2014 तक श्रुति भिवानी से कांग्रेस सांसद रही हैं। वह हरियाणा सरकार में मंत्री बनी हैं। वह जाट जाति से हैं।

    केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव भी हरियाणा के कैबिनेट मंत्री बनीं। अटेली से बीजेपी विधायक आरती राव हैं। वह समाज की सबसे अमीर परिवार से हैं।

    सबसे युवा मंत्री गौरव गौतम हैं, जो ब्राह्मण समाज से हैं। उन्हें राज्यमंत्री पद की शपथ दी गई है। 36 वर्षीय गौरव, केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का निकट मित्र है। वह पलवल से निर्वाचन जीता है। गौरव ने पूर्व कांग्रेसी मंत्री करण सिंह दलाल को हराया था।

    हरियाणा में बीजेपी की तीसरी सरकार में ओबीसी समुदाय को सबसे अधिक प्राथमिकता दी गई है, क्योंकि कैबिनेट में जातीय समीकरण साधा है। कैबिनेट में पांच ओबीसी नेताओं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी हैं। मंत्री भी दलितों से हैं, जाटों से दो और ब्राह्मणों से दो। पार्टी ने अनिल विज को मंत्री बनाकर पंजाबी समुदाय को अपना कोर वोट बैंक बनाया है। इसके अलावा ठाकुरों और वैश्यों को मंत्री बनाया गया है। इस तरह, नायब सैनी ने हरियाणा के सभी लोगों से संपर्क बनाया है।

  • Haryana CM की शपथ समारोह: 17 अक्टूबर को नायब सिंह सैनी शपथ लेंगे, ये हो सकते हैं हरियाणा सरकार में मंत्री बनेंगे

    Haryana CM की शपथ समारोह: 17 अक्टूबर को नायब सिंह सैनी शपथ लेंगे, ये हो सकते हैं हरियाणा सरकार में मंत्री बनेंगे

    Haryana CM की शपथ समारोह: नायब सिंह सैनी हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद 17 अक्टूबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे

    Haryana CM की शपथ समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होंगे। शनिवार को केंद्रीय मंत्री और हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इसकी घोषणा की। नायब सिंह सैनी 17 अक्टूबर को पंचकूला में एक कार्यक्रम में प्रदेश के सीएम पद की शपथ लेंगे,

    चुनावों के दौरान बीजेपी ने संकेत दिया था कि पिछड़े वर्ग से आने वाले सैनी, जो मार्च में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की जगह लेंगे, पार्टी के शीर्ष पद के लिए चुना जाएगा। बीजेपी ने अब तक अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 48 सीटें जीती हैं, जो कांग्रेस की संख्या से 11 अधिक है। इनेलो सिर्फ दो सीट जीत पाया, जबकि जेजेपी और आम आदमी पार्टी (आप) को चुनाव में हराया गया।

    इन दोनों को हरियाणा सरकार में स्थान मिल सकता है

    वर्तमान सैनी कैबिनेट के 10 में से आठ मंत्रियों को हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार मिली, लेकिन महिपाल ढांडा और मूलचंद शर्मा क्रमश: पानीपत ग्रामीण और बल्लभगढ़ सीट पर जीत मिली। नई सरकार में मंत्री पद के संभावित दावेदारों में शामिल हैं, सूत्रों ने कहा, ढांडा, जाट समुदाय से आते हैं, और शर्मा, एक वरिष्ठ नेता और ब्राह्मण व्यक्ति।

    हरियाणा में मुख्यमंत्री सहित अधिकतम 14 मंत्री हो सकते हैं

    हरियाणा में मुख्यमंत्री के अलावा अधिकतम चौबीस मंत्री हो सकते हैं। इस बार भी बीजेपी ने अहीरवाल में बहुमत बरकरार रखा। हरियाणा की 17 सुरक्षित सीटों में से बीजेपी ने आठ पर जीत हासिल की। मंत्री पद की दौड़ में दलित समुदाय के वरिष्ठ नेता कृष्ण लाल पंवार और कृष्ण कुमार शामिल हैं, जो इसराना सीट से विजेता हैं। पंवार ने राज्यसभा में चुनाव लड़ा था। Narwana से जीतने वाले पूर्व विधायक कृष्ण कुमार भी मंत्री बन सकते हैं। पार्टी ने दक्षिण हरियाणा के अहीरवाल क्षेत्र में 11 में से 10 सीट जीती हैं। इस क्षेत्र में अधिकांश उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री और गुड़गांव के सांसद राव इंद्रजीत सिंह के करीबी हैं। राव की बेटी आरती सिंह राव, जो अटेली सीट जीतने के बाद मंत्री पद की दौड़ में हैं, भी इस पद पर हैं।

    नारनौल से विजेता ओम प्रकाश यादव और बादशाहपुर से विजेता वरिष्ठ नेता राव नरबीर सिंह भी मंत्री पद की दौड़ में हैं, सूत्रों ने बताया। आरती के अलावा दौड़ में अन्य महिलाओं में वरिष्ठ नेता किरण चौधरी की बेटी श्रुति (जो तोशाम विधानसभा सीट से जीतीं) और कालका से जीतीं शक्ति रानी शर्मा भी हैं। सूत्रों ने बताया कि विजेता तीनों निर्दलीय विधायकों ने कहा कि वे नई सरकार बनाने पर उसका समर्थन करेंगे. हालांकि, हिसार से विधायक सावित्री जिंदल को मंत्री पद की दौड़ से बाहर नहीं किया गया है।

    ये नेता भी मंत्री बनने की दौड़ में हैं।

    बीजेपी नेता अनिल विज (अंबाला कैंट), श्याम सिंह राणा (रादौर), जगमोहन आनंद (करनाल), हरविंदर कल्याण (घरौंदा), कृष्ण लाल मिड्ढा (जींद), अरविंद कुमार शर्मा (गोहाना), विपुल गोयल (फरीदाबाद), निखिल मदान (सोनीपत) और घनश्याम दास (यमुनानगर) अन्य दावेदारों में शामिल हैं। उचाना कलां सीट से विजेता देवेंदर अत्री भी मंत्रियों की दौड़ में हैं। अत्री ने कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह को हराया। जजपा नेता दुष्यंत चौटाला इस पद पर था।

  • Bihar Politics : बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक दूसरे को बोल रहे हैं झूठा

    Bihar Politics : बिहार की सियासत में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव एक दूसरे को बोल रहे हैं झूठा

    Bihar Politics

    Bihar Politics: अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। सभी राजनीतिक दल समयपूर्व चुनाव की संभावना को देखते हुए विभिन्न प्रकार के तिकड़म कर रहे हैं। CM नीतीश कुमार ने बार-बार कहा कि आरजेडी के साथ जाना उनकी गलती थी। भाजपा के साथ ही रहेंगे। तेजस्वी का दावा है कि उन्होंने नीतीश को दो बार राजनीतिक जीवन दिया है। भाजपा से निराश होकर गिड़गिड़ा रहे थे। जेडीयू और आरजेडी ने फिर से वीडियो फुटेज दिखाकर एक दूसरे को झूठा साबित करने की कोशिश की।

    पिछले चार वर्षों में नीतीश कुमार के स्वभाव में स्पष्ट परिवर्तन देखा गया है। 2005 से बिहार का सीएम नीतीश रहा है। उनमें परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता रही है। 2015 से अब तक, आरजेडी और भाजपा में उनकी आवाजाही होती रही है। वे जिसे छोड़ते हैं, उसके प्रति कटुता स्वाभाविक है.। लेकिन उन्होंने वाणी में कभी शालीनता नहीं छोड़ी। यहां तक कि 2015 में पहली बार भाजपा से अलग होने पर भी, उन्होंने नरेंद्र मोदी या भाजपा के बारे में कोई गलत शब्द नहीं सुना। लालू प्रसाद यादव ने मोदी और भाजपा दोनों पर हमला किया है। नीतीश की यही विशेषता ने उन्हें अन्य राजनीतिज्ञों से अलग रखा है। 2020 के बाद से नीतीश में बदलाव आया है। अब वे गुस्सा होने लगे हैं। वे अपने विरोधियों को कठोर शब्दों से संबोधित करने लगे हैं। उनके स्वभाव में घबराहट और क्रोध शामिल है। राजनीतिक विश्लेषकों ने इस बदलाव के दो कारण बताए हैं। पहला, 2020 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जेडीयू की कमजोरी और दूसरा, बढ़ती उम्र। आरजेडी के साथ जेडीयू भी बिहार की सियासत में भाग ले रहे हैं। नीतीश कुमार ने ऐसी राजनीति कभी नहीं की है।

    बिहार की राजनीति  में वीडियो गेम

    बच्चों को वीडियो गेम अभी भी आकर्षित करते हैं। अब यह राजनीति में भी है। बिहार में पिछले कई दिनों से फुटेज और वीडियो की आवाज आ रही है। आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पहले वीडियो की बतकही शुरू की। उन्होंने कहा कि उन्होंने नीतीश कुमार को दो बार राजनीतिक जीवन दिया है। लालू यादव और उनके सामने नीतीश कुमार जब ‘गिड़गिड़ा’ रहे थे तो आरजेडी ने उनका साथ दिया। इस पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। तेजस्वी ने कहा कि अगर कोई साक्ष्य है तो उसे सार्वजनिक करना चाहिए। शुक्रवार को आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने एक वीडियो फुटेज जारी किया। उसकी आवाज स्पष्ट नहीं है, लेकिन बोलते समय नीतीश कुमार पूर्व प्रधानमंत्री राबड़ी देवी को अभिवादन करते हुए दिख रहे हैं।

    अब चौधरी ने तीन फुटेज  दिखाए

    आरजेडी ने अशोक चौधरी की चुनौती पर नीतीश कुमार के कथित रूप से “गिड़गिड़ाने” का फुटेज जारी किया, जिसे जेडीयू ने खारिज कर दिया। शनिवार को अशोक चौधरी ने तीन वीडियो फुटेज जारी करते हुए कहा कि तेजस्वी को गिड़गिड़ाने और आग्रह का शाब्दिक अर्थ नहीं मालूम है। लालू यादव ने पहले वीडियो में बताया कि नीतीश ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने में क्या भूमिका निभाई है। दूसरे में तेजस्वी नौकरी पर बोलते दिख रहे हैं। तीसरे वीडियो में लालू यादव बताते हैं कि हमने पहले नीतीश को फोन किया था। दोनों पक्षों के तीनों फुटेज से बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हो रहा है। नीतीश कुमार पर भी आरोप लगाए जाते हैं। अशोक चौधरी को इसकी अनुमति देना उनके स्वभाव में आए परिवर्तन का संकेत है।

    CM इस तरह की राजनीति से दूर रहे हैं।

    CM नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में ऐसी राजनीति कभी नहीं हुई है। अब वे बात-बात पर रोते हैं। विधानसभा हो या सार्वजनिक मंच, उनके तेवर से स्पष्ट है कि वे क्रोधित हैं। जब भी उनकी कड़ी आलोचना हुई है, वे चुपचाप अपना काम करते रहे हैं। नीतीश ने विपक्ष की आलोचनाओं को अनदेखा किया, जब कई बच्चों ने सारण जिले में मिड डे मील खाकर मर गए। नीतीश ने शराबबंदी के तुरंत बाद गोपालगंज में जहरीली शराब से मौतों की आलोचना झेली, लेकिन खामोश रहे। बाद में सारण में ऐसी ही मौतें हुईं तो नीतीश विपक्ष की आलोचना से घबरा गए। तब उन्होंने सब कुछ भूलकर स्पष्ट रूप से कहा कि जो पिएगा, वह मरेगा। ऐसी मौतों पर सरकार कोई मुआवजा भी नहीं देगी। अब वे लालू यादव के पारिवारिक जीवन पर भी टिप्पणी करते हैं। लालू के कई  बच्चे होने पर भी उन्होंने तंज कसते हैं। 2020 में यह परिस्थिति शुरू हुई है।

    43 सीटें मिलने पर तेवर बदले गए

    केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने नीतीश की निराशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 2020 के विधानसभा चुनाव में लोजपा नेता चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारे जाने के बाद से उनका असंतोष दिखने लगा। चिराग ने जेडीयू को तीन दर्जन सीटें खो दीं। जेडीयू को सिर्फ चार दर्जन सीटें मिलीं। इसके बाद से ही उनका क्रोध बढ़ा। वे सदन में ही विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा से उलझ गए। उन्होंने सदन में तेजस्वी यादव पर भी हमला बोला। विधानसभा में उन्होंने जीतन राम मांझी को कुछ नहीं बताया। उन्होंने गुस्से से एनडीए छोड़कर 2022 में आरजेडी में शामिल हो गया।

    नीतीश को एक बार फिर चिराग ने बिदका दिया।

    चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को एक बार फिर बदनाम करने की कोशिश की है। वे अपनी पार्टी लोजपा (आर) के लिए चालिस सीटें चाहते हैं। चिराग ने मटिहानी और शेखपुरा में अपने उम्मीदवारों की घोषणा की है। चिराग की पार्टी, जो बाद में जेडीयू में शामिल हो गई, पिछली बार मटिहानी सीट से जीता था। शेखपुरा में जेडीयू उम्मीदवार जीत नहीं पाया। चिराग के उम्मीदवार को 14 हजार वोट मिले, जबकि जेडीयू के उम्मीदवार को 6100 वोट मिले। नीतीश को इस बार भी चिराग के पैंतरे से कठिनाई होती दिखती है। पिछली बार की तरह इस बार भी चिराग ने एनडीए में विद्रोह करने का फैसला किया तो इससे अधिक नुकसान नीतीश को होगा। जन सुराज के शांत किशोर चिराग पासवान भी मुसीबत में हैं। तेजस्वी और नीतीश कुमार भी उनके निशाने पर हैं। इसी से नीतीश कुमार का क्रोध बढ़ा है। उन्हें अतीत की गलती भी वर्षों से भुगतनी पड़ी है। यदि वे पाल नहीं बदलते तो भाजपा नेताओं को बार-बार बताने की जरूरत नहीं होती।

  • CM Arvind Kejriwal अंततः जेल से बाहर..। द‍िल्‍ली सरकार पर अब भी मंडरा रहा ये ‘खतरा’, नेता तो न‍िकल गए क्‍या करेगी AAP?

    CM Arvind Kejriwal अंततः जेल से बाहर..। द‍िल्‍ली सरकार पर अब भी मंडरा रहा ये ‘खतरा’, नेता तो न‍िकल गए क्‍या करेगी AAP?

    CM Arvind Kejriwal

    दिल्ली के CM Arvind Kejriwal को कोर्ट ने जमानत दे दी है, लेकिन उन पर पहले की तरह ही बंदिशें लागू हैं। वे सीएम के पद पर रहते हुए न तो कोई फैसला कर सकते हैं, न तो सचिवालय जा सकते हैं। दिल्ली बीजेपी उन्हें “जमानत वाला सीएम” बता रही है। यही कारण है कि दिल्ली में अभी भी राष्ट्रपति शासन की तलवार लटकी हुई है। यहां बहुत से बीजेपी नेता राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रहे हैं।

    जयललिता, हमेंत सोरेन की मिसाल

    कानून के कुछ जानकार भी पहले की घटनाओं का हवाला दे कर कह रहे हैं कि केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए। वे लालकृष्ण आडवाणी, हेमंत सोरेन और जे. जयललिता की भी मिसाल दे रहे हैं।

    सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आर के सिंह ने कहा, “मुख्यमंत्री के न होने से दिल्ली के बहुत सारे काम प्रभावित होते हैं। किसी और व्यक्ति को मुख्यमंत्री पद पर चुना जाना चाहिए। दिल्लीवासी इससे अपना काम करने वाला मुख्यमंत्री पा सकेंगे।”

    दिल्लीवासियों को सीएम चाहिए

    आर के सिंह ने कहा कि जब जयललिता या हेमंत सोरेन पर कानूनी कार्रवाई हुई, तो उन्होंने दूसरे को मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया, जिससे राज्य का काम सुचारु रूप से चलता रहा। . फिर जमानत मिलने पर हेमंत सोरेन दुबारा मुख्यमंत्री बन गए। लालकृष्ण आडवाणी ने भी इसी तरह पद छोड़ दिया था।

    सीबीआई ने उनकी जमानत को खारिज कर दिया क्योंकि वे मुख्यमंत्री के पद पर कार्यालय में जाकर दस्तावेजों को बदल सकते हैं। सबूतों को भ्रष्ट कर सकते हैं। यही कारण है कि कोर्ट को उनकी जमानत में ऐसा आदेश देना पड़ा। यद्यपि वे वर्तमान में मुख्यमंत्री हैं, लेकिन अपने विश्वासपात्र मनीष सिसोदिया को मंत्री बनाने की सिफारिश भी करें तो एलजी को कानूनी बाधा लग सकती है। यह संभव नहीं है कि वे अपने नजदीकी सहयोगी को मंत्री बनाकर अपना और पार्टी का काम आसान कर सकें। कोर्ट ने कहा कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर किसी सरकारी दस्तावेज पर भी दस्तखत नहीं कर सकेंगे। सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता आर के सिंह ने कहा कि केजरीवाल विदेश यात्रा भी नहीं कर सकते।

    हरियाणा में प्रचार करने में सक्षम हैं

    हालाँकि, केजरीवाल हरियाणा में चुनाव प्रचार करने के लिए सक्षम हैं। इसमें कोई सीमा नहीं है। जिस तरह से उनकी पार्टी सभी हरियाणा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, इसलिए यह उनकी पहली प्राथमिकता होगी। वे वहां पूरी ताकत से प्रचार करेंगे, लेकिन बीजेपी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन पर हमला करेगी।

  • नामांकन के बाद Vinesh Phogat ने कहा, “मैं  फुल टाइम पॉलिटिशियन, अब कुश्ती में वापसी संभव नहीं।

    नामांकन के बाद Vinesh Phogat ने कहा, “मैं  फुल टाइम पॉलिटिशियन, अब कुश्ती में वापसी संभव नहीं।

    Vinesh Phogat

    Vinesh Phogat: ” उनकी कुश्ती में वापसी असंभव है। उनका कहना था, “मेरे पास जिम्मेदारियां हैं।” मैं पूरी तरह से पॉलिटिशियन हूँ। मैं यह नहीं देखती कि मेरा मेरा प्रतिद्वंद्वी कौन है. मैं देखती हूं कि उसकी कमजोरी क्या है।’

    रेसलर विनेश फोगाट की हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी के बाद जुलाना सीट चर्चा में है। कांग्रेस ने रेसलर विनेश को अपना प्रत्याशी बनाया है। महिला पहलवान ने इस बीच नामांकन किया है।

    विनेश ने कहा, “अब मैं जंग के मूड में हूँ।” सभी कर्मचारियों ने मेहनत की है। हमें प्रत्येक कर्मचारी और टिकट चाहने वाले को सम्मान देना चाहिए। अब मैं कुश्ती पर वापस नहीं जा सकती। मैं सामाजिक जीवन में हूँ। मेरे पास काम हैं। मैं पूरी तरह से पॉलिटिशियन हूँ। मैं अपने प्रतिद्वंद्वी को नहीं देखती । मैं उसकी कमजोरियों को देखती हूँ।विनेश ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि गोपाल कांडा को समर्थन देना बताता है कि भाजपा हमेशा अपराधियों के साथ है।

    जुलाना से कौन लडेगा चुनाव?

    जींद जिले की जुलाना सीट से कांग्रेस ने विनेश फोगाट को मैदान में उतारा है, बीजेपी ने कैप्टन योगेश बैरागी को और जेजेपी ने अपने मौजूदा विधायक अमरजीत सिंह ढांडा को। कविता दलाल को आम आदमी पार्टी से टिकट मिल गया है। पूर्व पायलट और एक बार के विधायक अमरजीत सिंह अब जुलाना की लड़ाई में दो महिला पहलवान के साथ ढांडा मैदान में हैं। बीजेपी ने इस सीट पर कभी जीत नहीं हासिल की है। 2005 में कांग्रेस ने इस सीट को जीता था।

    AAP ने  WWE रेसलर को जुलाना में उतारा

    इस सीट पर आम आदमी पार्टी की महिला रेसलर कविता दलाल ने दांव खेला है। कविता दलाल कुछ समय पहले AAP में आईं। कविता जींद जिले की रहने वाली हैं और यूपी के बागपत जिले में बिजवाड़ा गांव की बहू हैं। वह WWE में भारत की पहली महिला रेसलर हैं। पिछले कुछ दिनों में, कविता ने सूट-सलवार में लोकप्रियता हासिल की।

    कितनी संपत्ति है विनेश फोगाट की?

    विनेश के नामांकन में दिए गए चुनावी हलफनामे के अनुसार, पूर्व भारतीय पहलवान और वर्तमान में कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट की कुल सालाना आय 13 लाख 85 हजार 152 रुपये है. वित्त वर्ष 2022–2023। साथ ही, इनके पति सोमवीर राठी की सालाना आय  3 लाख 44 हजार 220 रुपये है। विनेश फैमिली के पास कुल कैश 2 लाख 10 हजार रुपये है। इसके अलावा, विनेश ने Axis, SBI और ICICI बैंकों में करीब 40 लाख रुपये डिपॉजिट किए हैं। जबकि इनके पति के पास 48,000 रुपये की FD और दो बैंक अकाउंट हैं

  • CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर जाएंगे; PM Modi और Amit Shah से मुलाकात करेंगे; देंगे प्रदेश का रिपोर्ट कार्ड

    CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर जाएंगे; PM Modi और Amit Shah से मुलाकात करेंगे; देंगे प्रदेश का रिपोर्ट कार्ड

    CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली रवाना होंगे:

    CM Yogi Adityanath News: उत्तर प्रदेश के CM Yogi Adityanath आज से तीन दिवसीय दौरे पर दिल्ली रवाना होंगे। अपने दिल्ली दौरे के दौरान CM Yogi Adityanath, Pm Modi, गृह मंत्री Amit Shah और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात करेंगे. CM Yogi आज दिल्ली के लिए रवाना होंगे और शाम को जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं. वहीं, वह कल शनिवार को दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में भी शामिल होंगे। बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक भी शामिल होंगे.

    CM Yogi आज होंगे रवाना

    CM Yogi Adityanath आज शुक्रवार को दिल्ली के लिए रवाना होंगे. नीति आयोग की बैठक कल यहां होगी. इस बैठक में CM Yogi  शामिल होंगे. सूत्रों के मुताबिक, CM Yogi, PM Modi और Amit Shah समेत पार्टी के प्रमुख नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. इस मुलाकात के दौरान CM Yogi, PM Modi को राज्य में चल रही गतिविधियों के बारे में जानकारी देंगे. दरअसल, पिछले कुछ दिनों से बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद सियासी पारा गरमा गया है. केशव प्रसाद द्वारा अपना बयान जारी करने के दो दिन बाद, उन्होंने भाजपा प्रमुख नड्डा से मिलने के लिए दिल्ली की यात्रा की। केशव के बाद बीजेपी अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी भी नड्डा से मिलने दिल्ली पहुंचे. अब CM Yogi भी तीन दिवसीय दिल्ली दौरे पर हैं.

    आगामी चुनाव के लिए रणनीति बनाएंगे

    आपको बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है. इसकी समीक्षा के लिए CM Yogi पिछले कुछ दिनों में विभिन्न विभागों के साथ बैठकें कर चुके हैं और अपने विधायकों से जवाब मांग रहे हैं. CM Yogi ने यह बैठक बुधवार को क्रमश: मुरादाबाद और बरेली मंडल के विधायकों-एमएलसी के साथ की. इन बैठकों के दौरान CM Yogi ने 2024 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारणों की जानकारी ली. इसके अलावा CM Yogi ने आपसी मतभेद भुलाकर आगामी चुनाव की तैयारी करने का भी निर्देश दिया। अपने दिल्ली दौरे के दौरान CM Yogi, PM Modi के साथ आगामी चुनावों की रणनीतियों पर भी चर्चा करेंगे.

  • CM Yogi Adityanath की बैठक में केशव प्रसाद मौर्य फिर नहीं पहुंचे, कई मंत्रियों से मुलाकात की; सियासी गलियारों में चर्चा तेज

    CM Yogi Adityanath की बैठक में केशव प्रसाद मौर्य फिर नहीं पहुंचे, कई मंत्रियों से मुलाकात की; सियासी गलियारों में चर्चा तेज

    CM Yogi Adityanath की बैठक में फिर नहीं पहुंचे केशव प्रसाद मौर्य:

    CM Yogi Adityanath Cabinet Meeting: उत्तर प्रदेश के Deputy CM केशव प्रसाद मौर्य CM Yogi Adityanath द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए, जिससे राजनीति एक बार फिर गरमा गई है। लोकसभा चुनाव के बाद से Deputy CM भाजपा की सभी बैठकों से दूरी बनाए हुए हैं। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। कल गुरुवार को CM Yogi Adityanath ने फिर से मेरठ और प्रयागराज जिलों में बैठक बुलाई और केशव मौर्य इस बैठक में शामिल नहीं हुए. CM आवास के बगल में सरकारी आवास पर रहने के दौरान उन्होंने कई पूर्व और वर्तमान मंत्रियों से मुलाकात की.

    CM ने बुलाई मेरठ और प्रयागराज मंडल की बैठक

    आपको बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है. इसकी समीक्षा के लिए CM Yogi Adityanath पिछले कुछ दिनों में विभिन्न विभागों के साथ बैठकें कर चुके हैं और अपने विधायकों से जवाब मांग रहे हैं. इस संबंध में CM ने गुरुवार को मेरठ और प्रयागराज मंडल की बैठक बुलाई. प्रयागराज मंडल की बैठक में भाजपा के साथ अपना दल (एस) विधायक भी शामिल हुए। बैठक में पूर्व मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, नंद गोपाल गुप्ता उर्फ ​​नंदी समेत सभी विधायक मौजूद रहे. CM ने सभी विधायकों से लोकसभा चुनाव के नतीजों पर चर्चा की और हार के कारणों की जानकारी ली. लेकिन Deputy CM केशव प्रसाद मौर्य लखनऊ में होते हुए भी बैठक में शामिल नहीं हुए.

    उपमुख्यमंत्री ने मुलाकात की इन मंत्रियों से 

    सूत्रों के मुताबिक, Deputy CM के कुछ करीबी लोगों ने बताया कि जब CM Yogi बैठक कर रहे थे, उसी समय Deputy CM का भी कार्यक्रम था. इसलिए वह बैठक में भाग लेने में असमर्थ थे। वहीं, Deputy CM ने अपने आवास पर नेताओं व जनप्रतिनिधियों से मिलते रहे. गुरुवार को पूर्व मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ ​​मोती सिंह, पूर्व मंत्री उपेंद्र तिवारी और प्रदेश मंत्री दिनेश कार्तिक समेत कई लोगों ने केशव से मुलाकात की.

  • CM Yogi Adityanath और केशव प्रसाद मौर्य के बीच खींचतान बढ़ी! समझिए 3 दिन में 3 नए मामलों से !

    CM Yogi Adityanath और केशव प्रसाद मौर्य के बीच खींचतान बढ़ी! समझिए 3 दिन में 3 नए मामलों से !

    CM Yogi Adityanath और केशव प्रसाद मौर्य के बीच बढ़ी खींचतान:

    CM Yogi Adityanath News: लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भारतीय जनता पार्टी के अंदर खींचतान तेज हो गई है. पार्टी के अंदर एक ‘विरोध’ बनता दिख रहा है. मंत्रियों के बीच गुटबाजी भी स्पष्ट है. अंदरखाने की ये बातें 14 जुलाई को बीजेपी की राज्य कार्यकारिणी की बैठक के दौरान उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के अलग सुर में आने के बाद सामने आई हैं और उन्होंने कहा था कि सरकार से बड़ा संगठन है. इसे अप्रत्यक्ष रूप से CM Yogi Adityanath की कार्यशैली पर सवालिया निशान के तौर पर देखा जा रहा है. इसके बाद से पार्टी के दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच मनमुटाव की खबरें सामने आ रही हैं. इधर, 3 दिन में 3 ऐसी घटनाएं इस खबर की पुष्टि करती नजर आईं।

    ओमप्रकाश राजभर से मुलाकात:

    CM Yogi Adityanath ने सोमवार को आज़मगढ़ में अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वह वहां नहीं पहुंचे. लेकिन उसी रात उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मिलने पहुंचे. मौर्य ने एक्स पर मुलाकात की तस्वीरें भी साझा कीं। इस पर कैप्‍शन भी लिखा गया कि लखनऊ में सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर से आत्‍मीय भेंट हुई.। फोटो में दोनों नेता एक-दूसरे का हाथ पकड़े हुए मुस्‍कुराते नजर आए. इन तस्वीरों को राजनीतिक लामबंदी के रूप में देखा गया।

    इसके बाद केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को लखनऊ में अपने कैंप कार्यालय पर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद से मुलाकात की। राजभर जैसे ओबीसी नेता डॉ. संजय निषाद बीजेपी की चुनावी हार के लिए बुलडोजर पॉलिटिक्स को जिम्मेदार मानते हैं. उत्तर प्रदेश में एनडीए के खराब प्रदर्शन पर निषाद ने कहा था कि बुलडोजर का अनावश्यक इस्तेमाल असफलता का एक मुख्य कारण है.

    इसके अलावा केशव प्रसाद मौर्य इन दिनों जितने भी नेताओं से मिले उनकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर शेयर की. इस बीच केशव प्रसाद मौर्य ने भी CM Yogi Adityanath के विभाग से आरक्षण को लेकर मुद्दा उठाया. यहां वह एक विपक्षी नेता के तौर पर अपनी ही सरकार से सवाल पूछते हैं। उन्होंने संविदा और आउटसोर्सिंग के माध्यम से की गई भर्तियों की रिपोर्ट भी मांगी। यह पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया। हालांकि पत्र पिछले साल लिखा गया था, लेकिन रिमाइंडर अब भेजा गया है.

    हालांकि माना जा रहा है कि 14 जुलाई को दिल्ली में केशव प्रसाद मौर्य की बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद इन दूरियों को कम करने की कोशिश की जा सकती है, लेकिन इस हफ्ते के सियासी घटनाक्रम को देखने के बाद कहा जा रहा है कि ये दूरियां बढ़ने की बजाय कम होंगी.

    भाजपा और उसके सहयोगियों के संदेह के बीच,CM Yogi Adityanath ने आश्चर्यजनक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की और चुपचाप अपना सरकारी काम करते रहे। विशेषज्ञों के लिए इससे भी अधिक आश्चर्य की बात यह है कि भाजपा के भीतर बढ़ते विरोध के बावजूद संगठन की ओर से गंभीरता के कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिख रहे हैं। इन सबको देखते हुए विश्लेषकों का कहना है कि 10 सीटों पर उपचुनाव होने तक बीजेपी के चुप रहने की संभावना है, जिसके नतीजे पार्टी के भीतर और बाहर उठ रहे सवालों के जवाब तय करेंगे.

  • CM Yogi सरकार के मंत्रिमंडल में होंगे महत्वपूर्ण परिवर्तन ! CM Yogi  शाम 6 बजे राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं

    CM Yogi सरकार के मंत्रिमंडल में होंगे महत्वपूर्ण परिवर्तन ! CM Yogi  शाम 6 बजे राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं

    CM Yogi सरकार के मंत्रिमंडल में होंगे बड़े बदलाव:

    CM Yogi Adityanath के मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव होने की संभावना है। आज (17 जुलाई) बुधवार शाम को  CM Yogi ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक की. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में भी संगठन स्तर पर बड़े बदलाव होने की संभावना है. बैठक में उपचुनाव पर भी चर्चा हुई. यह व्यापक रूप से माना जाता है कि केवल उन्हीं उम्मीदवारों को वोट मिलेंगे जो पार्टी को जीत दिला सकते हैं। इसके अलावा एक और अहम खबर ये है कि CM Yogi Adityanath आज बुधवार (17 जुलाई) शाम को राज्यपाल से मुलाकात कर सकते हैं.

    CM योगी आदित्यनाथ कर सकते हैं राज्यपाल से मुलाकात 

    सूत्रों के मुताबिक, CM योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात का अनुरोध किया है. CM योगी आदित्यनाथ आज रात (17 जुलाई) राज्यपाल से मुलाकात करेंगे. अब दिक्कत ये है कि मुख्यमंत्री राज्यपाल से क्यों मिल रहे हैं, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है. संसद के मानसून सत्र को लेकर CM योगी की राज्यपाल से मुलाकात की संभावना है. सूत्रों के मुताबिक, कैबिनेट स्तर पर बड़े बदलाव होंगे लेकिन मुख्यमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे.

  • Akhilesh Yadav का BJP पर निशाना, कहा- ‘अयोध्या में बाहरी लोगों को जमीन बेची गई,  हुआ अरबों रुपये का घोटाला’

    Akhilesh Yadav का BJP पर निशाना, कहा- ‘अयोध्या में बाहरी लोगों को जमीन बेची गई, हुआ अरबों रुपये का घोटाला’

    Akhilesh Yadav का BJP पर तंज कहा- ‘अयोध्या में बेची गई बाहरी लोगों को जमीन:

    Akhilesh Yadav News: समाजवादी पार्टी प्रमुख Akhilesh Yadav ने आज अयोध्या में बाहरी लोगों को जमीन बेचने को लेकर भाजपा सरकार पर निशाना साधा और दावा किया कि वहां अरबों रुपये का जमीन घोटाला हो रहा है. उन्होंने इन भूमि सौदों की गहन जांच और समीक्षा की मांग की। एक निजी अखबार में छपी खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए यादव ने यह टिप्पणी की.

    सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर, Akhilesh Yadav ने ‘एक्स’ पर लिखा, “अयोध्या भूमि सौदा सामने आने से यह सच्चाई सामने आ रही है कि भाजपा शासन के दौरान, अयोध्या के बाहर के लोग पहले से ही इस पर लाभ कमाना शुरू कर चुके हैं।” बड़े पैमाने पर खरीदा और बेचा गया. भाजपा सरकार ने पिछले 7 वर्षों में सर्किल संख्या नहीं बढ़ाई है, जो स्थानीय लोगों के खिलाफ एक आर्थिक साजिश है। परिणामस्वरूप समय-समय पर अरबों रुपये के भूमि घोटाले होते रहते हैं। यहां आस्थावानों ने नहीं बल्कि भू-माफियाओं ने जमीनें ख़रीदी हैं।”

    Akhilesh Yadav ने कहा, “अयोध्या-फैजाबाद और आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को इस सबका कोई फायदा नहीं मिल रहा है।” हम तथाकथित अयोध्या विकास के नाम पर किए जा रहे “हेरफेर” और भूमि सौदों की गहन जांच और समीक्षा की मांग करते हैं।


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