Tag: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

  • Union Cabinet ने दो वर्षों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ हर मौसम के लिए अधिक तैयार और जलवायु-स्मार्ट भारत बनाने के लिए ‘मिशन मौसम’ को स्वीकृति प्रदान की

    Union Cabinet ने दो वर्षों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ हर मौसम के लिए अधिक तैयार और जलवायु-स्मार्ट भारत बनाने के लिए ‘मिशन मौसम’ को स्वीकृति प्रदान की

    Union Cabinet: मिशन से मौसम की चरम घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में अतिरिक्त मदद मिलेगी

    उन्नत सेंसर और उच्च प्रदर्शन वाले सुपर कंप्यूटर के साथ अगली पीढ़ी के रडार एवं उपग्रह प्रणालियां शामिल की जाएंगी

    Union Cabinet ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में अगले दो वर्षों के लिए 2,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ‘मिशन मौसम’ को आज स्वीकृति प्रदान की है।

    मिशन मौसम को मुख्य रूप से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा। इस मिशन के अंतर्गत भारत के मौसम और जलवायु-संबंधी विज्ञान, अनुसंधान एवं सेवाओं को जबरदस्त प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए एक बहुआयामी और परिवर्तनकारी पहल होने की परिकल्पना की गई है। यह मौसम की चरम घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में नागरिकों और देश के प्रत्येक उपयोगकर्ताओं सहित हितधारकों को बेहतर ढंग से तैयार करने में मदद करेगा। यह महत्वाकांक्षी कार्यक्रम लंबे समय में समुदायों, क्षेत्रों और इकोसिस्टम की क्षमता एवं अनुकूलन को व्यापक बनाने में सहायता करेगा।

    मिशन मौसम के हिस्से के रूप में, भारत वायुमंडलीय विज्ञान, विशेष रूप से मौसम निगरानी, मॉडलिंग, पूर्वानुमान और प्रबंधन में अनुसंधान एवं विकास तथा क्षमता का तेजी से विस्तार करेगा। उन्नत अवलोकन प्रणालियों, उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके, मिशन मौसम अधिक स्पष्टता के साथ मौसम की भविष्यवाणी के लिए एक नया मानदंड स्थापित करेगा।

    मिशन के केंद्र में अस्थायी और स्थानिक पैमाने पर अत्यधिक सटीक एवं समय पर मौसम तथा जलवायु की जानकारी प्रदान करने के लिए अवलोकन और समझ में सुधार करना शामिल होगा, जिसमें मानसून के पूर्वानुमान, वायु गुणवत्ता के लिए चेतावनी, मौसम की चरम घटनाएं और चक्रवात, कोहरे, ओले और वर्षा आदि के प्रबंधन के लिए मौसम संबंधी उपाय, क्षमता निर्माण और जागरूकता पैदा करना शामिल हैं। मिशन मौसम के महत्वपूर्ण तत्वों में उन्नत सेंसर और उच्च प्रदर्शन वाले सुपर कंप्यूटर के साथ अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रह प्रणालियों की तैनाती, बेहतर पृथ्वी प्रणाली मॉडल का विकास और वास्तविक समय डेटा प्रसार के लिए भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस)-आधारित स्वचालित निर्णय समर्थन प्रणाली शामिल होगी।

    मिशन मौसम से कृषि, आपदा प्रबंधन, रक्षा, पर्यावरण, विमानन, जल संसाधन, विद्युत, पर्यटन, पत्तन, परिवहन, ऊर्जा और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों को सीधा लाभ प्राप्त होगा। यह शहरी नियोजन, सड़क और रेल परिवहन, अपतटीय संचालन एवं पर्यावरण निगरानी जैसे क्षेत्रों में डेटा-संचालित निर्णय लेने में भी वृद्धि करेगा।

    पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तीन संस्थान: भारत मौसम विज्ञान विभाग, भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान और राष्ट्रीय मध्यम-अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र मुख्य रूप से मिशन मौसम को लागू करेंगे। इन संस्थानों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, शिक्षाविदों एवं उद्योगों के सहयोग के साथ-साथ पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अन्य संस्थानों (भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र और राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान) द्वारा सहयोग किया जाएगा, जिससे मौसम और जलवायु विज्ञान तथा सेवाओं में भारत के नेतृत्व में वृद्धि की जा सकेगी।

    source: http://pib.gov.in

  • प्रधानमंत्री Narendra Modi ने भारत को हरित हाइड्रोजन के लिए वैश्विक केंद्र बनाने के विजन को प्रस्तुत किया

    प्रधानमंत्री Narendra Modi ने भारत को हरित हाइड्रोजन के लिए वैश्विक केंद्र बनाने के विजन को प्रस्तुत किया

    प्रधानमंत्री Narendra Modi: टिकाऊ ईंधन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात में अग्रणी बनने की महत्वाकांक्षी योजनाओं की रूपरेखा बताई

    सरकार मजबूत नीतियों, अत्याधुनिक अनुसंधान और रणनीतिक अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ हरित हाइड्रोजन उद्योग को आगे बढ़ाएगी

    केन्द्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हरित हाइड्रोजन के लिए भारत के विजन पर प्रकाश डाला: 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करना और 6 लाख नौकरियों का सृजन करना है

    केन्द्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने हरित हाइड्रोजन के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को बताया: 2030 तक 100 अरब डॉलर का निवेश और 50 लाख मीट्रिक टन उत्पादन

    प्रधानमंत्री Narendra Modi ने आज वीडियो संदेश के जरिए दिल्ली में हरित हाइड्रोजन पर दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीजीएच-2024) का उद्घाटन किया, जहां उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत की कटिबद्धता और विश्व के ऊर्जा परिदृश्य में हरित हाइड्रोजन के एक आशाजनक एडिशन के रूप में सामने आने को दोहराया।

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, “भारत एक स्वच्छ, हरित ग्रह के निर्माण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। हम ग्रीन एनर्जी पर पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को समय से पहले पूरा करने वाले जी20 देशों में पहले थे। हम मौजूदा समाधानों को मजबूत करने के साथ-साथ नए और अभिनव दृष्टिकोणों को अपनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हरित हाइड्रोजन ऐसी ही एक सफलता है, जिसमें रिफाइनरियों, उर्वरकों, इस्पात और हेवी-डयूटी ट्रांस्पोर्टेशन जैसे हार्ड-टू-इलेक्ट्रिफाइ क्षेत्रों को डीकार्बोनाइज करने की क्षमता है।”

    प्रधानमंत्री ने आगे प्रकाश डालते हुए कहा, “हमारा लक्ष्य भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, उपयोग और निर्यात के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। 2023 में शुरू किया गया राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन इस महत्वाकांक्षा को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह नवाचार को बढ़ावा देगा, बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा, उद्योग के विकास को प्रोत्साहित करेगा और हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करेगा।”

    प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नवीकरणीय ऊर्जा विकास में भारत के नेतृत्व पर बल देते हुए कहा, “पिछले दशक में भारत की गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में लगभग 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, और इसी अवधि में हमारी सौर ऊर्जा क्षमता में 3000 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी गई है।”

    इस मौके पर, केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री श्री प्रहलाद वेंकटेश जोशी ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता का विस्तार करने और हरित हाइड्रोजन विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सरकार की रणनीतिक पहलों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई नेतृत्व में हमारा देश हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व देने की ओर अग्रसर है।

    राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन का उल्लेख करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि एनजीएचएम की शुरुआत इस लक्ष्य के साथ की गई थी कि भारत इस उभरते क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो सके, जिससे ऊर्जा आत्म-निर्भरता और आर्थिक विकास दोनों सुनिश्चित हो सके। उन्होंने कहा, “इस मिशन में न केवल 8 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करने और 6 लाख नौकरियां सृजित करने की क्षमता है, बल्कि आयातित प्राकृतिक गैस और अमोनिया पर निर्भरता भी काफी कम होगी, जिससे 1 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, हमारे प्रयास 2030 तक कार्बन उत्सर्जन को 5 एमएमटी तक कम करने में भी योगदान देंगे, जिससे भारत वैश्विक मंच पर सतत विकास के एक प्रकाशस्तंभ के रूप में स्थापित होगा।”

    पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप एस पुरी ने भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर बल दिया। उन्होंने कहा, “2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने की भारत की कटिबद्धता में एक बहु-आयामी दृष्टिकोण सम्मिलित है, जिसमें हरित हाइड्रोजन पर विशेष ध्यान देना शामिल है। 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का हमारा लक्ष्य हमारी अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके लिए 100 अरब डॉलर के निवेश और 125 गीगावाट की नई अक्षय ऊर्जा क्षमता को प्राप्त करने की आवश्यकता होगी।

    इस मिशन से न केवल सालाना 150 लाख मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी, बल्कि इससे आयात में भी काफी बचत होगी। हम इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पायलट प्रोजेक्ट, हाइड्रोजन हब और अनुसंधान एवं विकास पहलों को लागू कर रहे हैं, जिसे एक मजबूत वित्तीय परिव्यय और एक व्यापक प्रोत्साहन देने वाले फ्रेमवर्क द्वारा समर्थित किया गया है। इस मिशन की कामयाबी केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ उद्योग भागीदारों के सहयोगात्मक प्रयासों पर निर्भर करेगी।”

    नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव श्री भूपिंदर एस. भल्ला ने भारत की नवीकरणीय ऊर्जा उपलब्धियों और भविष्य के लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने शून्य कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के साथ स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में ग्रीन हाइड्रोजन की भूमिका और कई क्षेत्रों में इसके विविध अनुप्रयोगों पर प्रकाश डाला। श्री भल्ला ने भारत के महत्वाकांक्षी हरित हाइड्रोजन उद्देश्यों पर भी बल दिया, जो प्रधानमंत्री की पंचामृत योजना के अनुरूप है। इसमें 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करने और 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन तक पहुंचने का लक्ष्य शामिल है।

    श्री भूपिंदर एस. भल्ला ने परिवहन और शिपिंग सेक्टर्स में पायलट परियोजनाओं, हरित हाइड्रोजन हब के निर्माण, अनुसंधान और विकास, कौशल विकास, साथ ही भंडारण और परिवहन जैसे घटकों के लिए आवंटित बजट पर भी चर्चा की। देश में हाइड्रोजन की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने का अनुमान है, जिसे 2050 तक 29 एमएमटी प्रति वर्ष तक पहुंचाने की योजना है। उन्होंने एसआईजीएचटी (हरित हाइड्रोजन संक्रमण के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप) कार्यक्रम, विनियमों और कोड तथा मानकों के बारे में भी बात की, जिसमें बताया गया कि 152 मानकों की अनुसंशा की गई है, जिनमें से 81 पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं।”

    भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. अजय के. सूद ने हरित हाइड्रोजन प्रोद्यौगिकी को आगे बढ़ाने में वैज्ञानिक अनुसंधान की भूमिका पर जानकारी साझा की। उन्होंने बल देकर कहा, “हरित हाइड्रोजन को किफायती और बड़ी मात्रा में बनाने के लिए नवपरिवर्तनकारी अनुसंधान और तकनीकी प्रगति महत्वपूर्ण है। हमें चुनौतियों से पार पाने और हरित हाइड्रोजन की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए अनुसंधान और विकास का समर्थन करना जारी रखना चाहिए।”

    इस सत्र में “हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था की ओर भारत की यात्रा” शीर्षक से एक वीडियो प्रस्तुति भी प्रदर्शित की गई, जिसमें हरित हाइड्रोजन क्षेत्र में भारत की प्रगति और भविष्य की आकांक्षाओं को दर्शाया गया है।

    उद्घाटन सत्र का समापन सीएसआईआर के महानिदेशक और वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग (डीएसआईआर) के सचिव डॉ. एन. कलईसेलवी के धन्यवाद-ज्ञापन के साथ हुआ। डॉ. कलईसेलवी ने प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट किया और हरित हाइड्रोजन नेतृत्व को हासिल करने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “भारत हरित हाइड्रोजन के परिवर्तनकारी युग में सबसे आगे है। प्रचुर मात्रा में नवीकरणीय संसाधनों और राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन जैसी महत्वाकांक्षी पहलों के साथ, हमारा देश वैश्विक स्तर पर इस क्षेत्र में नेतृत्व करने के लिए अच्छी स्थिति में है।”

    नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय तथा भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सहयोग से ग्रीन हाइड्रोजन 2024 (आईसीजीएच2024) का दूसरा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) तथा ईवाई क्रमशः कार्यान्वयन एवं ज्ञान भागीदार हैं। एफआईसीसीआई उद्योग भागीदार है।

    source: http://pib.gov.in

  • shree Narendra Modi: सेमीकंडक्टर कार्यकारी गोलमेज सम्मेलन में प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद शीर्ष सेमीकंडक्टर सीईओ ने अपनी सराहना व्यक्त की

    shree Narendra Modi: सेमीकंडक्टर कार्यकारी गोलमेज सम्मेलन में प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद शीर्ष सेमीकंडक्टर सीईओ ने अपनी सराहना व्यक्त की

    shree Narendra Modi

    प्रधानमंत्री shree Narendra Modi ने आज 7, लोक कल्याण मार्ग में सेमीकंडक्टर कंपनियों के कार्यकारी अधिकारियों की गोलमेज बैठक की अध्यक्षता की। प्रधानमंत्री ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की। श्री मोदी ने बताया कि यह क्षेत्र किस प्रकार हमारी धरती पर विकास में सहयोग कर सकता है। उन्होंने देश में हो रहे सुधारों पर भी प्रकाश डाला, जिससे भारत निवेश करने की बेहतरीन जगह बन गया है।

    मुख्य कार्यकारी अधिकारियों ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र के विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता की सराहना की और कहा कि आज जो हुआ है वह अभूतपूर्व है, जिसमें पूरे सेमीकंडक्टर क्षेत्र के दिग्गजों को एक छत के नीचे लाया गया है।

    माइक्रोन के सीईओ संजय मेहरोत्रा ​​ने कहा कि भारत में सेमीकंडक्टर विकसित करने और इसमें आत्मनिर्भरता बढ़ाने का पीएम मोदी का विज़न बहुत ही रोमांचक है और भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की स्थापित नीति भी बहुत ही रोमांचक है। उन्होंने कहा, “यह भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के लिए, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अवसरों को विकसित करने के लिए एकदम सही समय है, क्योंकि एआई बढ़ेगा, अवसर बढ़ेंगे और मुझे पूरा विश्वास है कि सबसे बेहतर आना अभी बाकी है।”

    सेमी के सीईओ अजीत मनोचा ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व का कोई सानी नहीं है और यह नेतृत्व असाधारण है। उन्होंने कहा कि इसने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा, “मोदी के नेतृत्व को लगता है कि यह बहुत अच्छा है कि पूरी दुनिया मेरे साथ इस शिखर सम्मेलन में आ रही है।”

    एनएक्सपी के सीईओ कर्ट सीवर्स ने कहा कि वे प्रधानमंत्री श्री मोदी की दूरदर्शिता, निरंतरता और भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग परितंत्र विकास के लिहाज से क्या आवश्यक है, इस बारे में उनकी दूरदर्शिता से बेहद उत्साहित और प्रसन्न हैं। कर्ट सीवर्स ने कहा कि उन्होंने सेमीकंडक्टर उद्योग में प्रधानमंत्री मोदी जितनी गहरी विशेषज्ञता रखने वाले किसी भी विश्व नेता से मुलाकात नहीं की है।

    टीईपीएल के सीईओ रणधीर ठाकुर ने कहा कि सेमीकंडक्टर उद्योग प्रधानमंत्री के विजन और देश के भविष्य के लिए डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर उनके नजरिए से काफी उत्साहित है। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर विकसित भारत में अहम भूमिका निभाएंगे।

    जैकब्स के सीईओ बॉब प्रागडा ने कहा कि भारत को वैश्विक स्तर पर ऊपर उठाने के लिए प्रधानमंत्री का काम कुछ ऐसा है जिसकी न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को जरूरत है। उन्होंने कहा, “भारत विनिर्माण पुनर्जागरण में सबसे आगे होगा। यह होने वाला है। मुझे लगता है कि अगले दशक में भारत वैश्विक स्तर पर अग्रणी हो सकता है।”

    रेनेसास के सीईओ हिदेतोशी शिबाता ने कहा कि प्रधानमंत्री का संदेश हमेशा सरल और स्पष्ट होता है, इसलिए हम जानते हैं कि वह क्या चाहते हैं। उन्होंने कहा, “पूर्ण स्पष्टता हमेशा मदद करती है, बहुत चुस्त और तेज़ प्रगति करती है।”

    आईएमईसी के सीईओ ल्यूक वान डेन होवे ने कहा कि वे प्रधानमंत्री के नेतृत्व से बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत को एक पावरहाउस बनाने के लिए प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता और समर्पण की सराहना की। उन्होंने विनिर्माण से परे प्रधानमंत्री के दीर्घकालिक अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) विजन पर भी संतोष जाहिर किया। श्री होवे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारत को आरएंडडी में मजबूत बनाने के लिए एक बहुत ही रणनीतिक साझेदारी बनाने का प्रयास किया।

    टावर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रसेल सी. एल्वैन्गर ने कहा कि उनका मानना ​​है कि प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण और उसका क्रियान्वयन अद्वितीय और सचमुच सराहनीय है।

    कैडेंस के सीईओ अनिरुद्ध देवगन ने कहा कि पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व को देखना वाकई अच्छा लगा। उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर सभी डिजिटल उद्योगों के लिए ज़रूरी तकनीक है। और, मोदी जी के नेतृत्व में तीन साल पहले की तुलना में इसमें काफ़ी तेज़ी आई है। उन्होंने कहा कि उन्हें शुरू से ही इसमें शामिल होने का सौभाग्य मिला है और हर साल इसमें बड़ा सुधार देखना वाकई सकारात्मक है।

    सिनोप्सिस के अध्यक्ष और सीईओ सैसिन गाजी ने कहा कि पिछले दो-तीन सालों में इस क्षेत्र में उत्साह और ध्यान केंद्रित किया गया है, साथ ही डिजाइन से लेकर विनिर्माण तक निवेश करने की स्पष्ट रणनीति बनाई गई है। उन्होंने कहा कि अभी जो वह देख रहे हैं, वह है इंजीनियरिंग केंद्र से लेकर स्थानीय और वैश्विक खपत दोनों के लिए उत्पाद बनाने की दिलचस्पी।

    स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के एमेरिटस प्रोफेसर आरोग्यस्वामी पॉलराज ने कहा कि भारत ने सेमीकंडक्टर उद्योग में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा, “बहुत सारी ऊर्जा, बहुत प्रगति, और यह वास्तव में प्रधानमंत्री की दूरदर्शिता और प्रेरणा है जिसने इसे संभव बनाया है।”

    सीजी पावर के चेयरमैन वेल्लयन सुब्बिया ने कहा कि सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए यह वाकई रोमांचक समय है और यह तो बस शुरुआत है। उन्होंने यह भी भविष्यवाणी की कि भारत अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा और उद्योग-सरकार के बीच इस अभूतपूर्व स्तर के सहयोग को सराहा।

    यूसीएसडी के चांसलर प्रोफेसर प्रदीप खोसला ने कहा कि प्रधानमंत्री ने सेमीकंडक्टर मिशन में अद्भुत दूरदर्शिता दिखाई है। श्री खोसला ने कहा कि इस देश के इतिहास में किसी भी नेतृत्व में सेमीकंडक्टर के मामले में सही नीति बनाने का साहस नहीं था और उन्हें खुशी है कि प्रधानमंत्री के पास दूरदर्शिता है और उनके पास प्रतिबद्धता है। और, मुझे पूरा विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी हमें सफल बनाएंगे।

    source: http://pib.gov.in

  • प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi ने अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन के शासी निकाय की पहली बैठक की अध्यक्षता की

    प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi ने अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन के शासी निकाय की पहली बैठक की अध्यक्षता की

    देश के वैज्ञानिक समुदाय को यह भरोसा होना चाहिए कि अनुसंधान के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी: प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi

    प्रधानमंत्री ने अनुसंधान प्रणाली में बाधाओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया

    वैश्विक समस्याओं के स्थानीय समाधान पर ध्यान केंद्रित करें: प्रधानमंत्री

    प्रधानमंत्री ने अनुसंधान और विकास से संबंधित सूचनाओं का आसानी से पता लगाने के लिए एक डैशबोर्ड तैयार करने का सुझाव दिया

    प्रधानमंत्री ने अनुसंधान और नवाचार के लिए संसाधनों के उपयोग की वैज्ञानिक निगरानी की आवश्यकता पर बल दिया

    अनुसंधान में प्रारंभिक अवस्था वाले विश्वविद्यालयों को मेंटरशिप मोड में शीर्ष स्तरीय स्थापित संस्थानों के साथ जोड़कर हब और स्पोक मोड में एक कार्यक्रम शुरू किया जाएगा

    अनुसंधान को आसान बनाने की दिशा में शोधकर्ताओं को लचीले और पारदर्शी वित्त पोषण तंत्र के साथ सशक्त बनाया जाएगा

    एएनआरएफ चुनिंदा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मिशन मोड में समाधान-केंद्रित अनुसंधान पर कार्यक्रम शुरू करेगा

    एएनआरएफ की रणनीतियां विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों के अनुकूल होंगी और अनुसंधान एवं विकास एजेंसियों द्वारा अपनाई गई वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करेंगी

    मानविकी और सामाजिक विज्ञान में अंतःविषय अनुसंधान में मदद करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे

    प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi ने आज अपने आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) के शासी बोर्ड की पहली बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिदृश्य तथा अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों को फिर से तैयार करने पर चर्चा की गई।

    बैठक के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) की शासी निकाय की पहली बैठक के साथ एक नई शुरुआत हुई है। प्रधानमंत्री ने देश के अनुसंधान परितंत्र में बाधाओं की पहचान करने और उन्हें दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बड़े लक्ष्य निर्धारित करने, उन्हें हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने और पथ-प्रदर्शक अनुसंधान करने की बात कही। उन्होंने कहा कि अनुसंधान को मौजूदा समस्याओं के नए समाधान खोजने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समस्याएं वैश्विक प्रकृति की हो सकती हैं, लेकिन उनका समाधान भारतीय जरूरतों के हिसाब से स्थानीय होना चाहिए।

    प्रधानमंत्री ने संस्थानों के उन्नयन और मानकीकरण की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने विशेषज्ञता के आधार पर विषय विशेषज्ञों की सूची तैयार करने का सुझाव दिया। उन्होंने एक डैशबोर्ड विकसित करने की भी बात की, जहां देश में हो रहे शोध और विकास से जुड़ी जानकारी का आसानी से पता लगाया जा सके।

    प्रधानमंत्री ने अनुसंधान और नवाचार के लिए संसाधनों के उपयोग की वैज्ञानिक निगरानी की आवश्यकता पर जोर दिया। इसे महत्वाकांक्षी शुरुआत बताते हुए उन्होंने कहा कि देश के वैज्ञानिक समुदाय को यह भरोसा होना चाहिए कि उनके अनुसंधान कार्यों के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं होगी। अटल टिंकरिंग प्रयोगशालाओं के सकारात्मक प्रभावों पर चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि इन प्रयोगशालाओं की ग्रेडिंग की जा सकती है। उन्होंने पर्यावरण परिवर्तन के लिए नए समाधान, ईवी के लिए बैटरी सामग्री, प्रयोगशाला में उत्पन्न किए गए हीरे आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान पर भी चर्चा की।

    बैठक के दौरान, अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन के शासी निकाय ने अनुसंधान में प्रारंभिक अवस्था वाले विश्वविद्यालयों को मेंटरशिप मोड में शीर्ष स्तरीय स्थापित संस्थानों के साथ जोड़कर हब और स्पोक मोड में एक कार्यक्रम शुरू करने का निर्णय लिया गया।

    शासी निकाय ने एएनआरएफ के रणनीतिक हस्तक्षेप के कई क्षेत्रों पर भी चर्चा की, जिसमें प्रमुख क्षेत्रों में भारत की वैश्विक स्थिति, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ अनुसंधान एवं विकास में सुसंगत तालमेल बनाना, समावेशी विकास को बढ़ावा देना, क्षमता निर्माण, वैज्ञानिक प्रगति और नवाचार परितंत्र को बढ़ावा देना, साथ ही उद्योग-अनुकूल ट्रांसलेशनल अनुसंधान के माध्यम से शैक्षणिक अनुसंधान और औद्योगिक अनुप्रयोगों के बीच की कमी को दूर करना शामिल है।

    एएनआरएफ इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) गतिशीलता, उन्नत सामग्री, सौर सेल, स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रौद्योगिकी, सतत कृषि और फोटोनिक्स जैसे चुनिंदा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मिशन मोड में समाधान-केंद्रित अनुसंधान पर कार्यक्रम शुरू करेगा। शासी निकाय ने देखा कि ये प्रयास आत्मनिर्भर भारत की दिशा में हमारे प्रयासों को प्रभावी रूप से पूरक बनाएंगे।

    उद्योग जगत की सक्रिय भागीदारी के साथ ट्रांसलेशनल अनुसंधान पर जोर देते हुए शासी निकाय ने ज्ञान की उन्नति के लिए मौलिक शोध को बढ़ावा देने पर भी बल दिया। मानविकी और सामाजिक विज्ञान में अंतःविषय अनुसंधान में मदद करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का निर्णय लिया गया। इस बात पर भी सहमति बनी कि शोध करने में आसानी के लिए लचीले और पारदर्शी वित्त पोषण तंत्र के साथ शोधकर्ताओं को सशक्त बनाने की आवश्यकता है।

    शासी निकाय ने यह भी निर्देश दिया कि एएनआरएफ की रणनीतियों को विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों के अनुरूप होना चाहिए और कार्यान्वयन में दुनिया भर की अनुसंधान और विकास एजेंसियों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं का पालन किया जाना चाहिए।

    इस बैठक में शासी निकाय के उपाध्यक्ष के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान, सदस्य सचिव के रूप में भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार, सदस्य (विज्ञान), नीति आयोग और सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग तथा उच्च शिक्षा विभाग इसके पदेन सदस्य के रूप में शामिल हुए। अन्य प्रमुख प्रतिभागियों में प्रो. मंजुल भार्गव (प्रिंसटन विश्वविद्यालय, यूएसए), डॉ. रोमेश टी. वाधवानी (सिम्फनी टेक्नोलॉजी ग्रुप, यूएसए), प्रो. सुब्रा सुरेश (ब्राउन विश्वविद्यालय, यूएसए), डॉ. रघुवेंद्र तंवर (भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद), प्रो. जयराम एन. चेंगलूर (टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च) और प्रो. जी. रंगराजन (भारतीय विज्ञान संस्थान) शामिल थे।

    अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन के बारे में

    अनुसंधान नेशनल रीसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) की स्थापना भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, शोध संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने और अनुसंधान एवं नवाचार की संस्कृति को अग्रसर करने के लिए की गई है। एएनआरएफ राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के अनुसार देश में वैज्ञानिक अनुसंधान की उच्च-स्तरीय रणनीतिक दिशा प्रदान करने के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है। एएनआरएफ उद्योग, शिक्षा और सरकारी विभागों एवं अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है।

    source: http://pib.gov.in

  • Dr. Mansukh Mandaviya ने एशियाई ओलंपिक परिषद की 44वीं आम सभा को संबोधित किया

    Dr. Mansukh Mandaviya ने एशियाई ओलंपिक परिषद की 44वीं आम सभा को संबोधित किया

    Dr. Mansukh Mandaviya

    उन्होंने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शुरू की गई खेलों से संबंधित भारत की प्रमुख पहलों ‘खेलो इंडिया’, ‘टॉप्स’ और ‘अस्मिता’ पर प्रकाश डाला

    ‘खेलो इंडिया’ जमीनी स्तर की प्रतिभाओं की पहचान करने और देश भर में खेलों की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है: केन्द्रीय मंत्री

    केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल तथा श्रम और रोजगार मंत्री Dr. Mansukh Mandaviya ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में एशियाई ओलंपिक परिषद (ओसीए) की 44वीं आम सभा को संबोधित किया। इस अवसर पर सभी 45 एशियाई देशों के खेल प्रमुखों के साथ केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जे.पी. नड्डा, केन्द्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल राज्यमंत्री  श्रीमती रक्षा खडसे, ओसीए के अध्यक्ष श्री राजा रणधीर सिंह और भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष श्रीमती पी. टी. उषा भी उपस्थित थीं।

    अपने भाषण के दौरान, डॉ. मांडविया ने प्रतिनिधियों को देश भर में खेलों की उत्कृष्टता और एक मजबूत खेल संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु पिछले 10 वर्षों में भारत सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों के बारे में बताया। उन्होंने देश भर में खेल मानकों को ऊंचा उठाने में ‘खेलो इंडिया’, ‘टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स)’ और ‘कार्रवाई के जरिए महिलाओं को प्रेरित करके खेल जगत में उपलब्धियां हासिल करना (अस्मिता)’ जैसे सरकारी कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

    डॉ. मांडविया ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में, सरकार ने खेल बजट को 2014-15 में लगभग 143 मिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर आज लगभग 417 मिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस निवेश ने एशियाई खेलों में भारत के उत्कृष्ट प्रदर्शन में योगदान दिया है। भारत ने एशियाई खेलों में 107 पदक हासिल किए हैं और एशियाई पैरा खेलों में 111 पदक जीते हैं। ये उपलब्धियां पिछले सभी रिकॉर्ड को पार कर गई हैं।

    उन्होंने ‘खेलो इंडिया’ योजना के बारे में विस्तार से बताया। इस योजना का उद्देश्य देश भर में खेल की उत्कृष्टता को बढ़ावा देने हेतु एक जन आंदोलन को प्रेरित करना है। कुल 119 मिलियन अमेरिकी डॉलर के वार्षिक बजट के साथ, यह योजना जमीनी स्तर की प्रतिभा की पहचान एवं विकास को कवर करती है और हर साल 2,700 से अधिक बच्चों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है। डॉ. मांडविया ने आगे कहा कि हर साल चार ‘खेलो इंडिया गेम्स’ आयोजित किए जाते हैं तथा खेलों से संबंधित स्थायी बुनियादी ढांचे को विकसित करने और युवा एथलीटों को प्रशिक्षण, आवास, आहार, शिक्षा एवं भत्ते प्रदान करने हेतु 1,050 से अधिक जिला-स्तरीय केन्द्र स्थापित किए गए हैं।

    इसके अलावा, उन्होंने बताया कि ‘टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (टॉप्स)’ एथलीटों को ओलंपिक तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं की तैयारी में सहायता करती है। विशेष रूप से, पेरिस ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले 117 एथलीटों में से 28 खेलो इंडिया के एथलीट थे। इसी तरह, भारत की पैरालंपिक टीम, जिसमें 18 खेलो इंडिया एथलीट शामिल हैं, पहले ही 29 पदक हासिल कर चुकी है, जो वर्तमान में जारी पेरिस पैरालंपिक 2024 में अब तक का सबसे अधिक पदक है।

    केन्द्रीय मंत्री ने ‘अस्मिता’ कार्यक्रम पर भी प्रकाश डाला, जो लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने और 18 खेल स्पर्धाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य वाली एक परिवर्तनकारी पहल है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये सहयोगात्मक प्रयास ओलंपिक आदर्शों के अनुरूप हैं और  एशिया की खेल विरासत को मजबूत करेंगे तथा भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे।

    अपने संबोधन का समापन करते हुए, डॉ. मांडविया ने ओलंपिक आंदोलन के मूल्यों को बढ़ावा देने, एथलीटों को सशक्त बनाने और खेलों से संबंधित एक प्रगतिशील माहौल को बढ़ावा देने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने एशियाई ओलंपिक परिषद की 44वीं आम सभा के आयोजन के प्रति देश का सम्मान व्यक्त किया और प्रतिनिधियों को उनके विचार-विमर्श में सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं।

    इस अवसर पर बोलते हुए, श्री नड्डा ने कहा कि 2014 से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी देश में खेलों के विकास के प्रबल समर्थक रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके नेतृत्व में ‘खेलो इंडिया’ आंदोलन और राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय की स्थापना जैसी कई पहल शुरू की गई हैं। इन पहलों का उद्देश्य देश भर में खेलों को बढ़ावा देना और प्रतिभाओं को निखारना है।

    उन्होंने खेलों से संबंधित बुनियादी ढांचे को उन्नत बनाने और एथलीटों के लिए बेहतर सुविधाएं प्रदान करने में एशियाई ओलंपिक परिषद के योगदान को भी स्वीकार किया।

    source: http://pib.gov.in

     

  • CM Yogi Adityanath ने 65.712 करोड़ रु0 लागत से निर्मित 555 आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण तथा ‘बाल भोग’ पोर्टल का शुभारम्भ किया

    CM Yogi Adityanath ने 65.712 करोड़ रु0 लागत से निर्मित 555 आंगनबाड़ी भवनों का लोकार्पण तथा ‘बाल भोग’ पोर्टल का शुभारम्भ किया

    CM Yogi Adityanath

    • मुख्यमंत्री ने आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों के बै ंक खातों में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के प्रीमीयम के रूप में 8.78 करोड़ रु0 तथा यूनिफॉर्म के लिए 29 करोड़ रु0 की धनराशि का अन्तरण किया, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों एवं सहायिकाओं को यूनिफॉर्म प्रदान की
    • मुख्यमंत्री ने कुपोषित से सुपोषित श्रेणी में परिवर्तित बच्चों के अभिभावकों एवं उनसे जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियो ं का सम्मान किया,
    • गर्भवती महिलाओं की गोदभराई तथा बच्चों का अन्नप्राशन किया
    • प्रधानमंत्री जी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों और सहायिकाओं की भूमिका की तुलना माता यशोदा से की: मुख्यमंत्री
    • एक स्वस्थ समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए जाति, मत, मजहब से ऊपर उठकर एक-एक बच्चे पर ध्यान देना होगा
    • प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2047 में विकसित भारत की संकल्पना की, जिन बच्चो ं की आप सेवा कर रही हैं, उन्हीं के हाथों में उस समय देश की कमान होगी
    • प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के सपने को साकार करने तथा देश के भविष्य को उज्ज्वल करने की दिशा में आज अनेक कार्यक्रमो ं का शुभारम्भ हो रहा
    • विगत 06-07 वर्षों में प्रदेश में 18 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्र बनाए गये, पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि हर आंगनबाड़ी केन्द्र के पास अपना भवन हो
    • सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों को ‘बाल वाटिका’ के रूप में विकसित करते हुए, उन बच्चो ं को प्री प्राइमरी के रूप में आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए
    • उ0प्र0 भारत के विकास का बैरियर नहीं, बल्कि ग्रोथ इन्जन के रूप में जाना जा रहा, यह अन्तरविभागीय समन्वय के माध्यम से सम्भव
    • विकास खण्ड स्तर पर 01 सेे 03 वर्ष तथा 03 से 05 वर्ष के बच्चो ं के मध्य ‘स्वस्थ बच्चा प्रतिस्पर्धा’ करानी चाहिए

    CM Yogi Adityanath  ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियो ं और सहायिकाओ ं की भूमिका की तुलना माता यशोदा से की है। द्वापर युग में माता देवकी के 8वे ं पुत्र के रूप में जन्में श्री कृष्ण-कन्हैया की रक्षा के लिए वासुदेव जी उन्हे ं माता यशोदा की गोद में रख आए थे। माता यशोदा ने श्री कृष्ण कन्हैया का लालन-पालन पूरी तन्मयता से किया था। यही दायित्व आंगनबाड़ी केन्द्रो ं में निभाया जाता है। जब भी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां किसी कुपोषित परिवार के पास जाती हैं, तो उनके सामने भी यही लक्ष्य होना चाहिए।

    मुख्यमंत्री जी आज यहां लोक भवन में राष्ट्रीय पोषण माह-2024 के अन्तर्गत आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्हो ंने 65.712 करोड़ रुपये लागत से निर्मित प्रदेश के 45 जनपदो ं के 555 आंगनबाड़ी भवनो ं का लोकार्पण तथा हॉट कुक्ड मील योजना से सम्बन्धित ‘बाल भोग’ पोर्टलीजजचेरूध्ध्नचीबउण्बवउध्ीबउध् का शुभारम्भ किया।

    मुख्यमंत्री जी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियो ं के बैंक खातो ं में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के प्रीमीयम के रूप में 8.78 करोड़ रुपये तथा आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों एवं सहायिकाओ ं की यूनिफॉर्म के लिए 29 करोड़ रुपये की धनराशि का अन्तरण किया। उन्हो ंने प्रतीकस्वरूप दो आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियो ं एवं दो सहायिकाओं को यूनिफॉर्म (साड़ी) प्रदान की।

    मुख्यमंत्री जी ने सम्भव अभियान के तहत कुपोषित से सुपोषित की श्रेणी में परिवर्तित बच्चो ं के अभिभावको ं एवं उनसे जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों का सम्मान किया। उन्हो ंने गर्भवती महिलाओ ं की गोदभराई तथा बच्चो ं का अन्नप्राशन भी किया। इस अवसर पर राष्ट्रीय पोषण माह तथा सम्भव अभियान पर आधारित लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की आन-बान-शान के प्रतीक मेवाड़ के राणा वंश के राजकुमार की रक्षा करने के लिए पन्नाधाय ने अपने स्वयं के पुत्र की परवाह नहीं की थी। यह ऐसा उदाहरण हमारे सामने हैं, जिसके कारण भारत आने वाले संघर्षों का सामना करने के योग्य बना और फिर स्वाधीन भी हुआ। भारत का इतिहास इस प्रकार की घटनाओं से भरा है। आप सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्र्री मां यशोदा की ही भूमिका में है ं। प्रधानमंत्री जी ने वर्ष 2047 में विकसित भारत की संकल्पना की है। जब भारत विकसित होगा उसे समय हम सभी लोग अलग-अलग स्थितियों में होंगे, लेकिन जिन बच्चो ं की आप सेवा कर रही हैं, उन्हीं के हाथों में उस समय देश की कमान होगी। यह उस समय की वर्कफोर्स होगी। अगर यह सुपोषित है, तो उस समय भारत समृद्ध होगा, अगर आज यह स्वास्थ्य की दृष्टि से विकसित हैं, तो भारत भी विकसित होगा। इस दृष्टि से आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां एक बड़े और पवित्र कार्यक्रम को आगे बढ़ा रही हैं।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के विकसित भारत के सपने को साकार करने तथा देश के भविष्य को उज्ज्वल करने की दिशा मे ं आज अनेक कार्यक्रमों का शुभारम्भ हो रहा है। मुख्यमंत्री जी ने राष्ट्रीय पोषण माह के कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त किया। सम्भव अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां े और उन परिवार के सदस्यो ं को यहां सम्मानित किया गया है, जिन्हो ंने एक समय सीमा में कुपोषण से सुपोषण के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। यहां हॉट कुक्ड मील योजना के अन्तर्गत ‘बाल भोग’ पोर्टल का शुभारम्भ किया गया है। इस योजना की शुरुआत गत वर्ष ही की गई थी, जिससे मिड-डे मील की तर्ज पर सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों मे ं आने वाले बच्चांे को गर्म पका भोजन प्राप्त हो सके।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियो ं और उनकी सहायिकाओं के लिए कोई दुर्घटना घटित होने की स्थिति में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना के अन्तर्गत 02 लाख रुपये का सुरक्षा बीमा कवर देने के लिए डी0बी0टी0 के माध्यम से उनके खातो ं में आज 08 करोड़ 78 लाख 50 हजार रुपये की धनराशि प्रेषित की गई है। उनकी यूनिफॉर्म के लिए भी डी0बी0टी0 द्वारा धनराशि उनके खातों में प्रेषित की गई है। प्रदेश मे ं 555 नए आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण किया गया है। विगत 06-07 वर्षों में प्रदेश में 18 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्र बनाए गये हैं। हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए कि हर आंगनबाड़ी केन्द्र के पास अपना भवन हो। कन्वर्जन के आधार पर इस कार्यक्रम को आगे बढा़ना चाहिए। अवशेष केन्द्रो ं के भवन एक साथ बनाने की तैयारी करें। आंगनबाड़ी केन्द्रों मे ं सभी प्रकार की सुविधाएं विकसित की जाएं और इन्हें हर प्रकार के कार्यों से जोड़ा जाए।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अन्तर्गत अपने सभी आंगनबाड़ी केन्द्रो ं को ‘बाल वाटिका’ के रूप में विकसित करते हुए, उन बच्चो ं को प्री प्राइमरी के रूप में आगे बढ़ाने में योगदान देना चाहिए। वहां पर हम एक किचन गार्डन की व्यवस्था भी करें। इसे एक मॉडल बनाएं। बहुत से आंगनबाड़ी केन्द्रो ं में अच्छी-अच्छी गतिविधियां कराई जाती हैं। इनके माध्यम से बच्चो ं को सिखाया जाता है। एक आंगनबाड़ी केन्द्र के निरीक्षण के दौरान उन्हो ंने यह देखा था कि बहुत अच्छे उद्धरण के माध्यम से 03 से 05 वर्ष के बच्चो ं को गिनती तथा शरीर के अंगों का ज्ञान कराया जा रहा था। यह प्रयास अभिनंदनीय है।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, आशा बहनो ं तथा ए0एन0एम0 ने अपनी सेवाओं के माध्यम से अच्छे कार्य किये हैं। किसी भी कार्य के मूल्यांकन का सबसे अच्छा समय तब होता है, जब चुनौती सामने होती है। मार्च, 2020 से 2023 तक देश और दुनिया ने सदी की सबसे बड़ी महामारी कोरोना का सामना किया था। अच्छे-अच्छे देश इस महामारी के सामने पस्त हो गए थे। लोगउत्तर प्रदेश के बारे में चिंतित थे कि यहां की 25 करोड़ की जनता को कैसे बचायाजाएगा।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमे ं विरासत में कमजोर स्वास्थ्य सुविधाएं मिली थी। लेकिन हमारे हेल्थ वर्कर्स, आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा बहनो ं तथा ए0एन0एम0 ने उस समय कदम से कदम मिलाकर, अपनी जान की परवाह न करते हुए, घर-घर जाकर एक-एक व्यक्ति की जान बचाने का कार्य किया। इसका परिणाम यह रहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने कोरोना प्रबन्धन का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया। चुनौती और संकट के समय प्रदेश ने यह दिखाया कि हम बड़ी से बड़ी चुनौती का सामना कर सकते हैं। हम प्रदेश की 25 करोड़ जनता को कोरोना महामारी से बचानंे में सफल हुए।

    जब तक कोई भी बच्चा कुपोषित रहेगा, तो समाज के सामने चुनौती बनी रहेगी। एक स्वस्थ समाज और सशक्त राष्ट्र के निर्माण के लिए जाति, मत, मजहब से ऊपर उठकर एक-एक बच्चे पर ध्यान देना होगा। तब ही हम प्रधानमंत्री जी के वर्ष 2047 मे ंे विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। प्रदेश में विगत 06-07 वर्षाें में किये गये कार्यों के े परिणाम भी आए हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (वर्ष 2015-16) की तुलना में (वर्ष 2019-21) के स्वास्थ्य सम्बन्धी आंकड़ों के अनुसार, बच्चो ं में एनीमिया के स्तर में 5.1 प्रतिशत, स्टटिंग में 6.6 प्रतिशत, अल्प वजन में 7.4 प्रतिशत तथा सूखापन में 0.6 प्रतिशत का सुधार हुआ है। शिशु मृत्यु दर 61 से घटकर 38 हो गयी है। मातृ मत्यु दर 201 से घटकर 167 हो गयी है।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों को स्मार्टफोन दिए गए हैं। इनका प्रयोग कर बेहतरीन डेटा अपलोड करना होगा, इससे इन आंकड़ों मे ं और सुधार होगा। अक्सर हम अपने डेटा को अपलोड नहीं करते हैं, जिससे हमारे कार्य सबके सामने नहीं आते हैं। जब हमने मिशन मोड में इस कार्य को आगे बढ़ाया, तो सभी सेक्टर में सुधार होता हुआ दिखाई दिया। अब उत्तर प्रदेश भारत के विकास का बैरियर नहीं, बल्कि ग्रोथ इन्जन के रूप में जाना जा रहा है। यह किसी एक विभाग का कार्य नहीं है बल्कि यह अन्तरविभागीय समन्वय के माध्यम से ही सम्भव है।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस जैसी बीमारी पर अन्तरविभागीय समन्वय के माध्यम से ही नियन्त्रण प्राप्त किया गया है। पहले इस सीजन में 01 वर्ष से लेकर 15 वर्ष तक के हजारो ं बच्चों की मृत्यु इन्सेफेलाइटिस से होती थी। वर्ष 2017 में हमारी सरकार बनने पर इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण के लिए अभियान चलाया। प्रदेश में वर्ष में तीन बार संचारी रोग नियंत्रण तथा दस्तक अभियान चलता है। परिणाम है कि जिस इन्सेफेलाइटिस से 40 वर्षों में प्रदेश में 50 हजार से अधिक बच्चो ं की मृत्यु हुई, आज वह इन्सेफेलाइटिस प्रदेश से पूरी तरह समाप्त हो चुका है।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि यह बच्चे आज जीवित होते, तो उत्तर प्रदेश के विकास में अपना सहयोग दे रहे होते। यह सारा दोष उस व्यवस्था का था, जिसने इस बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूकता के कार्यक्रम नहीं चलाए। बेहतरीन समन्वय से उन परिवारो ं तक सरकार की व्यवस्थाओं, स्वच्छता के कार्यक्रमों, स्वास्थ्य की सुविधाओं, पोषाहार पहुंचाने या शासन की अन्य सुविधाओ ं को पहुंचाने मे ं जिन्होंने लापरवाही बरती, वह सरकारे ं और तंत्र इसका अपराधी है। आज इन्सेफेलाइटिस बीमारी को समाप्त करने के लिए किए गए कार्य मॉडल बने हैं। इसी प्रकार कोरोना महामारी को भी नियंत्रित किया गया। कोरोना की शुरुआत के समय ही टीम इलेवन का गठन किया गया था। यह अन्तरविभागीय समन्वय की ही एक व्यवस्था थी। इसके परिणाम स्वरूप हमने कोविड महामारी का बेहतरीन प्रबन्धन किया।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां बिना विचलित हुए अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ें, यह समय उनका है। अगर आप प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप इन बच्चो ं को राष्ट्रीय पोषण माह के अभियान से जोड़कर अपने कार्यक्रमो ं को आगे बढ़ाती हैं, तो आने वाला समय आपकी आराधना करेगा। महिला एवं बाल विकास विभाग को विकास खण्ड स्तर पर 01 से 03 वर्ष तथा 03 से 05 वर्ष के बच्चो ं के मध्य ‘स्वस्थ बच्चा प्रतिस्पर्धा’ करानी चाहिए। जिस परिवार में स्वस्थ बच्चे हो ं, उस परिवार की माता और उससे जुड़ी आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री को सम्मानित करना चाहिए। उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। वर्ष में दो बार यह कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए। इस वर्ष राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत ही यह प्रतियोगिता आयोजित कराकर सम्मान का कार्यक्रम करना चाहिए। यह एक बड़ा कार्यक्रम होगा। कुपोषित बच्चो ं को सुपोषित करने की दिशा में लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए। अगर यह कार्य किया जाएगा, तो यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम बनेगा और विकसित भारत की संकल्पना को साकार करने का कार्यक्रम बनेगा।

    मुख्यमंत्री जी ने कहा कि जो बच्चे और माताएं कुपोषित हैं तथा जो किशोरी कन्याएं एनीमिया से प्रभावित है, उन सभी को हमें स्वस्थ बनाना है, तभी एक समृद्ध भारत की संकल्पना और वर्ष 2047 में विकसित भारत का सपना साकार होगा। विकसित भारत में हर चेहरे पर खुशहाली होगी। इसके लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा।

    इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री ब्रजेश पाठक, महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार मंत्री श्रीमती बेबी रानी मौर्य, राज्यमंत्री श्रीमती प्रतिभा शुक्ला, मुख्य सचिव, श्री मनोज कुमार सिंह, कृषि उत्पादन आयुक्त श्रीमती मोनिका एस0 गर्ग, प्रमुख सचिव महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग श्रीमती लीना जौहरी सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियां उपस्थित थीं।

    source: http://information.up.gov.in

  • Smt. Shubhra Singh: आयुष्मान आरोग्य मंदिर होंगे जनस्वास्थ्य की प्रमुख धुरी एसीएस

    Smt. Shubhra Singh: आयुष्मान आरोग्य मंदिर होंगे जनस्वास्थ्य की प्रमुख धुरी एसीएस

    Smt. Shubhra Singh: एनएचएम की चतुर्थ रीजनल कॉन्फ्रेंस , चिकित्सा आगामी 2 वर्ष में 1 लाख 73 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को उन्नत करने का लक्ष्य:

     चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव Smt. Shubhra Singh ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आयुष्मान भारत के संकल्प को साकार करने के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम किया जा रहा है। आयुष्मान आरोग्य मंदिर इस दिशा में मील का पत्थर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि गांव-ढाणी तक प्राथमिक स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने में आयुष्मान आरोग्य मंदिर जनस्वास्थ्य की प्रमुख धुरी के रूप में काम करेंगे।
    श्रीमती सिंह बुधवार को जोधपुर में आयोजित राष्टीय स्वास्थ्य मिशन की चतुर्थ रीजनल कॉन्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। सात राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के लिए इस कॉन्फ्रेंस की मेजबानी एनएचएम राजस्थान कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह कॉन्फ्रेंस आयुष्मान आरोग्य मंदिर तक कॉम्प्रीहेंसिव प्राइमरी हेल्थ केयर, क्वालिटी एण्ड पेशेंट सेफ्टी, इण्डियन पब्लिक हैल्थ स्टैण्डर्ड, कम्यूनिटी प्रोसेसेज, मानव संसाधन, निःशुल्क दवा आपूर्ति एवं स्वास्थ्य के आधारभूत ढांचे का सुदृढ़ीकरण और उन्नयन करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
    अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्धता के साथ कदम उठा रही है। इस वित्तीय वर्ष में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 8.26 प्रतिशत बजट आवंटन किया गया है, जो अब तक का सर्वाधिक है। उन्होंने कहा कि एनएचएम स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने की दिशा एक महत्वाकांक्षी फ्लैगशिप कार्यकम है। इससे देशभर में निचले स्तर तक चिकित्सा तंत्र मजबूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि आईएचएमएस एवं आभा आईडी जैसे तकनीकी कार्यक्रम स्वास्थ्य के क्षेत्र में गेम चेंजर साबित होंगे। श्रीमती सिंह ने एनएचएम की शुरूआत के समय के अपने अनुभवों को भी साझा किया।
    केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव एवं मिशन निदेशक एनएचएम आराधना पटनायक ने कहा कि आगामी दो वर्षों में देशभर में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 1 लाख 73 हजार से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिरों को क्रियाशील किया जाएगा। यहां 12 प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होंगी। इसके लिए सीएचओ एवं अन्य स्वास्थ्य कार्मिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत गांव-ढाणी तक चिकित्सा के आधारभूत ढांचे को चरणबद्ध रूप से सशक्त बनाया जा रहा है।
    अतिरिक्त सचिव ने कहा कि ग्रामीण स्तर तक आमजन को बेहतर सेवाएं देने के लिए हमें हैल्थ फैसेलिटी की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही, दवाओं के आपूर्ति तंत्र को भी और सुगम बनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों पर संपादित होने वाली गतिविधियों को और सरल करने के लिए विभिन्न पोर्टल्स को इंटीग्रेटेड रूप में संचालित किया जाएगा। उन्होंने राज्यों से अपेक्षा की कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों का निचले स्तर तक पूरा लाभ पहुंचाने के लिए हर स्तर पर नियमित रूप से समीक्षा की जाए।
    मिशन निदेशक, एनएचएम राजस्थान डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी ने स्वागत उद्बोधन दिया। इस अवसर पर भारत सरकार के संयुक्त सचिव नीति श्री सौरभ जैन, कार्यकारी निदेशक एनएचएसआरसी श्री अतुल कोटवाल, लक्षद्वीप के स्वास्थ्य सचिव श्री अवनीश कुमार सहित गोवा, झारखण्ड, कर्नाटक, लक्षद्वीप, राजस्थान, दादर नागर हवेली, दमन, उड़ीसा, पुदुचैरी एवं दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ उपस्थित थे।
    कार्यशाला के प्रथम दिन विभिन्न सत्रों में कॉम्प्रीहेंसिव प्राइमरी हेल्थ केयर थ्रू आयुष्मान आरोग्य मंदिर, नेशनल क्वालिटी एश्यारेंस स्टैण्डर्ड, इंटीग्रेशन ऑफ वेरियस पोर्टल्स, ह्यूमन रिसार्सेज फॉर हैल्थ, फ्री डग्स इनीशिएटिव, इन्फ्रास्ट्रक्चर रिफॉर्म सहित अन्य विषयों पर चर्चा की गई। दूसरे दिन गुरूवार को विभिन्न राज्यों से आए प्रतिभागी प्रदेश के चिकित्सा संस्थानों का भ्रमण करेंगे।
  • Bhupender Yadav: केंद्रीय मंत्री ने किया एक करोड 10 लाख रूपये की लागत से निर्मित नगर वन का लोकार्पण

    Bhupender Yadav: केंद्रीय मंत्री ने किया एक करोड 10 लाख रूपये की लागत से निर्मित नगर वन का लोकार्पण

     Bhupender Yadav:  करीब 85 लाख रूपये की लागत से बनने वाले खाटू श्याम स्वागत द्वार का किया शिलान्यास नगर वन पर्यावरण संरक्षण एवं प्राकृतिक सौन्दर्य में अहम कडी होगा साबित

    अलवर जिला स्थित कटी घाटी स्थित 1.10 करोड की लागत से निर्मित नगर वन का केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री Bhupender Yadav ने मंगलवार को फीता काटकर लोकार्पण किया एवं कटी घाटी स्थित गौरव पथ पर करीब 85 लाख रूपये की लागत राशि से बनाए जाने वाले खाटू श्याम जी स्वागत द्वारा का शिलान्यास किया। इस दौरान राज्य के वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री श्री संजय शर्मा भी मौजूद रहे।
    केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने आमजन को कहा कि भारत सरकार के कैम्पा फण्ड के तहत यह नगर वन विकसित किया गया है। शहर के बीचों-बीच विकसित किया गया नगर वन का बायोडायवर्सिटी पार्क से जुडाव होने के कारण पर्यटकों एवं शहरवासियों क लिए रमणीय स्थान साबित होगा। पर्यावरण संरक्षण को बढावा देने हेतु इको ट्यूरिज्म की दिशा में कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस नगर वन में पक्षी घर बनाया गया है जो विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों के लिए शरण स्थली होगा, दो किमी इको ट्रेल बनाया गया है जिससे आमजन को मॉर्निंग वाक आदि में सहूलियत होगी, पौधों को पानी की आपूर्ति हेतु दो पानी की टंकियां बनाई गई है । दो व्यू पॉइंट बनाए गए हैं जिससे यहां आने वाले पर्यटक पूरे रमणीय स्थल का प्राकृतिक सौन्दर्य नजारा देख सकेंगे। सम्पूर्ण नगर वन क्षेत्र में 3500 पौधे लगाए गए हैं जो यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य में निखार लाने का कार्य कर रहे हैं। इसके साथ ही यहां ईको-हट, सेल्फी पॉइंट, वाटर होल, फोरेस्ट गार्ड चौकी, सौलर पैनल, सौर कनेक्शन के साथ एक बोरवेल, नगर वन की सुरक्षा हेतु 6 फीट की पक्की दीवार बनाई गई है।
    उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण को बढावा देने एवं धरती मां के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए पुराना भूरासिद्ध स्थित वन क्षेत्र में मातृ वन विकसित किया गया है जिसमें ‘एक पेड मां के नाम अभियान’ के तहत जनसहभागिता से एक साथ करीब 10 हजार से अधिक पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया गया। उन्होंने कहा कि जितना देश का विकास होगा उतने ही पौधे देश की धरा पर लगाए जाएंगे। मनुष्य का जननी मां के प्रति अपना कर्तव्य निभाने के साथ-साथ धरती मां के लिए भी पेड लगाकर उसका रखरखाव के दायित्व का भी ऋण होता है जिसे प्रत्येक व्यक्ति को निभाकर धरती मां के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संचालित एक पेड मां के नाम अभियान के तहत 5 जून से अभी तक 52 करोड लोगों ने पौधे लगाने की वन विभाग के पोर्टल पर एंट्री कराई है।
    केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने कहा कि बाबा खाटू श्याम जन-जन की आस्था के प्रतीक है तथा बाबा श्याम को समर्पित यह तोरण द्वार श्रद्धालुओं की आस्था को मूर्त रूप प्रदान करेगा।  खाटू श्याम की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालु इस द्वार से प्रवेश कर रमणीयता की अनुभूति करेंगे। उन्होंने कहा कि तोरण द्वार का निर्माण होने पर कटी घाटी को हरी घाटी के नाम से पहचान मिलेगी तथा हरी घाटी द्वार के दर्शन बाबा श्याम के दर्शन की अनुभूति कराएगा।
    वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री संजय शर्मा ने कहा कि नगर वन के लोकार्पण से शहरवासियों के साथ-साथ यहां आने वाले पर्यटकों को प्राकृतिक सौन्दर्य की अनुभूति मिलेगी। बायोलोजिकल पार्क का नगर वन से जुडाव होने से शहर की आबोहवा की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा शहरवासियों को शुद्ध ऑक्सीजन मिलेगी। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा संचालित एक पेड मां के नाम अभियान में हरियालो राजस्थान  अभियान को समाहित कर प्रदेश की धरा को हराभरा करने का वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव के नेतृत्व में विकसित किए गए मातृ वन में 4 अगस्त को जूली फ्लोरा को उखाड कर 10 हजार छायादार पौधे लगाए गए हैं। राज्य सरकार द्वारा अलवर जिले को तरजीह देते हुए बजट में कई सौगातें दी गई जिनमें बायोलोजिक पार्क, विज्ञान केंद्र, मातृवन, शहर को पेयजल आपूर्ति हेतु योजनाएं जैसी कई सौगाते शामिल है। भाखेड़ा में एनिकट बनाया जाएगा जिस पर 8 करोड रुपए खर्च होंगे। भाखेड़ा में एनीकट बनने से जहां वन्य जीवों सहित अलवर शहर की जनता को भी पानी मिलेगा,  रूपारेल नदी से जयसंबंध पानी लाने के लिए पक्की नहर तैयार की जा रही है जिसको 40 करोड रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि श्याम भजन गायक श्री कन्हैया मित्तल के अलवर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उन्होंने खाटू श्याम की तर्ज पर अलवर में भी स्वागत द्वार बनाने की इच्छा जाहिर की थी। श्याम बाबा की कृपा से आज श्याम स्वागत द्वार का शिलान्यास हुआ है। यह तोरण द्वार श्याम भक्तों की आस्था का प्रतीक होने के साथ शहर में प्रवेश के समय मनोरम दृश्य के दर्शन कराएगा।
    इस दौरान क्षेत्रीय महिलाओं द्वारा मंत्री श्री शर्मा को पेयजल समस्या से अवगत कराए जाने पर उन्होंने पेयजल हेतु थ्री फेज की बोरिंग लगवाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि शहर में पेयजल के स्थाई समाधान के लिए सिलीसेढ से पेयजल आपूर्ति बजट घोषणा कराई गई है जिसका काम शीघ्र प्रारम्भ होगा।
    पौधारोपण कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश
    केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव एवं वन एवं पर्यावरण राज्यमंत्री श्री संजय शर्मा तथा अन्य जनप्रतिनिधिगणों ने एक पेड मां के नाम अभियान के तहत नगर वन में पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण संदेश दिया।
    केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नगर वन में आज विभिन्न सामाजिक संस्थानों एवं आमजन के सहयोग से एक हजार विभिन्न प्रजातियों के छायादार, फलदार व औषधीय पौधे लगाए गए हैं जो पर्यावरण संरक्षण में कारगर साबित होंगे। इस दौरान उन्होंने पौधारोपण करने में विशेष भागीदारी निभाने वाली संस्थाओं एवं व्यक्तियों को प्रशस्ति पत्र वितरित किए।
    इस दौरान नगर निगम के महापौर श्री घनश्याम गुर्जर, जिला प्रमुख श्री बलबीर सिंह छिल्लर, जिला अध्यक्ष श्री अशोक गुप्ता, वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक जयपुर श्री राजीव चतुर्वेदी, जिला कलक्टर श्री आशीष गुप्ता, एसीएफ श्री विश्राम शर्मा, उप वन संरक्षक श्री राजेन्द्र हुड्डा, श्री के.के गुप्ता, पं. जलेसिंह, श्री संजय नरूका, महन्त गंगादास, श्री सतीश यादव, श्री महेश मीणा, श्री राजेन्द्र चतुर्वेदी, श्री राजू सैनी, श्री सुरेश यादव, श्री प्रेम पटेल, अंजलि यादव, संध्या मीणा, सुनीता मीणा सहित प्रबुद्ध व्यक्ति एवं बडी संख्या में आमजन मौजूद रहे।

Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/jcaxzbah/hindinewslive.in/wp-includes/functions.php on line 5464