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चिकित्सा मंत्री Shri Khinvsar ने की मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री Shri Khinvsar ने कहा कि विगत कुछ दिन से मौसमी बीमारियों के केस में वृद्धि को देखते हुए चिकित्सा विभाग हाई अलर्ट मोड पर रहते हुए अपने दायित्वों का निर्वहन करें। सभी अधिकारी एवं कार्मिक कार्य स्थल पर उपस्थित रहते हुए रोगियों को तत्काल जांच एवं उपचार सेवाएं उपलब्ध कराएं। मौसमी बीमारियों के प्रबंधन में किसी भी स्तर पर लापरवाही नहीं हो।श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर सोमवार को स्वास्थ्य भवन में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में प्रदेशभर में मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार आगामी करीब एक माह मौसमी बीमारियों की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है, इसे ध्यान में रखते हुए मौसमी बीमारियों पर नियंत्रण के माकूल इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं।चिकित्सा मंत्री ने कहा कि जिन जिलों में मौसमी बीमारियों के केस ज्यादा सामने आ रहे हैं, वहां विशेष सतर्कता बरती जाए। अधिकारी इन जिलों में लगातार निगरानी रखते हुए सघन रोकथाम गतिविधियां संचालित करवाएं। एंटीलार्वल, सोर्स रिडक्शन एवं फॉगिंग सहित अन्य गतिविधियां नियमित रूप से हों। इसके लिए नगरीय निकाय सहित संबंधित विभागों के साथ समुचित समन्वय स्थापित किया जाए।चिकित्सा मंत्री ने अस्पतालों में जांच किट्स एवं दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन अस्पतालों में मौसमी बीमारियों के केस ज्यादा हैं, वहां डेडीकेटेड ओपीडी संचालित करने के साथ ही रोगियों के लिए बेड की समुचित उपलब्धता रखी जाए। आवश्यकता अनुसार वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जाएं। किसी रोगी को उपचार में परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।श्री खींवसर ने जिलावार मौसमी बीमारियों के केसों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि राज्य स्तर के साथ साथ संभाग एवं जिला स्तर पर नियमित मीटरिंग की जाए। अस्पतालों के औचक निरीक्षण किए जाएं।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने कहा कि सभी जिलों में मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर आई ई सी गतिविधियां की जाएं। उन्होंने कहा कि आमतौर पर देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोगी घरेलू नुस्खे अपनाते हैं और स्थिति ज्यादा बिगड़ने पर अस्पताल पहुंचते हैं। इसके चलते कई बार रोगी का जीवन बचा पाना संभव नहीं हो पाता। ऐसी स्थिति से बचने के लिए आमजन को डेंगू, चिकुनगुनिया, मलेरिया आदि के लक्षण, जांच एवं उपचार के बारे में जानकारी दी जाए और समय पर उपचार के लिए प्रेरित किया जाए।बैठक में बताया गया कि प्रभावी प्रबंधन के कारण प्रदेश में अब तक मौसमी बीमारियों की स्थिति नियंत्रण में रही है। केस विगत वर्ष के मुकाबले कम होने के साथ ही मौसमी बीमारियों से मृत्यु के मामले नगण्य हैं। सभी जिलों में जांच एवं उपचार की समुचित व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई हैं।बैठक में चिकित्सा शिक्षा सचिव श्री अम्बरीष कुमार, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त श्री इकबाल खान, अतिरिक्त निदेशक राजपत्रित डॉ. रवि प्रकाश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण डॉ प्रवीण असवाल, मेडिकल कालेजों के प्रधानाचार्य, अधीक्षक, संयुक्त निदेशक जोन, सीएमएचओ, पीएमओ, बीसीएमओ, सीएचसी प्रभारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे। -
चिकित्सा मंत्री Mr. Khinvsar ने की मौसमी बीमारियों की समीक्षा, डेडीकेटेड ओपीडी संचालित करने के निर्देश, चिकित्सा कार्मिकों के अवकाश निरस्त
Mr. Khinvsar
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रदेश में मौसमी बीमारियों पर प्रभावी रोकथाम एवं बेहतर उपचार की दृष्टि से विभागीय अधिकारियों को अलर्ट मोड पर रहते हुए पुख्ता प्रबंधन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। चिकित्सा मंत्री के निर्देशानुसार प्रदेश के बड़े चिकित्सा संस्थान, जहां रोगी भार अधिक है वहां मौसमी बीमारियों के लिए डेडीकेटेड ओपीडी का संचालन किया जाएगा। साथ ही, प्रदेश में चिकित्सकों एवं अन्य स्वास्थ्यकार्मिकों के अवकाश निरस्त किए गए हैं। विभागीय कार्मिक अति आवश्यक स्थिति में सक्षम स्तर से अनुमति उपरांत ही अवकाश पर जा सकेंगे।Mr. Khinvsar मंगलवार को स्वास्थ्य भवन में आयोजित बैठक में मौसमी बीमारियों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मौसमी बीमारियों के रोगियों को समुचित उपचार सुगमता से मिले। इसके लिए आवश्यकतानुसार अतिरिक्त व्यवस्थाएं की जाएं। बैड्स, दवा एवं जांच आदि को लेकर मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो। चिकित्सक आवश्यक रूप से चिकित्सा संस्थानों में उपस्थित रहें।नए पदस्थापन स्थान पर तत्काल करें ज्वाइन
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि जिन चिकित्सकों या पैरामेडिकल स्टाफ ने पदोन्नति या पदस्थापन के बाद ज्वाइन नहीं किया है, वे तत्काल रूप से अपने पदस्थापन स्थान पर उपस्थिति दें। उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल, उप जिला अस्पताल, सीएचसी एवं पीएचसी स्तर पर चिकित्सक एवं अन्य कार्मिक पूरी मुस्तैदी के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करें। रोगियों के उपचार में किसी तरह की लापरवाही नहीं हो।राज्य एवं जिला स्तरीय अधिकारी करें औचक निरीक्षण
श्री खींवसर ने मौसमी बीमारियों की प्रभावी मॉनिटरिंग पर जोर देते हुए कहा कि राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय अधिकारी चिकित्सा संस्थानों का औचक निरीक्षण कर वहां मौसमी बीमारियों के प्रबंधन की जांच करें। साथ ही, राज्य स्तर पर इस संबंध में नियमित रिपोर्ट प्रेषित की जाए। दवा, जांच किट या अन्य संसाधनों की आपूर्ति निर्बाध रूप से हो। किसी भी तरह की समस्या होने पर तत्काल उच्च स्तर पर अवगत कराया जाए।संबंधित विभागों के साथ रखें समुचित समन्वय
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि मौसमी बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए नगरीय निकाय विभाग सहित सभी संबंधित विभागों से भी आवश्यक समन्वय स्थापित किया जाए। साथ ही, व्यापक प्रचार-प्रसार करते हुए आमजन को मौसमी बीमारियों से बचाव के उपाय अपनाने के लिए जागरूक किया जाए।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने कहा कि मौसमी बीमारियों की रोकथाम के लिए नियमित समीक्षा की जा रही है। सभी जिलों में अतिरिक्त मेडिकल टीमें लगाकर उपचार एवं बचाव गतिविधियों को व्यापक रूप दिया जा रहा है। साथ ही, मौसमी बीमारियों की स्थिति की जिलेवार समीक्षा कर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।उन्होंने निर्देश दिए कि मलेरिया, चिकुनगुनिया, स्क्रब टायफस आदि मौसमी बीमारियों से प्रभावित क्षेत्रों में रेपिड रेस्पॉन्स टीमें भ्रमण कर गंभीर रोगी की जांच एवं उपचार प्रदान करें। आवश्यकता होने पर चिकित्सा संस्थान में रेफर करें तथा बचाव व नियंत्रण संबंधी कार्यों यथा एन्टीलार्वल, मच्छर रोधी, फोगिंग, सोर्स रिडक्शन आदि गतिविधियों की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करें।निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ रवि प्रकाश माथुर ने बताया कि चिकित्सा विभाग के निरंतर प्रयासों एवं प्रभावी मॉनिटरिंग से इस वर्ष अधिकांश जिलों में मौसमी बीमारियों के केस विगत वर्ष के मुकाबले आधे हैं। अन्य राज्यों के मुकाबले प्रदेश में मौसमी बीमारियों पर नियंत्रण की स्थिति बेहतर है।बैठक में चिकित्सा शिक्षा सचिव श्री अंबरीश कुमार, चिकित्सा शिक्षा आयुक्त श्री इकबाल खान, सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक डॉ सुशील भाटी, अतिरिक्त निदेशक राजपत्रित डॉ. रवि प्रकाश शर्मा, अतिरिक्त निदेशक ग्रामीण स्वास्थ्य डॉ. प्रवीण असवाल, अतिरिक्त निदेशक अस्पताल प्रशासन डॉ. सुशील परमार सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।source: http://dipr.rajasthan.gov.in -
Shri Gajendra Singh Khinvsar: चिकित्सा विभाग में मिशन मोड में भर्तियां— महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 3671 पदों के लिए अंतिम वरीयता सूची जारी
Shri Gajendra Singh Khinvsar
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री Shri Gajendra Singh Khinvsar की पहल पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में भर्तियों के काम को मिशन मोड में अंजाम दिया जा रहा है। इसी कड़ी में चिकित्सा मंत्री की मंजूरी के बाद बुधवार को महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 3671 पदों पर अंतिम वरीयता सूची जारी की गई। इन महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं का जल्द पदस्थापन होने से गांव-ढाणी तक स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूती मिलेगी।
चिकित्सा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर प्रदेश में भर्तियों का काम प्रतिबद्धता के साथ पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग में अधिकारियों एवं समस्त टीम के प्रयासों से मिशन मोड में भर्तियों की प्रक्रिया को गति मिली है। उन्होंने चयनित अभ्यर्थियों और उनके परिवारजन को भी बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं।
अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान (शीफू) के माध्यम से 20 हजार से अधिक विभिन्न पदों पर भर्ती की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इसी क्रम में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के 4847 पदों में से 3671 पदों के लिए अंतिम वरीयता सूची को चिकित्सा मंत्री ने मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि इस भर्ती को पूरा करने के लिए शीफू द्वारा अंतरिम वरीयता सूची पर प्राप्त परिवेदनाओं का निस्तारण किया गया एवं अन्य राज्यों से व्यावसायिक योग्यता अर्जित करने वाले चयनित अभ्यर्थियों की अंकतालिकाओं का विभिन्न राज्यों में टीमें भेजकर सत्यापन करवाया गया। इसी प्रकार अभ्यर्थियों के अनुभव प्रमाण पत्रों का पुनर्सत्यापन, आर.एन.सी. पंजीयन का प्रमाणन आदि प्रक्रियाओं को अपनाते हुए 3671 पदों हेतु यह अंतिम वरीयता सूची जारी की गई।
शेष रहे 1176 पदों पर चयनित अभ्यर्थियों, जिनका परिणाम अनुभव सत्यापन, अंकतालिकाओं के सत्यापन, खेल प्रमाण पत्रों के सत्यापन, मेडिकल बोर्ड से दिव्यांगजन प्रमाण पत्रों के सत्यापन का कार्य प्रक्रियाधीन होने के कारण रोका गया है। सत्यापन के बाद शीघ्र ही इन पदों का परिणाम भी जारी कर दिया जायेगा।
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राजस्थान सरकार मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा: की मानवीय पहल ‘रामाश्रय’ से 6 लाख वृद्धजन लाभान्वित
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा: राजस्थान सरकार की मानवीय पहल बुजुर्गों को सम्मान के साथ मिल रही स्वास्थ्य सेवाएं ‘रामाश्रय’ से 6 लाख वृद्धजन लाभान्वित
मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की पहल पर प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में वृद्धजनों को सुगमतापूर्वक विशेष स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए रामाश्रय वार्ड (जेरियाट्रिक वार्ड एवं जेरियाट्रिक क्लीनिक) जनसेवा का एक सार्थक माध्यम बनकर उभरे हैं। यहां बुजुर्गों को सम्मान के साथ बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवायी जा रही हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के मार्गदर्शन में गत 14 मार्च से प्रारम्भ हुई इस संवेदनशील पहल से अब तक करीब 6 लाख बुजुर्ग लाभान्वित हो चुके हैं।चिकित्सा मंत्री ने बताया कि हमारे बुजुर्गों को उपचार के लिए चक्कर नहीं काटना पड़े, कतारों में खड़ा नहीं होना पड़े और एक ही स्थान पर जांच एवं उपचार सेवाओं का लाभ मिल सके, इस मानवीय सोच के साथ रामाश्रय वार्डों की स्थापना की गई है। अब तक 5 लाख 14 हजार से अधिक बुजुर्गों ने रामाश्रय वार्ड की ओपीडी में विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के लिए परामर्श लिया है। इसी प्रकार रामाश्रय आईपीडी में 32 हजार से अधिक वृद्धजनों को भर्ती कर उपचार उपलब्ध करवाया गया है। अब तक 3 लाख 14 हजार से अधिक लैब टैस्ट किए गए हैं एवं 8 हजार 320 बुजुर्गों को फिजियोथैरेपी सेवाएं प्रदान की गयी हैं। गंभीर स्थिति में उच्च स्तरीय उपचार के लिए 1 हजार 706 रोगियों को यहां रैफर किया गया है।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती शुभ्रा सिंह ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में इस मानवीय पहल को 100 दिवसीय कार्य योजना में शामिल कर अल्प समय में निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया गया। प्रायः यह देखा जाता था कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले बुजुर्गों को उपचार को लेकर असहजता महसूस होती थी। इस समस्या के समाधान की दृष्टि से रामाश्रय वार्ड बनाए गए, जहां वृद्धजनों के उपचार एवं देखभाल की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।इन सुविधाओं से लैस हैं रामाश्रय वार्ड
रामाश्रय वार्डों में 10 फाउलर बैड आरक्षित किए गए हैं। इनमें से 5 बैड महिला एवं 5 बैड पुरूषों के लिए हैं। हर बैड के बीच पार्टीशन कर पर्दे लगाए गए हैं। बैड के पास नर्सिंग अलार्म सिस्टम लगाए गए हैं ताकि आपात स्थिति में वृद्धजन तुरंत नर्सिंग स्टाफ को बुला सकें। वार्ड में महिला एवं पुरूष रोगियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। इन शौचालयों में ग्रेब-बार लगाए गए हैं। वार्ड में फिजियोथेरेपिस्ट एवं फिजियाथैरेपी से संबंधित उपकरणों की समुचित व्यवस्था की गई है। इनमें शॉर्ट वेव डायाथर्मी, अल्ट्रासाउण्ड थैरेपी, सरवाइकल ट्रेक्शन, पैल्विक ट्रेक्शन, ट्रांस इलेक्ट्रिक नर्व स्टिमुलेटर जैसे उपकरण शामिल कर वार्ड में व्हील चेयर, ट्रोली, मेडिसिन कैबिनेट एवं अन्य आवश्यक फर्नीचर उपलब्ध करवाया गया है।हर वार्ड का नोडल अधिकारी, बैड पर ही जांच
वार्ड का एक नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो वार्ड की समस्त व्यवस्थाओं का प्रबंधन करता है। रोगियों की देखभाल के लिए अलग से नर्सिंग स्टाफ तथा साफ-सफाई के लिए कार्मिक नियोजित किए गए हैं। वृद्धजनों को आईपीडी के समय पर विशेषज्ञ सेवाएं वार्ड में ही उपलब्ध हो रही हैं। जांच के लिए सैम्पल भी वार्ड से ही एकत्र कर रिपोर्ट भी बैड पर ही उपलब्ध करवाई जा रही है। वृद्धजनों के उपचार एवं अन्य व्यवस्थाओं से संबंधित सभी चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, फिजियोथैरेपिस्ट एवं अन्य कार्मिकों के दूरभाष नंबरों की सूची वार्ड के बाहर प्रदर्शित की गई है।ओपीडी सेवाओं के लिए जेरियाट्रिक क्लिनिक
राजकीय जिला अस्पतालों एवं उप जिला अस्पतालों में वृद्धजनों को ओपीडी सेवाओं के लिए जेरियाट्रिक क्लिनिक की व्यस्था की गई है। साथ ही अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन काउंटर, जांच काउंटर, दवा वितरण केंद्र आदि पर वृद्धजनों के लिए अलग से व्यवस्था सुनिश्चित की गई है ताकि उन्हें अधिक समय कतारों में नहीं खड़ा रहना पडे़ और आसानी से उपचार मिल सके।व्यवस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए भारत सरकार को भेजा प्रस्ताव
प्रदेश के अस्पतालों में वृद्धजनों को सुविधाजनक रूप से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए चिकित्सा विभाग ने 22 करोड़ रूपए का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव के तहत वृद्धजनों के उपचार के लिए आवश्यक उपकरण, चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण सहित अन्य कार्य सम्पादित किए जाएंगे।साल में चार बार नि:शुल्क जांच एवं पार्किंग सुविधा
प्रदेश में बुजुर्ग अब साल में चार बार नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच करवा सकेंगे। यह सुविधा बुजुर्गों के लिए सभी जिला अस्पतालों, उप जिला अस्पतालों से लेकर सीएचसी स्तर तक उपलब्ध होगी। साथ ही एक एडवाइजरी जारी कर सभी जिला अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में बुजुर्गों को पार्किंग सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं।