Tag: कांग्रेस

  • दिल्ली की CM Atishi मिलेंगी हिरासत में लिये गये पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक से, राहुल गांधी ने किया समर्थन

    दिल्ली की CM Atishi मिलेंगी हिरासत में लिये गये पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक से, राहुल गांधी ने किया समर्थन

    CM Atishi

    अन्य लद्दाखियों के साथ, सोनम वांगचुक को दिल्ली पुलिस ने कथित रूप से निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए हिरासत में लिया था।

    दिल्ली की CM Atishi ने कहा कि वह “चलो दिल्ली” जलवायु मार्च का नेतृत्व करते हुए पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई लद्दाख की कार्यकर्ता सोनम वांगचुक से मिलने के लिए मंगलवार दोपहर 1 बजे बवाना पुलिस स्टेशन जाएंगी।

    वांगचुक के साथ, अन्य लद्दाखियों को भी दिल्ली पुलिस ने कथित रूप से निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के लिए सोमवार रात को हिरासत में लिया था।

    एक्स पर एक पोस्ट में आतिशी ने कहा, “सोनम वांगचुक और हमारे 150 लद्दाखी भाई-बहन शांति से दिल्ली आ रहे थे। पुलिस ने उन्हें रोक लिया है। वे बीती रात से बवाना पुलिस थाने में कैद हैं। क्या लद्दाख के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों की मांग करना गलत है? क्या सत्याग्रहियों का 2 अक्टूबर को गांधी समाधि जाना गलत है?

    आतिशी ने वांगचुक की नजरबंदी को तानाशाही करार दिया।

    वांगचुक के मार्च का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन और विशेष रूप से हिमालय और लद्दाख क्षेत्र में इसके प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा देने की भी मांग की है।

    इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी वांगचुक के लिए अपना समर्थन व्यक्त करते हुए उनकी नजरबंदी को “अस्वीकार्य” बताया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, “सोनम वांगचुक जी और सैकड़ों लद्दाखियों को पर्यावरण और संवैधानिक अधिकारों के लिए शांतिपूर्वक मार्च करते हुए हिरासत में लेना अस्वीकार्य है। लद्दाख के भविष्य के लिए खड़े होने के लिए बुजुर्ग नागरिकों को दिल्ली की सीमा पर क्यों हिरासत में लिया जा रहा है?

    लोकसभा में विपक्ष के नेता ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की। मोदी जी, किसानों की तरह यह ‘चक्रव्यूह “टूट जाएगा और आपका अहंकार भी टूट जाएगा। आपको लद्दाख की आवाज सुननी होगी।

    पूर्व उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया ने भाजपा और उसके नेताओं, मोदी और अमित शाह पर गैंगस्टरों को बचाने और देश से प्यार करने वाले वांगचुक जैसे लोगों के साथ आतंकवादी जैसा व्यवहार करने का आरोप लगाया।

    उन्होंने कहा, “अपराध रोकने और दिल्ली में बढ़ते गैंगस्टरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अपने पुलिस बल का इस्तेमाल करने के बजाय, भाजपा सोनम वांगचुक को रोक रही है।

    मंत्री सौरभ भारद्वाज के अनुसार, पुलिस ने त्योहारों के मौसम से पहले कर्फ्यू लगा दिया है, सार्वजनिक रूप से पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया है।

  • हरियाणा के CM Nayab Singh Saini: हर अग्निवीर को नौकरी, ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाएगा

    हरियाणा के CM Nayab Singh Saini: हर अग्निवीर को नौकरी, ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाएगा

    CM Nayab Singh Saini

    कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए CM Nayab Singh Saini ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले सार्वजनिक रूप से बयान देकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी कि सरकारी नौकरियां ‘पारची “के आधार पर दी जाएंगी (slip)…

    कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले सार्वजनिक रूप से बयान देकर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी थी कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो सरकारी नौकरियां पर्ची के आधार पर दी जाएंगी।

    सैनी ने कांग्रेस नेताओं पर ‘अग्निवीर’ योजना को लेकर लोगों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया, जिसमें कहा गया था कि राज्य में हर अग्निवीर को नौकरी दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि अगर वे व्यापार करना चाहते हैं तो उन्हें ब्याज मुक्त ऋण भी दिया जाएगा।

    उन्होंने कहा, “कांग्रेस नौकरी के मुद्दे पर अपने ही जाल में फंस गई है। इसके नेताओं ने सत्ता में आने से पहले ही युवाओं का भविष्य बेच दिया है। वे खुले तौर पर कह रहे हैं कि एक पर्ची पर रोल नंबर लिखना कांग्रेस शासन में नौकरी पाने के लिए पर्याप्त है। यहां तक कि वे अपनी नौकरी का कोटा तय करने की भी बात कर रहे हैं। भाजपा उम्मीदवार मनीष ग्रोवर के पक्ष में आज यहां एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए सैनी ने कहा, “अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस ने नौकरियां बेचने की पूरी योजना तैयार कर ली है।

    मुख्यमंत्री ने दावा किया कि पिछले एक दशक में भाजपा शासन के दौरान योग्यता के आधार पर नौकरियां दी गईं। नौकरियों की संख्या भी पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना में लगभग दोगुनी थी।

    आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2005 से 2014 तक कांग्रेस शासन के दौरान कुल 86,067 युवाओं को नौकरी दी गई, जबकि भाजपा ने 2014 से 2024 तक अपने कार्यकाल के दौरान 1,43,000 युवाओं को नौकरी दी। बड़ा अंतर यह है कि कांग्रेस के शासनकाल में युवाओं को ‘पारची-खर्ची “के आधार पर नौकरी दी गई, जबकि भाजपा ने योग्य उम्मीदवारों को योग्यता के आधार पर नौकरी सुनिश्चित की।

  • महाराष्ट्र के वर्धा में राष्ट्रीय ‘PM Vishwakarma’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

    महाराष्ट्र के वर्धा में राष्ट्रीय ‘PM Vishwakarma’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

    PM Vishwakarma

    भारत माता की जय!

    भारत माता की जय!

    PM Vishwakarma: दो दिन पहले ही हम सबने विश्वकर्मा पूजा का उत्सव मनाया है। और आज, वर्धा की पवित्र धरती पर हम पीएम विश्वकर्मा योजना की सफलता का उत्सव मना रहे हैं। आज ये दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि 1932 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी ने अस्पृश्यता के खिलाफ अभियान शुरू किया था। ऐसे में विश्वकर्मा योजना के एक साल पूर्ण होने का ये उत्सव,विनोबा भावे जी की ये साधना स्थली, महात्मा गांधी जी की कर्मभूमि, वर्धा की ये धरती, ये उपलब्धि और प्रेरणा का ऐसा संगम है, जो विकसित भारत के हमारे संकल्पों को नई ऊर्जा देगा। विश्वकर्मा योजना के जरिए हमने श्रम से समृद्धि, इसका कौशल से बेहतर कल का जो संकल्प लिया है, वर्धा में बापू की प्रेरणाएँ हमारे उन संकल्पों को सिद्धि तक ले जाने का माध्यम बनेंगी। मैं इस योजना से जुड़े सभी लोगों, देश भर के सभी लाभार्थियों को इस अवसर पर बधाई देता हूं।

    आज अमरावती में पीएम मित्र पार्क की आधारशिला भी रखी गई है। आज का भारत अपनी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को वैश्विक बाज़ार में टॉप पर ले जाने के लिए काम कर रहा है। देश का लक्ष्य है- भारत की टेक्सटाइल सेक्टर के हजारों वर्ष पुराने गौरव को पुनर्स्थापित करना। अमरावती का पीएम मित्र पार्क इसी दिशा में एक और बड़ा कदम है। मैं इस उपलब्धि के लिए भी आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ।

    हमने विश्वकर्मा योजना की पहली वर्षगांठ के लिए महाराष्ट्र को चुना, हमने वर्धा की इस पवित्र धरती को चुना, क्योंकि विश्वकर्मा योजना केवल सरकारी प्रोग्राम भर नहीं है। ये योजना भारत के हजारों वर्ष पुराने कौशल को विकसित भारत के लिए इस्तेमाल करने का एक रोडमैप है। आप याद करिए, हमें इतिहास में भारत की समृद्धि के कितने ही गौरवशाली अध्याय देखने को मिलते हैं। इस समृद्धि का बड़ा आधार क्या था? उसका आधार था, हमारा पारंपरिक कौशल! उस समय का हमारा शिल्प, हमारी इंजीनियरिंग, हमारा विज्ञान! हम दुनिया के सबसे बड़े वस्त्र निर्माता थे। हमारा धातु-विज्ञान, हमारी मेटलर्जी भी विश्व में बेजोड़ थी। उस समय के बने मिट्टी के बर्तनों से लेकर भवनों की डिजाइन का कोई मुकाबला नहीं था। इस ज्ञान-विज्ञान को कौन घर-घर पहुंचाता था? सुतार, लोहार, सोनार, कुम्हार, मूर्तिकार, चर्मकार, बढ़ई-मिस्त्री ऐसे अनेक पेशे, ये भारत की समृद्धि की बुनियाद हुआ करते थे। इसीलिए, गुलामी के समय में अंग्रेजों ने इस स्वदेशी हुनर को समाप्त करने के लिए भी अनेकों साजिशें की। इसलिए ही वर्धा की इसी धरती से गांधी जी ने ग्रामीण उद्योग को बढ़ावा दिया था।

    ये देश का दुर्भाग्य रहा कि आजादी के बाद की सरकारों ने इस हुनर को वो सम्मान नहीं दिया, जो दिया जाना चाहिए था। उन सरकारों ने विश्वकर्मा समाज की लगातार उपेक्षा की। जैसे-जैसे हम शिल्प और कौशल का सम्मान करना भूलते गए, भारत प्रगति और आधुनिकता की दौड़ में भी पिछड़ता चला गया।

    अब आज़ादी के 70 साल बाद हमारी सरकार ने इस परंपरागत कौशल को नई ऊर्जा देने का संकल्प लिया। इस संकल्प को पूरा करने के लिए हमने ‘पीएम विश्वकर्मा’ जैसी योजना शुरू की। विश्वकर्मा योजना की मूल भावना है- सम्मान, सामर्थ्य और समृद्धि! यानी, पारंपरिक हुनर का सम्मान! कारीगरों का सशक्तिकरण! और विश्वकर्मा बंधुओं के जीवन में समृद्धि, ये हमारा लक्ष्य है।

    विश्वकर्मा योजना की एक और विशेषता है। जिस स्केल पर, जिस बड़े पैमाने पर इस योजना के लिए अलग-अलग विभाग एकजुट हुए हैं, ये भी अभूतपूर्व है। देश के 700 से ज्यादा जिले, देश की ढाई लाख से ज्यादा ग्राम पंचायतें, देश के 5 हजार शहरी स्थानीय निकाय, ये सब मिलकर इस अभियान को गति दे रहे हैं। इस एक वर्ष में ही 18 अलग-अलग पेशों के 20 लाख से ज्यादा लोगों को इससे जोड़ा गया। सिर्फ साल भर में ही 8 लाख से ज्यादा शिल्पकारों और कारीगरों को स्किल ट्रेनिंग, Skill upgradation  मिल चुकी है। अकेले महाराष्ट्र में ही 60 हजार से ज्यादा लोगों को ट्रेनिंग मिली है। इसमें, कारीगरों को modern machinery और digital tools जैसी नई टेक्नॉलजी भी सिखाई जा रही है। अब तक साढ़े 6 लाख से ज्यादा विश्वकर्मा बंधुओं को आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। इससे उनके उत्पादों की क्वालिटी बेहतर हुई है, उनकी उत्पादकता बढ़ी है। इतना ही नहीं, हर लाभार्थी को 15 हजार रुपए का ई-वाउचर दिया जा रहा है। अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए बिना गारंटी के 3 लाख रुपए तक लोन भी मिल रहा है। मुझे खुशी है कि एक साल के भीतर-भीतर विश्वकर्मा भाइयों-बहनों को 1400 करोड़ रुपए का लोन दिया गया है। यानि विश्वकर्मा योजना, हर पहलू का ध्यान रख रही है। तभी तो ये इतनी सफल है, तभी तो ये लोकप्रिय हो रही है।

    अभी मैं हमारे जीतन राम मांझी जी प्रदर्शनी का वर्णन कर रहे थे। मैं प्रदर्शनी देखने गया था। मैं देख रहा था कितना अद्भुत काम परंपरागत रूप से हमारे यहां लोग करते हैं। और जब उनको नए आधुनिक technology tool मिलते हैं, training मिलते हैं, उनको अपना कारोबार बढ़ाने के लिए seed money मिलता है, तो कितना बड़ा कमाल करते हैं वो अभी मैं देखकर आया हूं। और यहां जो भी आप आए हैं ना, मेरा आपसे भी आग्रह है, आप ये प्रदर्शनी जरूर देखें। आपको इतना गर्व होगा कि कितनी बड़ी क्रांति आई है।

    हमारे पारंपरिक कौशल में सबसे ज्यादा भागीदारी SC, ST और OBC समाज के लोगों की रही है। अगर पिछली सरकारों ने विश्वकर्मा बंधुओं की चिंता की होती, तो इस समाज की कितनी बड़ी सेवा होती। लेकिन, काँग्रेस और उसके दोस्तों ने SC, ST, OBC को जानबूझकर के आगे नहीं बढ़ने दिया। हमने सरकारी सिस्टम से काँग्रेस की इस दलित, पिछड़ा विरोधी सोच को खत्म किया है। पिछले एक साल के आंकड़े बताते हैं कि आज विश्वकर्मा योजना का सबसे ज्यादा लाभ SC, ST और OBC समाज उठा रहा है। मैं चाहता हूं- विश्वकर्मा समाज, इन पारंपरिक कार्यों में लगे लोग केवल कारीगर बनकर न रह जाएँ! बल्कि मैं चाहता हूं, वे कारीगर से ज्यादा वो उद्यमी बनें, व्यवसायी बनें, इसके लिए हमने विश्वकर्मा भाई-बहनों के काम को MSME का दर्जा दिया है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट और एकता मॉल जैसे प्रयासों के जरिए पारंपरिक उत्पादों की मार्केटिंग की जा रही है। हमारा लक्ष्य है कि ये लोग अपने बिज़नस को आगे बढ़ाएँ! ये लोग बड़ी-बड़ी कंपनियों की सप्लाई चेन का हिस्सा बनें।

    ONDC और GeM जैसे माध्यमों से शिल्पकारों, कारीगरों और छोटे कारोबारियों को अपना बिज़नेस बढ़ाने में मदद का रास्ता बन रहा है। ये शुरुआत बता रही है, जो वर्ग आर्थिक प्रगति में पीछे छूट रहा था, वो विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अहम रोल निभाएगा। सरकार का जो स्किल इंडिया मिशन है, वो भी इसे सशक्त कर रहा है। कौशल विकास अभियान के तहत भी देश के करोड़ों नौजवानों की आज की जरूरतों के हिसाब से स्किल ट्रेनिंग हुई है। स्किल इंडिया जैसे अभियानों ने भारत की स्किल को पूरी दुनिया में पहचान दिलानी शुरू कर दी थी। और हमारे स्किल मंत्रालय, हमारी सरकार बनने के बाद हमने अलग स्किल मंत्रालय बनाया और हमारे जैन चौधरी जी आज स्किल मंत्रालय का कारोबार देखते हैं। उनके नेतृत्व में इसी साल, फ्रांस में World Skills पर बहुत बड़ा आयोजन हुआ था। हम ओलम्पिक की तो चर्चा बहुत करते हैं। लेकिन उस फ्रांस में अभी एक बहुत बड़ा आयोजन हुआ। इसमें स्किल को लेकर के हमारे छोटे-छोटे काम करने वाले कारीगरों को और उन लोगों को भेजा गया था। और इसमें भारत ने बहुत सारे अवार्ड अपने नाम किए हैं। ये हम सबके लिए गर्व का विषय है।

    महाराष्ट्र में जो अपार औद्योगिक संभावनाएं हैं, उनमें टेक्सटाइल इंडस्ट्री भी एक है। विदर्भ का ये इलाका, ये हाई क्वालिटी कपास के उत्पादन का इतना बड़ा केंद्र रहा है। लेकिन, दशकों तक काँग्रेस और बाद में महा-अघाड़ी सरकार ने क्या किया? उन्होंने कपास को महाराष्ट्र के किसानों की ताकत बनाने की जगह उन किसानों को बदहाली में धकेल दिया। ये लोग केवल किसानों के नाम पर राजनीति और भ्रष्टाचार करते रहे। समस्या का समाधान देने के लिए काम तब तेजी से आगे बढ़ा, जब 2014 में देवेन्द्र फडणवीस जी की सरकार बनी थी। तब अमरावती के नांदगाव खंडेश्वर में टेक्सटाईल पार्क का निर्माण हुआ था। आप याद करिए, तब उस जगह के क्या हाल थे? कोई उद्योग वहाँ आने को तैयार नहीं होता था। लेकिन, अब वही इलाका महाराष्ट्र के लिए बड़ा औद्योगिक केंद्र बनता जा रहा है।

    आज पीएम-मित्र पार्क पर जिस तेजी से काम हो रहा है, उससे डबल इंजन सरकार की इच्छाशक्ति का पता चलता है। हम देश भर में ऐसे ही 7 पीएम मित्र पार्क स्थापित कर रहे हैं। हमारा विज़न है- Farm to Fibre, Fibre to Fabric, Fabric to Fashion, Fashion to Foreign यानी, विदर्भ के कपास से यहीं हाई-क्वालिटी फ़ैब्रिक बनेगा। और यहीं पर फ़ैब्रिक से फ़ैशन के मुताबिक कपड़े तैयार किए जाएंगे। ये फ़ैशन विदेशों तक एक्सपोर्ट होगा। इससे किसानों को खेती में होने वाला नुकसान बंद होगा। उन्हें उनकी फसल की अच्छी कीमत मिलेगी, उसमें value addition होगा। अकेले पीएम मित्र पार्क से ही यहाँ 8-10 हजार करोड़ रुपए के निवेश की संभावना है। इससे विदर्भ और महाराष्ट्र में युवाओं के लिए रोजगार के एक लाख से ज्यादा नए अवसर बनेंगे। यहाँ दूसरे उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। नई supply chains बनेंगी। देश का निर्यात बढ़ेगा, आमदनी बढ़ेगी

    इस औद्योगिक प्रगति के लिए जो आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी चाहिए, महाराष्ट्र उसके लिए भी तैयार हो रहा है। नए हाइवेज, एक्सप्रेसवेज़, समृद्धि महामार्ग, वॉटर और एयर कनेक्टिविटी का विस्तार, महाराष्ट्र नई औद्योगिक क्रांति के लिए कमर कस चुका है।

    मैं मानता हूँ, महाराष्ट्र की बहु-आयामी प्रगति का अगर कोई पहला नायक है, तो वो है- यहाँ का किसान! जब महाराष्ट्र का, विदर्भ का किसान खुशहाल होगा, तभी देश भी खुशहाल होगा। इसीलिए, हमारी डबल इंजन सरकार मिलकर किसानों की समृद्धि के लिए काम कर रही हैं। आप देखिए पीएम-किसान सम्मान निधि के रूप में केंद्र सरकार 6 हजार रुपए किसानों के लिए भेजती है, महाराष्ट्र सरकार उसमें 6 हजार रुपए और मिलाती है। महाराष्ट्र के किसानों को अब 12 हजार रुपया सालाना मिल रहा है। फसलों के नुकसान की कीमत किसान को न चुकानी पड़े, इसके लिए हमने 1 रुपए में फसल बीमा देना शुरू किया है। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे जी की सरकार ने किसानों का बिजली बिल भी ज़ीरो कर दिया है। इस क्षेत्र में सिंचाई की समस्या के समाधान के लिए हमारी सरकार के समय से ही कई प्रयास शुरू हुये थे। लेकिन, बीच में ऐसी सरकार आ गई जिसने सारे कामों पर ब्रेक लगा दिया। इस सरकार ने फिर से सिंचाई से जुड़े प्रोजेक्ट्स को गति दी है। इस क्षेत्र में करीब 85 हजार करोड़ रुपए की लागत से वैनगंगा-नलगंगा नदियों को जोड़ने की परियोजना को हाल ही में मंजूरी दी गई है। इससे नागपुर, वर्धा, अमरावती, यवतमाल, अकोला, बुलढाणा इन 6 जिलों में 10 लाख एकड़ जमीन पर सिंचाई की सुविधा मिलेगी।

    हमारे महाराष्ट्र के किसानों की जो मांगें थीं, उन्हें भी हमारी सरकार पूरा कर रही है। प्याज पर एक्सपोर्ट टैक्स 40 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। खाद्य तेलों का जो आयात होता है, उस पर हमने 20 प्रतिशत टैक्स लगा दिया है। Refined सोयाबीन, सूर्यमुखी और पाम ऑयल पर कस्टम ड्यूटी को साढ़े 12 प्रतिशत से बढ़ाकर साढ़े 32 प्रतिशत कर दिया गया है। इसका बहुत फायदा हमारे सोयाबीन उगाने वाले किसानों को होगा। जल्द ही इन सब प्रयासों के परिणाम भी हमें देखने को मिलेंगे। लेकिन, इसके लिए हमें एक सावधानी भी बरतनी होगी। जिस काँग्रेस पार्टी और उसके दोस्तों ने किसानों को इस हालत में पहुंचाया, बर्बाद किया, हमें उन्हें फिर मौका नहीं देना है। क्योंकि, काँग्रेस का एक ही मतलब है- झूठ, धोखा और बेईमानी! इन्होंने तेलंगाना में चुनाव के समय किसानों से लोन माफी जैसे बड़े-बड़े वादे किए। लेकिन, जब इनकी सरकार बनी, तो किसान लोन माफी के लिए भटक रहे हैं। कोई उनकी सुनने वाला नहीं है। महाराष्ट्र में हमें इनकी धोखेबाज़ी से बचकर रहना है।

    आज जो काँग्रेस हम देख रहे हैं, ये वो काँग्रेस नहीं है जिससे कभी महात्मा गांधी जी जैसे महापुरूष जुड़े थे। आज की काँग्रेस में देशभक्ति की आत्मा दम तोड़ चुकी है। आज की काँग्रेस में नफरत का भूत दाखिल हो गया है। आप देखिए, आज काँग्रेस के लोगों की भाषा, उनकी बोली, विदेशी धरती पर जाकर उनके देशविरोधी एजेंडे, समाज को तोड़ना, देश को तोड़ने की बात करना, भारतीय संस्कृति और आस्था का अपमान करना, ये वो काँग्रेस है, जिसे टुकड़े-टुकड़े गैंग और अर्बन नक्सल के लोग चला रहे हैं। आज देश की सबसे बेईमान और सबसे भ्रष्ट कोई पार्टी है, तो वो पार्टी कांग्रेस पार्टी है। देश का सबसे भ्रष्ट परिवार कोई है, तो वो कांग्रेस का शाही परिवार है।

    जिस पार्टी में हमारी आस्था और संस्कृति का जरा सा भी सम्मान होगा, वो पार्टी कभी गणपति पूजा का विरोध नहीं कर सकती। लेकिन आज की कांग्रेस को गणपति पूजा से भी नफरत है। महाराष्ट्र की धरती गवाह है, आज़ादी की लड़ाई में लोकमान्य तिलक के नेतृत्व में गणपति उत्सव भारत की एकता का उत्सव बन गया था। गणेश उत्सव में हर समाज, हर वर्ग के लोग एक साथ जुड़ते थे। इसीलिए, काँग्रेस पार्टी को गणपति पूजा से भी चिढ़ है। मैं गणेश पूजन कार्यक्रम में चला गया, तो काँग्रेस का तुष्टिकरण का भूत जाग उठा, कांग्रेस गणपति पूजा का विरोध करने लगी। तुष्टिकरण के लिए कांग्रेस कुछ भी कर रही है। आपने देखा है, कर्नाटक में तो काँग्रेस सरकार ने गणपति बप्पा को ही सलाखों के पीछे डाल दिया। गणपति की जिस मूर्ति की लोग पूजा कर रहे थे, उसे पुलिस वैन में कैद करवा दिया। महाराष्ट्र  गणपतीची आराधना करीत होता  आणि कर्नाटकात गणपतीची मूर्ती पोलिस वैन मद्धे होती?

    पूरा देश गणपति के इस अपमान को देखकर आक्रोशित है। मैं हैरान हूँ, इस पर कांग्रेस के सहयोगियों के मुंह पर भी ताला लग गया है। उन पर भी काँग्रेस की संगत का ऐसा रंग चढ़ा है कि गणपति के अपमान का भी विरोध करने की उनमें हिम्मत नहीं बची है।

    हमें एकजुट होकर काँग्रेस के इन पापों का जवाब देना है। हमें परंपरा और प्रगति के साथ खड़ा होना है। हमें सम्मान और विकास के एजेंडे के साथ खड़ा होना है। हम साथ मिलकर महाराष्ट्र की अस्मिता को बचाएंगे। हम सब साथ मिलकर महाराष्ट्र का गौरव और बढ़ाएंगे। हम महाराष्ट्र के सपनों को पूरा करेंगे। इसी भाव के साथ, इतनी बड़ी तादाद में आकर के, इस महत्वपूर्ण योजनाओं को आपने जो, उसकी ताकत को समझा है। इन योजनाओं का विदर्भ के जीवन पर, हिन्दुस्तान के सामान्य व्यक्ति के जीवन पर कैसा प्रभाव होना है, ये आपकी विराट सभा के कारण मैं इसे महसूस कर रहा हूं। मैं एक बार फिर सभी विश्वकर्मा साथियों को विदर्भ के और महाराष्ट्र के सभी मेरे भाई-बहनों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

    मेरे साथ बोलिये-

    भारत माता की जय,

    दोनों हाथ ऊपर कर करके पूरी ताकत से-

    भारत माता की जय,

    भारत माता की जय,

    बहुत-बहुत धन्यवाद।

  • Bhupinder Hooda Vs Shailaja Kumari…  कौन बनेगा CM , किसके में कितना दम? कांग्रेस के लिए खाई, आपस की लड़ाई

    Bhupinder Hooda Vs Shailaja Kumari…  कौन बनेगा CM , किसके में कितना दम? कांग्रेस के लिए खाई, आपस की लड़ाई

    Bhupinder Hooda Vs Shailaja Kumari

    Bhupinder Hooda Vs Shailaja Kumari: हरियाणा में विधानसभा चुनाव शुरू हो गए हैं। उम्मीदवारों के नाम घोषित हो चुके हैं। नामांकन निरंतर जारी है। साथ ही, सभी राजनीतिक दल एक-दूसरे को घेरने के लिए एकजुट हो गए हैं। लेकिन इन सबके बीच, कई राजनीतिक दलों में भी अंदरूनी संघर्ष हैं। भारतीय जनता पार्टी में टिकट बंटवारे से नाराज कई नेताओं ने पाला बदला, जबकि कई ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। कांग्रेस पार्टी भी इसी तरह है। लेकिन चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा बनाम शैलजा कुमारी, कांग्रेस के पास एक अलग मुकदमा है।

    CM का मुकदमा Bhupinder Hooda Vs Shailaja Kumari

    कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता और मौजूदा लोकसभा सांसद शैलजा कुमारी ने पहले ही हरियाणा की मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी घोषित कर दी है। शैलजा ने कुछ दिन पहले न्यूज18 से बात करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद का असली अधिकार है। हुड्डा अपने घर में सीएम का चुनाव करें। शैलजा अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन करने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी छोड़ दी है। कांग्रेस पार्टी द्वारा जारी की गई उम्मीदवारों की सूची से स्पष्ट होता है कि हुड्डा परिवार अभी भी पार्टी में मौजूद है। शैलजा कुमारी को इसलिए विधानसभा चुनाव का टिकट नहीं मिला है। हुड्डा के चलते ही हरियाणा में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन नहीं किया है।

    शैलजा पांच बार सांसद बनीं

    शैलजा कुमारी एक तेजतर्रार नेता है। उन्हें बेदाग माना जाता है और वह कई दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। अब तक, शैलजा कुमारी पांच बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी हैं। 1996 में शैलजा ने सिरसा लोकसभा सीट पर जीत हासिल की थीं, जब देश भर में कांग्रेस के खिलाफ लहर थी। 1991 में शैलजा पहली बार सांसद बनीं। उसके बाद उन्होंने 1996, 2004, 2009 और 2024 में लोकसभा चुनाव जीते। शैलजा कुमारी सिरसा 1991 और 1996 में चुनाव जीतीं। वहीं शैलजा ने 2004 और 2009 में अंबाला सीट पर जीत हासिल की थी। शैलजा 1990 में महिला कांग्रेस का अध्यक्ष बन गई।

    पिता भी कांग्रेस नेता

    नरसिम्हा राव की सरकार में केंद्रीय शिक्षा और संस्कृति राज्य मंत्री भी रहीं। 2019 से 2022 तक शैलजा हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष थीं।शैलजा कांग्रेस में एक प्रमुख दलित चेहरा हैं। शैलजा के पिता चौधरी दलबीर सिंह भी एक प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता रहे हैं। दलबीर सिंह ने सिरसा लोकसभा क्षेत्र से चार बार सांसदी चुनाव जीते हैं। 1967, 1971, 1980 और 1984 के चुनावों में जीत हासिल की। Sheila 2014 से 2020 तक कांग्रेस से राज्यसभा सांसद भी रही हैं। शैलजा ने मनमोहन सरकार में भी राज्य मंत्री का पद धारण किया है।

    2005 में हुड्डा पहली बार सीएम बने

    2005 के विधानसभा चुनाव के परिणामों ने कांग्रेस को उत्साहित कर दिया था। क्योंकि हरियाणा में कांग्रेस की लंबे समय बाद वापसी हुई। लेकिन सीएम पर बहस जारी थी। 4 मार्च 2005 को घोषणा की गई कि भूपेंद्र हुड्डा सीएम बनेंगे। तीन बार सीएम रहे चौधरी भजनलाल, रणदीप सुरजेवाला और बीरेंद्र सिंह ने भूपेंद्र हुड्डा से संघर्ष किया था। हुड्डा ने चार बार सांसद और दो बार सीएम का पद संभाला। उनके पिता, रणबीर हुड्डा, तीन बार सांसद और हरियाणा सरकार में एक बार मंत्री रहे हैं। वहीं, भूपेंद्र हुड्डा के पुत्र दीपेंद्र हुड्डा ने चार बार लोकसभा चुनाव जीता है।

  • नामांकन के बाद Vinesh Phogat ने कहा, “मैं  फुल टाइम पॉलिटिशियन, अब कुश्ती में वापसी संभव नहीं।

    नामांकन के बाद Vinesh Phogat ने कहा, “मैं  फुल टाइम पॉलिटिशियन, अब कुश्ती में वापसी संभव नहीं।

    Vinesh Phogat

    Vinesh Phogat: ” उनकी कुश्ती में वापसी असंभव है। उनका कहना था, “मेरे पास जिम्मेदारियां हैं।” मैं पूरी तरह से पॉलिटिशियन हूँ। मैं यह नहीं देखती कि मेरा मेरा प्रतिद्वंद्वी कौन है. मैं देखती हूं कि उसकी कमजोरी क्या है।’

    रेसलर विनेश फोगाट की हरियाणा विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी के बाद जुलाना सीट चर्चा में है। कांग्रेस ने रेसलर विनेश को अपना प्रत्याशी बनाया है। महिला पहलवान ने इस बीच नामांकन किया है।

    विनेश ने कहा, “अब मैं जंग के मूड में हूँ।” सभी कर्मचारियों ने मेहनत की है। हमें प्रत्येक कर्मचारी और टिकट चाहने वाले को सम्मान देना चाहिए। अब मैं कुश्ती पर वापस नहीं जा सकती। मैं सामाजिक जीवन में हूँ। मेरे पास काम हैं। मैं पूरी तरह से पॉलिटिशियन हूँ। मैं अपने प्रतिद्वंद्वी को नहीं देखती । मैं उसकी कमजोरियों को देखती हूँ।विनेश ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि गोपाल कांडा को समर्थन देना बताता है कि भाजपा हमेशा अपराधियों के साथ है।

    जुलाना से कौन लडेगा चुनाव?

    जींद जिले की जुलाना सीट से कांग्रेस ने विनेश फोगाट को मैदान में उतारा है, बीजेपी ने कैप्टन योगेश बैरागी को और जेजेपी ने अपने मौजूदा विधायक अमरजीत सिंह ढांडा को। कविता दलाल को आम आदमी पार्टी से टिकट मिल गया है। पूर्व पायलट और एक बार के विधायक अमरजीत सिंह अब जुलाना की लड़ाई में दो महिला पहलवान के साथ ढांडा मैदान में हैं। बीजेपी ने इस सीट पर कभी जीत नहीं हासिल की है। 2005 में कांग्रेस ने इस सीट को जीता था।

    AAP ने  WWE रेसलर को जुलाना में उतारा

    इस सीट पर आम आदमी पार्टी की महिला रेसलर कविता दलाल ने दांव खेला है। कविता दलाल कुछ समय पहले AAP में आईं। कविता जींद जिले की रहने वाली हैं और यूपी के बागपत जिले में बिजवाड़ा गांव की बहू हैं। वह WWE में भारत की पहली महिला रेसलर हैं। पिछले कुछ दिनों में, कविता ने सूट-सलवार में लोकप्रियता हासिल की।

    कितनी संपत्ति है विनेश फोगाट की?

    विनेश के नामांकन में दिए गए चुनावी हलफनामे के अनुसार, पूर्व भारतीय पहलवान और वर्तमान में कांग्रेस उम्मीदवार विनेश फोगाट की कुल सालाना आय 13 लाख 85 हजार 152 रुपये है. वित्त वर्ष 2022–2023। साथ ही, इनके पति सोमवीर राठी की सालाना आय  3 लाख 44 हजार 220 रुपये है। विनेश फैमिली के पास कुल कैश 2 लाख 10 हजार रुपये है। इसके अलावा, विनेश ने Axis, SBI और ICICI बैंकों में करीब 40 लाख रुपये डिपॉजिट किए हैं। जबकि इनके पति के पास 48,000 रुपये की FD और दो बैंक अकाउंट हैं

  • BJP जम्मू-कश्मीर में कठिन समय से गुजर रही है?

    BJP जम्मू-कश्मीर में कठिन समय से गुजर रही है?

    BJP

    केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहले विधानसभा चुनाव में BJP और नेशनल कॉन्फ्रेंस+कांग्रेस गठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है, जो दस साल बाद हो रहे हैं। महबूबा मुफ्ती की पीडीपी लड़ाई में पिछड़ती दिखती हैं, लेकिन निर्दलीय और छोटे दलों की भूमिका सरकार बनाने में अहम रहने वाली है। सांसद रशीद इंजीनियर को आतंकवादी फंडिंग मामले में जमानत मिलने की खबर ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को और भी गर्म कर दिया है। Rashida को दिल्ली की NIA कोर्ट ने चुनाव प्रसार करने के लिए जमानत दी है। इस खबर को हल्के में नहीं लिया जा सकता क्योंकि ये वही इंजीनियर राशिद हैं जो 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को बारामूला से हराया था।

    ऐसे में इंजीनियर राशिद जेल से बाहर होने के बाद सबसे ज्यादा किसका नुकसान हो सकता है, ये समझना इतना मुश्किल भी नहीं है। नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और पीडीपी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी छोटे दलों के साथ ही ऐसे निर्दलीयों को पीछे से समर्थन दे रही है जो पहले अलगावादी विचारधारा से जुड़े थे। बीजेपी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर अलगाववादी मुख्यधारा में आने का निर्णय लेते हैं तो उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिलना चाहिए।

    अगर किसी अलगाववादी ने चुनाव लड़कर सरकार में शामिल होने का निर्णय लिया है, तो उसे इस लोकतांत्रिक अवसर से वंचित किया जाना चाहिए।’ केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह

    वास्तव में, इस बार भी जम्मू कश्मीर में किसी एक पार्टी को बहुमत मिलने की संभावना कम है। बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेस-कांग्रेस गठबंधन मुख्य मुकाबला हैं। लेकिन असली संघर्ष यह है कि किसे अधिक सीटें मिलेंगी? छोटे छोटे दलों के अलावा, सबसे बड़ा दल निर्दलीय के साथ मिलकर सरकार बना सकता है। पीडीपी मुख्य संघर्ष से बाहर दिख रही है, लेकिन अगर उसे आठ से दस सीट भी मिल जाएं तो सरकार बनाने में भी उसका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।

    विपक्षी दल भी जम्मू कश्मीर को अपनी पार्टी और गुलाम नबी आजाद की डेमोक्रैटिक प्रोगेसिव आजाद पार्टी (बीजेपी) की बी टीम का हिस्सा बताते हैं। हालांकि ये दोनों दल इन आरोपों को अस्वीकार कर रहे हैं।

    बीजेपी का मुख्य लक्ष्य जम्मू क्षेत्र है, जहां परिसीमन के बाद 6 सीटें बढ़कर 43 हो गई हैं। बीजेपी ने इस रीजन में अधिकांश सीटें जीतकर छोटे छोटे कश्मीर दलों के साथ सरकार बनाने की योजना बनाई है। नेशनल कॉन्फ्रेस और पीडीपी दोनों बीजेपी की इस चाल से परेशान हैं।

    नेशनल कॉन्फ्रेंस इस चुनाव को करो या मरो का निर्णय ले रही है। लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला के हारने के बाद विधानसभा चुनाव में भी पिछड़ने का मतलब कश्मीर की राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेस की दखल काफी कम हो जाएगी। जिससे इसका भविष्य भी खतरे में है। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का भी यही हाल है। पीडीपी को लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली, और यह विधानसभा चुनाव भी बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस से पीछे है। इस बार महबूबा ने अपनी बेटी इल्तिजा मुफ्ती को भी चुनाव में उतारा है। यह विधानसभा चुनाव स्पष्ट रूप से जम्मू कश्मीर के दो प्रमुख परिवारों पर निर्भर है। इन दो परिवारों ने अब तक जम्मू-कश्मीर के पांच मुख्यमंत्री बनाए हैं, और इस परिवार ने कई दशकों से जम्मू-कश्मीर की राजनीति पर प्रभाव डाला है। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से ही उनका प्रभाव कम होना शुरू हो गया था।

    थोड़ा पीछे चलकर जम्मू-कश्मीर की बदलती राजनीति को स्पष्ट करना चाहिए। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करके आर्टिकल 370 को खत्म कर दिया गया। कश्मीर घाटी में अलगाववादी ताकतों का एक समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस है। सुरक्षा बलों ने आतंकवाद की जड़ों को काफी हद तक समाप्त कर दिया है। इससे जम्मू-कश्मीर की हवा और राजनीति दोनों बदल गई हैं। वरना ऐसा कब हुआ है कि अब्दुल्ला या मुफ्ती परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव जीतकर भी लोकसभा में पहुंच पाया है? महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला दोनों को 2024 के लोकसभा चुनाव में हार मिली। नेशनल कॉन्फ्रेस के मियां अल्ताफ ने अनंतनाग-रजौरी सीट से महबूबा को हराया था। 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण था। आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद जम्मू कश्मीर में हुआ पहला बड़ा चुनाव था, जिसमें अधिक लोगों ने भाग लिया। बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेस को 2-2 सीटें मिली, वहीं निर्दलीय इंजीनियर राशिद को एक सीट मिली।

    नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी को कमजोर होने से छोटे छोटे दलों को फायदा होगा क्योंकि इनकी राजनिति मुख्यतः कश्मीर घाटी में है। यही कारण है कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर में अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश कर रही है। क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने छोटे दलों या निर्दलीयों को अलगाववादी बताया है। तो दूसरे ओर, यही दल आर्टिकल 370 को हटाने और पाकिस्तान से बातचीत करने के बारे में ऐसे बयान देते रहे हैं जो आतंकियों को उत्साहित करते हैं। आने वाले समय में बीजेपी का दांव कितना सफल होगा पता चलेगा।

  • Karan Mahra: कांग्रेस अध्यक्ष ने उत्तराखंड सरकार पर केदारनाथ धाम के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया

    Karan Mahra: कांग्रेस अध्यक्ष ने उत्तराखंड सरकार पर केदारनाथ धाम के साथ खिलवाड़ का आरोप लगाया

    Karan Mahra (करन माहरा) News:

    Karan Mahra News: कांग्रेस अध्यक्ष Karan Mahra ने उत्तराखंड सरकार पर केदारनाथ धाम के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। आज 25 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष ने केदारनाथ प्रतिष्ठा रक्षा यात्रा शुरू करने से पहले मीडियाकर्मियों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक यात्रा नहीं बल्कि बीजेपी का धर्म पर राजनीतिक नाटक है.

    Karan Mahra का कहना है कि केदारनाथ धाम पर राजनीति हो रही है। इस बीच, प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने भी एक बयान में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा नेताओं से कहा कि वे नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के शिलान्यास के लिए बाबा को सूचित करें और माफी मांगें। इस संबंध में उन्होंने आगे कहा कि नई दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के भूमि पूजन से स्थानीय लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं.

    आपको बता दें कि दसौनी ने हरकी पैड़ी से शुरू होने वाली कांग्रेस की पदयात्रा के दिन मुख्यमंत्री के केदारनाथ धाम पहुंचने पर भी सवाल उठाए. उन्होंने भाजपा पर प्रसिद्ध धर्मों के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। इतना ही नहीं केदारनाथ धाम से सोना चोरी मामले में BKTC को भी विवादों में घिरी बताया है।

  • Kangana Ranaut क्या मंडी से चुनाव हार जाती अगर नो ड्यूज़ का मैटर नहीं फंसता? हाईकोर्ट में उठा सवाल

    Kangana Ranaut क्या मंडी से चुनाव हार जाती अगर नो ड्यूज़ का मैटर नहीं फंसता? हाईकोर्ट में उठा सवाल

    Kangana Ranaut (कंगना रनौत) Latest News:

    Kangana Ranaut News: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद Kangana Ranaut को नोटिस जारी किया है और किन्नौर के एक निवासी द्वारा दायर एक याचिका पर उनसे जवाब मांगा है। दरअसल, मंडी सांसद Kangana Ranaut का चुनाव रद्द करने की मांग वाली याचिका में दलील दी गई थी कि उस लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए याचिकाकर्ता का नामांकन पत्र कथित तौर पर गलत तरीके से खारिज कर दिया गया था. न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल ने नोटिस जारी कर रानौत को 21 अगस्त तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।

    14 मई, फिर 4 जून, अब 21 अगस्त…

    Kangana Ranaut ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह को 74,755 मतों के अंतर से हराकर मंडी लोकसभा सीट जीती। उन्हें 5,37,002 वोट मिले जबकि सिंह को 4,62,267 वोट मिले। याचिकाकर्ता लायक राम नेगी ने रनौत के चुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए कहा कि उनके नामांकन पत्र को रिटर्निंग ऑफिसर (उपायुक्त मंडी) ने गलत तरीके से रद्द कर दिया था और वह भी पार्टी के लिए चुने गए थे।

    नो ड्यूज़ का मेटर ना फटा तो क्या जीत जाते नेगी?

    वन विभाग के पूर्व कर्मचारी नेगी ने कहा कि उन्होंने समय से पहले सेवानिवृत्ति ले ली है और चुनाव अधिकारियों को नामांकन पत्र के साथ विभाग से “बकाया-मुक्त” प्रमाण पत्र जमा कर दिया है। हालाँकि, उन्हें बिजली, पानी और टेलीफोन विभाग से “कोई बकाया नहीं प्रमाण पत्र” जमा करने के लिए एक दिन का समय दिया गया था और भले ही उन्होंने ये प्रमाण पत्र जमा कर दिए, रिटर्निंग अधिकारी ने उन्हें स्वीकार नहीं किया और नामांकन पत्र रद्द कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि अगर उनका पेपर स्वीकार कर लिया गया होता तो वह चुनाव जीत सकते थे और कहा कि Kangana Ranaut का चुनाव रद्द किया जाना चाहिए।

    नेगी ने कहा कि वो काफी समय से चुनाव लड़ना चाह रहे थे, और 5 साल बाद उन्होंने यह बेहतरीन मौका गंवा दिया।

  • Gaurav Gogoi: भाजपा की “डबल इंजन” सरकार ने असम में बाढ़ की समस्या पर बहुत कम काम किया है:

    Gaurav Gogoi: भाजपा की “डबल इंजन” सरकार ने असम में बाढ़ की समस्या पर बहुत कम काम किया है:

    Gaurav Gogoi ने  कहा ‘डबल इंजन’ भाजपा सरकार द्वारा पिछले आठ वर्षों में बहुत कम काम किया गया है:

    Gaurav Gogoi News: असम में बाढ़ के कहर के बीच, कांग्रेस नेता Gaurav Gogoi ने मंगलवार को कहा कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राज्य में “डबल इंजन” सरकार ने पिछले आठ वर्षों में इस लंबे समय से चली आ रही समस्या को दूर करने के लिए बहुत कुछ किया है। Gaurav Gogoi ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य का दौरा करने को भी कहा, क्योंकि उनके अनुसार, समस्या के दीर्घकालिक समाधान और महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता है।

    Gaurav Gogoi ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बाढ़ और कटाव की प्रतिक्रिया के लिए दीर्घकालिक समाधान और महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता है… दुर्भाग्य से, राज्य और केंद्र के स्तर पर ‘डबल इंजन’ भाजपा सरकार द्वारा पिछले आठ वर्षों में बहुत कम काम किया गया है।” उन्होंने कहा, “केंद्रीय जल आयोग ने लंबे समय से असम की अनदेखी की है। मैं जल शक्ति मंत्री से इस कठिन समय में राज्य का दौरा करने का अनुरोध करता हूं।” भाजपा 2016 में असम में सत्ता में आई थी।

    Gaurav Gogoi ने कहा कि लगातार बारिश से असम में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है और अब तक 78 लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा, “घरों में पानी भर गया, जिससे परिवारों को जगह खाली करनी पड़ी और विस्थापित होना पड़ा। फसलों और पशुधन के नुकसान के कारण खाद्य सुरक्षा और आजीविका भी खतरे में है।” गोगोई ने कहा कि उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के लिए पिछले कुछ दिनों में जोरहाट विधानसभा क्षेत्र और उसके आसपास के कई इलाकों का दौरा किया।

    उन्होंने कहा, “जमीनी स्तर पर स्थिति गंभीर बनी हुई है। बड़े पैमाने पर आई इस आपदा के लिए तत्काल कार्रवाई और सहायता की आवश्यकता है।” असम के 27 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। ब्रह्मपुत्र सहित कई प्रमुख नदियों में जल स्तर कई स्थानों पर खतरे के स्तर से अधिक हो गया है, और दूरदराज के क्षेत्रों में वर्षा बढ़ने की उम्मीद है।

  • Haryana Assembly Elections 2024: कांग्रेस में ‘CM फेस’ पर सस्पेंस रहेगा बरकरार, बहुमत आने पर विधायकों की राय से होगा निर्णय

    Haryana Assembly Elections 2024: कांग्रेस में ‘CM फेस’ पर सस्पेंस रहेगा बरकरार, बहुमत आने पर विधायकों की राय से होगा निर्णय

    Haryana Assembly Elections 2024 Latest Update:

    Haryana Assembly Elections होने वाले हैं. इस बीच, कांग्रेस आलाकमान ने साफ कर दिया है कि आगामी Haryana Assembly Elections में मुख्यमंत्री शामिल नहीं होंगे और बहुमत हासिल करने के बाद विधायकों की राय के आधार पर अध्यक्ष का फैसला लिया जाएगा. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बाबरिया और पार्टी की वरिष्ठ नेता शैलजा ने भी अपनी-अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को यही संदेश दिया. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई. उनके समर्थकों का मानना ​​है कि 2019 की तरह इस बार भी हुड्डा खेमे के दो-तिहाई विधायक जीतेंगे.

    पिछले दो संसदीय चुनावों की तरह इस बार भी कांग्रेस चुनावी जिम्मेदारी सामूहिक नेतृत्व को सौंपेगी। चुनाव नतीजों से पता चलेगा कि क्या नेताओं को चुनाव की कमान सौंपना बेहतर है या फिर सामूहिक नेतृत्व ज्यादा व्यावहारिक है. राजनीति में बहुमत हासिल करने के बाद भी कब कुर्सी में उथल-पुथल हो जाए, कोई नहीं जानता। पार्टी के इस फैसले की एक बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस पार्टी में कम से कम छह ऐसे वरिष्ठ नेता हैं जो खुद को मुख्यमंत्री से कम वरिष्ठ नहीं मानते और किसी की भी बात मानने को तैयार नहीं हैं. वे अंधराष्ट्रवादी हैं। वर्तमान में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के शीर्ष दावेदार पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव एमपी शैलजा हैं।

    Haryana Assembly Elections पर खुद राहुल गांधी की पैनी नजर रहेगी

    दरअसल, दोनों नेता पार्टी के भीतर काफी ऊंचे राजनीतिक पदों पर हैं। शैलजा जहां पांच बार संसद सदस्य और केंद्र सरकार में मंत्री रहीं। हुड्डा चार बार सांसद और दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। दोनों नेताओं की दिल्ली की अदालतों तक भी अच्छी-खासी पहुंच है। पिछले एक दशक से सत्ता गंवाने के बाद कांग्रेस आलाकमान चाहता है कि पार्टी किसी भी कीमत पर सत्ता में वापसी करे. हाल ही में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन हक ने राज्य में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की, लेकिन वे दोनों खेमों के पाचन मुद्दों का कोई मुगलिया समाधान नहीं निकाल सके। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि इस बार Haryana Assembly Elections पर खुद राहुल गांधी की पैनी नजर रहेगी.

    राजनीति में चेहरे की राजनीति को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता। मोदी के समर्थन से भाजपा तीन बार केंद्र की सत्ता में आ चुकी है। हालांकि, हरियाणा के ज्यादातर चुनावों में अभी तक मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन चेहरा जरूर आगे चल रहा है। हालाँकि अधिकांश पार्टियों ने पहले से किसी को मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया था, लेकिन लोगों ने देवी लाल, भजन लाल, बंसी लाल और मनोहर लाल को भावी मुख्यमंत्री के रूप में वोट दिया। पार्टी ने अभी तक हुड्‌डा और शैलजा को मुख्यमंत्री घोषित नहीं किया है, लेकिन इनके नाम पर ही कार्यकर्ताओं के पसीने छूट जाएंगे।

    राजनेताओं का कहना है कि चुनाव में एक चेहरे को सत्ता सौंपने से कभी-कभी फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। यदि किसी को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया जाता है तो उसे अपनी साख बचाए रखने के लिए सभी को साथ लेकर चलना पड़ता है और सामूहिक नेतृत्व में सभी एक-दूसरे पर जीत का ठीकरा फोड़ते हैं। नकारात्मक पक्ष यह है कि उनके कद के नेता उन्हें हीरो बनाने से हिचकते हैं, भले ही इससे पार्टी को नुकसान हो।

    CM मुद्दे पर बीजेपी ने खोले अपने पत्ते

    भारतीय जनता पार्टी ने अपने भावी मुख्यमंत्री को लेकर अपने पत्ते खोल दिए हैं. मुख्यमंत्री नायब सैनी को अपना मुख्यमंत्री समर्थक घोषित कर दिया गया है। पार्टी के कुछ दिग्गज भले ही अमित शाह की घोषणा से खुश न हों, लेकिन कैडर आधारित पार्टी होने के नाते कोई भी शाह के फैसले पर सवाल उठाने की हिम्मत नहीं कर सकता. हालाँकि, कांग्रेस में इतना बड़ा फैसला आसानी से नहीं हो सकता। क्षेत्रीय पार्टियों को अपने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की जरूरत नहीं होती क्योंकि आम तौर पर क्षेत्रीय पार्टी का शीर्ष नेता ही पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा होता है.

    राज्य विधानसभा में हुड्डा सबसे बड़ा चेहरा हैं

    अगर कांग्रेस सत्ता में वापसी चाहती है तो उसे पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की छवि बरकरार रखने के लिए Haryana Assembly Elections लड़ना चाहिए। वह 36 कौम के नेता होने के साथ-साथ प्रदेश की राजनीति में सबसे बड़ा जाट चेहरा भी हैं. 2019 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस ने राज्य में 31 सीटें जीतीं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पांच में से चार सीटों पर जीत हासिल की. इस बीच, कांग्रेस हरियाणा में अपनी नैया पार लगा सकती है.


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home/jcaxzbah/hindinewslive.in/wp-includes/functions.php on line 5464