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  • CM Nitish झूठ नहीं बोल रहे हैं, NDA नहीं छोड़ेंगे; समझिए असलियत

    CM Nitish झूठ नहीं बोल रहे हैं, NDA नहीं छोड़ेंगे; समझिए असलियत

    CM Nitish

    एनडीए में CM Nitish शामिल हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान, नीतीश ने खुद कई बार कहा कि वे दो बार अलग-अलग जगह गए थे। यह गलत था। अब कहीं नहीं जाना चाहेंगे। भाजपा के साथ एनडीए में रहना ही उनका लक्ष्य है। हाल ही में उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने भी यह बात कही। हालाँकि, उनके अतीत को देखते हुए बार-बार चर्चा होती है कि वे मौके के इंतजार में हैं। भाजपा  से उनका जी भर गया है। फिर पाला बदलने की तैयारी में हैं।

    नीतीश को संदिग्ध दिखाने के लिए कभी पुराने वीडियो वायरल किए जाते हैं, तो कभी संवैधानिक प्रक्रिया में नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी यादव की नीतीश से मुलाकात होते ही अटकलों का बाजार गर्म हो जाता है। RJD ऐसी अटकलों से खुश होगा। यही कारण है कि RJD ऐसे आरोपों पर चुप है। लेकिन, क्या नीतीश कुमार वास्तव में पुरानी गलती दोहराएंगे, इस पर विचार करते हैं।

    लोग अटकलों के लिए कड़ियां जोड़ते हैं, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक भी अटकलों को पुख्ता बनाने का प्रयास करते हैं। वे प्रत्येक कड़ी गिनाते हैं। साथ ही, वे कहते हैं कि नीतीश कुमार को केंद्र सरकार के कई निर्णयों से असहजता है। वे वक्फ संशोधन बिल से असहमत हैं। हालाँकि, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने अपने इस विश्लेषण पर सिर्फ एक बयान दिया है। रहमानी ने दिल्ली में एक प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों को यकीन दिलाया है कि वे वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करेंगे। नीतीश कुमार ने हालांकि कभी ऐसा बयान नहीं दिया है। वास्तव में, जेडीयू से केंद्रीय मंत्री बनने वाले राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने सदन में वक्फ संशोधन बिल की प्रशंसा की।

    कास्ट सेंसस भी बताई जा रही है वजह

    विश्लेषक जाति जनगणना और आरक्षण के उदाहरण को नीतीश की नरेंद्र मोदी सरकार से असंतोष की दूसरी वजह बताते हैं। केंद्र सरकार ने नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में जाति जनगणना नहीं करने की बात कही थी। इसमें केंद्र ने तकनीकी कारणों का उल्लेख किया था। केंद्रीय सरकार ने हालांकि राज्यों को यह अधिकार दे दिया था कि वे चाहें तो अपने स्थान पर ऐसा कर सकते हैं। राज्य सरकारों को ही इसका खर्च उठाना होगा।

    नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण शुरू किया। आज लालू प्रसाद यादव, उनके बेटे तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जाति जनगणना के लिए केंद्र पर दबाव डाल रहे हैं। राहुल गांधी ने कहा कि वे इसी सदन (लोकसभा) में सरकार से जाति जनगणना की मांग करेंगे। लालू यादव का दावा है कि कान पकड़कर जाति जनगणना कराने को मजबूर करेंगे। विपक्षी नेता अपने शासन वाले राज्यों में यह नहीं कर पाए। नीतीश की केंद्र सरकार से असंतोष का कारण माना जाता है।

    रिजर्वेशन  पर भी बता रहे हैं नाराजगी

    नीतीश कुमार ने जाति सर्वेक्षण के अनुसार आरक्षण सीमा 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत कर दी थी। उस समय, वे आरजेडी की साथी सरकार चलाते थे। नीतीश सरकार ने संविधान की नौंवीं अनुसूची में इसे शामिल करने के लिए केंद्र को पत्र भेजा, ताकि कानूनी प्रक्रिया से बच सकें। विश्लेषकों का कहना है कि यह न्यायिक समीक्षा के दायरे में आया क्योंकि यह नौवीं अनुसूची में नहीं था। इसके लागू होने पर पटना हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। राज्य सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट भेजा है। RJD ने भी इसे लेकर अलग से सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है। विश्लेषक इसे मोदी सरकार से नीतीश कुमार की नाराजगी के रूप में देख रहे हैं और मानते हैं कि नीतीश नाराज हैं। नीतीश ने अनेक अतिरिक्त मुद्दों पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन उनके पूर्व प्रवक्ता केसी त्यागी ने उनके खिलाफ आवाज उठाई थी।

    नीतीश एनडीए नहीं छोड़ेंगे , जानिए क्यों

    अब प्रश्न उठता है कि क्या जो लोग नीतीश कुमार को नाराज बता रहे हैं और उनके पाला बदल की आशंका जता रहे हैं, वे सही हैं? केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने पिछले तीन दिनों में नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे पहले की गलती नहीं दोहराएंगे, इसलिए यह आशंका लगभग सच नहीं लगती। वे आज भी वहीं रहेंगे। इतना ही नहीं, दूसरे पक्षों पर विचार करने से पता चलेगा कि नीतीश कुमार की बातें सही हैं। इसका तार्किक आधार है, भले ही वे पहले इस तरह की बात कहने के बावजूद पलटते रहे हैं।

    जेडीयू की हार से सरकार पर कोई प्रभाव नहीं

    पहला आधार यह है कि जेडीयू, नीतीश कुमार की पार्टी, लोकसभा में 12 सदस्यों का हिस्सा है। भाजपा के 240 सांसद हैं। 272 का आंकड़ा बहुमत के लिए आवश्यक है। नरेंद्र मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ेगा अगर नीतीश कुमार अपना रुख बदलते हैं। इसलिए मोदी सरकार को तब भी 278 सांसदों का समर्थन मिलेगा। नीतीश के पाला बदल से विपक्ष की सरकार भी नहीं बनेगी। विपक्षी गठबंधन भारत में 232 सांसद हैं। नीतीश की पार्टी जेडीयू के 12 सांसदों का समर्थन यानी सरकार बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। नीतीश कुमार ऐसी स्थिति में भाजपा से दूरी बनाकर इंडिया ब्लाक में शामिल क्यों होंगे? नीतीश, बिहार के विकास पर हमेशा चिंतित रहने वाले, अभी एनडीए में रहते हुए बिहार के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा बजट प्रावधान किया है, जिसे वे गंवाना नहीं चाहेंगे।

    नीतीश भाजपा से लाभ कैसे भूल जाएंगे?

    दूसरा आधार यह है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी को 12 सीटें दीं, जो भाजपा के बराबर थीं। नीतीश भी इसे जानते हैं। उन्हें भी पता है कि अगर वे इंडिया ब्लाक में रहते तो क्या होता। बिहार में अपनी मजबूत स्थिति का दावा करने वाले RJD को 23 सीटों पर सिर्फ 5 सीटें मिलीं, जबकि JDU को भाजपा के साथ 16 पर ही लड़ कर 12 सीटें मिल गईं। इतना ही नहीं, बिहार में 243 विधानसभा सीटों में एनडीए ने 160 से अधिक सीटें जीतीं। विधानसभा चुनाव अगले वर्ष बिहार में होना है। नीतीश ने निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर क्यों रुख किया?

    India Block को भूलना मुश्किल है

    तीसरा आधार यह है कि नीतीश ने 2022 में एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बनाई। इसके बाद, उन्होंने विरोधी पक्ष को एकजुट किया। एक दूसरे को नापसंद करने वालों को एक मंच पर एकत्रित किया गया। तब आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के बीच टकराव स्पष्ट था। ममता ने कांग्रेस से इतना घबरा गया था कि उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी तीसरी जीत के बाद गैर-कांग्रेस विपक्ष की कल्पना पर काम करना शुरू कर दिया था। नीतीश कुमार को एक मंच पर एकत्र करने के बावजूद उनके साथ जो व्यवहार हुआ, सबको पता है। नीतीश ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से इनकार कर दिया, फिर भी उन्हें संयोजक पद के लिए तरस जाना पड़ा। उन्हें लालू यादव से समर्थन की उम्मीद थी, लेकिन वे कांग्रेस के साथ खड़े हो गए। नीतीश शायद फिर से ऐसी गलती करे।

    जेडीयू टूटने का खतरा

    नीतीश कुमार को शायद यह भी पता होगा कि जिन सांसदों की बदौलत उनकी पूछ बढ़ी है, अगर उन्होंने एनडीए छोड़ दिया तो उनके टूटने की आशंका अस्वीकार्य होगी। नीतीश कुमार इसके पहले भी भुक्तभोगी रह चुके हैं। नीतीश ने अपने निकटतम और स्वजातीय आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री बनाया। आरसीपी ने भाजपा से जेडीयू के विलय के बाद पार्टी छोड़ दी। वे भाजपा का सदस्य बन गए। आरजेडी के साथ जेडीयू जाना भी उपेंद्र कुशवाहा को पसंद नहीं आया। उन्हें JDU भी छोड़ दिया गया। जेडीयू के दो मंत्री फिलहाल केंद्र में हैं। नीतीश को लगता है कि ललन सिंह सरकार के फैसलों के साथ खड़े दिखते हैं, इसलिए अगर रिश्ते खराब होते हैं तो उनसे भी हाथ धोने का खतरा होगा। नीतीश यह स्थिति कभी नहीं होने देंगे। नीतीश की सरकार में परिवर्तन की उम्मीद करने वालों की बहस बेकार है।

  • Bihar के पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा- ‘‘नाइंसाफी’ के बावजूद NDA के साथ बने रहे हम

    Bihar के पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा- ‘‘नाइंसाफी’ के बावजूद NDA के साथ बने रहे हम

    Bihar के पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने कहा- ‘नाइंसाफी’ के बावजूद NDA के साथ:

    Bihar के पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि हालांकि उनकी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के दौरान राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) से ‘‘नाइंसाफी” की, फिर भी उन्होंने राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के साथ बने रहने का निर्णय लिया।

    पारस ने बिहार में राजग के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को एक भी सीट नहीं मिलने से नाराज होकर केंद्रीय मंत्री पद छोड़ दिया था। पार्टी की एक बैठक के बाद पारस संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। रालोजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी से अलग हुई थी। पारस ने कहा कि हालांकि लोकसभा चुनाव में हमें बुरा लगा, लेकिन हमने अपनी वफादारी नहीं बदली। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा से उम्मीद है कि वे इस बात को समझेंगे और अगले वर्ष Bihar विधानसभा चुनाव में हमें उचित प्रतिनिधित्व देंगे।

    पारस ने यह भी कहा कि रालोजपा विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर स्वयं चुनाव लड़ेगी अगर उनकी पार्टी को उचित सम्मान नहीं मिला। उन्होंने कहा कि राजग के चार विधानसभा सीटों में से एक पर रालोजपा उपचुनाव लड़ना चाहेगी। संबंधित विधायकों के लोकसभा में चुनाव जीतने के बाद ये सीटें खाली हो गई हैं।

  • Gaurav Gogoi: भाजपा की “डबल इंजन” सरकार ने असम में बाढ़ की समस्या पर बहुत कम काम किया है:

    Gaurav Gogoi: भाजपा की “डबल इंजन” सरकार ने असम में बाढ़ की समस्या पर बहुत कम काम किया है:

    Gaurav Gogoi ने  कहा ‘डबल इंजन’ भाजपा सरकार द्वारा पिछले आठ वर्षों में बहुत कम काम किया गया है:

    Gaurav Gogoi News: असम में बाढ़ के कहर के बीच, कांग्रेस नेता Gaurav Gogoi ने मंगलवार को कहा कि केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राज्य में “डबल इंजन” सरकार ने पिछले आठ वर्षों में इस लंबे समय से चली आ रही समस्या को दूर करने के लिए बहुत कुछ किया है। Gaurav Gogoi ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री से स्थिति का आकलन करने के लिए राज्य का दौरा करने को भी कहा, क्योंकि उनके अनुसार, समस्या के दीर्घकालिक समाधान और महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता है।

    Gaurav Gogoi ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बाढ़ और कटाव की प्रतिक्रिया के लिए दीर्घकालिक समाधान और महत्वपूर्ण वित्तीय निवेश की आवश्यकता है… दुर्भाग्य से, राज्य और केंद्र के स्तर पर ‘डबल इंजन’ भाजपा सरकार द्वारा पिछले आठ वर्षों में बहुत कम काम किया गया है।” उन्होंने कहा, “केंद्रीय जल आयोग ने लंबे समय से असम की अनदेखी की है। मैं जल शक्ति मंत्री से इस कठिन समय में राज्य का दौरा करने का अनुरोध करता हूं।” भाजपा 2016 में असम में सत्ता में आई थी।

    Gaurav Gogoi ने कहा कि लगातार बारिश से असम में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है और अब तक 78 लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा, “घरों में पानी भर गया, जिससे परिवारों को जगह खाली करनी पड़ी और विस्थापित होना पड़ा। फसलों और पशुधन के नुकसान के कारण खाद्य सुरक्षा और आजीविका भी खतरे में है।” गोगोई ने कहा कि उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के लिए पिछले कुछ दिनों में जोरहाट विधानसभा क्षेत्र और उसके आसपास के कई इलाकों का दौरा किया।

    उन्होंने कहा, “जमीनी स्तर पर स्थिति गंभीर बनी हुई है। बड़े पैमाने पर आई इस आपदा के लिए तत्काल कार्रवाई और सहायता की आवश्यकता है।” असम के 27 जिले बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। ब्रह्मपुत्र सहित कई प्रमुख नदियों में जल स्तर कई स्थानों पर खतरे के स्तर से अधिक हो गया है, और दूरदराज के क्षेत्रों में वर्षा बढ़ने की उम्मीद है।

  • RBI की रिपोर्ट ने बेरोजगारी के दावों को खारिज कर दिया, भारत में रोजगार बढ़ा

    RBI की रिपोर्ट ने बेरोजगारी के दावों को खारिज कर दिया, भारत में रोजगार बढ़ा

    RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) Report: बेरोजगारी के दावों को किया खारिज

    RBI ने रोजगार पर एक रिपोर्ट साझा की, जिसमें बताया गया कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान भारत में कुल 46.7 मिलियन नौकरियां जुड़ीं। हालाँकि, निजी सर्वेक्षणों से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, उनकी संख्या कई गुना बढ़ गई है। एक निजी सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत की बेरोजगारी दर बहुत अधिक है।

    रोजगार दर 6%

    भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में रोजगार दर 6% है। यह जानकारी उद्योग स्तर की उत्पादकता और रोजगार को मापने के बाद मिलती है। हालांकि, वित्तीय वर्ष 2022-23 में यहां रोजगार दर 3.2 फीसदी है.

    RBI द्वारा जारी आंकड़े बताते हैं कि 2023-24 वित्तीय वर्ष में भारत का कुल रोजगार 643.3 मिलियन था, जबकि 2022-23 वित्तीय वर्ष में यह संख्या 596.7 मिलियन थी। भारतीय रिज़र्व बैंक देश का केंद्रीय बैंक है। भारतीय रिज़र्व बैंक देश में उत्पादकता और रोजगार के स्तर का अनुमान लगाने के लिए सरकार के राष्ट्रीय खातों और श्रम मंत्रालय के डेटा का उपयोग करता है।

    रिज़र्व बैंक नियमित रूप से जारी करता है आंकड़े

    RBI नियमित रूप से रोजगार संबंधी आंकड़ों पर रिपोर्ट प्रकाशित करता है। यह रिपोर्ट परंपरागत रूप से केवल ऐतिहासिक डेटा दिखाती है। हालांकि, सोमवार को जारी रिपोर्ट के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि उपलब्ध जानकारी के आधार पर उसने वित्त वर्ष 2023-24 में देश की समग्र अर्थव्यवस्था की उत्पादकता का अनुमान लगाने का पहला प्रयास किया।

     बताया कारण महंगाई और बेरोजगारी को

    कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि नौकरी के अवसरों में गिरावट लोकसभा चुनावों में भाजपा द्वारा जीती गई कम सीटों के कारण है। इसके अलावा, बढ़ती महंगाई के कारण रोजगार बढ़ने की बात कही जा रही है। मोदी सरकार इस बार लोकसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने में विफल रही और बहुमत हासिल करने के लिए उसे सहयोगियों पर निर्भर रहना होगा।

    निजी सर्वे अक्सर कहते हैं कि देश में बेरोजगारी बढ़ रही है, लेकिन आरबीआई की यह रिपोर्ट इन सभी दावों को खारिज करती है।

  • Union Minister प्रतापराव जाधव: Pok भारत में शामिल हो सकता था अगर NDA को 400 से अधिक सीट मिलती;

    Union Minister प्रतापराव जाधव: Pok भारत में शामिल हो सकता था अगर NDA को 400 से अधिक सीट मिलती;

    Union Minister और शिवसेना सांसद प्रताप राव जाधव Statement:

    Union Minister और शिवसेना सांसद प्रताप राव जाधव ने रविवार को दावा किया कि अगर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीटें जीतता, तो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (Pok) और 1962 में चीन द्वारा कब्जा की गई जमीन वापस लेना संभव हो जाता। Union Minister प्रतापराव जाधव ने अकोला में महायुति गठबंधन का जश्न मनाने के लिए एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंबे समय से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारतीय क्षेत्र में एकीकृत करने का सपना देख रहे हैं।

    सार्वजनिक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री आयुष ने कहा, “पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर, भारत का अभिन्न अंग होने के बावजूद, पाकिस्तान के नियंत्रण में है। भारत 1962 के युद्ध के दौरान चीन द्वारा कब्जा की गई भूमि को वापस लेने की भी योजना बना रहा है। यदि “NDA (हाल के लोकसभा चुनावों में) 400 से अधिक जीत जाते, तो दो-तिहाई बहुमत प्राप्त होता, जिससे ये आकांक्षाएं संभव हो जातीं।”

    सांसद बुलदाना ने आरोप लगाया कि झूठा प्रचार किया जा रहा है कि अगर मोदी सत्ता में लौटे तो संविधान में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने 1975 में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल को इसके विध्वंस का वास्तविक उदाहरण बताते हुए कहा कि संविधान को बदला नहीं जा सकता।

  • Bihar CM Nitish Kumar ने एनडीए के लिए ‘4,000 से अधिक सीटों’ की भविष्यवाणी की और लोकसभा रैली के दौरान पीएम मोदी के पैर छुए

    Bihar CM Nitish Kumar ने एनडीए के लिए ‘4,000 से अधिक सीटों’ की भविष्यवाणी की और लोकसभा रैली के दौरान पीएम मोदी के पैर छुए

    Bihar CM Nitish Kumar

    Bihar CM Nitish Kumar  ने रविवार को उस समय हलचल मचा दी जब उन्होंने दावा किया कि भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन आगामी सबा चुनाव में “4,000 से अधिक सीटें” जीतेगा। वरिष्ठ राजनेता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छूते हुए भी देखा गया। दोनों नवादा में एक रैली में मंच साझा किया। प्रधानमंत्री के अनियमित व्यवहार को दर्शाने वाला एक वीडियो ऑनलाइन सामने आने के बाद विपक्षी नेता प्रधानमंत्री की मानसिक स्थिति पर सवाल उठा रहे हैं।

    एक वायरल वीडियो में जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख को लोकसभा में “चार हजार से अधिक” सीटों के साथ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की बड़ी जीत की भविष्यवाणी करते हुए दिखाया गया है। उन्होंने शुरुआत में 4 लाख सीटों की भविष्यवाणी से प्रस्ताव की शुरुआत की थी. अपने आप को सही करने से पहले एकजुट हो जाओ।

    “मुख्यमंत्री चार लाख से अधिक सांसदों को पीएम को शुभकामनाएं देना चाहते थे। तब उन्होंने शायद सोचा कि यह बहुत अधिक होगा और 4,000 पर्याप्त होंगे,” आरजेडी प्रवक्ता सारिका पासवान ने वीडियो साझा करते हुए मजाक किया।

    क अन्य वायरल क्लिप में कुमार को हाथ फैलाकर पीएम के पैरों की ओर झुकते हुए, हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करते हुए दिखाया गया है।

    उन्होंने कहा, ”आज मैंने नीतीश कुमार की एक तस्वीर देखी जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैर छुए…हमें बहुत बुरा लगा। क्या हुआ है? नीतीश कुमार हमारे अभिभावक हैं…नीतीश कुमार जितना अनुभवी कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं है और वह प्रधानमंत्री मोदी के पैर छू रहे हैं…” उनके पूर्व उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा।

    उन्होंने अपनी बात को रेखांकित करने के लिए कुमार की बढ़ती उम्र और मुख्यमंत्री के रूप में लंबे कार्यकाल का भी जिक्र किया।

    “क्या नरेंद्र मोदी वही व्यक्ति नहीं हैं जिन पर नीतीश जी अक्सर अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के सुलह के रास्ते से भटकने का आरोप लगाते थे? क्या उन्होंने उस रात्रिभोज को रद्द नहीं किया था जिसमें तत्कालीन गुजरात के सीएम को आमंत्रित किया गया था और उनके द्वारा दी गई वित्तीय सहायता वापस नहीं की थी

  • BJP MLA Nitish Kumar पर उन्हें कैबिनेट लिस्ट से हटाने का आरोप लगाया

    BJP MLA Nitish Kumar पर उन्हें कैबिनेट लिस्ट से हटाने का आरोप लगाया

    BJP MLA Nitish Kumar

    BJP MLA Nitish Kumar पर लगाया बहिष्कार का आरोप: चार बार के बीजेपी विधायक और जनता दल (एकीकृत) के अध्यक्ष नीतीश कुमार के आदेश पर उनका नाम बिहार कैबिनेट में मंत्री पद से हटा दिया गया.

    15 मार्च को, बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार बनने के 46 दिन बाद, कुमार ने अपनी पार्टी, जद (यू) के नौ सदस्यों और अपने सत्तारूढ़ सहयोगियों, भाजपा के 12 सदस्यों को अपने मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया।

    BJP MLA Nitish Kumar पर उन्हें कैबिनेट लिस्ट से हटाने का आरोप लगाया को जिम्मेदार ठहराया: आखिरी मिनट में हुई गलती

    “लगभग 10:30 बजे, मुझे पार्टी कार्यालय से फोन आया और राजभवन में उपस्थित होने के लिए कहा गया। लेकिन अंतिम समय में BJP MLA Nitish Kumar के आदेश पर मेरा नाम हटा दिया गया.

    मेरा नाम वरिष्ठ नेताओं ने हटा दिया है और केवल एक ही व्यक्ति इसका नाम बता सकता है।’ मुझे हटा दो तो वो कोई और नहीं बल्कि BJP MLA Nitish Kumar हैं. सुश्री दोई ने मंगलवार को टेलीफोन पर कहा।

    उनके गृहनगर में आधिकारिक घोषणा से पहले ही उनके समर्थकों ने नवादा जिले के वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र में कैबिनेट मंत्री के रूप में उनके आगमन का जश्न मनाया।

    जब उनसे पूछा गया कि उनका नाम हटाने का संभावित कारण क्या है, तो सुश्री देवी ने जवाब दिया: “मैं वास्तव में नहीं जानती कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। एक तरफ, उन्होंने महिलाओं को पंचायतों और पुलिस में जगह देकर उनके प्रति अपनी दया दिखाई, लेकिन दूसरी तरफ, उन्होंने एक महिला से मंत्री बनने का मौका छीन लिया।

    अगर तीन महिला मंत्री हैं तो इसमें गलत क्या है? मैंने उनसे पूछा कि क्या कोई चौथी महिला मंत्री है? मेरे लिए यह सरासर अन्याय है।”

    भाजपा ने तीन महिला सांसदों – जद (यू) की शीला मंडा और लेशी सिंह और भाजपा की रेनू देवी के अलावा छह नए चेहरों को कैबिनेट में शामिल किया है।

    सुश्री देवी ने कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र में भूमिहार जाति के 100,000 से अधिक सदस्य हैं। उनके नेता की लोकप्रियता उनके पति अखिलेश सिंह के कारण है, जो 2004 के नवादा नरसंहार में 10 लोगों की हत्या के आरोपी एक खतरनाक गैंगस्टर थे।

    2009 में, श्री सिंह पर हत्या के प्रयास सहित 27 मामलों का आरोप लगाया गया था। और जब उन्होंने लोकसभा चुनाव लड़ा।

    सुश्री देवी ने कहा कि भविष्य में लोग उनके भाग्य का फैसला करेंगे, उन्होंने कहा कि श्री कुमार का नाम कैबिनेट सूची से हटाना एक गलती थी।

     


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