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  • Chronic Disease Rise in India: क्यों हार्ट अटैक, फैटी लिवर और डायबिटीज युवाओं में इतनी तेजी से फैल रहे हैं? एक्सपर्ट ने बताए कारण और दिए ये सुझाव

    Chronic Disease Rise in India: क्यों हार्ट अटैक, फैटी लिवर और डायबिटीज युवाओं में इतनी तेजी से फैल रहे हैं? एक्सपर्ट ने बताए कारण और दिए ये सुझाव

    Chronic Disease Rise in India: भारत में क्रोनिक बीमारियों के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और इससे बचने के लिए क्या उपाय हैं।क्यों ये बीमारियां होती हैं?

    Chronic Disease Rise in India: भारत में बीमारी का मकड़जाल फैलता जा रहा है। यहां क्रोनिक बीमारियों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है,जिसके कारण अरबो डॉलर रुपया न चाहते हुए भी बीमारियों पर खर्च हो रहा है, एम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 35 प्रतिशत लोग फैटी लिवर डिजीज से पीड़ित हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री के अनुसार, भारत में 2023 में 14.96 लाख नए कैंसर मामले सामने आए।जामा नेटवर्क का अनुमान है कि भारत में 22 करोड़ लोगों को मधुमेह है।हृदय अटैक की एक प्रमुख वजह है उच्च रक्तचाप। भारत में भी 10 करोड़ लोगों को डायबिटीज है। यह चिंता की बात है कि लगभग आधे लोगों को पता ही नहीं है कि उन्हें डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर है। ये सभी बीमारियाँ गैर-कम्युनिकेबल हैं, यानी क्रोनिक हैं। फोर्टिस अस्पताल में इंटरनल मेडिसीन के डायरेक्टर डॉ. पवन कुमार गोयल से हमने बात की कि भारत में क्रोनिक बीमारियों के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और इससे बचने के लिए क्या उपाय हैं।क्यों ये बीमारियां होती हैं?

    डॉ. पवन कुमार गोयल ने कहा कि जैसे-जैसे देश में अर्बनाइजेशन हो रहा है, क्रोनिक बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। उनका कहना था कि शहरीकरण ने स्थानीय लोगों का खान-पान और जीवनशैली बदल दिया। आप जानते हैं कि शहरी लोग अक्सर बाहर खाना खाते हैं। बाहर का खाना बहुत अनियमित है। खाद्य पदार्थों, खासकर प्रोसेस्ड, फास्ट और जंक खाद्य पदार्थों में बहुत ज्यादा फैट वाली सामग्री मिलाकर बेहद गर्म किया जाता है, जिससे इसकी संरचना टूटकर ऑक्सीडाइज होने लगती है, जो हृदय, लिवर और किडनी को नुकसान पहुंचाने लगता है। अर्बनाइजेशन का सबसे बड़ा परिणाम यह था कि लोगों को समय की कमी होने लगी, जिससे उनका दिनचर्या कमजोर हो गया। लोगों की शारीरिक गतिविधियां कम हैं। आज भी गांवों में कुछ लोग सिर्फ शिथिल जीवन जीते हैं।

    लोग सुविधाओं में जीन लगे हैं क्योंकि खेतों में काम करना, जानवरों को पालना और टहलने में भी तकनीक का इस्तेमाल होने लगा है। इसलिए गांवों में फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है। ज्यादातर लोग चेयर पर बैठकर कंप्यूटर से काम करते हैं। ऐसे में शरीर शिथिल हो जाता है और उनकी हड्डियां चल नहीं पाती।Workload एक व्यक्ति को अनावश्यक तनाव देता है। अब खान पान में अधिक तेल, पैकेटबंद सामान, मीठा और नमकीन खाना शामिल हो गया है। ये सब कुछ बेवजह किडनी, लिवर और दिल पर प्रभाव डालता है।वहीं खराब पर्यावरण और जीन भी इन बीमारियों को बढ़ावा देते हैं।इन सबके परिणामस्वरूप दिल से संबंधित बीमारियां, किडनी डिजीज, फैटी लिवर डिजीज आदि हो सकते हैं।

    डॉ. पवन कुमार गोयल ने बताया कि इन सारी बीमारियों से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि जिन चीजों से हम बीमार हो रहे हैं, उनसे दूर रहें। हम सभी जानते हैं कि प्रोसेस्ड, जंक, फास्ट, रेड मीट, ज्यादा तेल वाली चीजें, पैकेटबंद चीजें, चिप्स, कुरकुरे और अन्य खाद्य पदार्थों को खराब करते हैं, इसलिए इनका सेवन न करें। दूसरा, आज के युवा लोगों में ड्रग्स, शराब और सिगरेट का सेवन बढ़ा है। ये चीजें बीमारियों को बढ़ाती हैं। इसलिए इन बातों से बचने से हम इन बीमारियों को रोक सकते हैं। खान पान में कुदरती तरीके को अपनाने और प्रकृति से जुड़ने से हमारी सेहत बेहतर होगी। नियमित रूप से साबुत अनाज, हरी पत्तीदार सब्जी, ताजे फल, सीड्स और बादाम खाना चाहिए।नियमित व्यायाम आज सबसे महत्वपूर्ण है, खासकर स्वस्थ भोजन के बाद। यदि आप एक्सरसाइज नहीं करते हैं और कितना भी अच्छा खाते हैं, आपका शरीर हमेशा थक जाएगा और बीमार होने की संभावना बढ़ जाएगी। इसलिए प्रतिदिन व्यायाम कीजिए। आप हर दिन आधा घंटे वॉक, जॉग, रनिंग, साइक्लिंग या स्विमिंग कीजिए। काम करते समय थकान महसूस कीजिए। यही नहीं, तनाव कई बीमारियों का कारण है। इसलिए तनाव से बचें। नियमित रूप से योग और योगासन करें। गुणवत्तापूर्ण नींद लीजिए। साथ ही, इस संबंध में सरकार को सही नीति बनानी चाहिए।


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