राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने नौसेना दिवस के अवसर पर भारतीय नौसेना के सभी कर्मियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि आज, 4 दिसंबर को, हम 1971 के युद्ध में अपनी शानदार जीत का जश्न मनाते हैं और मातृभूमि की रक्षा में नौसेना कर्मियों द्वारा की गई निस्वार्थ सेवा और सर्वोच्च बलिदान को याद करते हैं। देश भारतीय नौसेना के सभी कर्मियों का आभारी है और प्रत्येक भारतीय सम्मान और साहस के साथ राष्ट्र की सेवा करने के लिए उन्हें सलाम करता है।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की भौगोलिक स्थिति ने हमें एक महान समुद्री राष्ट्र बनने के लिए ज़रुरी सभी तत्व प्रदान किए हैं। लंबी तटरेखा, द्वीप क्षेत्र, समुद्री यात्रा करने वाली आबादी और विकसित समुद्री बुनियादी ढांचे ने 5,000 साल से भी अधिक पहले से तट और महासागरों के पार भारत की समुद्री गतिविधियों को बढ़ावा दिया है। गौरवशाली समुद्री विरासत और पीछे मुड़कर देखने लायक इतिहास तथा उम्मीदों से भरे भविष्य के साथ, भारत हमेशा से एक मजबूत समुद्री राष्ट्र रहा है – हमारा भाग्य ,गौरव और पहचान समुद्रों द्वारा ही परिभाषित होती है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय नौसेना 2047 तक एक विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रुरी, समुद्री सुरक्षा को सुनिश्चित करना जारी रखेगी।
राष्ट्रपति ने ‘नारी शक्ति’ को उचित विकास के अवसर प्रदान करने में नौसेना के अग्रणी प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि नौसेना, महिला अग्निवीरों को शामिल करने वाली पहली सेवा थी। उन्होंने कहा कि ‘नाविका सागर परिक्रमा II’ के हिस्से के रूप में आईएनएसवी तारिणी में विश्व की परिक्रमा करने वाली दो महिला नौसेना अधिकारी, लेफ्टिनेंट कमांडर दिलना के और लेफ्टिनेंट कमांडर रूपा, इस नए बदलाव का सबसे अच्छा उदाहरण हैं।
source: http://pib.gov.in
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