Kamada Ekadashi 2025: 8 अप्रैल 2025 को Kamada Ekadashi है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत और दान करने से सभी दुःखों से मुक्ति मिलती है और सुख-समृद्धि मिलती है।
Kamada Ekadashi 2025: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत विशेष महत्व रखता है। साल में 24 एकादशी मनाई जाती हैं, क्योंकि हर महीने दो एकादशी होती हैं। Kamada Ekadashi चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इस पर्व पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। भक्त उनकी कृपा पाने के लिए व्रत रखते हैं, जिससे वे सभी दुःखों से छुटकारा पाते हैं और सुख-समृद्धि पाते हैं।
Kamada Ekadashi कब मनाई जाती है?
8 अप्रैल 2025, मंगलवार को Kamada Ekadashi मनाई जाएगी। 7 अप्रैल को रात 8:00 बजे एकादशी तिथि शुरू होगी और 8 अप्रैल को रात 09:12 बजे समाप्त होगी। 8 अप्रैल की सुबह 06:05 से 08:36 तक व्रत पारण होगा, और द्वादशी तिथि रात 10:55 बजे होगी। इस शुभ दिन पर विधिपूर्वक व्रत व पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है और सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
Kamada Ekadashi शुभ मुहूर्त 2025
शुभ मुहूर्त | समय |
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ब्रह्म मुहूर्त | 8 अप्रैल 3:04 AM से 05:20 AM तक |
प्रातः संध्या | 8 अप्रैल 04:57 AM से 06:06 AM तक |
अभिजित मुहूर्त | 8 अप्रैल 11:57 AM से 12:47 PM तक |
विजय मुहूर्त | 8 अप्रैल 02:28 PM से 03:18 PM तक |
गोधूलि मुहूर्त | 8 अप्रैल 06:37 PM से 07:00 PM तक |
सायाह्न संध्या | 8 अप्रैल 06:39 PM से 07:47 PM तक |
अमृत काल | 8 अप्रैल 06:13 AM से 07:55 AM तक |
निशिता मुहूर्त | 8 अप्रैल 11:59 PM से 12:45 AM (09 अप्रैल) तक |
Kamada Ekadashi विशिष्ट क्यों है?
- हिंदू वर्ष की पहली एकादशी: यह वर्ष की पहली एकादशी है और सभी इच्छाओं को पूरा करने वाली मानी जाती है।
- महापापों से मुक्ति: कहा जाता है कि Kamada Ekadashi व्रत को विधि-विधान से करने पर ब्रह्म हत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति राक्षस योनि से मुक्त हो जाता है।
- संतान प्राप्ति का वरदान: यह व्रत उन दंपत्तियों के लिए शुभ है जो संतान चाहते हैं।
- संतान की दीर्घायु और सफलता: इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को लंबी उम्र और सफलता का आशीर्वाद मिलता है।
- मोक्ष की प्राप्ति: इस व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु के वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है।
- पुण्यफल दूसरों को देना: यदि आप अपने प्रियजन को उनके पापों से छुटकारा दिलाना चाहते हैं, तो Kamada Ekadashi का व्रत कर सकते हैं।
Kamada Ekadashi की प्रसिद्ध कथा
ललिता नामक एक स्त्री ने श्रृंगी ऋषि के कहने पर Kamada Ekadashi का व्रत किया और इसका पुण्य अपने पति ललित को दिया, जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हुआ।
Kamada Ekadashi व्रत और पूजा विधि
- इस दिन सुबह स्नान करने के बाद Kamada Ekadashi व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
- दिनभर श्रीहरि का स्मरण करें और रात जागरण करें।
- एकादशी के अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि, पारण करके व्रत को समाप्त करें।
- इस दिन ब्राह्मणों को भोजन देना और दक्षिणा या दान देना बहुत शुभ माना जाता है।
बिना व्रत के भी भगवान विष्णु की कृपा पा सकते हैं
यदि आप किसी कारणवश Kamada Ekadashi का व्रत नहीं रख पा रहे हैं, तो भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के कई सरल उपाय हैं:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- भगवान विष्णु को हल्दी, कुमकुम, चंदन और अक्षत से तिलक करें।
- 11 या 108 बार “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
- गरीबों को भोजन और दान करें।
निष्कर्ष
Kamada Ekadashi का व्रत सभी इच्छाओं को पूरा करने वाला माना जाता है। यह न सिर्फ पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि सफलता, संतान सुख और मोक्ष भी प्रदान करता है। जो भी श्रद्धा से इस व्रत को करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
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