दक्षिणमुखी हनुमान जी की पूजा करने से भय, तनाव और बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है। घर में उत्तर दिशा में हनुमानजी का चित्र लगाने से संकट और बुरी शक्तियां दूर होती हैं।
माना जाता है कि हनुमान जी कलयुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता थे। ऐसी मान्यता है कि श्री राम और माता जानकी की पूजा करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और उनकी इच्छा पूरी होती है। विभिन्न हनुमान आकृतियों की पूजा करने से अलग-अलग परिणाम मिलते हैं। हनुमान जी का कुल छह स्वरूप बताया गया है।पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि हनुमान भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र अवतार हैं। आज हम आपको बताएंगे कि दक्षिणमुखी हनुमान की प्रतिमा की पूजा करने से क्या फायदे होते हैं। विस्तार से जानें।
हनुमान जी रूद्र केअवतार हैं: हनुमान जी का मुंह दक्षिण दिशा में होना चाहिए। ऐसी मूर्ति को दक्षिणमुखी हनुमान कहते हैं। यमराज की दिशा दक्षिण दिशा है। हनुमान जी को रुद्र का अवतार बताया जाता है, रुद्र यानी भोलेनाथ जो कि काल के देवता हैं। दक्षिणमुखी हनुमान जी की पूजा करने से भय, चिंता, आकस्मिक कष्ट और मृत्यु के भय से छुटकारा मिलता है।
नकारात्मक शक्तियां दूर: दक्षिणमुखी हनुमान जी का यह स्वरूप भाई चिंता की परेशानियों से बचाता है, साथ ही सभी बुरी शक्तियों से भी बचाता है। यदि आप हनुमान जी का चित्र उत्तर की ओर लगाते हैं, तो उनका मुख दक्षिण की ओर होगा। दक्षिण की ओर मुख करने से हमें उनकी कृपा से सभी संकटों से छुटकारा मिलेगा। साथ ही घर से सभी नकारात्मक शक्तियां दूर होंगी। दक्षिणमुखी हनुमान भी साधना में श्रेष्ठ हैं। दक्षिण दिशा में हनुमानजी का नृसिंह मुख भय को दूर करता है। यदि आप अपने घर में हनुमानजी का दक्षिणमुखी चित्र लगा रहे हैं, तो याद रखें कि उनकी बैठी वाली मूर्ति या चित्र ही घर में होनी चाहिए। घर में सिर्फ लाल रंग की मूर्ति लानी चाहिए। ध्यान रहे कि उनके चेहरे मुस्कुरा रहे हों क्रोधित चेहरा घर में समस्याएं पैदा करता है।
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