प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में देश और विदेश से बहुत सारे संत आए हुए हैं। रुद्राक्ष की उत्पत्ति और उसके लाभों को वृंदावन के चिंता कुंज और निरंजनी अखाड़ा के मणी महंत ने बताया है।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में देश और विदेश से बहुत सारे संत आए हुए हैं। रुद्राक्ष की उत्पत्ति और उसके लाभों को वृंदावन के चिंता कुंज और निरंजनी अखाड़ा के मणी महंत ने बताया है। दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है, खासकर दिल और ब्लड प्रेशर से जुड़ी बीमारियां।
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में देश और विदेश से बहुत सारे संत आए हुए हैं। इसमें अखाड़े ने भी डेरा डाला हुआ है। महाकुंभ में आए योगी और संन्यासी लोगों को कई प्रकार का ज्ञान प्रदान किया जाता है। वृंदावन के चिंता कुंज और निरंजनी अखाड़ा के मणी महंत ने इसी क्रम में रुद्राक्ष की उत्पत्ति और उसके लाभों को बताया है।
रुद्राक्ष का जन्म कैसे हुआ?
मणी महंत ने कहा कि भगवान शिव को रुद्र नाम दिया गया था। उनके आंख से जो आंसू निकले थे, उससे ही रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई थी। लोग कई प्रकार के रुद्राक्ष पहन सकते हैं। इसमें पंचमुखी रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं।
रुद्राक्ष से लाभ
मणी महंत ने कहा कि कोई भी पंचमुखी रुद्राक्ष पहन सकता है। मुखी रुद्राक्ष दुर्लभी रुद्राक्ष हैं। दो मुखी रुद्राक्ष दिल और बीपी में फायदेमंद हैं। तीन मुखी रुद्राक्षों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश मानते हैं। रुद्राक्षों में पांच, छ, सात, आठ, नौ और ग्यारह मुख होते हैं।
विज्ञान ने भी माना है कि दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से स्वास्थ्य लाभ होता है, खासकर दिल और बीपी की बीमारियां।
रुद्राक्षों में 3 रंग होते हैं
तीन प्रकार के रुद्राक्ष भी होते हैं: सफेद, लाल और काला। लाल रंग राजसत्ता का प्रतीक है, जबकि सफेद रंग सात्विकता का, और जो काला है, वह तामसिक प्रतीक है.
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