European Car Companies China: चीनी उत्पादों की खराब गुणवत्ता एक समय बहुत बदनाम हुई। फिर चीन में तकनीकी क्रांति आई
European Car Companies China: चीनी उत्पादों की खराब गुणवत्ता एक समय बहुत बदनाम हुई। फिर चीन में तकनीकी क्रांति आई, और केवल दस साल में उसने दुनिया भर के स्मार्टफोन मार्केट पर कब्जा कर लिया। आज, स्मार्टफोन से लेकर ऑटोमोबाइल तक हर क्षेत्र में चीन का दबदबा स्पष्ट है। लेकिन आज दुनिया भर की कई बड़ी कार कंपनियों को चीन की तेज तकनीकी क्रांति और रणनीति का सामना करना पड़ा है।
चीन, विश्व के सबसे बड़े ऑटोमोबाइल बाजार, ने ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को हिला दिया है। यूरोपीय कंपनियों जैसे फॉक्सवैगन, मर्सिडीज-बेंज, एस्टन मार्टिन और बीएमडब्ल्यू को अपनी पेट्रोल और ईवी कारें चीन में बेचने में दिलचस्पी है। वहीं, फॉक्सवैगन जैसे बड़े ऑटोमोबाइल ग्रुप को जर्मनी में अपने कारखानों को बंद करना पड़ा क्योंकि चीन में सस्ती कारों की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है। विश्व भर में सस्ती ईवी कारों की मांग बढ़ती जा रही है।
चीन में यूरोपीय कार कंपनियां दम तोड़ रहे हैं, क्योंकि फाक्सवैगन कार नहीं बेच पा रहा है। यूरोपीय कंपनियों को चीनी की सस्ती इलेक्ट्रिक कारों पर भरोसा नहीं है। वास्तव में, लगभग चार दशक से चीन में कारोबार कर रही जर्मन कंपनी अब खत्म होने के कगार पर है। चीन से कंपनी की 30% से अधिक आय आती है, लेकिन इस साल के आंकड़ों के अनुसार बिक्री 10% घटी है, जबकि मुनाफा 64% गिर गया है। इससे कंपनी को चीन में उत्पादन कम करना पड़ा, वहीं तीन कारखाने जर्मनी में बंद करने जा रही है।
चीन की आक्रामक विस्तार नीति ने चीनी कार उद्योग में बड़ा बदलाव लाया। दरअसल, चीन के सरकारी बैंक और अन्य सरकारी संस्थाएं स्थानीय ऑटो कंपनियों को बड़ी मात्रा में अनुदान देते हैं। इससे कंपनियां खर्च कम कर सकती हैं। सब्सिडी के चलते चीनी कारों की कीमत तीस प्रतिशत कम हो गई है, जबकि इलेक्ट्रिक कारों की कीमत चालीस प्रतिशत कम हो गई है।
सीएएएम (चीन में ऑटोमोबाइल निर्माताओं का संगठन) ने बताया कि बीते साल 3 करोड़ से अधिक कारें बनाई गईं और 52 लाख निर्यात की गईं। लेकिन 70 के दशक में कोरियाई कंपनी ह्युंडई की तरह, चीन का निर्यात शुरू होता है।
चीन में 50 प्रतिशत से अधिक इलेक्ट्रिक कारें बेची गईं
चीन में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री तेजी से बढ़ी है। चीनी कारों की कम लागत इसका कारण है। 2000 में चीन ने इलेक्ट्रिक कारों की ओर जाने की योजना बनाई थी। चीनी कंपनियों को अहसास हुआ कि वे यूरोपियन, अमेरिकी, कोरियाई और जर्मन कार निर्माताओं को डीजल और पेट्रोल कारों में पीछे छोड़ देंगे। 2009 में, Wan Gang, एक ऑटो इंजीनियर से मंत्री बनने के बाद, चीन में EV कंपनियों को अनुदान देने की योजना शुरू की। 2022 तक 2.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सहायता दी जाएगी। आज चीन दुनिया की 50% से अधिक EV बेचता है।
जैटो डायनेमिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, पेट्रोल-डीजल गाड़ियों की तुलना में चीन में इलेक्ट्रिक कार की कीमतें 19% तक कम हो गईं। वहां इलेक्ट्रिक वाहनों का कार बाजार में 20% हिस्सा हो गया है। यूरोप में 50 प्रमुख कार ब्रांड हैं, जबकि अमेरिका-जापान में 14–14 ब्रांड हैं। किंतु चीन में 140 ब्रांड हैं। इनकी उत्पादन क्षमता भी पश्चिमी कार निर्माताओं से 30 प्रतिशत अधिक है।