Diwali spacial: मध्य प्रदेश में स्थित इकलौते महालक्ष्मी मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है
Diwali spacial: दीवाली आते ही सभी को धन और सुख की इच्छा होती है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश में स्थित इकलौते महालक्ष्मी मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है। यह मंदिर खरगोन जिले के ऊन शहर में है। भक्त दीवाली पर यहां मां महालक्ष्मी का आशीर्वाद लेने आते हैं। यहां श्रद्धालु कमल पुष्प चढ़ाकर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इसलिए यह स्थान दिवाली पर एक विशेष आकर्षण का केंद्र है।
यह प्राचीन मंदिर लगभग द्वापर युग का है। यहां देवी महालक्ष्मी की छह भुजाओं वाली प्रतिमा है, जो दिन में तीन बार दिखाई देती है। मंदिर के पुजारी नरेंद्र पंडित ने बताया कि मध्य प्रदेश में यह सबसे पुराना और एकमात्र महालक्ष्मी मंदिर है। देवी की प्रतिमा अद्वितीय है क्योंकि एक ही पत्थर से बनाई गई है।
ऊन का यह मंदिर देश के चार प्राचीन महालक्ष्मी मंदिरों में से एक है। हिमाचल प्रदेश के भरमौर और महाराष्ट्र के मुंबई में अन्य मंदिर हैं। ऊन का महालक्ष्मी मंदिर भक्तों को देवी को कमल पर विराजमान देखने का सौभाग्य देता है। जिससे भक्तों को विशेष खुशी मिलती है।
दीवाली पर विशेष कार्यक्रम
यहां हर साल दीवाली पर विशेष कार्यक्रम होता है। फूलों और आकर्षक रोशनी से सजाया गया मंदिर। काली चौदस की रात एक खास हवन होता है। भक्तों के लिए अगले दिन दीवाली की सुबह चार बजे से मंदिर के पट खोल दिए जाते हैं। मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से हजारों श्रद्धालु माता का आशीर्वाद लेने इस अवसर पर आते हैं।
मंदिर की पुरातात्विक भूमिका
पुरातत्व विभाग ने बताया कि देवी श्री महालक्ष्मी माता की यह प्रतिमा लगभग एक हजार वर्ष पुरानी है। यहाँ बहुत से परमार कालीन मंदिर भी हैं। जो परमार राजा उदयादित्य ने बनाए थे। यह मंदिर खजुराहो के मंदिरों से समकालीन है, जो इसका महत्व बढ़ाता है। इतिहास प्रेमी भी आते हैं।
महालक्ष्मी मंदिर वायुमार्ग तक कैसे पहुंचे: इंदौर का देवी अहिल्या बाई होल्कर एयरपोर्ट खरगोन से 150 किमी की दूरी पर है।
रेल मार्ग: रेलवे का सबसे नजदीकी स्टेशन खंडवा जंक्शन है, जो 87 किमी दूर है, और सनावद मीटर गेज स्टेशन 70 किमी दूर है।
रोड मार्ग: ऊन, खरगोन से 18 किलोमीटर दूर है. इंदौर, बड़वानी, धार, खंडवा और बुरहानपुर से सीधे जा सकता है।