Dharma Amavasya पर पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं, इसलिए इस दिन पूर्वजों को पूजा जाता है
Dharma Amavasya: हिंदू धर्म में अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण है। पितरों की भी अमावस्या पर पूजा की जाती है। शास्त्रों में दर्श अमावस्या पितृ अमावस्या की तरह ही प्रभावी है। दर्श अमावस्या पर पूर्वज स्वर्ग से धरती पर आते हैं और अपने परिवार को आशीर्वाद देते हैं, इसलिए इस दिन पूर्वजों को पूजा जाता है। पितृ दोष से छुटकारा पाने का उपाय भी दर्श अमावस्या है। उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने भी कुछ ऐसे उपाय बताए..।
दर्श अमावस्या की धार्मिक मान्यता
हर महीने एक अमावस्या आती है, लेकिन दर्श अमावस्या अधिक महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह दिन पिता की स्मृति और उनकी आत्मा की शांति के लिए है। इन उपायों को अपनाने से न केवल पितृ खुश होते हैं, बल्कि उनके जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है। जीवन में परेशानियों से छुटकारा मिलता है। दर्श अमावस्या के दिन विधि विधान से पूजा करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।
इन कामों से पितृ खुश होंगे
1. दर्श अमावस्या के दिन कौओं को खाना खिलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं और बहुत आशीर्वाद देते हैं।
2. इस दिन पितृ धार्मिक स्थानों पर जाकर पूजा करने से प्रसन्न होते हैं। साथ ही पूजन के बाद गौ माता की पूजा करना अनिवार्य है। देवी-देवताओं के अलावा पितृ देव भी इससे प्रसन्न होते हैं। गाय को दर्श अमावस्या के दिन चारा खिलाना शुभ है।
3. दर्श अमावस्या के दिन पिंडदान करने और पितरों के निमित्त तर्पण करने से वे खुश होते हैं। दान भी आज महत्वपूर्ण है। दान करना पुण्य है। पिता खुश होते हैं।
भूल से भी न करें ये कार्य
अमावस्या के दिन किसी को भी बाल या नाखून नहीं काटना चाहिए, ज्योतिषशास्त्र कहता है। ऐसा करने से आपके पिता नाराज हो सकते हैं और आपको अपने पिता को दोष दे सकते हैं। अमावस्या के दिन बाल धोना भी गैरकानूनी है। इस दिन बाल धोने से कई समस्याएं सामने आ सकती हैं।
दर्श अमावस्या कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, 30 नवंबर को सुबह 10 बजकर 29 मिनट से मार्गशीर्ष महीने की दर्श अमावस्या तिथि शुरू होगी। अमावस्या तिथि 1 दिसंबर को सुबह 11 बजे 50 मिनट पर समाप्त होगी। यही कारण है कि दर्श अमावस्या 1 दिसंबर रविवार को ही मनाई जाएगी, जैसा कि तिथि की घोषणा है।