Deepti Jeevanji
भारत की पैरा एथलीट Deepti Jeevanji ने पेरिस पैरालिंपिक 2024 में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया। पूरा देश दीप्ति की इस उपलब्धि पर गर्व कर रहा है। महिलाओं की 400 मीटर टी20 स्पर्धा के फाइनल में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर भारत को 16वां मेडल दिलाया। इस पैरा-एथलीट ने 55.82 सेकंड में दौड़ पूरी की। शनिवार को तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने दीप्ति जीवांजी को एक करोड़ रुपये का नकद पुरस्कार, वारंगल में 500 वर्ग गज जमीन और ग्रुप दो सेवाओं में एक उपयुक्त पद देने की घोषणा की।
पेरिस से लौटने के बाद दीप्ति जीवांजी ने मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी से मुलाकात की। रेड्डी ने उनके कोच एन रमेश द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता को 10 लाख रुपये देने की भी घोषणा की। गाँव में दीप्ति को “पिछी कोठी” यानी मेंटल कहकर चिढ़ाते थे। उनका जन्म सूर्यग्रहण के दौरान हुआ था। उनके सिर बहुत बड़ा था और उनके होंठ और नाक भी असाधारण थे। जब गाँव वाले उसे चिढ़ाते थे, वह घर आकर मां के सामने बहुत रोती थी। उसे संभालने की कोशिश मां करती थी। दीप्ति की मां को लोगों ने बिटिया को अनाथालय में भर्ती करने की सलाह दी। लेकिन मां तो मां होती है। एक मां ने अपने कलेजे के टुकड़े को अपने से कैसे अलग कर सकती थी
दीप्ति ने पहली बार पैरालंपिक में भाग लिया था।
दीप्ति जीवांजी ने दिखाया कि दृढ़ इच्छाशक्ति से कुछ कर गुजरने से कोई नहीं रोक सकता। दीप्ति ने शुरुआत में इतनी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद हार नहीं मानी और आज पेरिस से मेडल लेकर वापस आई है। दीप्ति पहली बार पैरालंपिक में भाग लेने के कारण भी यह मेडल खास है। उससे पहले, उन्होंने जापापन में विश्व एथलेटिक्स पैरा चैंपियनशिप में देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाया था।
दीप्ति बौद्धिक विकलांग थीं
दीप्ति का जन्म वारंगल, आंध्र प्रदेश में कल्लेडा गांव में हुआ था। दीप्ति जन्म से बौद्धिक विकलांग थीं। दीप्ति की मां ने कुछ दिन पहले एक इंटरव्यू में कहा कि उनकी बेटी बहुत कम बोलती है। जब गांव के बच्चे उसे चिढ़ाते थे, तो वह अपनी मां जीवांजी धनलक्ष्मी के सामने आकर बहुत रोती थी।