CM Yogi Adityanath: अयोध्या सनातन धर्म की पावन पुरियों में प्रथम पुरी, इस धरा ने हजारों वर्षों से विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया
- श्रीराम कथा पर आधारित वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया
CM Yogi Adityanath ने कहा कि अयोध्या सनातन धर्म की पावन पुरियों में प्रथम पुरी है। इस धरा ने हजारों वर्षों से विश्व मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है। अयोध्या दुनिया के लिए मार्गदर्शक है। यह ऐसी भूमि है, जिस पर किसी ने कभी आक्रमण करने का दुस्साहस नहीं किया। यह दुनिया में चल रहे द्वन्द्व के समाधान की भूमि है। राग द्वेष तथा किसी भी प्रकार की अनावश्यक चेष्टा से मुक्त व्यवस्था कैसे आदर्शों तथा मर्यादाओं द्वारा संचालित हो सकती है, इसकी आदर्श पृष्ठभूमि इस धरा ने रची थी। यह हमारा सौभाग्य है कि श्री हरि विष्णु जी के अवतार के रूप में मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम ने इसी अयोध्या धाम में महाराज दशरथ के घर में उनके पुत्र के रूप में जन्म लिया। उनका अयोध्या के प्रति भाव किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने न केवल अयोध्या पुरी बल्कि यहां के नागरिकों के बारे में भी अपनी कृपा तथा अनुराग व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी जनपद अयोध्या में रामकथा पार्क में 43वें मेले का शुभारम्भ करने के पश्चात अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने रामायण मेले से सम्बन्धित तथा श्रीराम कथा पर आधारित वार्षिक पत्रिका का विमोचन किया। ज्ञातव्य है कि चार दिवसीय रामायण मेला 05 से 08 दिसम्बर, 2024 तक आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम का भाव प्रत्येक सज्जन पुरुष को संरक्षण देने का रहा है। यही कारण है कि एक बार फिर से अयोध्या धाम आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से वैश्विक नगरी के रूप में अपनी पहचान पुनर्स्थापित कर रहा है। पूरी दुनिया तथा देश इस कार्य से अभिभूत है। 22 जनवरी, 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कर कमलों द्वारा 500 वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के पश्चात प्रभु श्रीराम अपने भव्य मंदिर में विराजमान हुए। आयोजन अयोध्या में सम्पन्न हो रहा था, लेकिन उत्सव पूरी दुनिया तथा देश में मनाया जा रहा था। प्रत्येक सनातन धर्मावलम्बी भाव विभोर था तथा गौरव की अनुभूति कर रहा था। वह इसलिए भाव विभोर था, क्योंकि जिस कार्य का अनुभव उसके पूर्वज भौतिक चक्षु से नहीं कर पाए, सभी ने प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से तथा दृश्य-श्रव्य माध्यम से उस दृश्य को देखा तथा उसका अनुभव प्राप्त किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रभु श्रीराम के प्रति हमारा तथा देश का क्या भाव है, गांव-गांव में संत तुलसीदास जी द्वारा प्रारम्भ की गई रामलीलाएं इसका उदाहरण हैं। यदि सनातन धर्मावलम्बियों के मन में प्रभु श्रीराम के प्रति भाव को जानना है, तो 1990 के दशक के दौरान दूरदर्शन द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले रामायण धारावाहिक को याद करिए। उस समय कौन सा ऐसा सनातन धर्मावलम्बी तथा भारतीय था जो रामायण सीरियल देखने के लिए 01 घंटे का समय न निकालता हो। लोग दूर-दूर से रामायण सीरियल देखने के लिए आते थे। यह प्रभु श्रीराम के प्रति भारत की सनातन श्रद्धा का प्रतीक है। भारत की संस्कृति उस परम्परा को मानती है जिसके बारे में कहा गया है कि ‘जाके प्रिय न राम-बैदेही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही’।। अर्थात् जिसके मन में भगवान श्रीराम तथा माता सीता के प्रति श्रद्धा तथा समर्पण का भाव नहीं है तो वह कितना भी प्रिय क्यों न हो उसको अपना शत्रु मानकर त्याग देना चाहिए। इसीलिए 1990 के दशक में श्री राम भक्तों ने नारा लगाया था कि ‘जो श्रीराम का नहीं वह हमारे किसी काम का नहीं’।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह रामायण मेला वर्ष 1982 में प्रारम्भ हुआ। इसके पूर्व, डॉ0 राम मनोहर लोहिया जी ने देश के अलग-अलग भागों में कुछ रामायण मेले तथा रामायण उत्सव के कार्यक्रम प्रारम्भ कराये थे। डॉ0 राम मनोहर लोहिया का जन्म आज के अम्बेडकरनगर जनपद में हुआ था। डॉ0 लोहिया राजनीति में आदर्शों के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने कहा था कि सच्चा समाजवादी वही है, जो सम्पत्ति तथा सन्तति के मोह से दूर रहे। वह बहुत विद्वान व्यक्ति थे लेकिन मंदिर नहीं जाते थे। वह समाजवादी चिन्तक थे। जब उनसे पूछा गया कि रंग रूप, वेश भूषा, बोली आदि विविधताओं के बावजूद भारत एकता के सूत्र में कैसे बंधा है, तो उन्होंने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि जब तक भारत की आस्था भारत के तीन आराध्य देवों के प्रति बनी रहेगी तब तक भारत का कोई बाल बांका नहीं कर सकता। कोई भी भारत की एकता को चुनौती नहीं दे पाएगा। यही कारण है कि उत्तर से दक्षिण तक आज हम जो भारत देख रहे हैं । आर्यावर्त को भारत के रूप में बदलने तथा हिमालय तथा विन्ध्याचल के बीच के भूभाग को सुदूर दक्षिण तक पहुंचाने का श्रेय अयोध्या के यशस्वी और तपस्वी राजकुमार प्रभु श्रीराम को जाता है। वह श्री हरि विष्णु के अवतार के रूप में इस अयोध्या धाम में जन्मे थे। आर्यावर्त की सीमा सीमित थी। ‘आर्यावर्त पुण्य भूमि मध्य विंध्य हिमालयो’ अर्थात् हिमालय और विंध्याचल के बीच का भूभाग आर्यावर्त था। भगवान श्रीकृष्ण मथुरा को कंस के आतंक से मुक्त कर द्वारका धाम प्रस्थान कर गए। वह रुक्मणी को सुदूर पूर्वाेत्तर के राज्य से लेकर आए। लीलाधारी भगवान श्रीकृष्ण ने सुदूर पूर्व और पश्चिम को जोड़ने का कार्य किया। देश में उत्तर, दक्षिण, पूर्व तथा पश्चिम में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों के माध्यम से भगवान शिव ने सनातन धर्म की एकता को और भी सुदृढ़ करने का कार्य किया। भारत के तीन आराध्य देवों के प्रति श्रद्धा भाव व्यक्त करते हुए डॉ0 राम मनोहर लोहिया ने यही उत्तर दिया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमने प्रभु श्रीराम को अपना आदर्श माना है। यदि हम उनके उच्च आदर्शो से प्रेरणा प्राप्त कर सके तो हमारे जन्म और जीवन धन्य हो जाएंगे। व्यक्तिगत जीवन में व्यक्ति, परिवार, समाज तथा देश के प्रति उच्च मूल्य और आदर्श होने चाहिए। जब राजा दशरथ ने प्रभु श्रीराम से कहा कि भले ही कैकेयी ने उनसे दो वचन प्राप्त किए हैं, लेकिन तुम उन्हें अनदेखा कर अयोध्या की राजगद्दी सम्भालो तो प्रभु ने कहा कि नहीं वह ऐसा नहीं कर सकते, क्योंकि भले ही उन्हें अयोध्या की राजगद्दी प्राप्त हो जाएगी, लेकिन आने वाली पीढ़ियों के सामने अच्छा आदर्श स्थापित नहीं हो पाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भगवान श्रीराम और निषादराज की मैत्री से कौन परिचित नहीं है। प्रदेश सरकार ने श्रृंग्वेरपुर में भगवान श्रीराम तथा निषादराज की स्मृतियों को जीवन्त बनाने के लिए 56 फीट ऊंची प्रतिमा को स्थापित किया है। प्रभु श्रीराम ने वनवास का सर्वाधिक समय चित्रकूट में व्यतीत किया। चित्रकूट के सामाजिक जीवन को नई जीवन्तता प्रदान की तथा वहां के निवासियों के जीवन में परिवर्तन लाने का कार्य किया। इसके पश्चात प्रभु वनवास के अन्तिम दिनों में लीला रचना के उद्देश्य से दण्डकारण्य के लिए प्रस्थान कर गए। वहां जाकर उन्होंने ऋषि-मुनियों की सुध ली।
ऋषि-मुनि तथा संत जन भारत की ज्ञान परम्परा को आगे बढ़ाने की महत्वपूर्ण कड़ी हैं। भारत की ज्ञान की परम्परा में अवरोध उत्पन्न करने वाले राक्षसों का संहार करने के लिए प्रभु श्रीराम को आगे आना पड़ा। उस समय उन्होंने इसीलिए कहा था कि ‘निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह’। उन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए आदर्श प्रस्तुत करने हेतु माता शबरी के बेर खाने, वनवासियों तथा गिर वासियों की बड़ी सेना खड़ी करने, राक्षसराज रावण का अन्त करने, रामेश्वरम में ज्योतिर्लिंग तथा सेतुबंध की स्थापना करने का कार्य किया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रभु श्रीराम ने देश तथा समाज को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ने तथा सामाजिक संगठन के माध्यम से देश की एकता व अखण्डता को सुदृढ़ करने का कार्य किया। वह किष्किन्धा राज्य जीतते हैं, लेकिन राज्याभिषेक सुग्रीव का करते हैं। लंका को जीतते हैं, लेकिन राज्याभिषेक विभीषण का करते हैं। यह प्रभु श्री राम का आदर्श है। यह सब इसीलिए सम्भव हो सका क्योंकि प्रभु श्रीराम ने पूरे समाज को जोड़ा था। यदि हमने जोड़ने के कार्य को महत्व दिया होता व समाज के दुश्मनों की सामाजिक विद्वेष बढ़ाने तथा समाज को तोड़ने की रणनीति सफल नहीं होने देते तो, यह देश कभी गुलाम नहीं होता। हमारे तीर्थ अपवित्र नहीं होते। चंद मुठ्ठी भर आक्रांता भारत को पद्दलित करने का दुस्साहस नहीं कर पाते।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यदि हमने प्रभु श्रीराम को हमने आराध्य माना है तो उनके प्रति समर्पण का भाव तब तक अधूरा है, जब तक हम उनके उच्च आदर्शो को अपने जीवन में न उतार लें। रामायण का एक-एक दृश्य अत्यन्त प्रेरणादाई है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण दुनिया का पहला महाकाव्य माना जाता है। दुनिया में लौकिक संस्कृत का इतना अच्छा महाकाव्य अन्य कोई नहीं है। यह आपकी धरोहर है। प्रभु को भी स्थानीय बातें बहुत अच्छी लगती थीं। तुलसीदास जी ने रामचरितमानस अवधी भाषा में रची थी। यह देश तथा दुनिया में अत्यन्त लोकप्रिय ग्रन्थ है। यह धर्म के हेतु सांसारिक उत्कर्ष तथा निःश्रेष्य के पथ का अनुसरण करने की प्रेरणा प्रदान करता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने वर्ष 2017 में अयोध्या में रामायण मेले के आयोजन तथा दीपोत्सव के कार्यक्रम को आगे बढ़ाया। दीपोत्सव के कार्यक्रम ने नई ऊंचाई प्राप्त की है। गत वर्ष दीपोत्सव के कार्यक्रम में दुनिया के 54 देशों के राजदूत तथा दूतावास के अधिकारीगण आए थे। अयोध्या में राम जी की पैड़ी का सौन्दर्यीकरण, अयोध्या की सड़कों का चौड़ीकरण, यात्री विश्रामालयों का निर्माण, मठ तथा मंदिरों का सौन्दर्यीकरण, अयोध्या का सड़क मार्ग, रेल मार्ग व वायु मार्ग से जुड़ाव जैसे अनेक कार्य किए गए। हजारों वर्षों के बाद यहां एयरपोर्ट का निर्माण हो सका। अब यहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट का निर्माण हो चुका है। यह इंटरनेशनल एयरपोर्ट महर्षि वाल्मीकि को समर्पित है। माता शबरी ने वनवास के समय प्रभु श्री राम को बेर खिलाए थे। भाव विभोर होकर वह भूल गईं थी कि प्रभु को जूठे बेर खिला रही है। एक भक्त की भावना का प्रभु किस रूप में सम्मान करते हैं, यह उसका एक उदाहरण है। यहां के भोजनालय माता शबरी को समर्पित हैं।
निषादराज ने प्रभु श्री राम को वनवास के समय पहला आश्रय प्रदान करने का कार्य किया था। इसलिए यहां के यात्री विश्रामालयों का निर्माण निषादराज के नाम पर होगा। यहां भगवान श्रीराम के सर्वाधिक भजन गाने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के नाम पर भव्य चौराहा बनाया गया है। यह सब कार्य आज अयोध्या की पहचान बन रहे हैं। अयोध्या के संत, नागरिक, भक्त तथा श्रद्धालु जब बोलते हैं कि वह अयोध्या से आए हैं, तो लोग भाव विभोर हो जाते हैं। इस सम्मान को बनाए रखने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अयोध्या को नई अयोध्या के रूप में प्रस्तुत करने का दायित्व हम सभी का होना चाहिए। अयोध्या में नूतन कार्य करने तथा नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकार भरपूर सहयोग करने को तैयार है। इस विषय पर शोध कार्य किए जाने चाहिए। सूर्यवंश की राजधानी अयोध्या को देश की पहली सोलर सिटी बनाया जा रहा है। भगवान सूर्य से प्राप्त ऊर्जा यहां के घरों तथा सड़कों को प्रकाशित कर रही है। अब राम जी की पैड़ी पर सरयू नदी का जल एक तरफ से प्रवेश करता है तथा दूसरी तरफ प्रवाहित हो जाता है। अयोध्या में ऐसे कार्य निरन्तर होते रहेंगे। रामायण मेले को नई ऊंचाई पर ले जाने की आवश्यकता है। जो लोग हमारे इतिहास को नहीं जानते वह अपने अनुसार तिथि निकालते हैं। 5000 वर्ष पूर्व महाभारत हुई तथा इससे हजारों वर्ष पूर्व प्रभु श्रीराम का अयोध्या धाम में अवतरण हुआ। हजारों वर्षों की विरासत को हमारे ऋषि-मुनि, संत तथा विद्वान अपनी स्मृति का हिस्सा बनाकर आगे बढ़ा रहे हैं। श्रीराम जानकी विवाह के अवसर पर आयोजित यह रामायण मेला इस विरासत को नई ऊंचाई प्रदान करता है। आयोजन समिति को इस कार्य को नई दिशा में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही, रामायण पर शोध कार्य किए जाने की भी आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार चित्रकूट धाम के सौन्दर्यीकरण के बड़े कार्य को आगे बढ़ा रही है। महर्षि वाल्मीकि के जन्म स्थान लालापुर तथा संत तुलसीदास जी के जन्म स्थान राजापुर के सौन्दर्यीकरण के कार्य को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए प्रदेश सरकार यह सिलसिला अनवरत जारी रखेगी। हम सब प्रधानमंत्री जी के एक भारत श्रेष्ठ भारत के निर्माण में अपना योगदान दे सकेंगे।
इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, महंत कमलनयन दास जी महाराज, जगतगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज, जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी राघवाचार्य जी महाराज, महंत अवधेशदास जी महाराज, डॉ0 रामविलास वेदान्ती जी महाराज तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इसके उपरान्त मुख्यमंत्री जी ने श्रीराम जन्मभूमि मन्दिर तथा श्री हनुमानगढ़ी मन्दिर में दर्शन-पूजन किया।
मुख्यमंत्री जी जानकी महल में आयोजित श्रीराम जानकी विवाहोत्सव कार्यक्रम में भी सम्मिलित हुए। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को सम्बोधित भी किया।
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