Pitru Paksha
आश्विन माह के कृष्णपक्ष को Pitru Paksha कहते है। फिर देवी पक्ष शुरू होता है। पितृ पक्ष पूरे 15 या 16 दिनों तक चलता है। इन दिनों, पितृ, यानी हमारे मर चुके पूर्वजों का पूजन किया जाता है। मृत आत्माएं पितृपक्ष में धरती पर रहती हैं। परिजन से मिलने आते हैं। इसके साथ ही पितृ पक्ष में पूर्वजों की पूजा भी की जाती है। इसलिए इन दिनों कुछ काम भूलकर भी नहीं करना चाहिए। जिससे पितृ नाराज होते हैं और नकरात्मक प्रभाव पड़ता है।
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि 17 सितंबर की पूर्णिमा से पितृ पक्ष शुरू होगा। 2 अक्टूबर, अमावस्या को इसका समापन होगा। 2 अक्टूबर से देवी पक्ष शुरू होगा। श्राद्ध इस वर्ष 18 सितंबर, प्रतिपदा तिथि से शुरू होगा।
पितृपक्ष में पितृ को नाराज नहीं करना
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि पितृ पक्ष में पितृ देवताओं और देवी देवताओं की भी पूजा की जाती है, इसलिए कुछ कार्य करना वर्जित है, जैसे
नया घर बनाना शुरू नहीं करना
पितृपक्ष के दौरान नया घर बनाने का काम शुरू नहीं करना चाहिए। पितृ परेशान होते हैं और घर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
मांगलिक कार्य नहीं करना
पितृपक्ष के दौरान कोई मांगलिक कार्य (जैसे मुंडन, सगाई, जनेऊ, घर प्रवेश) नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही, नए गाड़ी, कपड़े खरीदने से बच गए पितृ भी दुखी हैं।
मदिरा और मांस नहीं खाना
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि पितृपक्ष में तामसिक भोजन और शराब नहीं पीना चाहिए। यह पितृ को नाराज कर सकता है और आपके वंश पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
इन भोजनों पर हाथ नहीं लगाना
पितृपक्ष में कद्दू, सरसों का साग, चना, काला नमक,खीरा और कुछ और खाना नहीं खाना चाहिए।
रात्रि में श्राद्ध न करें
दोपहर बाद सूर्य की रोशनी रहते हुए पितृपक्ष में पितृ तर्पण, श्राद्ध आदि करना चाहिए।रात्रि के समय श्राद्ध करना अशुभ होता है और श्राद्ध, तर्पण असफल होता है