Radha Ashtami
Radha Ashtami: कृष्ण के बिना राधा और राधा के बिना कृष्ण अपूर्ण हैं। माना जाता है कि राधा-कृष्ण का नाम जपने से जीवन में सुख मिलता है। सनातन धर्म में राधा और कृष्ण की जोड़ी प्रेम का प्रतीक है। यह भी कहा जाता है कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा करने के बाद राधाष्टमी पर राधा रानी की पूजा करनी चाहिए, इससे जन्माष्टमी की पूजा का फल मिलेगा। कल, 11 सितंबर को राधाष्टमी है। यह भी एक शुभ संयोग है।
देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने बताया कि भादो माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी और शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। 11 सितंबर है राधा अष्टमी। राधा अष्टमी पर प्रीति योग का भी निर्माण हो रहा है.। जन्माष्टमी और राधा अष्टमी के दिन व्रत रखकर श्रीकृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और प्रेम बढ़ता है।
अष्टमी तिथि कब से शुरू होती है?
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि 10 सितंबर, मंगलवार को रात 10 बजकर 32 मिनट से भादो माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। 11 सितंबर, अगले दिन बुधवार रात 11 बजकर 23 मिनट पर इसका समापन होगा। राधा अष्टमी का व्रत उदया तिथि के अनुसार 11 सितंबर को ही रखा जाएगा।
पूजा का शुभ समय
राधा अष्टमी पर लाडली जी की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजे 32 मिनट से दोपहर 1 बजे 44 मिनट तक चलेगा। लाडली जी की पूजा इस समय ही करने से लाभ मिलेगा।
बन रहे कई शुभ योग
ज्योतिषाचार्यों ने बताया कि राधा अष्टमी के दिन कई शुभ योग का भी निर्माण हो रहा है। जिससे इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है राधा अष्टमी पर प्रीति योग और आयुष्मान योग बन रहे हैं।
इसे जरूर करें पूजा में अर्पित
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि राधा अष्टमी के दिन राधा-कृष्ण की पूजा करते समय श्रृंगार का सामान राधा रानी को देना चाहिए। यह राधा रानी को खुश करता है और उनके जीवन में सुख समृद्धि लाता है।